चर्चा चैतन्य की, माँ के साथ-1 ।। मिथ्यात्व को दूर करने का उपाय।

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 28 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 15

  • @gunmalagadkar8876
    @gunmalagadkar8876 8 วันที่ผ่านมา +2

    बहुत सुंदर चर्चा 🙏

  • @alkajain8424
    @alkajain8424 11 วันที่ผ่านมา

    जय जिनेंद्र नोएडा बहुत सुंदर बहुत अनुमोदना

  • @nirmalajain7639
    @nirmalajain7639 12 วันที่ผ่านมา +5

    बहुत बहुत ही सुंदर 🙏🙏

  • @sndprasadprasad3738
    @sndprasadprasad3738 13 วันที่ผ่านมา +1

    Jaijinendra SN Dharmaprasad Shuddhatma Bangalore Karnataka.

  • @dishavakharia9737
    @dishavakharia9737 11 วันที่ผ่านมา +1

    Sadar Jai jinendra ji 🙏
    Antar k chitanya ki mahima ka nirdosh Swarup dikhaya h ... bahot hi sunder charcha.. sada hi me .. nirpexsh Swarup ... .. 🙏👍👏👏👌

  • @munnalaljain5342
    @munnalaljain5342 13 วันที่ผ่านมา +2

    Shahgarh sagar Jai jinendra bahut bahut sundar charcha hai 🙏🙏🙏

  • @SeemaJain-w3f
    @SeemaJain-w3f 12 วันที่ผ่านมา +2

    Bhout sunder charcha 🙏hai

  • @shailujain5006
    @shailujain5006 11 วันที่ผ่านมา +1

    बहुत ही बढ़िया चर्चा कौन किसके साथ कर रहा है ये बताएँगे 🙏

    • @AatmanOverseas
      @AatmanOverseas 10 วันที่ผ่านมา

      Ye yugal ji babuji ki charcha hai Jo kuch स्वाध्याई जीवों ने उनके साथ की थी। उसकी चर्चा यहां चल रही है।

  • @gonugoyal1097
    @gonugoyal1097 13 วันที่ผ่านมา +1

    Bahut bahut anumodna.. Naman aisi maa ko

  • @ChidanandJain-p4l
    @ChidanandJain-p4l 13 วันที่ผ่านมา +1

    Ati sunder charcha

  • @shailyjain2962
    @shailyjain2962 13 วันที่ผ่านมา +1

    Bhaut sundr 🙏🙏🙏

  • @pravinsanghvi3383
    @pravinsanghvi3383 12 วันที่ผ่านมา +1

    Jai jinedra surat

  • @FrustratedMan-x3d
    @FrustratedMan-x3d 11 วันที่ผ่านมา +1

    Charcha sunder hai yadi bhaav bhaasan ho jaye to

  • @स्वाध्यायपरमंतप
    @स्वाध्यायपरमंतप 12 วันที่ผ่านมา +2

    चर्चा तो अच्छी है, मगर चर्चा से मिथ्यात्व का एक भी अंश दूर नही होगा। मात्र गाल बजाना है, इतने वर्षों से सुनकर भेदग्यान नही हुआ। अब तक हकीकत में स्वीकार ही नही किया। कितना अनुभव में आया इसका भान ही नही, हां निश्चयाभासी अवश्य बन गये। परभावों से मोह का त्याग नही हुआ। ग्वाले ने तो सिर्फ एक बार ही भेदग्यान की बात सुनी थी जो आगे कुंदकुंदाचार्य बन गये, हम कितने वर्षों से चर्चा कर रहे, सुन रहे हैं, अभी तक अभ्यास में नही आया। गजकुमार, शिवभूति मुनि से भी प्रेरणा लेना चाहिए।
    स्वसंवेदन होने से अभिप्राय की भूल मिटती है, और सम्यक्त्व होता है।
    जय जिनेन्द्र