क्या मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा हो सकती है? सत्यार्थ प्रकाश ग्यारहवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर

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  • เผยแพร่เมื่อ 6 ต.ค. 2023
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ความคิดเห็น • 489

  • @manjulata1676
    @manjulata1676 8 หลายเดือนก่อน +26

    जब तक लोग वेद को नहीं समझेंगे तब तकईश्वर को नहीं समझेंगे

    • @Bhaskar12338
      @Bhaskar12338 8 หลายเดือนก่อน +1

      जी भाई जी बिलकुल ❤

    • @aparyan9992
      @aparyan9992 8 หลายเดือนก่อน

      Eeshwar samajh (arthaat Tark) Nahin Anubhav ka Vishay hai.

    • @sitaramsahani4541
      @sitaramsahani4541 4 หลายเดือนก่อน

      Jo ved padhe aur bhed kare ,jitna gyan kahe lekin phir bhi bhagwan ko nahi pa sakate

  • @skbedi6644
    @skbedi6644 8 หลายเดือนก่อน +15

    इंसान उस प्रभु की जीती जागती मूर्ति है।इंसानों से प्यार करो उससे प्यार हो जायेगा।

  • @user-gn3vb5vu9z
    @user-gn3vb5vu9z 7 หลายเดือนก่อน +4

    वाह वाह, बहुत ही शानदार संदेश है👌आपको सादर प्रणाम 🙏

  • @smarttech4452
    @smarttech4452 8 หลายเดือนก่อน +10

    बहुत बढ़िया ब्याख्या आपके द्वारा दिया गया। बिल्कुलआँखे खोलने वाली।

  • @raviyadavmusicaljourney4019
    @raviyadavmusicaljourney4019 8 หลายเดือนก่อน +10

    ओम् शांति ओ३म् सबको सादर नमस्ते जी 🕉️🚩😊🙏

  • @vijendraverma799
    @vijendraverma799 6 หลายเดือนก่อน +3

    प्रभाकर जी आपने बहुत अच्छे ढंग से बताया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आप इसी तरह जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान करते रहें। पत्थर की मूर्ति मे किसी भी तरह से प्राण प्रतिष्ठा नही हो सकती। यदि पत्थर,धातु या लकडी की मूर्ति में प्रतिष्ठा हो जाती तो मृत मनुष्यों को प्राण प्रतिष्ठा (प्राण डाल कर ) करके जीवित कर लेते। घर में रखे कुत्ते, बिल्ली, चिडिया, गुड्डे, गुडियों के खिलौनो, जगह जगह नेताओं, विद्वानों के स्टेचुओं मे प्राण डालकर जीवित कर लिया जाता। जो लोग प्राण प्रतिष्ठा करते हैं वे बताएं कि क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद जड मूर्ति जीवित हो जाती है अर्थात् खाने पीने, बोलने, देखने, सुनने , चलने, स्वांस लेने लगती है , अगर नही तो कैसे कहा जाता है/ माना जाता है कि जड मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठा हो गयी।

  • @jaiprakashdahiya1448
    @jaiprakashdahiya1448 8 หลายเดือนก่อน +4

    अद्भुत ,वास्तव में।

  • @rajendraprasad2321
    @rajendraprasad2321 8 หลายเดือนก่อน +1

    सत्यमेव जयते।

  • @arvindsahu752
    @arvindsahu752 9 วันที่ผ่านมา

    पाखंड वाद पर बेहतरीन प्रहार भाई 👍👍👍🙏🙏

  • @Munna-yq4gf
    @Munna-yq4gf 8 หลายเดือนก่อน +9

    महर्षि दयानंद अमर रहे सत्यार्थ प्रकाश जिंदाबाद

  • @mohitkumararya8392
    @mohitkumararya8392 8 หลายเดือนก่อน

    ओउम्💐
    सादर नमस्ते आचार्य जी👏👏

  • @shivalalghimiray6996
    @shivalalghimiray6996 8 หลายเดือนก่อน +2

    Jai ho Gurudev.

  • @guptaprasadpadhy9860
    @guptaprasadpadhy9860 8 หลายเดือนก่อน +1

    Pranaam prabhuji prabhuji

  • @joshimahesh-pd8nx
    @joshimahesh-pd8nx 7 หลายเดือนก่อน +1

    Thank you for great knowledge

  • @chandradutt1854
    @chandradutt1854 8 หลายเดือนก่อน +2

    क्रान्तिकारी विचार।

  • @anirudhprasad6890
    @anirudhprasad6890 8 หลายเดือนก่อน +2

    Namaste Guruji correct logic correct topic I like your answer thank u for good guidance Vande Mataram Jay Hind Jay Bharat

  • @visheshredewal677
    @visheshredewal677 5 หลายเดือนก่อน

    Bahut satty bat he me aap se sahamat hun satyarth Parkash me sabkuch sahi he

  • @dhanadasmanikpuri2042
    @dhanadasmanikpuri2042 8 หลายเดือนก่อน +3

    Outstanding sir

  • @pritamroy1391
    @pritamroy1391 7 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत ही अच्छा लगता है नमस्कार गुरुजी

