आचार्य जी प्रणाम आचार्य आपने सप्तम समुल्लास पृष्ठ संख्या 158 पर वर्णित जीव स्वतंत्र है या परतंत्र की व्याख्या नहीं की कृपया इस पर जरूर अपनेव्याख्यान दें
कौन पाखंडी है।जो मूर्ति पूजा को सनातन बताता है। उसे पाखंडी से कह दो वेद में परमात्मा ने संदेश दिया न, तस्य प्रतिमा अस्ति,..... उसे परमात्मा का कोई मूर्ति नहीं बन सकता क्योंकि वह सर्व व्यापक है.. शब्द का रूप नहीं. हवा का रूप नहीं आकाश का रूप नहीं! वेद माता ने कही!,(ओम खं ब्रह्म) परमात्मा वैसे है जैसे आकाश सब जगह व्याप्त हैं वैसे परमात्मा सब जगह व्यापक है?
Very excellent, congratulation my dearest sweetest and loving archarya
सत्य सनातन वैदिक धर्म संस्कृति और सभ्यता की जय
v.v.v.good.aacharya.Ji.Pra năm.
Nameste ji bahut achcha lega aap ka pervachan
बहुत ही बहुत धन्यवाद आचार्य जी सादर नमस्तेजी सौदान सिंह आर्य अलीगढ़
बहुत अच्छा आचार्य जी
धन्यवाद आचार्य जी
अति सुन्दर ढंग से सत्यार्थ प्रकाश का सार समझा रहे हैं आचार्य जी बहुत बहुत आभार
Guruji pranam 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩
Satya sanatan dharm ki Jai Jai shree ram
आपको सादर नमस्ते आचार्य जी
ओम् सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
ओम् सादर नमस्ते आचार्य जी
आचार्य जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Dhanyawad. Sir. !!!
❤
आचार्य जी नमस्ते
उत्तम ज्ञान प्राप्त हुआ।
🙏🕉🙏
ॐ पूज्य आचार्य जी 13वे समुल्लास का सार का व्याख्यान दीजिए
Satayarth Prakash Bharat ko Satyanisht Banayega.
Awesome
नमस्ते आचार्य जी
नमस्ते
बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🚩🕉️🌞🕉️🚩🙏🙏🙏
आप सभी से अनुरोध है केरला फिल्म देखने जरूर जाएं टेलर रिलीज हो गया है sun Sain indiya 🌞👍😎👍
❤️❤️❤️🔥
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, गीतकार हसरत जयपुरी।
मेरा मत - भगवान, ईश्वर का पर्यायवाची नहीं है। देवताओं को भगवान कहते लिखते हैं ईश्वर नहीं। क्षमा करें।
परंतु भाई, आत्मा सुख चाहती हैं वह तो केवल शरीर के साथ हैं, अगर जन्म हुआ ही नही तो आत्मा को कैसा सुख और कैसा दुख, ये समझाइये🙏
नमस्ते गुरुजी जो लोग यह कहते हैं की आत्मा ही परमात्मा है क्या यह लोग नास्तिक होते हैं
आचार्य जी प्रणाम आचार्य आपने सप्तम समुल्लास पृष्ठ संख्या 158 पर वर्णित जीव स्वतंत्र है या परतंत्र की व्याख्या नहीं की कृपया इस पर जरूर अपनेव्याख्यान दें
Sir. Ji. Aap. Gurkul. Me. Tilak. Lagakar. Padhai. Karne. Jaate. The. !!!!
कौन पाखंडी है।जो मूर्ति पूजा को सनातन बताता है।
उसे पाखंडी से कह दो
वेद में परमात्मा ने संदेश दिया
न, तस्य प्रतिमा अस्ति,..... उसे परमात्मा का कोई मूर्ति नहीं बन सकता क्योंकि वह सर्व व्यापक है.. शब्द का रूप नहीं. हवा का रूप नहीं आकाश का रूप नहीं! वेद माता ने कही!,(ओम खं ब्रह्म) परमात्मा वैसे है जैसे आकाश सब जगह व्याप्त हैं वैसे परमात्मा सब जगह व्यापक है?