@Sy3127-f1g भगवान किसी को सत और असत कर्म के लिए प्रेरित नहीं करते हैं जीव अपने विवेक से कर्म करता है और उसका परिणाम भी भुगतता है । हमारी अध्यात्म में पुनर्जन्म की अवधारणा भी है तो जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल भी भुगतता है । जहां तक भगवान होने न होने का प्रश्न है तो उनके द्वारा प्रदत्त बुद्धि द्वारा ही आपने यह प्रश्न किया । भगवान कहीं बाहर नहीं अपितु तुम ही भगवान हो । तत्वंसि अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद शाम वेद को रेफर कर देता हूं ।
@@Sy3127-f1g भगवान किसी के सत और असत कर्म नहीं लेता है । समस्त कर्म जीव अपने विवेक से करता है और सत असत कर्म के अनुसार फल भुगतता है । आप अपने कर्मों के अनुसार शरीर प्राप्त करते है भगवान आपको बुद्धि देते है सत और असत कर्म जीव अपने विवेक से करता है और उसके अनुसार फल भुगतता है । आपने प्रश्न किया है यह भगवान द्वारा प्रदत्त बुद्धि से ही किया है और मैं उसी से उत्तर दे रहा हूं । भगवान कहीं बाहर नहीं है आप ही भगवान हो बस अपनी खोज करो मिल जाएगा । तत्वसी अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद का रेफरेंस है ।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ jai gurudev❤❤❤❤
जय जय जय गुरुदेव सच्चिदानंद ❤
🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏
ॐ श्री रामकृष्णाय नमो नमः
ॐ श्री माता सारदा देवी नमः
ॐ श्री स्वामी विवेकानंदजी नमः
Jai shree Ram 🙏🌺🙏🌺🙏🚩🚩
Dhanyawad guruji aapki satki vishlation 🙌
Jo Sadhana ka bataya hai vo bahut hi sunder hai 🎉
गुरुदेव को दण्डवत।
Jai shree Man Narayan
Kya bhagwan hote h?????
Yes
प्रश्न ही उत्तर है
@nathmalpurohit4100 agar bhagwan hote h to kyu rape , murder hote h ,kyu forcefully marriages hoti h??mujhe ans chahiye
@Sy3127-f1g भगवान किसी को सत और असत कर्म के लिए प्रेरित नहीं करते हैं जीव अपने विवेक से कर्म करता है और उसका परिणाम भी भुगतता है । हमारी अध्यात्म में पुनर्जन्म की अवधारणा भी है तो जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल भी भुगतता है ।
जहां तक भगवान होने न होने का प्रश्न है तो उनके द्वारा प्रदत्त बुद्धि द्वारा ही आपने यह प्रश्न किया । भगवान कहीं बाहर नहीं अपितु तुम ही भगवान हो । तत्वंसि अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद शाम वेद को रेफर कर देता हूं ।
@@Sy3127-f1g भगवान किसी के सत और असत कर्म नहीं लेता है । समस्त कर्म जीव अपने विवेक से करता है और सत असत कर्म के अनुसार फल भुगतता है । आप अपने कर्मों के अनुसार शरीर प्राप्त करते है भगवान आपको बुद्धि देते है सत और असत कर्म जीव अपने विवेक से करता है और उसके अनुसार फल भुगतता है । आपने प्रश्न किया है यह भगवान द्वारा प्रदत्त बुद्धि से ही किया है और मैं उसी से उत्तर दे रहा हूं ।
भगवान कहीं बाहर नहीं है आप ही भगवान हो बस अपनी खोज करो मिल जाएगा ।
तत्वसी अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद का रेफरेंस है ।