गायत्री मंत्र | Gayatri Mantra | Most Powerful Mantra

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2024
  • गायत्री मंत्र
    ॐ भूर्भुवः स्वः।
    तत्सवितुर्वरेण्यं।
    भर्गो देवस्य धीमहि।
    धियो यो नः प्रचोदयात्॥
    मंत्र का अर्थ
    ॐ: परमात्मा का प्रतीक, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और ऊर्जा का स्रोत।
    भूः: पृथ्वी लोक का प्रतिनिधित्व, जीवन का आधार।
    भुवः: दुःखों को नष्ट करने वाला, मध्य लोक।
    स्वः: स्वर्ग लोक, आनंद का स्थान।
    तत्: उस परमात्मा का वर्णन जो हमारे जीवन का उद्देश्य है।
    सवितुः: सविता, सूर्य देव, जो ज्ञान और प्रकाश का स्रोत हैं।
    वरेण्यं: जो पूजनीय और श्रेष्ठ है।
    भर्गः: उस दिव्य प्रकाश को जो अज्ञानता को नष्ट करता है।
    देवस्य: दिव्य चेतना का।
    धीमहि: हम ध्यान करते हैं।
    धियो: हमारी बुद्धि।
    यो नः: जो हमें।
    प्रचोदयात्: सही मार्ग पर प्रेरित करें।
    अर्थ का संक्षेप:
    "हे परमात्मा! हम उस दिव्य प्रकाश का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धि को प्रकाशित और सही दिशा में प्रेरित करे।"

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