हिमाचल प्रदेश के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक माँ भीमाकाली मंदिर शक्तिपीठ| नवरात्रि 2022| 4K |दर्शन🙏
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- เผยแพร่เมื่อ 29 ก.ย. 2022
- भक्तों! सादर नमन, वंदन और अभिनन्दन… भक्तों! देवभूमि हिमाचल में वैसे तो सभी देवी- देवताओं के नाम से कई धार्मिक स्थल हैं, कई प्रसिद्ध तीर्थ हैं, कई पवित्र धाम हैं और आध्यात्मिक मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर है देवभूमि हिमाचल प्रदेश के सराहन स्थित भीमाकाली मंदिर....
मंदिर के बारे में:
हिमाचल प्रदेश के सराहन में स्थित भीमाकाली मंदिर पौराणिक काल का सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरो मैं से एक हैं। यह मंदिर शिमला से 180 किलोमीटर और रामपुर बुशहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इसस्थान की यात्रा बगैर हिमाचल प्रदेश की यात्रा अधूरी है। रामपुर से 17 किलोमीटर के करीब ज्यूरी नामक कस्बा पडता है जहां से सराहन के लिये रास्ता जाता है।
इतिहास:
सराहन बुशहर राज्य के पूर्व राजाओं की राजधानी थी। पहले बुशहर राजवंश के राजा कामरो से अपना राज्य प्रभार नियंत्रित करते थे। बाद में राज्य की राजधानी शोणितपुर में स्थानांतरित कर दी गई। उसके बाद राजा रामसिंह ने अपनी राजधानी रामपुर को बनाया। ऐसा माना जाता है कि किन्नौर देश जिस समय बुशहर राजवंश ने शोणितपुर को अपनी राजधानी बनाया था उससमय उनका राज्य किन्नौर के पूरे क्षेत्र में फैला हुआ था।
पौराणिक कथा:
भक्तों भीमाकाली की पौराणिक कथा के अनुसार- देवी सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री व भगवान शिव की पत्नी हैं। प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ किया। जिसमें सभी को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव से वैमनस्य के कारण, शिव और सती को नहीं बुलाया। सती बिना बुलाये ही वहाँ पहुँच गईं। लेकिन दक्ष ने उनके सामने ही भगवान शिव का अनादर किया। पति का अपमान सहन ना कर पाने के कारण सती यज्ञकुण्ड में आत्माहुति दे दी। भगवान शिव क्रोध में देवी सती के शव को लेकर तांडव करने लगे। तत्पश्चात भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव को 51 भागों में विभाजित कर दिया। जहाँ जहाँ देवी के शरीर के भाग गिरे, वहां वहां 51शक्तिपीठों की स्थापना हुई। उन्ही शक्तिपीठों में से एक भीमाकाली मंदिर भी है जहां देवी सती का कान गिरा था।
लोककथा:
भक्तों कहा जाता है कि बाली पुत्र बाणासुर इस क्षेत्र का शासक था। उसकी पुत्री उषा, भगवान कृष्ण के पुत्र अनिरुद्ध को स्वप्न में देखकर प्रेम करने लगी थी। उसने अपने मन की बात अपनी सखी चित्रलेखा को बताया। उषा द्वारा दी गयी जानकारी से सखी चित्रलेखा ने अनिरुद्ध का चित्र रेखांकित किया तथा अपनी सखी के लिए उसे खोजने निकल पड़ी। वह अनिरुद्ध को खोजकर उसे निद्रामग्न अवस्था में ही उठाकर सराहन ले आयी। यह समाचार सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर से युद्ध की घोषणा कर दी। अंत भला तो सब भला, इस कहावत को चरितार्थ करते हुए, अंत में उषा एवं अनिरुद्ध का विवाह संपन्न हुआ। ऐसा माना जाता है कि तब से भारत स्वतंत्र होने तक निरंतर उन्ही के वंशज इस क्षेत्र में शासन करते रहे थे।
हैं।
प्रवेशद्वार:
भक्तों भीमाकाली मंदिर की कुछ सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद चांदी से बना मंदिर का प्रवेशद्वार हैं जिसपर नक्काशी करके बहुत ही सुंदर देवी देवताओं की मूर्तियाँ बनाई गयी हैं। प्रवेशद्वार का चौखट भी चाँदी का ही बना है। चौखट पर की गयी नक्काशी प्रवेशद्वार से कई गुना सुंदर और बेहतरीन हैं। क्योंकि इसपर देवी-देवताओं की आकृतियों के अलावा देवनागरी व गुरुमुखी लिपी में दिव्य संदेश लिखे गए हैं।
मंदिर का गर्भगृह:
भक्तों माँ मंदिर के दूसरे मंजिल में देवी भीमाकाली विराजमान हैं। यहाँ भीमाकाली के अलावा विभिन्न देवी देवताओं और गौतम बुद्ध की मूर्तियों के साथ देवी के 9 अवतारों की मूर्तियाँ भी प्रतिष्ठित हैं जिनमें प्रमुख देवी को चामुंडा का स्वरूप माना जाता है। मुख्य प्रतिमा के साथ धातु से बनी कुछ छोटी मूर्तियाँ हैं। बताया जाता है कि ये छोटी मूर्तियां बुशहर राजपरिवार में ब्याह कर आयी रानियों के कुलदेवी और कुलदेवता हैं। ये इस बात का प्रमाण है कि कन्याओं को ब्याह के पश्चात भी न केवल अपनी कुलरीति निभाने की अनुमति थी, अपितु उनकी आस्थाओं को ससुराल पक्ष द्वारा आस्था व श्रद्धापूर्वक आत्मसात किया जाता था। भक्तों भीमकाली मंदिर परिसर में तरफ भगवान श्री रघुनाथ जी, भगवान नरसिंह जी और पाताल भैरव (लंकरा वीर) तीन और मंदिर हैं.
नया मंदिर:
भक्तों भीमकाली मंदिर की पत्थर और लकड़ी से बनी दो ऊँची इमारते हैं। दोनों बिलकुल एक दूसरे के पास हैं। दोनों ही इमारत भीमकाली के मंदिर हैं। दाहिनी तरफ की इमारत पुराना मंदिर है और बायीं तरफ की इमारत देवी भीमाकाली का नया मंदिर है। जहां वर्तमान में माँ भीमाकाली विराजमान हैं। मंदिर की पुरानी इमारत का प्रयोग अब भण्डारगृह के रूप में किया जाता है।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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🙏🙏
Jai maa bhimakali ji
Jai kaneti devta ji
Jai mata di
Jay shree bheemakali
Jai ho mata rani🙏🙏🙏
जय हो🙏
Aniruddh putr nhi pota tha shree Krishna ka