आदरणीय Kaishaliji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
आदरणीय Piyush Somaniji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
आदरणीय Vijayji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
हिन्दू मुस्लिम,सब राजनीति के लिए हैं,हम जनता को इन सब से कोई मतलब नहीं रहता है, नेता लोग जानबूझकर सबको भड़काते हैं,और अपना फायदा करते हैं,आप ने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है 🙏🏻🙏🏻
Acha hindu muslim rajniti or ko dharm ke nam par Pakistan Bangladesh le liya vo kya ... Tab konse muslim the jinho ne vote kiya tha Pakistan ke liye.... 😂😂😂😂 Andhe ho ya budhi nahi hai
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 सभी धर्म अच्छाई सिखाते हैं राष्ट्र के विकास में कभी कोई धर्म आड़े नहीं आएगा नेताओं को चाहिए कि वह गड़े हुए मुर्दे न उखाड़े अगर ऐसा कर रहे हैं तो जनता को जागरूक होना चाहिए
@@whatsappstatus8781 धन्यवाद भाईसाब. मैं भी जागरुकता बढा रहा हूं. मुलतः क्या समस्या है वह बता कर ऊसके समाधान की बात कर रहा हूं देशव्यापी चर्चा से... वह भी हमेशा के लीये समाधान. आप जैसे जागरूक लोगों से ईसका समर्थन चाहता हूं. आप समर्थन करे और देशव्यापी चर्चा की बात लोगों के साथ साझा करे ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी
@@hcgey.yktggdv isko itihass ka knowledge nahi hai. Aur itihass pe gyan de rahi hai. Jodhabai naam ki koi biwi thi hi nahi. Lekin Bollywood dekh kar isne Akbar se jazia khatam bhi karwa dia. Isko anpadh gawar hone ka certificate milna chaihe.
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
आदरणीय Mohdnaushadji 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
प्रज्ञा मिश्रा पहले यह तो बता तू उसकी पूजा करती क्या लाखों हिंदुओं को मरवाया हिंदुओं के ऊपर जजिया कर लगाया हिंदुओं को मुसलमान बनाया कोई पार्टी हिंदुओं की हित की बात नहीं करता मैं किसी पार्टी को उम्मीद नहीं करता चाहे कांग्रेस हो चाहे सपा को मैं खुद यादव हूं लेकिन किसी से समर्थन नहीं करता पार्टी का हिंदुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है सब ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीतिक खेल करके मुसलमान का साथ दिया है यह बात कांग्रेस सरकार ने 5000 ब्राह्मण को मरवाया था महात्मा गांधी की हत्या हुई
आदरणीय Paarkhiji🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 Bhai shab apko kis ne bola ki Jo BJP ko support karta hai bo he Hindu hai ...Baki jo other party'ko support karta hai bo Hindu Dharm ko nhi manta..
aurangzeb accha admi tha to Sikho ne bhi uske sath Jung kyu ki ? Thoda dimag se socho ese log jo mugal ko promote karte unko jawab Dena aur Virodh karna zaroori kyu hai pahle ye toh jaan Lo paarkhi ji.
I am a Hindu but I respect Aurangzeb. Because he also did not do any casteism like Shivji. I respect Aurangzeb. Aurangzeb did what was right at that time which our Hindus of today cannot understand
आदरणीय 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@dipalishintre4572 Dipaliji! 🙏! I do agree with you. However we have equal responsibility of changing this situation. What should we do? I have one good idea for such problems. I am sharing it with you. Pl support it. भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। हमारे देश में जब भी कोई इतिहास पर बात करता है तो विवाद में पड़ जाता है। एक नया मौखिक युद्ध शुरू होता है। हमारे देश में ऐसा क्यों है? इसलिए मैं आपको उपाय सहित इसके मूल कारण तक ले जा रहा हूं। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
I am a history student and I can rightly say that the whole analysis is based on fact and figures. Thank You Pragya. You reveal some of the interesting facts which even I was not aware of.
