कथा गोपीचंद मां मैनावती | भाग-1 | Rajendra Rao | Rajasthani Katha Gopichand Manavati

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 ธ.ค. 2024
  • Lk Bhajan
    राजा गोपीचंद उज्जयिनी के राजा भर्तृहरि की बहन मैनावती के पुत्र थे। कुछ वर्षों तक जब मैनावती को पुत्र नहीं हुआ तो मैनावती ने गुरु जालंधर नाथ से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने प्रसन्न होकर रानी को पुत्रवती होने का वरदान दिया। साथ ही शर्त भी रखी कि इस पुत्र को 16 वर्ष के बाद जोग धारण (वैराग्य) नहीं करवाया तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। राजा गोपीचंद का बचपन खेलकूद के साथ शिकार में बीत जाता है। देखते-देखते 16 वर्ष बीत जाते हैं। इधर रानियां राजा गोपीचंद को महल में आने का संदेश भिजवाती हैं, उधर गोपीचंंद की मां मैनावती पुत्र को वैराग्य धारण करने की आज्ञा देती हैं। इसी कशमकश में राजा गोपीचंद की जीवन गाथा बहुत रोमांचक मोड़ पर पहुंच जाती है।
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