संयुतिकाल - Synodic & Sidereal Period Hindi

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
  • अभी तक हमने सूर्य, चंद्र , पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य ग्रहोंसे सम्बंधित अनेक घटनाओं पर चर्चा की
    अब चर्चा करेंगे खगोलशास्त्र की कुछ keywords याने सदन्य की
    जैसा की आपको पता है पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है
    चांदा या कोनमापक से गिनेंगे तो पुरे ३६० डिग्री।
    कोनमापक का ये बिंदु सन्दर्भ मानकर हम ये डिग्री गिन सकते है
    लेकिन आसमान में इतना बड़ा चांदा तो नहीं है, तो ये कौन कैसे मापते होंगे .
    किन्ही स्थिर नक्षत्र या तारे का सन्दर्भ लेकर ये नाप सकते है
    ये तारे पृथ्वी और सूर्य में जितना अंतर है उससे कही गुना दूर है |
    तारा या नक्षत्र को स्थिर बिंदु मानकर पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाकर उसी बिन्दु पर लौट आता है तो एक साल ये ३६० डिग्री पूरा होता है
    इसी अवधि को सिडेरिअल ईयर या नाक्षत्र वर्ष कहते है
    सिडेरिअल मतला तारोंके सन्दर्भ में
    चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर करीबन सादे सत्ताईस दिनोमे पूरा करता है
    इसी प्रकार अवर ग्रह बुध ८८ दिन और शुक्र २२५ दिन में एक चक्कर पूरा करता है
    मंगल एक वरिष्ठ ग्रह है | मंगल की कक्षा पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य से दूर है | ये एक चक्कर पूरा करने में ६८६ दिन लगाता है
    अब समझते है अवधि का और एक प्रकार संयुतिकाल या Synodicअवधि
    ये जानने के पाहिले जरुरी है पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष अन्य ग्रहोंकी उनकी कक्षा में स्थिति को क्या कहते है
    ग्रहों के औसत कक्षीय वेग, सूर्य से बढ़ती दूरी के साथ घटते जाते है, जो ग्रहों की परस्पर बदलती स्थिति का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी अपनी कक्षा पर मंगल से ज्यादा तेज चलती है, इसलिए नियमित रूप से मंगल के पास से होकर गुजरती है। इसी तरह से, शुक्र पृथ्वी को पकड़ लेता है और नियमित रूप से उसे पार करता है क्योंकि शुक्र का कक्षीय वेग पृथ्वी की तुलना में ज्यादा है। ग्रहों की पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष स्थिति का परिणाम संयोजन और विमुखता के रूप में होता है।
    Conjuction
    संयोजन (Conjuction), तब होता है जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच की सीधी रेखा पर स्थित होता है
    यदि कोई अवर ग्रह (बुध व शुक्र) सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच आ जाये तो स्थिति अवर संयोजन कहलाती है। इन्ही में से कोई एक ग्रह यदि सूर्य के पीछे की तरफ चला जाये तो स्थिति वरिष्ठ संयोजन कहलाती है।
    वरिष्ठ ग्रहों (मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून) के संयोजन तब होते है जब इनमें से कोई ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य के पीछे की तरफ होता है। इसके विपरित, जब वरिष्ठ ग्रह पृथ्वी की तरफ होते है तब संयोजन को विमुखता - Opposition के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है।[1] वरिष्ठ ग्रहों को संयोजन में नहीं देख सकते क्योंकि तब वें सूर्य के पीछे मौजुद होते हैं। हालांकि, जब वें विमुखता पर होते है उनकी स्पष्टता सर्वोत्तम होती है।
    ध्यान रहें केवल अवर ग्रहों में ही अवर और वरिष्ठ संयोजन होते हैं। वरिष्ठ ग्रहों में या तो संयोजन होता है या विमुखता होती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वें कहां पर स्थित है, पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे की तरफ या सूर्य के इस तरफ जहां पृथ्वी है।[1]
    शुक्र ग्रह अवर संयोजन स्थिति में है, पृथ्वी और शुक्र चक्कर काटते हुए करीबन ५८३ दिन के बाद फिरसे अवर संयोजन स्थिति में आते है. यही काल संयुति काल / सिनोदिक period/ कहलाता है
    शुक्र ग्रह के वरिष्ठ संयोजन से लेकर दूसरे वरिष्ठ संयोजन का काल क्या होगा ये आप बता सकते है ?
    बुध का संयुतिकाल 117 दिन है. एक साल में , बुध गृह के साथ करीबन ३ बार सुपीरियर कंजंक्शन और ३ बार इन्फीरियर कंजंक्शन होता है
    मंगल का सयुंति काल ७८० दिन है , याने इतने समय में एक Opposition से दूसरे Opposition तक या एक conjunction से दूसरे conjunction तक लगाने वाला समय .
    सयुंतीकाल की संख्या आगे पीछे हो सकती है क्यों की ग्रहोंकी कक्षा न तो पूरी तरह गोलाकार है , और स्पीड भी हर जगह अलग अलग
    Solar system scope software की मदद से आज के पाहिले और आज के बाद हुई Conjunctions aur Opposition आप देख सकते है.
    आज हमने स्थलीय ग्रहोंका पृथ्वी के साथ Conjunction या Opposition कैसे होता है ये देखा. लेकिन किसी भी दो ग्रहोंका कंजंक्शन हो सकता है. ये कब होता है ये आसानी से समझने के लिए URL पैर क्लिक करे
    जिसकी लिंक डिस्क्रिप्शन में भी दी है.
    अगले वीडियो में चाँद की सिडेरिअल और सिनोदिक अवधि के बारे में और जानेगे
    धन्यवाद

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