The British historians twisted the truth of mediaeval history of India & assassinated the character of Muslim rullers of that period. Thanks Pragya for revealing the fact.
#मैं हिन्दू हूँ मुर्ख नहीं, बहुत हुआ हिंदू मुस्लिम, महामूर्ख व्यक्ति को क्या कहेंगे ?अगर वोट डालना है तो महंगाई और बेरोजगारी के नाम पर डालो Kabhi BJP ko vote mat dena.. aur kisi bhi party ko de dena..
Mai general caste se hu kisi party ko vote dena to durki baat hai mene aapna voter id card hi fek diya General caste ke liye kisi party ne kuch Kiya hoto bata Dena ise mai vote dunga 🤷🤷🤷 Or rahi baat mahegai, berojgari ki to ise koi party khatam nahi kar sakti😂😂😂
आदरणीय shoilshaikhji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
बहन जी को बहुत बहुत धन्यावद,,,नफ़रत के माहौल में मोहब्वत कई हवा चलाने के लिए,,,फडणवीस की भाषा,,किसी राजनेता की तरह नही ,किसी गुंडे मवालियों की तरह है ,देश प्रेम ,मोहब्बत और भाई चारे से चलेगा,, हाँ अब वोट भी नफ़रत फैलाकर नही मिलेंगे,,देश के लोग आपस में मिलजुलकर ही रहना चाहते,,है,,
आदरणीय ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
आदरणीय Zainabkhanji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
आज से ठीक सौ साल बाद जब इतिहास लिखा जाऐगा तो इस बात का जिक्र विशेष तौर पर होगा कि जब मोदी काल में गोदी मीडिया पूरी तरह बिकाऊ होकर तलवे चाट कर चाटुकारिता कर रहा था तो उस समय परगया मिश्रा जैसे महान लोग अपनी जान तली पर रखकर सच्ची पत्रकारिता कर रहे थे। मैडम जी आप की सच्ची पत्रकारिता को दिल से नमन ।
आदरणीय 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
आदरणीय Shortstories9547🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
इतिहास को समझना आसान नहीं है और अंधभक्त तो जो भी वॉट्सएप्प यूनिवर्सिटी मे आता है उसको सच मान लेता है उसके दिमाग मे इतनी ताकत ही नहीं की इतिहास की सच्चाई क्या है समझ सके। आपने बहुत अच्छे से बताया।
@@dilshadahmad6166 abe chungooooo , andhbhakt 🙆😂 Mentosh tu kha👅 pajeet Pakistan afganistan ye sab pahele hindustan me hi ata tha 🤷samza Or hindustan ki shan mughal se hi badhi he aaj bhi hindustan Mughlo or musalmano ki banai hui chijo se hi itna femus he Taj mahel lal kila kutub minar dilli bengaluru agra surat ahmedabad heydara bad bade bade saher mughalo or muslim ne hi banae he chimkandi 😂🙆💁♈
Hava main bate karne ka matlab itihas padhana nahin hota. Kya koi ek bhi tarikh, jagah sahit kuchh bat ki hain. Kya inhe pata bhi hain ki aurangjeb 1680 main dilli chhod kar Maharashtra main kyon aaya tha. Kya yeh bhi pata hain ki usane apni jindagi ka aham hissa - 27 sal aurangabad main bitaye voh bhi keval marathon se ladate huye uski jindagi yahin par khak ho gayi? Chhatrapati shivaji maharaj ki 1680 main mrityu ke bad usne marathon ko harana bada asan samjha tha lekin marathe voh hain jinhone use lagatar 27 sal tak keval unse ulzayen rakha. Baki to kuchh bhi soch nahin paya voh. Na hi vapis dilli ja paya. Aurangjeb ki agar asli history hain to voh keval aur keval marathon se hain. Usne shivaji maharaj ko agra ki kile main kaid karvaya tha, unke suptr chhatrpati sambhaji maharaj ki nrushyans hatya kar di. Baki to karname gine nahi jate. Aur fir use achha kam karne ki fursat kab mili?
