जो बोले सो निर्भय सतगुरु रविदास महाराज जी की जय जो बोले सो निर्भय सतगुरु समनदास महाराज जी की जय 🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🙏🏼🎉🙏🏼 मेरे पिताजी जीत सिंह दास कललरपुर गुर्जर यह आरती गाया करते थे जय गुरुदेव धन गुरुदेव सतनाम सत साहेब जी बहुत अच्छा गा रहे हो 🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉
।।वोहि एक।। आज बसंत सन्त मिल बैठे, पहले आरती गावा मैं, बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 1) दया धर्म के वस्त्र पहने, सेवा भगती के सब गहने सदगुन हार सिंगार सलोने, श्रद्धा साथ मनावा मै बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 2) हृदय थाल आरती भाती, मन का दिपक बुद्धि की बाती प्राण का तेल जले दिन राति ज्ञान अगन चमकावा मै बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 3) धीरज धूप कपूर मिलाए, प्रेम पतासे फूल सुहाए.. चित्त चेतन कर सुगंध लगाए ऐसा थाल सजावा मैं.. बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 4) अपना आप धरु गुरु आगे, सतगुरु भेंटे मै बडभागे.. धन धन चरन गुरा जी के लागे.. झुक झुक शिश निवावा मैं.. बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 5) सब देवन मे सतगुरु देवा, हर से ऊंची गुरु जी की सेवा... नाम पदार्थ अमृत मेवा, भवसागर तिर जावा मै...... बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 6) गुरु जी खाकशाह अमृत दीना, सुरत शब्द मिला हरि रस पिना गुरु शिबशाह जी नाम संग जीना, लख-लख शक्रु मनावा मैं..... बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... आज बसंत सन्त मिल बैठे, पहले आरती गावा मै.. बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मै...
जो बोले सो निर्भय सतगुरु रविदास महाराज जी की जय
जो बोले सो निर्भय सतगुरु समनदास महाराज जी की जय 🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🙏🏼🎉🙏🏼 मेरे पिताजी जीत सिंह दास कललरपुर गुर्जर यह आरती गाया करते थे जय गुरुदेव धन गुरुदेव सतनाम सत साहेब जी बहुत अच्छा गा रहे हो 🙏🏼🎉🙏🏼🎉🙏🏼🎉
🌹❤️🙏 सोहंग श्री सतनाम जी 🌹❤🎉
Satnam ji 🙏🙏
🌹सब का भला हो ❤️🌹
।।वोहि एक।। आज बसंत सन्त मिल बैठे, पहले आरती गावा मैं,
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं... 1) दया धर्म के वस्त्र पहने, सेवा भगती के सब गहने
सदगुन हार सिंगार सलोने, श्रद्धा साथ मनावा मै
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
2) हृदय थाल आरती भाती, मन का दिपक बुद्धि की बाती
प्राण का तेल जले दिन राति ज्ञान अगन चमकावा मै
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
3) धीरज धूप कपूर मिलाए, प्रेम पतासे फूल सुहाए..
चित्त चेतन कर सुगंध लगाए ऐसा थाल सजावा मैं..
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
4) अपना आप धरु गुरु आगे, सतगुरु भेंटे मै बडभागे..
धन धन चरन गुरा जी के लागे.. झुक झुक शिश निवावा मैं..
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
5) सब देवन मे सतगुरु देवा, हर से ऊंची गुरु जी की सेवा...
नाम पदार्थ अमृत मेवा, भवसागर तिर जावा मै......
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
6) गुरु जी खाकशाह अमृत दीना, सुरत शब्द मिला हरि रस पिना
गुरु शिबशाह जी नाम संग जीना, लख-लख शक्रु मनावा मैं.....
बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मैं...
आज बसंत सन्त मिल बैठे, पहले आरती गावा मै.. बाल्मीक गुरु खोल द्वारा , वाह वाह दर्शन पावा मै...
Bhai suru wali tun to achhi bna lete vese aarti 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 bhot badiya h
Brilliant