  • @Bhaskar12338
    @Bhaskar12338 8 หลายเดือนก่อน +28

    यही लोग बोलते हैं कि कण कण में नारायण का बास है, लेकिन जब वास पहले से है तो प्राणप्रतिष्ठा की क्या आवश्यकता 😂😂😂😂

    • @mckashyap4443
      @mckashyap4443 8 หลายเดือนก่อน +8

      अगर प्राण प्रतिष्ठा मुरति में करते हैं तो वह वोलती क्यों नही

    • @Bhaskar12338
      @Bhaskar12338 8 หลายเดือนก่อน +2

      @@mckashyap4443 सही बात है । न बोलती न खाती,

    • @GovindKumar-pb7op
      @GovindKumar-pb7op 6 หลายเดือนก่อน +1

      😂😂😂

    • @Athato_Brahmajijnasa
      @Athato_Brahmajijnasa 6 หลายเดือนก่อน

      वास तो सर्वत्र है, लेकिन जैसा परब्रह्म साकार है और जैसे साकार ब्रह्म की उपासना है, वैसी निराकारवत् फैले हुए अंतर्यामी ब्रह्म की उपासना नहीं हो सकती, इसलिए उन साकार ब्रह्म की उपासना के लिए मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

    • @veda-vaani_aacharya-vijay
      @veda-vaani_aacharya-vijay 5 หลายเดือนก่อน

      ​​​@@Athato_Brahmajijnasa
      👉 ब्रह्म वा परमात्मा तो निराकार ही है, साकार नहीं। आत्मा की तरह, परमात्मा भी न जन्म लेता है, न मरता है, सदा से है और सदा रहेगा। यह दोनों ही स्वरूप से अविनाशी, नित्य हैं; इन्हें किसी ने बनाया नहीं, साकृत (साकार) नहीं किया। साकार होना तो प्राकृतिक वा भौतिक शरीरादि वस्तुओं में होता है, जो कि प्रकृति के परमाणुओं के योग से बनते हैं। इसके विपरीत आत्मा और परमात्मा दोनों अभौतिक, रचना और विनाश से पृथक्, निराकार ही हैं। अधिकतर साकार वस्तु स्थूल होते हैं और नेत्रों से दिखते हैं अथवा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों से भी देखे जा सकते हैं। परंतु परमात्मा अणु से भी अणुतम अथवा सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतम है, इसलिए यह अव्यक्त वा निराकार परमात्मा नेत्रों वा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों की पकड़ में नहीं आता, परंतु ध्यानयोग रूपी आंतरिक दृष्टि से देखा जाता है।
      👉 शास्त्रों में इसी निराकार सूक्ष्म ब्रह्म वा परमात्मा की उपासना और साक्षात्कार ध्यानयोग द्वारा करने बताये गये हैं -
      *सूक्ष्मतां चान्ववेक्षेत योगेन परमात्मनः।* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/६५
      - (च) और (योगेन परमात्मन: सूक्ष्मताम्) योगाभ्यास से परमात्मा की सूक्ष्मता को (अवेक्षेत) प्रत्यक्ष करे।
      *उच्चावचेषु भूतेषु दुर्ज्ञेयां अकृतात्मभिः। ध्यानयोगेन संपश्येद्गतिं अस्यान्तरात्मनः॥* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/७३
      - (उच्चावचेषु भूतेषु) बड़े-छोटे प्राणी-अप्राणियों के भीतर (अस्यान्तरात्मनः गतिम्) इस अन्तर्यामी परमात्मा की गति को संन्यासी (ध्यानयोगेन संपश्येत्) ध्यानयोग से सम्यक्ता देखा करे, (अकृतात्मभिः दुर्ज्ञेयाम्) जो कि अशुद्धात्माओं से जानने वा देखने के अयोग्य है।
      👉 महाभारत गीताप्रेस, शांतिपर्व, अध्याय २३९ के निम्न श्लोकों में ईश्वर-प्राप्ति के लिए महर्षि व्यास द्वारा अपने पुत्र शुकदेव को योगसाधना के उपदेश का वर्णन है -
      *एवं सप्तदशं देहे वृतं षोडशभिर्गुणैः। मनीषी मनसा विप्रः पश्यत्यात्मानमात्मनि ॥ १५ ॥*
      - इस प्रकार बुद्धिमान् ब्राह्मण इस शरीर में पाँच इन्द्रिय, पाँच विषय, स्वभाव, चेतना, मन, प्राण, अपान और जीव - इन सोलह तत्त्वों से आवृत सत्रहवें परमात्मा का मन के द्वारा आत्मा में साक्षात्कार करता है।
      *न ह्ययं चक्षुषा दृश्यो न च सर्वैरपीन्द्रियैः। मनसा तु प्रदीपेन महानात्मा प्रकाशते ॥ १६ ॥*
      - इस परमात्मा का नेत्रों अथवा सम्पूर्ण इन्द्रियों से भी दर्शन नहीं हो सकता। यह महान् आत्मा विशुद्ध मनरूपी दीपक से ही बुद्धि में प्रकाशित होता है।
      *अशब्दस्पर्शरूपं तदरसागन्धमव्ययम्। अशरीरं शरीरेषु निरीक्षेत निरिन्द्रियम् ॥ १७ ॥*
      - वह आत्मतत्त्व यद्यपि शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध से हीन, अविकारी तथा शरीर-रहित और इन्द्रियों से रहित है, तो भी शरीरों के भीतर ही इसका अनुसंधान करना चाहिये।
      *अव्यक्तं सर्वदेहेषु मर्त्येषु परमाश्रितम्। योऽनुपश्यति स प्रेत्य कल्पते ब्रह्मभूयसे ॥ १८ ॥*
      - जो इस विनाशशील समस्त शरीरों में अव्यक्त (निराकार/सूक्ष्म) भाव से स्थित परमेश्वर का ज्ञानमयी दृष्टि से निरन्तर दर्शन करता रहता है, वह मृत्यु के पश्चात् ब्रह्मभाव को प्राप्त होने में समर्थ हो जाता है।