प्रज्ञा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद! आपने इतिहास न पढ़ने वाले लोगों को बहुत ही सराहनीय जानकारी दी है। औरंगजेब के बारे में अच्छी जानकारी दी है आपने बहुत बहुत आभार आपका!🎉🎉
आदरणीय Kamlesh Yadavji🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
दख्खन जितने जब औरंगजेब आया था तब अफजल खान से डर के भाग गया था तुमहारा ओंरगजेब ईतना बाहादुर था😂😂😂लेकिन जब छत्रपती शिवाजी महाराज का अफजल खानसे सामना हूवा तब फाड दिया था शिवाजी महाराजने😂😂😂
आदरणीय 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@sorabhr979 अंड भक्तों अंड भक्त इसी लिए कहा जाता है क्यू कि गोबर खार और मूत्र विसर्जन करके उनका दिमाग तो बिल्कुल खराब हो चुका है और कोई बात समझ नहीं आती क्या सही और क्या गलत, यही तो है अंड भक्त.
Topi silakar apana kharcha chalane vale gulam vans ke sasak nasiruddin the jo ki balban ke damad the n ki aurangjeb ok bhai aur mandir devdasi pratha ki vjh se todte the muslim usame chhoti ladkiyo ka pandit sosad karate the 🥺🥺🥺🥺🥺🥺
@@ishikarao2577In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
Bhai sbko smjhna chahiye ke vote abhi ko dekh kr de ye chutiya party h jhut or sb jhut hi bolta h modi vote rozgar pe do or mahgai pe do Hindu Muslim bhai pahle bhi the aj bhi h aage bhi rahege
मुगल का खौफ अभी भी आर एस एस बजरंग दल हिंदू विश्व परिषद और बीजेपी के दिल में कूट-कूट के भरा हुआ है जब रात में सोता होगा तो जरूर सपना देखता होगा कल यही मुगल पैदा तो नहीं हो जाएगा😂😂😂😂
आदरणीय Rajanijaniji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
मेरे प्यारे दोस्तों आपके लिए एक विशेष जानकारी ये है कि औरंगजेब के ट्रेजरर (treasurer) जो है एक ब्राह्मण ता। उसका नाम चंद्रभान ब्राह्मण। अगर ब्राह्मण को विरोध करने वाला अपना कोषाधिकारी क्या ब्राह्मण रखेगा। ये तो सोंचने वाली बात है भाई 🙏
Aor bhai sahab yh v to soch lo k aj musalmano par nas bandi lg rhi h to mugloo k tim hindu bhaioo pr itna zulm hone k bad bacche kaise paida ho rhe the aor abadi kitni rhi hogi
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@MohdUsman-mk1hr In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
Osama bin Laden aur isis ko apna khuda manne wale s kya hi bol skte hain....jinki maa behen beti ka rape krke use muslim banaya gya hai wahi aj aisi baat krte hain.....
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
Delhi ki incident par vi report karne ko kaho ji.... Hasrat Mai jab hote hai toh pure din rote rehete hai....or Bihar ka jo pul gira uspar vi report karne ko kaho.... bro 😂😂
@@sutharsahul5425 ehi toh bat hai.... Secularism ki name par ek side ka reporting karte hai magar hum hindu lok ise secularism man lete.... bolna hai toh dono side ka bolna chaiye....nehi bolte or dusro ko andhabhakat or godi media bolte hai bro... Magar kud piddi media hai...ar sabse bara andhabhakat hai....😂😂😂
Waah madam, PM Modi ke against bolte bolte Aurangzeb ki taarif bhi shuru kar di. Cheap juornalism mam. Kya Ye Rahul Gandhi 30rs. Petrol bikwaenge ya LPG price 250rs. Per cylinder ho jaaega. Satya par patrakarita karo anti BJP nai.
