व्यस्त साधकों के लिए साधना का अचूक उपाय ! रामकृष्ण परमहंस

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  • เผยแพร่เมื่อ 20 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น •

  • @ManmohanMeena-fm3my
    @ManmohanMeena-fm3my 3 วันที่ผ่านมา +3

    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ jai gurudev❤❤❤❤

  • @kumarsarang1784
    @kumarsarang1784 3 วันที่ผ่านมา +3

    जय जय जय गुरुदेव सच्चिदानंद ❤

  • @mamtasarma2835
    @mamtasarma2835 2 วันที่ผ่านมา +1

    🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏

  • @virjibhaigodhaniya8576
    @virjibhaigodhaniya8576 วันที่ผ่านมา

    ॐ श्री रामकृष्णाय नमो नमः
    ॐ श्री माता सारदा देवी नमः
    ॐ श्री स्वामी विवेकानंदजी नमः

  • @shailsingh8309
    @shailsingh8309 2 วันที่ผ่านมา +1

    Jai shree Ram 🙏🌺🙏🌺🙏🚩🚩

  • @prithvirajmudappu3717
    @prithvirajmudappu3717 2 วันที่ผ่านมา

    Dhanyawad guruji aapki satki vishlation 🙌

  • @KiranSharma-sb1zh
    @KiranSharma-sb1zh 2 วันที่ผ่านมา

    Jo Sadhana ka bataya hai vo bahut hi sunder hai 🎉

  • @SatyaPal-vm1sn
    @SatyaPal-vm1sn วันที่ผ่านมา

    गुरुदेव को दण्डवत।

  • @maamaa4515
    @maamaa4515 2 วันที่ผ่านมา

    Jai shree Man Narayan

  • @Sy3127-f1g
    @Sy3127-f1g 2 วันที่ผ่านมา

    Kya bhagwan hote h?????

    • @PankajKumar-fh6hg
      @PankajKumar-fh6hg 2 วันที่ผ่านมา +1

      Yes

    • @nathmalpurohit4100
      @nathmalpurohit4100 2 วันที่ผ่านมา

      प्रश्न ही उत्तर है

    • @Sy3127-f1g
      @Sy3127-f1g 2 วันที่ผ่านมา +1

      @nathmalpurohit4100 agar bhagwan hote h to kyu rape , murder hote h ,kyu forcefully marriages hoti h??mujhe ans chahiye

    • @nathmalpurohit4100
      @nathmalpurohit4100 2 วันที่ผ่านมา

      @Sy3127-f1g भगवान किसी को सत और असत कर्म के लिए प्रेरित नहीं करते हैं जीव अपने विवेक से कर्म करता है और उसका परिणाम भी भुगतता है । हमारी अध्यात्म में पुनर्जन्म की अवधारणा भी है तो जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल भी भुगतता है ।
      जहां तक भगवान होने न होने का प्रश्न है तो उनके द्वारा प्रदत्त बुद्धि द्वारा ही आपने यह प्रश्न किया । भगवान कहीं बाहर नहीं अपितु तुम ही भगवान हो । तत्वंसि अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद शाम वेद को रेफर कर देता हूं ।

    • @nathmalpurohit4100
      @nathmalpurohit4100 2 วันที่ผ่านมา

      @@Sy3127-f1g भगवान किसी के सत और असत कर्म नहीं लेता है । समस्त कर्म जीव अपने विवेक से करता है और सत असत कर्म के अनुसार फल भुगतता है । आप अपने कर्मों के अनुसार शरीर प्राप्त करते है भगवान आपको बुद्धि देते है सत और असत कर्म जीव अपने विवेक से करता है और उसके अनुसार फल भुगतता है । आपने प्रश्न किया है यह भगवान द्वारा प्रदत्त बुद्धि से ही किया है और मैं उसी से उत्तर दे रहा हूं ।
      भगवान कहीं बाहर नहीं है आप ही भगवान हो बस अपनी खोज करो मिल जाएगा ।
      तत्वसी अध्याय 6 छांदोग्य उपनिषद का रेफरेंस है ।