  • @sureshparikh2610
    @sureshparikh2610 8 หลายเดือนก่อน +3

    अति सुंदर

  • @rajeshtiwari8377
    @rajeshtiwari8377 8 หลายเดือนก่อน +3

    जो हम देख पाते है सुन पाते है सुंघ पाते है जो हम छु पाते है स्वाद ले पाते है सोच समझ पाते है वो सब कुछ इश्वर है और जिसके द्वारा ये सब कुछ होता है वो इश्वर है

    • @stock.92
      @stock.92 8 หลายเดือนก่อน

      Ok

    • @BahadurAli-hh4wj
      @BahadurAli-hh4wj 8 หลายเดือนก่อน

      Kyon na hum maan le ki prakrity hi Ishwar hai kyonki wohi Nirakaar hai Surya se hi sarasti ka nirmaan hua uske taap se hur prani mein pran hai woh bhi Nirakaar hai baaki sub vyarth hai dharmon ki soch kewal kalpnik hai koi bhi dharm ho andhviswas se bhara pada hai dharma taran ka yahi mukhya kaaran hi jise samaj nakarta hai.

  • @kasturpatel9911
    @kasturpatel9911 8 หลายเดือนก่อน +1

    Namaste mahasy satya bol ne ke liye danyavad

  • @SajalRoy-tm7vr
    @SajalRoy-tm7vr 8 หลายเดือนก่อน +1

    जय हो

  • @user-us2gl3yd4e
    @user-us2gl3yd4e 8 หลายเดือนก่อน +2

    अति,सुन्दर,ऐसा,ही,होना,चहिये

  • @reshusinha7838
    @reshusinha7838 7 หลายเดือนก่อน

    Fantastic information,

  • @seemaarya1927
    @seemaarya1927 8 หลายเดือนก่อน +1

    Om ATI sundar pravachan

  • @pramodsharma5995
    @pramodsharma5995 8 หลายเดือนก่อน +8

    जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी।

  • @sunilmaitri8783
    @sunilmaitri8783 8 หลายเดือนก่อน +1

    GoodNews

  • @pnmishra6048
    @pnmishra6048 2 หลายเดือนก่อน

    य़ह प्रश्न तो राम कृष्ण परम हंस, धन्ना जाट,और भक्त प्रहलाद से पूछना चाहिए. भावना को तर्क से नही जाना जा सकता. स्वामी राम सुख दास जी ने मूर्ति पूजा का जवाब बहुत अच्छा दिया है

  • @user-yu3bv7mh9p
    @user-yu3bv7mh9p 8 หลายเดือนก่อน +22

    आचार्य जी को प्रणाम🙏 बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया आपने प्राण प्रतिष्ठा के बारे में।

    • @rameshwarprasadbinwal6553
      @rameshwarprasadbinwal6553 8 หลายเดือนก่อน +1

      आचार्य जी शत शत नमन।आप सुन्दर ढ़ंग से समझाते हैं।

    • @rameshwarprasadbinwal6553
      @rameshwarprasadbinwal6553 8 หลายเดือนก่อน +1

      क्या वेद भगवान के द्वारा लिखे गये है।

    • @aparyan9992
      @aparyan9992 8 หลายเดือนก่อน

      Ved Gyanmykosh se Chidakaash me Paravaani VA swaran akshron me prakat hue jo Divya'drishti se Mahrishion ne Suna (shruti) aur Padha.

