# शानदार नीति ज्ञान से भरपूर कवि गंग के सवैये 1 ज्ञान बढे गुणवान कि 2 पूत कपूत कुलाछन नारि।

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 11

  • @जयदयालरतनू
    @जयदयालरतनू 11 วันที่ผ่านมา

    🙏अति सुन्दर बहुत बङीया 👍सदा सुखी भवः 👍👍👍👈

  • @user-vyom24
    @user-vyom24 2 หลายเดือนก่อน +2

    गंग के सवैया नैतिक शिक्षा के अप्रतिम उदाहरण हैं

  • @bajrangsingh4502
    @bajrangsingh4502 5 หลายเดือนก่อน +2

    Bahut hi shandar prastuti ATI Uttam bhabha Shree 🎉

  • @sanwaldan6094
    @sanwaldan6094 3 หลายเดือนก่อน +1

    वाह कविराज सा वाह ❤

  • @raghuwarsharma1384
    @raghuwarsharma1384 3 หลายเดือนก่อน +2

    Hardayal bhabha, achanak aapro TH-cam page samne aayo, Kavi Gang ri rachnava saveya sunkar man bahut prasan huyo. Ganv ro purano vebhav yad aayo. Me ummid karu ke jyada u jyada lok aapri prastuti dekhe or harshit huve Or nai pidhi bhi aane samjhe Or aage badhave.
    Aa vichara sathe Aapro bahut bahut dhanyvad bhai saheb.
    Raghuuvar sharma, SBM, retd. UIIC.

  • @Shri_karni_dham_ghodaran
    @Shri_karni_dham_ghodaran 5 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत सुंदर

  • @GarimaSinghArya-lq4oe
    @GarimaSinghArya-lq4oe 2 หลายเดือนก่อน

    छुआछुत,ऊंच नीच,भेदभाव किसके साथ रहने से बढ़ती है और इसकी उत्पत्ति किसने की ,कवि जी।

    • @हरदयालदानरतनूघोड़ारण
      @हरदयालदानरतनूघोड़ारण  2 หลายเดือนก่อน

      @@GarimaSinghArya-lq4oe छुआछूत ऊंच नीच यह खुद मनुष्य के बनाये नियम है भगवान् देवता या किसी महापुरुष ने नहीं बनाये देशनोक करणी माता जी के गायों का ग्वाला दशरथ जाती का मेघवाल था गायों की रक्षा हेतु डाकूओं से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ उसका स्थान श्री करणी माता मन्दिर के मुख्य द्वार के पास बना हुआ है और सुबह शाम आरती होती है हिन्दूओं को अलग अलग जातीयों में बांट दिया ताकि यह कभी एक नहीं हो सके।

    • @GarimaSinghArya-lq4oe
      @GarimaSinghArya-lq4oe 2 หลายเดือนก่อน

      @@हरदयालदानरतनूघोड़ारण लेकिन एक भी चारण मैं आज तक आप जैसी बुद्धि क्यों नहीं आई हजारों वर्षो से वर्तमान मैं निम्न जातियों से छुआछूत,भेदभाव किया जा रहा है अगर इंसानों ने बांटा है तो वर्तमान सभी इंसान ही है कोई बंदर नही भेदभाव,छुआछूत मिटा क्यों नहीं देते। अरे पढ़े लिखे लोग आज भी छुआछूत करते है रही बात दशरथ मेघवाल की इसको आज भी उचित स्थान नही मिला, सावन भादो की कड़ाई के पास उसकी मूर्ति लगाई है बाकी सभी की राइट position मूर्ति लगी हुई है लेकिन केवल dasrath मेघवाल की wrong side मैं है जिसकी कोई पूजा नही होती,जब मंदिर से बार निकलते है लेफ्ट हाथ की तरफ कोने मैं है