भजन- सारे फेल्यो दुःख देवा है परदादा को परिवार. ..🙏🙏
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- เผยแพร่เมื่อ 17 ม.ค. 2025
- प्रातःस्मरणीय गुरुदेव प्रकाण्ड विद्वान परम पूज्य गुरुदेव स्वामी सुखराम दास जी महाराज उदासीन परमहंस सुखपंथाश्रम आसलसर चूरू द्वारा रचयित अष्ट भाग संग्रह सागर से भजन
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सारे फेल्यो, दुःख देवा है, पर दादा को परिवार।
पर दादा को परिवार, पर पोतों करे सुधार ।। टेर ।।
बांझ पुत्र इक पंगु जायो, आयो श्रवण द्वार।
बहन भाई सांरां से छोटो, दोय सहायक लार ।। 1।।
एक बहन के गाठं लगी थी, खोली भरे बाजार।
आधा अंग मरद का उसके, आधी मूर्ख नार ।।2 ।।
सुख महल में युद्ध छिड़यो है, एक पुरुष दो नार।
एक नारी तो भीतर खिचे , एक ताने बहार।। 3 ।।
दादो एक नारी में लाधो दुःख रूप आकार।
सदा रोग वश भूंडी बेटी, बांझ सुत दी मार ।। 4।।
पर दादो तीजा घर बैठो, दिया किवाड़ उतार।
दो लड़कियां संग जलाई, पंगू कर दी छार ।।5।।
जीवतड़ा स्यूं मौन भली है, मुरदा सागे प्यार।
झूठ कही वो मुक्ति पाई, सत कही नर्क द्वार ।।6 ।।
धड़ देश में सिर विदेश में, दोनों करे व्यवहार।
मुरदा जीमे रोटी रावड़ रड़के बारम्बार ।।7।।
वस्त्र पर ज्यूं चित्र दिखे, क्या वस्त्र के भार।
थान समेटे चित्र गायब, थान खोले बहार ।।8 ।।
द्यौत, घट्टित, लांछित, रन्जित, वसन अवस्था चार।
परमात्मा में चार अवस्थाएं, जान इसी प्रकार ।। 9 ।।
चित, अंतर्यामी, सूत्रात्मा, विराट् स्थूलकार।
अधिष्ठान चेतन वस्त्र पर, चित्र जगत संसार ।। 10 ।।
वस्तु ब्रह्म में अवस्तु अज्ञान, कार्य है संसार।
'सुखरामदास' अज्ञान प्रपंच, सब ब्रह्म रूप निहार ।। 11 ।।
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