  • @ushamalik6229
    @ushamalik6229 8 หลายเดือนก่อน +5

    सुप्रभातम् शुभकामनाएं ओ३म् 🙏🏼🚩 हार्दिक धन्यवाद कृण्वनतो ‌विश्वार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् ...... 🇮🇳

  • @j.vnarayanrao5493
    @j.vnarayanrao5493 7 หลายเดือนก่อน

    Thank you so much 🙏👌

  • @kamleshmahli8345
    @kamleshmahli8345 8 หลายเดือนก่อน +3

    Aacharya ji dhanywad ponga pandito ki jankari dene ke liye

  • @adityasrivastava7849
    @adityasrivastava7849 4 หลายเดือนก่อน

    अंकित प्रभाकर जी आप की जानकारी बहुत साधारण भाषा है जो आसानी से समझा जा सकता है पर आपसे प्रार्थना है कि मंदिरों में बैठ कर पाखंड अन्धविश्वास दूर किये बिना ये सब बंद नहीं करवा सकते हैं अतः आप सभी खुले प्रांगण में मैदान में आयोजन किया जाना चाहिए ताकि लोगों इकट्टा कर ने के लिये जगह जगह हर वार्ड में आयोजन करना होगा दयानंद सरस्वती जी सब जगह जा कर पताका गाड़ कर शास्त्रार्थ करते थे तभी लोगों को इतना बडा आर्य लोगों को इकट्ठा करके समाज बनाया 🙏🙏

  • @durgeshkashyap6
    @durgeshkashyap6 5 หลายเดือนก่อน

    अति उत्तम विचार sir

  • @ShivKumar-ml8vo
    @ShivKumar-ml8vo 8 หลายเดือนก่อน

    Aacharya ji Sadar pranam om shanti om

  • @user-zi4wm9gy3f
    @user-zi4wm9gy3f 8 หลายเดือนก่อน

    Very fine sirji

  • @jaikishan3728
    @jaikishan3728 5 หลายเดือนก่อน

    Namo Nameh Guru Ji

  • @sajidsajid5674
    @sajidsajid5674 5 หลายเดือนก่อน

    You are right sir

  • @mithleshsharma3096
    @mithleshsharma3096 หลายเดือนก่อน

    Guru dev g sty ktha jey ho

  • @amritdasdewan3081
    @amritdasdewan3081 8 หลายเดือนก่อน

    😊 बहुत अच्छा लगा

  • @pratapchandrasahoo-xd8zj
    @pratapchandrasahoo-xd8zj 7 หลายเดือนก่อน

    Sir very good analaise

  • @user-ur7fw5bf1s
    @user-ur7fw5bf1s 8 หลายเดือนก่อน +5

    सनातन धर्म में साकार और निराकार दोनों प्रकार की पूजा का विधान है। ऋषि दयानंद भी निराकार पूजा के समर्थक थे।

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      Sakar ka mtlb san jiv hai jinhe hum dekh rahe hai prakriti ki puja 🙏 🙏 🙏

  • @rajubawa4372
    @rajubawa4372 8 หลายเดือนก่อน +5

    ओम्। नमस्ते अचार्य जीं जय आर्यावर्त

  • @harigovindshastri967
    @harigovindshastri967 8 หลายเดือนก่อน +4

    अति सुन्दर विवेचन, धन्यवाद।

  • @SriRam-ye4ym
    @SriRam-ye4ym 7 หลายเดือนก่อน +2

    आप बाकई में सत्य की खोज में लगे हुए हैं .

  • @richagera4170
    @richagera4170 8 หลายเดือนก่อน +3

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @pahalvatipandram5473
    @pahalvatipandram5473 8 หลายเดือนก่อน +1

    Very nice and like your aansar ( dindori vikrampur)

  • @user-ur7fw5bf1s
    @user-ur7fw5bf1s 8 หลายเดือนก่อน +8

    यदि आपकी बात पूरी तरह सही है,तो वेदों में देवताओं का आवाहन करने के लिए मंत्र कहां से आए।

    • @Adityapl841
      @Adityapl841 8 หลายเดือนก่อน +2

      वेदों में एक मंत्र हैओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुतानि परासुव यद भद्दम तनासुव यहां पर देव का अर्थ ईश्वर है संपूर्ण विश्व का देवता अर्थात ईश्वर

  • @motivational_411
    @motivational_411 7 หลายเดือนก่อน

    Sahi Vichar

  • @mayankkhanduriu.k.107
    @mayankkhanduriu.k.107 หลายเดือนก่อน +1

    विनाश काले विपरीत बुद्धि
    Wait and watch

    • @SagarGupta-bt4xo
      @SagarGupta-bt4xo หลายเดือนก่อน

      विनाश काले सीधी बुद्धि 🤣🤣🤣🤣

  • @sukantadas3889
    @sukantadas3889 8 หลายเดือนก่อน +2

    Namaste

  • @kaushalkumaragrawal2496
    @kaushalkumaragrawal2496 8 หลายเดือนก่อน

    Yes

  • @shreegodfather0072
    @shreegodfather0072 8 หลายเดือนก่อน +1

    सारी बात भावना की है
    " जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूर्त देखी तिन तैसी "
    बाकी सब अपनी अपनी मन मत है।