@@RoboRhythms198 you are right delhi ke incident pr bhi report kariye.. ...Or ek pujaari jiski already ek biwi thi usne apni gf ka murder kiya usko pregnant karke ...uspar bhi vedio banni chaiye ....or ek hindu ladke mumbai me hindu ladki ko kaatkar ubaal diya uspar bhii banni chaiye
Jo log desh ki bala cahte hy, apni baccho ki ujjal bhabiswa k liye sochte hy... Desh pe sirf piyar mohabbat ki baat karte hy.. Sirf wohi log hi bjp ko hatana cahte hy.. jis tara karnatak pe abam ne bjp ko saaf kar diya
. Tum girane ki baat kar rahe ho 2024 mein bahut bada surprise hone wala hai. Modi ki jagah Yogi ko pm Tab kya karoge Rahul mulle bhaijaan. Bahut bada sadma lagega 😂😂😂😂
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
@@mohdkhaleel8455 In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
आदरणीय🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
10 หลายเดือนก่อน
टुकड़े टुकड़े गेंग के पपु मीडिया का एक ही काम ठगबंधन की चमचागिरी से पैसे कमाओ
Jo kuch nahi jannta sirf one side dekhta hai wahi ea bolta hai. Humara target hai BJP ko hatana eska matlab ea nahi ki sach ko jhut sabit karne main lage rahe💀💀
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
महिला पत्रकार में सबसे अधिक पसंदीदा आप हो जो निस्पक्छ पत्रिकता करती है साथ में महंगाई ,बेरोजगारी ,देश में हो रहे कार्पसन पे आवाज और,सविधान को रौंदने वाले को उजागर करती रहती है , सलाम है आप को जो बिना डरे बिना थके हम सब को अहम जानकारी उपलब्ध कराती रहती है।
@@elsalvadorthesaviour5021 झूठ बोलना दूसरे धर्म को नीचा दिखाना ,ये सनातन धर्म का परिभाषा नहीं, अगर इसी तरह चलता रहा तो एक दिन हिंदू धर्म भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा या तो कोई बौद्धिक विचार धारा में जाएगा या मुस्लिम में ,हिंदू धर्म आप जैसे लोगो के वजह से एक गाली बन कर रह जाएगा।
@@abdulwadood6183 धर्म? कौन सा? मज़हब बोल भाई। और इस मजहब की बुराई कोई करता भी नही। तुम सोशल मीडिया पे इतना ज्ञान बाटते हो और तुम्हारा ही कोई सगा वाला ओला उबेर कह के फट जाता है निर्दोषों को मार देता है। सनातन धर्म को तुम सब पिछले 1300 साल से खत्म करना चाहते हो खुद खत्म होगये। 3 हिस्सो में बट गए। आज जिस हिस्से में सबसे शांति से हो वही के खिलाफ गद्दारी करते रहते हो।
@@abdulwadood6183 और कौन गाली है और कौन नही? इसकी जांच करनी है तो किसी भी विकसित देश के एयरपोर्ट पे ओला उबेर और जय श्री राम बोल के देख ले। बाकी नबी के परिवार को कर्बला में मारने वाले कहते है कि गाली बन गया है। अरे अपने मजहब को देख।
During Aurangzeb ruling period gdp of india was 24,and he was the only ruler who doesn't take a single rupee from gov. treasure, by selling topi and writing quran he runs his livelihood
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
वाह प्रज्ञा जी अतिउत्तम ज्ञान के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , बीजेपी के अंधों की आखें खोलने का काम किया है अगर इस ज्ञान को थोड़ा कुछ समझ आने पर इन अंधभक्तों का भविष्य बन जावेगी
आदरणीय Roopnarayansinghji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@shamshoddinshaikh247 मैं अंधभक्त नहीं हूं. मैं भारत का अकेला ईन्सान हूं जिसकी आंखे खुली है. और मैं किसीभी व्यक्ती का भक्त नहीं हूं...बस भगवान की भक्ती करता हूं.
