Jalpa Amritwani | Brij Mohan Gourh | Lata Panwar | Jalpa Mata Rajgarh

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ต.ค. 2024
  • Jalpa Mata Rajgarh (Biaora) MP
    Jalpa Amritwani written by Brij Mohan Gourh
    Written by : Brij Mohan Gourh
    Singers : Brij Mohan Gourh, Lata Panwar
    जालपा अमृतवाणी
    जीवन की संजीवनी, जालपा मां का नाम।सबके भाग संवारती, पावन जिनका धाम |।जालपा दिव्य स्वरूपिणी,शक्ति का अवतार |शरण में जो जन आ गया,करती मां उद्धार ||
    शोक निवारे जालपा, मां भय का करती नाश।निर्भय हो जग डोलता, जो है मां का दास ||ब्रह्मा विष्णु रूद्र भी.करते जय जयकार |आदिकंवारी जालपा,जग की सिरजनहार ||सात दीप नौ खंड मां, जालपा की गुंजार |सूरज चंदा चमक रहे,ले ज्योति उजियार ||
    शीतल बिखरी चांदनी, पवन सुनाए बोल |मात जालपा जयकारे, मन में मिसरी घोल ||जीवन का है सार यही,जालपा के दरबार |देने वाली एक है मां, पाता सब संसार ||फंसे विपत्तिकाल में, मां जालपा रखती बात।जनमों के भय मेटती, माता की नवरात।।
    पावन भूमि ज्वालापुरा, धाम बना जहां एक |जालपा दर पे आकर, झुक झुक माथा टेक ||भक्तों के दुख मेटने, जालपा का अवतार |चली मिटाने कष्ट मां, हो के सिंह सवार |।
    बड़भागी हैं वो सभी, आए जो जालपा धाम |बिगड़ी सबकी बन गई, पूरण हो गये काम ||जालपा के दरबार की, महिमा अपरम्पार |का लगा सुमिरन करो,करती भव से पार।।
    मंगलमयी ममतामयी, माँ जालपा सुमिरो नाम lजो चाहो सो पा ही लो, माता रखती ध्यान ll
    रोग शोक भयमोचनी, बिगड़ी बात बनाय।शरणागत जो जन जालपा,सकल काम बन जाय ।।
    इस जग में जो भी करे,मां के नाम का पाठ |कृपा करे मां जालपा, निर्धन हो सम्राट ||ज्वालापुरा पर्वत की,शोभा जग में अपार |
    मात जालपा धाम कियो,शोभित है दरबार ||सदा सुहागन मात की,करती जय जयकार |अमर सुहागन होत है, मां जालपा के दरबार ||चमत्कार ऐसा हुआ, चैत्र की थी नवरात |भक्‍त बीच मां जालपा,आ बैठी साक्षात | |
    कन्या दिव्य स्वरूपिणी,दे दर्शन का दान।
    पल में जालपा मंदिर में,हो गई अंतर्ध्यान ||निश्छल मन से जो धरे,जालपा मां का ध्यान |दे दर्शन मां मेंटती, जीवन के व्यवधान ||
    सदा विपत्तिकाल में, सुमिरो मां का नाम |जालपा विपदा दूर करे,सदा करे कल्याण ।।मात,पिता,गुरू,भ्रात सखा,जालपा सकल जहान |अपने बच्चों का सदा, माता रखती ध्यान ||
    झोली भरती मात मेरी,निर्धन करता राज |मात जालपा कृपा से, पूरण हो सब काज ||सत्य मार्ग प्रदर्शिनी, ममता की है खान।मात जालपा करे सदा,भक्‍तों का कल्याण।।सुमिरन जालपा मात का,करे जो प्रातःकाल |रोग शोक दुख मात हरे,मिट जाए जंजाल |।दर्शन जालपा धाम का,तीर्थों का फल देत।ऊंचे पर्वत जालपा, मां बैठी भक्तों हेत |।
    जालपा अमृतवाणी का, करे जो मन से जाप।निश्चय जीवन धन्य करे,कटे शोक संताप।।

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