माँ भंगायणी चालीसा

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 เม.ย. 2018
  • शक्ति शालिनी माँ भंगायणी देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के हरिपुरधार नामक स्थान पर स्थित है।
    यह एक अत्यंत भव्य मंदिर है माँ भंगायणी मंदिर समुन्द्र तल से लगभग आठ हजार फीट की ऊँचाई पर है।
    यह मंदिर उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं ।यह मंदिर कई दशकों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
    वैसे तो यहाँ बर्ष भर श्रद्धालुओं का आगमन रहता है।परंतु नवरात्रे के दौरान इस मंदिर की भव्यता श्रद्धालुओं से ओर अधिक बड़ जाती हैं। इस का पौराणिक इतिहास श्रीगुल महादेव जी के दिल्ली यात्रा से जुड़ा है।
    जहाँ तत्तकालीन शासक ने उनकी दिव्यशक्तियों को वरवाद करने के लिये उन्हें चमड़े के वेडियो से वाध दिया ।
    और दरवार में कार्यरत माता भंगायणी ने श्रीगुल महादेव को आजाद कराने में सहायता की थी ।ओर भगवान श्रीगुल महादेव ने आजाद होने के पश्चात माता भंगायणी को अपनी धर्म की बहन बनाया था।
    और हरिपुरधार नामक स्थान प्रदान किया।
    और श्र्वशक्तिमान का वरदान दिया ।
    अपार प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य बना यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।
    जहाँ पर लोगो की भीड़ लाखो की संख्या में जुटी रहती हैं।लोग माँ के दरवार में अपनी मनोकामनाये पुर्ण करते हैं।
    दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहाँ मंदिर समिति द्वारा ठहरने का उचित प्रवधान किया गया है।
    माँ की सम्पूर्ण महिमा इस चालीसा में वतायी गयी है।
    माँ भंगायणी चालीसा के रचनाकार पूज्य गुरुजी श्री दिलीप वशिष्ठ है।
    जिन्होंने माँ की सम्पूर्ण महिमा इस चालीसा के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया है।
    माता भंगायणी की काली के रूप में यहाँ पर पूजा अर्चना की जाती हैं।
    आप सभी से निवेदन की आप इसे जरूर सुने
    माता रानी आप की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण करें ।।
    जय माँ भंगायणी
    🙏🙏

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