प्रज्ञा जी आपके इस सच्ची पत्रकारिता को मेरा सलाम, आप ऐसे ही अपनी पत्रकारिता जारी रखें, ईश्वर से आपके लंबी उम्र की कामना करता हूँ I और ईश्वर का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जो उन्होंने आप जैसा पत्रकार पैदा किया जो हमेशा लोगों को सचचाई बताने की कोशिश करती हैं I
Aurangzeb ki najayaz aulad itni sacchai lag rahi hai tuze isme chutiye us Aurangzeb ne baccho tak Ko nahi chhoda tha Guru Gobind Singh ji ke Gadhe history padh school se madrase se nahi
आदरणीय amjadnoorji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
Mashaallah.......all you said about Aurangzeb Alamgir are true, you are unbiased❤. At last you said yeh Ladne ka vishay nahi Padhne ka vishay hai was just Wowww. You are a true Indian.
bcoz his father was wasting too much money in makin monuments like black Taj mahal, Aurangzeb was very honest and he did not want his kingdom's money being wasted on monuments and so he arrested his father @@BengaliManfromWB
आदरणीय 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@ishtiyakaluminium धन्यवाद सर. हमारे देशमें ईतिहास का बहुत जादा राजनितीकरण हो गया है. एक स्कूल या कॉलेज का विषय एक राजकीय हथीयार बना है. मैं आपकी बात का विरोध नहीं कर रहा. औरंगजेब अच्छा था या बुरा. ऊसके कर्म करके दुनिया छोड चुका है. उसका आज हमारी जिंदगीसे कोई नाता.... कमसे कम विवाद के रुपमें तो होना नहीं चाहीये. और हिंदू हो या मुस्लिम औरंगजेब ईतिहास का एक महत्वपूर्ण किरदार है. ऊसे ईतिहास के दायरेमें सिमीत होना चाहीये. पर भारत में स्थीति विचित्र है. अरे भाईसाब... भारतपर कुछ शतक मुस्लिम राज रहा. फीर 150 साल अंग्रेजी. फीर जो हिंदु प्रधानमंत्री बना वहभी देशद्रोही होने की बात होती है..... तो आप औरंगजेब की बात सोचे की कीस हदतक बाते हो सकती है. इसलीये तो मैं ईतिहास के संदर्भमें भारत मुर्ख देश है ऐसा कहता हूं. और ईस स्थितीस हमेशा के लीये समाधान की बात कर रहा हूं. और सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करना चाहता हूं. आप देशव्यापी चर्चा कि बात लोगोंसेभी साझा करना और समर्थन करना ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी
Shivaji ke sath kitne musalmanon Ne Aurangzeb se Lada aur kitne hi musalmanon ne apni Jaan Di Panipat ki yuddh mein Ham kahan kar diya aapka Sansar Mein Lade
Jo kuch nahi jannta sirf one side dekhta hai wahi ea bolta hai. Humara target hai BJP ko hatana eska matlab ea nahi ki sach ko jhut sabit karne main lage rahe💀💀
आदरणीय Yasmenbanoji 🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
प्रज्ञा,जी आपने मुगल काल का अच्छा विश्लेषण किया है,,औरंगज़ेब ने मंदिरों को दरगाह को भी ज़मीन ज़ायदाद भी खूब दी हैं,, ब्रह्ममण को सम्मानित किया,,सबके सनद दी,,
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है। भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है? आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। आपके और मेरे बारे में मुख्य बात क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@uniquefact5633 TERE PURWAJ NE KHOL DI THIDARR KE MAARE.... TABHI TU AAURANGZEB KO GLORIFY KR RHA HAI.... AUR GURU TEGH BAHADUR SINGH JI KO MAARNE WALA, GURU GOVIND SINGH JI KE PUTRO KO MARWANE WALA, CHHATRAPATI SAMBHAJI MAHARAJ KO DHOKHE SE AGWA KR KE MAARNE WAKA KAYAR AAURANGZEB KO BOLNE PAR TERE PICHHWADE ME AAG KYU LAG GYA... 😡😡😡😡😡 MERE PURWAJ LADE THE DAT KE TABHI ME AAJ HINDU HU...BOL PAA RHA HU YAHA...SAMJHAA
पत्रकार महोदय आपकी सच्ची पत्रकारिता ने भगवाधारी अंध भक्तों के पिछवाड़े में आग लगा दिया है बिना पेट्रोल-डीजल डाले पत्रकार महोदय आप ऐसे ही सच्ची पत्रकारिता करते रहे जनता आपके साथ मजबूती से खड़ी रहेगी
Thanks a lot for fearless analysis, it will help to understand youth the real chronology of today's HINDU MUSLIM POLITICS. MOST OF HINDU MUSLIM DON'T WANT ANY CONFLICT AND LIVE WITH PEACE AND HARMONY
आदरणीय Riyazsir🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 ... Highly appreciable. They control the information, controlling the whole country. They purchased every pen and paper, body and soul. I tried my best to change the people, at the end of the day I don't speak or read much.