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      😂😂😂😂

  • @surendrasinghkushwaha2630
    @surendrasinghkushwaha2630 8 หลายเดือนก่อน +3

    धर्म का तात्पर्व, क्या जीव मात्र के लिए आवश्यक है। दुनिया में अलग अलग कबीले धर्म को परिभाषित क्यों किया जाता है🙏। धर्म के लिये क्यों झगड़े होते हैं। जबकि प्रकृति के अलावा कोई शक्ति शाली नहीं है। जब कि जो प्रकृति चाहती वही होता है।

    • @panditsatishattri306
      @panditsatishattri306 7 หลายเดือนก่อน +1

      धर्म के लिए नहीं मत मजहबों के लिए लड़ते हैं लोग।धर्म का मतलब मूल प्रकृति है।जिसे स्वभाव कहते हैं।जैसे अग्नि का स्वभाव उष्णता और प्रकाश है।वैसे ही मनुष्य का मूल स्वभाव दया,सत्य,धैर्य,विद्या आदि है।इसी को धर्म कहते हैं।इसके विपरीत अधर्म कहलाता है।

  • @SiyaRam-oi3qc
    @SiyaRam-oi3qc 8 หลายเดือนก่อน +3

    बहुत अच्छा और तर्कपूर्ण ब्याख्यान

  • @ushagupta9103
    @ushagupta9103 8 หลายเดือนก่อน +2

    very nice and very very right and useful topic for all.

  • @premkumarmerupo
    @premkumarmerupo 7 หลายเดือนก่อน

    Logic Sahi hai

  • @Rajivarya403
    @Rajivarya403 8 หลายเดือนก่อน

    🙏

  • @shyamjangid7171
    @shyamjangid7171 7 หลายเดือนก่อน +1

    हमारे देश में सभी धार्मिक कहलाने वाले लोग एक ही सोच के हैं सभी को दान चाहिए बात चाहे कैसी ही करे

  • @user-fg5tu1ci8i
    @user-fg5tu1ci8i 8 หลายเดือนก่อน +1

    Ram

  • @punamuduli902
    @punamuduli902 8 หลายเดือนก่อน

    Purnachandra Muduli Acharya namaste 🙏

  • @shashisingh2774
    @shashisingh2774 8 หลายเดือนก่อน +1

    मूति मे आहवान करके ईश्वर को प्राण प्रतिष्ठित कर सकते है । जो बुलाता है ईश्वर भी उसी के लिये अन्य के लिये नही । जैसे आपके आंखो से देखेगे । दूसरे की आंखो से जैसे हम नही देख सकते । ईश्वर उर्जा का प्रतीक है । आपको मालूम है चूल्हा में विभिन्न तरह के पकवान बनते है ' लेकिन सिर्फ चूल्हा के सामने खडे होकर पकवान मांगने से नही मिलेगा । पहले आपको लकड़ी लाकर उर्जा बनानी पड़ेगी फिर आपको सामग्री लाकर हांडी में डालकर पकानी पड़ेगी । आप उसमें जो सामग्री डालेगे मन लगाकर जब बनायेगे । उसी अनुसार पकवान तैयार होगा । खट्टा मीठा नमकीन ।

  • @kamlaupreti9567
    @kamlaupreti9567 8 หลายเดือนก่อน

    🕉🕉🙏🙏

  • @avinashtiwari1787
    @avinashtiwari1787 3 วันที่ผ่านมา

    Aise video aap banate raho roz ek video

  • @yagyabhushansharma1008
    @yagyabhushansharma1008 6 หลายเดือนก่อน

    🙏🕉️

  • @gsrcreations108
    @gsrcreations108 6 หลายเดือนก่อน +3

    ऋग्वेद के 10 वे मंडल में प्राण की देवी असुनीति के आवाहन से ही प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। बाद में अन्य मंत्रो और पौराणिक श्लोको का उच्चारण किया जाता है। और सत्यार्थ प्रकाश कोई सर्वमान्य ग्रन्थ नहीं है सिर्फ एक मायाधीन जीव की सिमित बुद्धि द्वारा लिखी टिका टिपण्णी की किताब है। 🎉🎉

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      😂😂😂😂😂

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      Murkh dwara dhandha bnaya gaya hai dharm ki

  • @DelightfulBakedBread-gy6mo
    @DelightfulBakedBread-gy6mo 5 หลายเดือนก่อน

    गजब का का प्रश्न किया है अपने सुनकर बहुत बहुत ही जानकारी मिला आप का धन्यवाद यैसे ही ज्ञान वर्धक जानकारी इस मुर्ख समाज को देते रहिए सायद भांग का नशा उतर जाय लेकिन ये नशा बहुत ही घोट घोट कर पीला रखा है तो बहुत समय लगेगा लेकिन एक एक दिन उतरेगा जरूर क्यो की आज का पीढी शिक्छित हे

