जीवन जीने की कला || आचार्य प्रशांत (2018)

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 ต.ค. 2024
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    वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 18.4.18, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
    प्रसंग:
    ~ किसी भी काम को करने में मन क्यों नहीं लगता है?
    ~क्या मन के लिए अध्यात्म और तन के लिए व्यायाम जरुरी है?
    ~ माया के खेल को कैसे समझें?
    ~ जीवन के खेल को कैसे समझें?
    ~ जीवन जीने की कला क्या है?
    ~ सुख-दुःख में समान कैसे रहें?
    ~ समदृष्टि कैसे लाएँ?
    ~ क्या अध्यात्म जीवन जीने की कला है?
    ~ क्या अध्यात्म इसलिए है कि जीवन सुन्दर हो सके?
    संगीत: मिलिंद दाते
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