9 जून को गंगा दशहरा जानिए इस पर्व का विशेष महत्त्व एवं पूजा विधि

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
  • #गंगादशहरा
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    देवी गंगा का 10 दिव्य योग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। वह योग- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा व वृषभ राशि का सूर्य को दश महायोग कहा गया है।
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा नदी पर स्नान करने और दान-पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन व सुहाग सामग्री, सत्तू, मटका, हाथ का पंखा, घी, नमक, तेल, शकर और स्वर्ण का दान करना अतिलाभदायी माना गया है।
    इस दिन 10 का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन 10 प्रकार के पापों का नाश करने वाला भी माना जाता है। इस दिन 10 पंडितों को 10 तरह के दान दिए जाते हैं। इस दिन गंगा में 10 डुबकी लगाएं। मां गंगा की पूजा में जिस भी सामग्री का उपयोग करें उसकी संख्या 10 ही होनी चाहिए। जैसे 10 दीये, 10 तरह के फूल, 10 दस तरह के फल आदि।
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    गंगा दशहरा के दिन गंगा माता का पूजन पितरों को तारने तथा पुत्र, पौत्र व मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसा करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार गरीबों में दान-पुण्य करें। इस दिन अगर आप 10 चीजें दान करते हैं तो अत्यंत शुभ फल मिलता है।
    उपासना- शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण के इस पावन दिन गंगा जी में स्नान एवं पूजा-उपवास तथा उपासना करने वाला व्यक्ति दस प्रकार के पापों से छूट जाता है। 10 प्रमुख पाप इस प्रकार हैं। 3 प्रकार के दैहिक, 4 वाणी के द्वारा किए हुए एवं 3 मानसिक पाप, ये सभी गंगा दशहरा के दिन पतितपावनी गंगा स्नान से धुल जाते हैं।
    विशेष
    महत्त्व एवं पूजा विधि

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