  • @sandeepyadav5000
    @sandeepyadav5000 8 หลายเดือนก่อน +1

    अध्याय 12 : भक्तियोग
    श्लोक 5
    क्लेशोSधिकतरस्तेषामव्यक्ता सक्तचेतसाम् |
    अव्यक्ता हि गतिर्दु:खं देहवद्भिरवाप्यते || ५ ||
    जिन लोगों के मन परमेश्र्वर के अव्यक्त, निराकार स्वरूप के प्रति आसक्त हैं, उनके लिए प्रगति कर पाना अत्यन्त कष्टप्रद है | देहधारियों के लिए उस क्षेत्र में प्रगति कर पाना सदैव दुष्कर होता है |

    • @qwerty.002
      @qwerty.002 8 หลายเดือนก่อน

      Pehle Gyan fir bhakti 😊
      Bina Gyan ki bhakti Andhvishwas ko badhawa deti hai 🙏

  • @mahendrabehera7822
    @mahendrabehera7822 7 หลายเดือนก่อน

    Alekha mahima bromha saranam

  • @avadheshsinghchauhan3031
    @avadheshsinghchauhan3031 8 หลายเดือนก่อน

    Satyamev

  • @stunterboy7293
    @stunterboy7293 8 หลายเดือนก่อน +4

    पेहली तो बात कोई मंत्र में इतनी शक्ति ने कि वह प्राण प्रतिष्ठा कर दे दूसरी बात वेदों के ज्ञाता हजारों इकट्ठे हो जाए परंतु मरे हुए मानव को कोई प्राण प्रतिष्ठित नहीं कर सकता जहां फिर वेद पुराण झूठे हो गए मंत्र भी झूठे हो गए मरे हुए को कोई जीवित करके बताएं फिर माने की प्राण प्रतिष्ठा होती है

    • @dayaramrohit2247
      @dayaramrohit2247 8 หลายเดือนก่อน

      अति सुन्दर तर्क है और यथार्थ भी है

  • @LaxmiSharma-bx9ds
    @LaxmiSharma-bx9ds 8 หลายเดือนก่อน +2

    मूर्ति का रहस्य आर्य समाज ने समझख ही नहीं रामकृष्णजी से मूर्ति (देवी स्वयं)आकर बाते करती थी मन्दिर वह स्थान है जहां जाकर हमरी आत्मा में यह भाव जगते है कि यह ईश्वर है सायकिल ,बस ,कार में हवा भरने के लिये उसी स्थान पर जाना पड़ता है जहां भरी जा सके वरना हवा तो सब जगह है ऐसे ही मन्दिर प्रभू को प्राप्त करने का भाव जगाता है

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 8 หลายเดือนก่อน

      सटीक उत्तर और सनातन मूर्ति पूजा में दृढ़ विश्वास के लिए धन्यवाद और यथोचित प्रणामाशीर्वाद|

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 8 หลายเดือนก่อน +2

      न तस्य प्रतिमा अस्ति ,पढ़ते हैं
      स एव जातः स जनिष्यमाणः भूल जाते है आर्यसमाजी|

    • @mithileshkumarjha4315
      @mithileshkumarjha4315 7 หลายเดือนก่อน

      लाजवाब❤

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      Agr aisa hota to har aadami or jiv oxygen ka bag lekar pith kr chlta hawa lene ke liye 😂😂😂

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      Ramkrishna ki kalpana tha B's daily ik chiz ki kalpana karte karte wo chiz samne hi dikhne lgta hai 🙏🙏🙏🙏

  • @jaybhavani8416
    @jaybhavani8416 4 หลายเดือนก่อน

    ' Praan tattwa ' - granth
    Swami Vishanu Tirth
    Narayan Kuti Sanyaas Ashram , Devas , M.P.
    *
    Ram Mandir Praan Pratishta
    Deh Mandir Praan Jagruti
    Nath Guru Parampara
    praan tattwa ke sahare se chalne wali Sadhan Padhati
    Kundalini yoga
    Ramlal ji Siyag siddhayoga .

  • @rvsingh6078
    @rvsingh6078 8 หลายเดือนก่อน

    Sanatan vedic dharm ki jai

  • @PkSingh-bs5vh
    @PkSingh-bs5vh 7 หลายเดือนก่อน +2

    प्रणाम आपको बहुत र्ताकिक सुझाव दिया🙏🙏

  • @rajeshshrivastava242
    @rajeshshrivastava242 8 หลายเดือนก่อน +1

    निराकार ब्रह्म की उपासना

  • @shankerlal4913
    @shankerlal4913 8 หลายเดือนก่อน +2

    बहुत सुंदर

  • @suratpunia6282
    @suratpunia6282 8 หลายเดือนก่อน

    अति उत्तम प्रवचन

  • @nhvff
    @nhvff 8 หลายเดือนก่อน

    कागज पैसे का तर्क , ओर मूर्ति वाली बात अलग है ,

  • @abhimanyupatel9403
    @abhimanyupatel9403 5 หลายเดือนก่อน

    आप राष्ट्र के जीवंत पुरोहित हो सकते हैं परंतु हम राष्ट्र को जागृत और जीवंत बनाए रखने वाले पुरोहित हैं

