#कवि

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 12 ก.ย. 2024
  • गन्धर्व कवि पंडित नन्दलाल का जन्म पंडित केशवराम के घर
    गाँव पात्थरआळी, जिला भिवानी (हरियाणा) मे 29-10-1913
    को हुआ था | इनके पिता जी केशवराम भी अपने समय मे
    उच्चकोटि के लोककवि व लोकगायक थे | नन्दलाल जी 5 भाई
    व 6 बहनों मे 10 वे नम्बर के थे | पांचो भाईयो मे श्री भगवाना
    राम जो कि जवान अवस्था मे स्वर्ग सिधार गए थे | दुसरे नम्बर
    पर श्री कुंदनलाल जी, तीसरे नम्बर पर श्री बनवारी लाल जी,
    चौथे नम्बर पर स्वयं श्री नन्दलाल जी तथा पांचवे नंबर श्री
    बेगराज जी थे | इनको बचपन से ही कविताई व गायकी का
    शौक था | इनके पिता श्री केशोराम श्री शंकरदास के शिष्य थे
    जिन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहते है | ये नन्दलाल जी तीनो सगे भाई
    कवि थे - नन्दलाल, बेगराज जी, कुंदनलाल जी | इस प्रकार
    केशोराम जी के शिष्य कुंदन लाल जी थे और कुंदन लाल जी के
    शिष्य श्री नन्दलाल जी और नन्दलाल जी के शिष्य बेगराज जी
    थे | श्री नन्दलाल जी बचपन मे दिन मे तो गौ चराते थे और रात
    को बड़े भाई कुंदनलाल जी का जहां भी प्रोग्राम होता था, तो
    छुप-छुप के सुनने चले जाते थे | उसके बाद थोड़े बड़े होने पर ये
    हरिराम सांगी- गाँव बहु झोलरी - रोहतक वाले पास रहने लगे |
    जब इस बात का पता इनके बड़े भाई कुंदनलाल लगा तो उन्होंने
    इनको अपने पास बुला लिया और अपने साथ बेड़े मे रखने लग
    गये | उसके बाद नन्दलाल जी ने फिर 13 साल की उम्र में अपना
    अलग बेड़ा बांध लिया | उन्होंने अपना पहला प्रोग्राम लगातार
    15 दिन तक गाँव चिडावा-राजस्थान मे किया था क्यूंकि ये
    हमेशा तत्काल ही बनाते थे और तत्काल ही गाते थे | इनकी एक
    खास बात ये थी कि वो लोगो की फरमाईस पूछते थे कि आप
    सज्जन पुरुष कोनसे प्रकांड या किस कथा की बात सुनना
    चाहते हो क्यूंकि इन्होने महाभारत, रामायण, वेद-पुराण, शास्त्र
    आदि का गहन अध्यन किया हुआ था | ये माता सरस्वती से
    वरदानी थे, जोकि गौ चराते समय माता सरस्वती ने इनको
    साक्षात् दर्शन दिए थे | इसलिए इनकी जिह्वा पर माँ सरस्वती का
    वास था | इनको हरियाणवी लोक साहित्य मे अपने भजनों मे
    दौड़ (सरड़ा/संगीत) की एक अनोखी कला का सर्वप्रथम
    शुरुआत करने का श्रेय है, जिसके अन्दर उस प्रसंग का कड़ी से
    कड़ी सम्पूर्ण सार होता था | इनकी कविता जितनी जटिल थी,
    उतनी ही रसवती भी थी | इनको महाभारत के 18 के 18 पर्व
    कंठस्थ याद थे तथा जिनको कविता के रूप मे गाते रहते थे |
    आज तक हरियाणवी लोकसाहित्य काव्य मे 100 कौरवो और
    106 किचको को नाम सिर्फ इन्होने ही अपनी कविताई मे प्रस्तुत
    किये है अन्यथा किसी भी कवि ने प्रस्तुत नहीं किये | इनकी
    वैसे तो नन्दलाल जी ज्यादातर सांगीत मंचन व कथा कार्यक्रम
    दक्षिण हरियाणा व समीपवर्ती राजस्थान के क्षेत्रों में ही किया
    करते थे, लेकिन समय समय पर आमंत्रण के तौर पर वे दूर-
    दराज के क्षेत्रों व अन्य राज्यों में भी उनको अच्छी खासी ख्याति
    प्राप्त थी | इसीलिए एक समय का जिक्र है कि सन 1960 मे
    हरियाणा-पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री प्रताप सिंह कैरव ने
    एक बार चंडीगढ़ मे लोककवि सम्मलेन करवाया, जिसमे लगभग
    आस पास के क्षेत्रों से उस समय के महानतम 35 लोककवियों ने
    भाग लिया | उसके बाद फिर कवि सम्मेलान पूर्ण होने के बाद
    मुख्यमंत्री जी ने गंधर्व कवि नन्दलाल जी की निम्नलिखित रचना
    को सुनकर प्रथम पुरस्कार के रूप मे उस समय 1100/- रुपये
    की राशि प्रदान की तथा मुख्यमंत्री जी ने इस कवि सम्मलेन
    समारोह के सम्पूर्ण होने की सुचना व प्रथम पुरुस्कार विजेता
    पंडित नन्दलाल जी को सर्वोत्तम कलाकार के तौर पर उनकी
    प्रशंसा के रूप मे उन्होंने इसकी सुचना एक अखबार के माध्यम
    से की ।
    उसके बावजूद इतना मान-सम्मान व ख्याति पाने पर भी उनको
    कभी भी अहम भाव पैदा नहीं हुआ और इन्होने अपने जीवन मे
    कभी भी धन का लालच नही किया और सभी प्रोग्रामों के सारे
    के सारे पैसे हमेशा धार्मिक कार्यों व गरीबो मे ही बाँट देते थे |
    इनको साधू-संतो से विशेष लगाव था, जिसके चलते इन्होने 38
    साल की उम्र में बाबा शंकरगिरी को अपना शब्दगुरु बनाया था |
    उसके 6 महीने बाद बाबा बैंडनाथ की आज्ञानुसार इन्होने
    सन्यासी रूप धारण कर लिया था तथा बाबा बैंडनाथ के पास
    अपने ही गाँव के पास खेतों में बाबा बैंडनाथ के साथ कुटी
    बनाकर उनके साथ ही रहना शुरू कर दिया था तथा गृहस्थ
    आश्रम से सन्यास ले लिया था | क्यूंकि नन्दलाल जी के शिष्य
    पंडित गणेशी लाल जी, जो गाँव- नौलायचा - महेंद्रगढ़ के निवासी
    है, जो अभी भी 85 की उम्र मे हमारे साथ विद्यमान है और
    हमेशा नन्दलाल जी के साथ ही रहते थे, उनके अनुसार एक बार
    नन्दलाल जी बालेश्वर धाम पर गए हुए थे और वहां के प्रसिद्द
    संत श्री सुरतागिरी महाराज के आश्रम पहुंचे | जब नन्दलाल जी
    उस आश्रम के द्वार पर पहुंचे तो सुर्तागिरी महाराज ने बिना
    किसी परिचय के वहा उनको प्रवेश करते ही उनको उके नाम
    नन्दलाल से ही पुकार दिया क्यूंकि सुर्तागिरी जी एक
    त्रिकालदर्शी थे संत थे | उसके बाद नन्दलाल जी ने सुर्तागिरी
    महाराज से पूछा कि आप मेरे को कैसे जानते हो | फिर महाराज
    सुर्तागिरी ने नन्दलाल जी को अन्दर आकर पूर्व जन्म का सम्पूर्ण
    वृतांत सुनने को कहा | उसके बाद नन्दलाल जी ने पहले तो वहां
    एक दिन के लिए आराम किया तथा दुसरे दिन उस आश्रम मे दो
    ही भजन सुनाये थे तो फिर भजन सुनने के बाद महाराज
    सुरतागिरी महाराज ने नन्दलाल जी को ज्ञात कराया कि आप
    पिछले जन्म मे दरभंगा के राजा के राजगुरु थे | फिर सुर्तागिरी
    महाराज ने नंदलाल जी के बारे मे आगे बताते हुए कहा कि एक
    बार राजा को यज्ञ करवाना था तो फिर आपने उस यज्ञ का शुभ
    मुहूर्त बताया और फिर राजा ने आपसे यज्ञ प्रारंभ के समय पर
    पहुँचने की विनती की | फिर जब राजा ने मुहूर्त के अनुसार यज्ञ
    शुरू करवाते समय उस दिन उनके मन मे उतावलेपन के कारण
    विलम्बता का शंशय पैदा होने के कारण यज्ञ मुहूर्त मे समय रहते
    #कवि नंदलाल जीवन
    #परिचय कवि
    #नंदलाल
    #Nandlal jivan Parichay
    #Kavi Nandlal
    #kaviyon ki baat
    #channel

