बिरशिंगपुर गैवीनाथ(भोलेनाथ) के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|Har Har Mahadev|

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2024
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    Gaivinath shivling ki kahani
    स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार आज से 317 साल पहले 1704 में मुगल आक्रांता औरंगजेब हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के क्रम में इस स्थान पर पहुँचा था।
    औरंगजेब के साथ उसकी सेना भी थी। औरंगजेब ने पहले अपनी तलवार से शिवलिंग पर प्रहार किया लेकिन उसे तोड़ने में असफल रहने पर उसने अपनी सेना को आदेश दिया, जिसके बाद शिवलिंग को हथौड़े और छेनी से तोड़ने का प्रयास किया गया। कहा जाता है कि शिवलिंग पर पाँच प्रहार किए गए थे। पहले प्रहार में शिवलिंग से दूध निकला, दूसरे प्रहार में शहद, तीसरे प्रहार में खून और चौथे प्रहार में गंगाजल। जैसे ही औरंगजेब के सैनिकों ने शिवलिंग पर पाँचवाँ प्रहार किया, लाखों की संख्या में भँवर (मधुमक्खी) निकली। औरंगजेब और उसकी पूरी सेना तितर-बितर हो गई और किसी तरह अपनी जान बचाकर भागी।
    आज भी गैवीनाथ धाम में शिवलिंग पर तलवार के निशान हैं और खंडित शिवलिंग की ही पूजा होती है। हिन्दू धर्म में खंडित मूर्तियों की पूजा प्रतिबंधित है किन्तु गैवीनाथ धाम देश का इकलौता मंदिर है, जहाँ खंडित शिवलिंग ही पूजे जाते हैं और उनकी मान्यता पूरे हिन्दू धर्म में है।

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