    • @avinashtiwari1787
      @avinashtiwari1787 3 วันที่ผ่านมา

      Bhaiya jabhi to hamre sath mazak chal raha hai

  • @sunilaggarwal3363
    @sunilaggarwal3363 8 หลายเดือนก่อน +1

    आचार्य जी ओम मैं आपके पास एक वीडियो लिंकउसके बारे में अपनी राय दीजिए

  • @PralaahChandra-eb2xm
    @PralaahChandra-eb2xm 8 หลายเดือนก่อน +2

    कण कण में है पर स्वामी जी को शायद ही मिला हो

  • @user-zd9fy1ic2x
    @user-zd9fy1ic2x 8 หลายเดือนก่อน +4

    सादर प्रणाम 🙏कुछ वीडियो ऐसी सामने आई प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति की आंखों से पट्टी हटाने से शीशा टूट जाता है कृपया मार्गदर्शन करे जी।

    • @madhurgeeth
      @madhurgeeth 7 หลายเดือนก่อน

      शीशा अपने आप नहीं टूटता! प्राण-प्रतिष्ठा के समय बहुत कमजोर पतले शीशे का आइना पुजारी अपने दोनों हाथों से मूर्त्ति कू सामने लाता है और सूक्ष्म रूप से आइने के शीशे पर दोनों हाथों के मध्य में किञ्चित तिर्यक दबाव देता है जिसपर उपस्थित पुजारी और भक्तजन ध्यान नहीं देते। कभी भी पुजारी इस अनुष्ठान के समय एक हाथ से आइने को नहीं पकड़ता है!

  • @gayaramtandon9298
    @gayaramtandon9298 8 หลายเดือนก่อน +2

    आचार्य जी एक बार साइंस जर्नी से डिबेट कर लो।

  • @jagatramsharma6764
    @jagatramsharma6764 8 หลายเดือนก่อน

    But about sarkar a nd nirakar.Ramayana last chapter .want to know your views

  • @krishnaelectricyt8809
    @krishnaelectricyt8809 8 หลายเดือนก่อน

    Om i m Ram Kumar Arya

  • @shrikrishnayadav2130
    @shrikrishnayadav2130 8 หลายเดือนก่อน

    उस ईश्वर का स्वरूप क्या है जिसने वेदों को बनाया है? 🙏

  • @user-vo6cs6tr9r
    @user-vo6cs6tr9r 8 หลายเดือนก่อน

    मुग्धा मणि जी

  • @amarsinghsaini6688
    @amarsinghsaini6688 4 หลายเดือนก่อน +1

    Guruji pranam
    Pran Partistha ke bad , kaya murti jivit ho jati h, ya fir man hi man kush hota h.

  • @shankarchandramahato8378
    @shankarchandramahato8378 6 หลายเดือนก่อน

    ऋषि दया नन्द सरस्वती दर्शनीक नही थे । वे विचारक थे । देव -देवी ईश्वर तथा धर्म के
    दर्शन नही किया था । अबतारी पुरुषो भी प्राण कर देवता पुजा अर्चना किया था ।
    इसके उदाहरण है भगवान् राम ने तामिल नाडु मे

  • @jayeshvaishnav992
    @jayeshvaishnav992 8 หลายเดือนก่อน

    🌹🙏🙏🙏🌹what is Gayatri?

  • @kenp8050
    @kenp8050 7 หลายเดือนก่อน +1

    Through Praan Pratishtaa and Murati pooja lots of karmkaandi Brahmins earn livelihood without being Bhikshuk and working hard in the fields.

  • @janaknimavat2988
    @janaknimavat2988 8 หลายเดือนก่อน +10

    हमारी आखे इतनी दिव्य नहीं है की हम कंन कंन मे भगवान् को देख सके
    संजय और अर्जुन जैसे भगवान् दिव्य चखसु दे तो हम देख शकते है
    हमारा अज्ञात मन चित्र और साकार वस्तु पकड़ शकता है इसलिए ऋषि मुनि ओ ने मूर्ति की अनमोल भेट दी है
    दयानंद सरस्वती ज्ञानी और समाज सुधारक थे लेकिन भक्त नहीं
    पत्थर मे भगवान् देखने के लिए भक्त हृदय चाहिए
    श्री कृष्ण भगवन ने भी गोवर्धन पूजा की थी
    तो क्या वो गलत थे?
    हा चोक्कस कुछ पंडा ओके कारण पाखंड आ गया था
    राम ने रामेश्वर शिव लिंग् की स्थापना की क्या वह गलत है
    हमारी दयानंद सरस्वती जी जैसी साधना नही है की हम निराकार की उपासना कर शके
    सभी जीव k G मे अभ्यास कर रहे है
    जब p H D banege तब मूर्ति पूजा छोड देगे

    • @nareshpalaya1170
      @nareshpalaya1170 8 หลายเดือนก่อน

      सही कहा है.तर्क से शक्ति अनुभव नही
      मिलता है.