ความคิดเห็น • 10

  • @arjunlalsharma3418
    @arjunlalsharma3418 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत अच्छा जी जय हो दादा श्री नन्दलाल जी महाराज की🙏🙏

  • @ShyamSunder-db6dh
    @ShyamSunder-db6dh 2 หลายเดือนก่อน +1

    जय हो दादा नंदलाल जी की

  • @amansharma2738
    @amansharma2738 2 หลายเดือนก่อน +1

    Jay ho dada nandlal ji

  • @user-lq7lh4cg5c
    @user-lq7lh4cg5c 5 หลายเดือนก่อน +2

    जय दादाजी नंदलाल की❤❤

  • @kishanpalverma6772
    @kishanpalverma6772 3 หลายเดือนก่อน +2

    Koti koti naman

  • @DevenderSaharan-u7x
    @DevenderSaharan-u7x 22 วันที่ผ่านมา +1

    ❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @harshitjaat618
    @harshitjaat618 ปีที่แล้ว +2

    Ek number ❤❤

  • @pukhraj_meena077
    @pukhraj_meena077 ปีที่แล้ว +2

    Dada.Nandalal.Ge.Jaysa.Koi.Nhe.Huva

  • @aayushvlog9104
    @aayushvlog9104 ปีที่แล้ว +2

    bhoot khub

  • @aayushlathwal2473
    @aayushlathwal2473 ปีที่แล้ว +1

    Very good