सादर प्रणाम जी, कृपा कीजिये- बताइये कि- ध्यान मेँ बैठने के बाद अगर शरीर, मन, बाहरी आवाज़, स्वास, और समय का 1% भी बौध ना रहे, सब कुछ शून्य हो जाए, तो इसे कौन सी, कहाँ तक की उपलब्धि समझें ? इस समय मेँ ऊर्जा का क्या स्तर हो जाता है ?.. 🙏
ये महा सुन्य की अवस्था है जिसे समाधि का घटना कहते हैं ये समाधि अवस्था होती हैं जिसमे अपनी इंद्रियों ओर मन बुद्धि से परे हो जाते हैं आप ओर आप अद्भुत रहस्य मई दुनिया की यात्रा करते हैं जहां ना दिन होता हैं ना रात, जहां ना वायु है और ना ही सूर्य का प्रकाश इस अवस्था में मनुष्य को अपने आप का अनुभव होता हैं। और इस समय में ऊर्जा अपने अंतिम लक्ष्य में सिमट जाति हैं। जो एक मनुष्य का जिंदा मरने की क्रिया होती है अर्थात कारण, सूक्ष्म और स्थूल से परे की अवस्था कह सकते हैं यानी तुरया अवथा, ओर कोई संदेह है तो आप पूछ सकते हैं धन्यवाद ❤️🙏 सही शब्दों में बताऊं तो, धर असमान पवन नहीं पानी, चांद सूरज नहीं तारा। इंड ना पिंड शुद्ध बुद्ध नहीं, मन में दिसत समाना।।
सादर प्रणाम जी,
कृपा कीजिये- बताइये कि- ध्यान मेँ बैठने के बाद अगर शरीर, मन, बाहरी आवाज़, स्वास, और समय का 1% भी बौध ना रहे, सब कुछ शून्य हो जाए, तो इसे कौन सी, कहाँ तक की उपलब्धि समझें ? इस समय मेँ ऊर्जा का क्या स्तर हो जाता है ?.. 🙏
ये महा सुन्य की अवस्था है जिसे समाधि का घटना कहते हैं ये समाधि अवस्था होती हैं जिसमे अपनी इंद्रियों ओर मन बुद्धि से परे हो जाते हैं आप ओर आप अद्भुत रहस्य मई दुनिया की यात्रा करते हैं जहां ना दिन होता हैं ना रात, जहां ना वायु है और ना ही सूर्य का प्रकाश इस अवस्था में मनुष्य को अपने आप का अनुभव होता हैं। और इस समय में ऊर्जा अपने अंतिम लक्ष्य में सिमट जाति हैं। जो एक मनुष्य का जिंदा मरने की क्रिया होती है अर्थात कारण, सूक्ष्म और स्थूल से परे की अवस्था कह सकते हैं यानी तुरया अवथा, ओर कोई संदेह है तो आप पूछ सकते हैं धन्यवाद ❤️🙏 सही शब्दों में बताऊं तो,
धर असमान पवन नहीं पानी, चांद सूरज नहीं तारा।
इंड ना पिंड शुद्ध बुद्ध नहीं, मन में दिसत समाना।।