पागल यह संसार, क्‍यों बाबा नित्‍यानंद बोले एक दिन:

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
  • भगवान न‍ित्‍यानंद, प्रेम से भक्‍त उन्‍हें बडे बाबा भी कहते हैं। भगवान नित्‍यानंद का जीवन युगों युगों तक हम जैसे जीवों को आनंद, प्रेम और मुक्ति की राह दिखाता रहेगा। हम धन्‍य हैं कि उनके उद्गारों का संकलन चिदाकाश गीता पर मनन करने का सौभाग्‍य हमें मिला। यह उनकी ही कृपा है कि हम संसार में उलझे रहने के बाद भी अपने चित्‍त को उनके श्रीचरणों में लगा सके। चिदाकाश गीता से प्रेम कर सके।
    नमस्‍कार दोस्‍तो, अद्भुत ज्ञान गाथा की इस कड़ी में आपका स्‍वागत है। हम चिदाकाश गीता के श्‍लोकों की व्‍याख्‍या कर रहे हैं। आपको पता होगा कि भगवान नित्‍यानंद ने सन 1922 से 1924 के बीच अवधूतावस्‍था में जो कुछ कहा उसे उनकी परम भक्‍त तुलसी अम्‍मा ने लिपिबद्ध कर लिया। बाद में तुलसी अम्‍मा ने इन वचनों को 286 श्‍लोकों के रूप में संग्रहित करके नाम दिया चिदाकाश गीता। चिदाकाश का अर्थ है परब्रह्म और गीता का अर्थ है गायन अर्थात ब्रह्म गान या ब्रह्म का गीत।
    आज हम श्‍लोक संख्‍या 51 और 52 की चर्चा करेंगे। पहले अंग्रेजी में और फिर हिंदी में उन्‍हें समझने की कोशिश करते हैं। इस क्रम में कोई भूल हो तो हमें क्षमा करें। #chidakashgita #nityanand #ganeshpuri #kanhangad

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