Purushottam Agrawal, Lecture on ‘Kavitavali ka Tulsidas’

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2024
  • इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन थॉट, सीएसडीएस
    द्वारा आयोजित व्याख्यान के लिए पधारें
    कवितावली के तुलसीदास
    वक्ता: पुरुषोत्तम अग्रवाल
    अध्यक्षता: राजीव भार्गव
    बुधवार, 29 नवंबर 2023, 2 : 30 pm
    सेमिनार रूम और ज़ूम पर
    Link: bit.ly/3MCN2WX
    Meeting ID: 85194159372
    Passcode: csdsdelhi
    कवितावली अद्भुत रूप से मार्मिक साक्षात्कार है कवि के दुख भरे बचपन, व्यथापूर्ण वर्तमान का। बचपन से पीछा करता चला आ रहा दुर्भाग्य व्यापक दुर्भाग्य से जुड़ कर याद आता है। सर्वव्यापी दरिद्रता जिसने किसान, मज़दूर, व्यापारी सबको चपेट में ले रखा है। दुर्भिक्ष जिसके कारण समुद्र में लगने वाली आग से भी अधिक भयावह पेट की आग से विवश लोग बेटे-बेटियों को बेच रहे हैं।
    दरिद्रता, दुर्भिक्ष और महामारी के रूप में अपनी नगरी में फैल रहे इस कलिकाल के सामने वे शिव विवश हैं, जिनसे स्वयं कृष्ण ने क्षमायाचना की थी, क्योंकि उनके सुदर्शन चक्र ने पौण्ड्रक-वध के उपरांत काशी को भी जला दिया था। तुलसीदास के आराध्य राम भी बेबस हैं। तुलसीदास की व्यथा यह है कि लोग समझेंगे कि कलि के सामने राम भी बेबस हैं -
    “तुलसी बिलोकि कलिकाल की करालता, कृपालु को सुभाव समुझत सकुचात हौं।
    लोक एक भाँति को, त्रिलोकनाथ लोकबस, आपनो न सोच, स्वामी-सोच ही सुखात हौं॥” ( पद 123)
    यह व्याख्यान उस आस्था और व्यथा के द्वंद्व को समझने का प्रयास ही है।
    पुरुषोत्तम अग्रवाल - देशज आधुनिकता, भक्ति-संवेदना के अध्येता।‘अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय’, पद्मावत: एन एपिक लव स्टोरी, कबीर, कबीर : लाइफ़ ऐंड वर्क ऑफ़ ऐन अर्ली मॉडर्न पोयट-फ़िलॉसफ़र, कबीर ग्रंथावली-परिमार्जित पाठ, ‘नाकोहस’, (उपन्यास) नेहरू की संस्कृति दृष्टि पर केंद्रित ‘हू इज़ भारत माता’, ‘हिन्दी सराय: अस्त्राखान वाया येरेवान’ (यात्रा वृत्तांत) चर्चित पुस्तकें।
    राजीव भार्गव - निदेशक, पारेख इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन थॉट, सीएसडीएस, दिल्ली.

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