    • @VIRENDRAKUMAR-ym4xg
      @VIRENDRAKUMAR-ym4xg 8 หลายเดือนก่อน

      Bhai Aastha aur tark hi to do paar hain jissae sadhak tatav ka shakshat kartae hain. Aap log Aastha to rakhtae ho tark ki avaelhna kartae ho is karan parmatma ki prapti sae door hon. OM TAT SAT.

    • @nirmalasiwach4118
      @nirmalasiwach4118 8 หลายเดือนก่อน +2

      बहुत सुन्दर लिखा भाई ने धन्यवाद

    • @h.l.diwakar4845
      @h.l.diwakar4845 8 หลายเดือนก่อน

      मूर्ति में कभी प्राण नहीं आ सकते हैं

    • @omchauhan1821
      @omchauhan1821 7 หลายเดือนก่อน

      Sahi kha aap ne ye apne aap bahot bade 😅gyaani samaj ke dusro ko nicha bata ke apne gyaan ka pardsan kar rahe hai😅

  • @bipadbhanjanarya4482
    @bipadbhanjanarya4482 7 หลายเดือนก่อน

    ओम् य़ेन द्योरुग्रा पृथ्वी च दृढ़ा य़ेन स्बह स्तभितं य़ेन नाकह। यों अन्तरिक्षे रजसो बिमानह कस्मै देबाय़ हबिषा विधेम। यजु ३२/६
    इस मंत्र से अनंत आकाश में ईश्वर असंख्य सूर्य चंद्र पृथ्वी नक्षत्र बनाया। यही उदाहरण दे सकते थे।

  • @dineshkumarshastri6048
    @dineshkumarshastri6048 8 หลายเดือนก่อน

    आपकी सारी वीडियो सुनता हूं उसमे जो अच्छी बातें ग्रहण करता हूं जो बुरी लगी साफ साफ कह दिया जय श्री सीताराम

    • @qwerty.002
      @qwerty.002 8 หลายเดือนก่อน

      Nahi bhai
      Arya samaj acche ko accha bolta hai
      Aur bure ko bura bolta hai
      Kuch Arya jo siddhanto se samjhota nahi karte wo aapko bure lagte hai 😢

  • @ramkrishandhakad1033
    @ramkrishandhakad1033 8 หลายเดือนก่อน +6

    यदि मूर्ति में प्राण स्थापित किये जा सकते हैं तो मरे ब्यक्ति में पुनः प्राण क्यों नहीं डाले जाते।

    • @harishankarpathak9673
      @harishankarpathak9673 8 หลายเดือนก่อน

      Ram krishna ji aap k nam k mutabik aap ka saval gambhir nahi hai

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 8 หลายเดือนก่อน +1

      मैने तो आज तक परमाणु,इलेक्ट्रॉन,प्रोटान भी नही देखा|
      आपने नहीं देखा लेकिन किसी ने देखा समझा उपकरण कार्य कर रहे हैं प्रत्यक्ष है| जो प्रत्यक्ष का विषय है प्रत्यक्ष होगा जो अनुभव का विषय है अनुभव होगा |
      मन की गति किमी/घंटा में मापने का प्रयास कैसा रहेगा?

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 8 หลายเดือนก่อน +1

      परमहंस रामकृष्ण मूर्ति से बात करते थे भोजन कराते थे|
      रसखान,बिन्दु ,बैजू कितना नाम गिनाएं|

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 8 หลายเดือนก่อน

      योगी कथामृत (योगानंद जी) पुस्तक पढ़ें सब उत्तर मिल जायेगा | महीनों तक शव (बिना किसी भौतिक लेप आदि के)से जरा भी दुर्गन्ध नहीं आया| दो तीन बार दिल से पुरा पढ़ें| योगी कथामृत|

    • @anukumari835
      @anukumari835 2 หลายเดือนก่อน

      ​@@rajendramishra7423😂😂😂😂

  • @jaybhavani8416
    @jaybhavani8416 8 หลายเดือนก่อน +1

    Aadya Shankaracharya ke literature me
    For ex.
    Vivekchudamani
    Aprokshanubhuti
    Aatmabodh
    jo avastaye sadhak ko prapta hoti hai , aisi avastaye kisi Arya Samaji sadhak ko prapta huvi hai kya ?

    • @jaybhavani8416
      @jaybhavani8416 8 หลายเดือนก่อน

      Aatmanubhuti pabhe

  • @arjunsongsmyplot8320
    @arjunsongsmyplot8320 8 หลายเดือนก่อน

    तुम्हारे कहने के मतलब सर्व परी पुरोहीत है यानी भागवान है पुरोहीत आस्था के दुकान चलाने का सिर्फ पुरोहीतो का है