@@Dave_en Wo bata rahi hai 6:42 pey, past ko lekar hi lada rahey hai, present ka game ho chuka, future ki ummed kya hai bhai. har din bahut mehnat karkey survival ho raha hai kabhi nahi hota.
@@saintinthedevil agar past ko bury karna hai toh kyu aurangzeb ko laa kar hinduo ke jakhmo pe namak chidka jata hai? kyu Akbar ko hinduo ka jeeja bola jata hai jabki bahut saare hindu raja muslim shehjadiyo se shaadi kiya. Ek haath se taali nhi bajti. Agar ye bolenge ki humne tum par 800 saal raaj kiya toh humlog bhi muslimo ke atyacharo ki baat karenge. Koi mandir nhi banwaya mughalo ne, bas narrative banaya jaa raha hai. Toda hai, todna hi aata hai.
आदरणीय Waseem Ahmedji🙏! औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है। जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है। क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है। 1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया। इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं। तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है। क्या इसे बदलना संभव है? आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा। मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं। अवधूत जोशी
अंग्रेजो के जमाने में कही क्रांतिकारी हुए । पर आज के क्रांतिकारी लोगोमे से है ,, प्रज्ञा मैडम ,, जो भारत को बचाने में लगी हुई है। सारे खतरे उठाके ,, सलाम आपकी देश भक्ति को । ग्रेट जॉब,,,,जय हिंद
@@mr.amitbhatt3176 जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
अच्छा तवी सभी मंदिर के ऊपर gummat रहता था और सिख और हिन्दू को हलवा पूड़ी खिलाया करता था छी कैसा शर्मा हो अपने बच्चू को मुगलो पे होवे अत्याचार को बताना कि कैसे मस्जिद तोड़ कर मंदिर बनाया
Na Gandhi na modhi na yogi. Agar pm chaiye to sirf saccha bharatiya desh ki janta bhukhi berojgar hai. Modhi Gandhi yogi. Sabke sab saale chor hai.....Jay hind Jay bharat
मुगल आक्रांता थे अंग्रेज धर्मात्मा थे . मुगल अत्याचारी थे अंग्रेज परोपकारी थे मुगल विदेशी थे .अंग्रेज अखंड भारत में जन्में थे.मुगल धन सम्पत्ति ले गये .अंग्रेज धन.सम्पत्ति छोड़ गये 😊
इतिहास में ये भी दर्ज होगा भारत में जब मिडिया बिक गया था तब भी आप जैसे सच्चे सिपाही संघर्ष कर रहे थे ❤
सलयूट जय हिन्द
Tere photo se gandagi dikh rahi
Kiya bat liki hai bro Dil khus ho gya
खुद तो मरेगी पगली हमें भी मरवायेगी
Powerful comment with Powerful profile 🇮🇳
आदरणीय Kaishaliji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
300-400 सालों पहले मर चुके आदमी का सहारा लेकर अपनी राजनीति चमकाने वाले दल अंदर से कितने ज्यादा खोखले हैं... ये सोचने वाली बात है...
आदरणीय Piyush Somaniji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 sir, बहुत बहुत धन्यावद,,आपकी से सहमत हूँ,
@@ismailpathan6329 धन्यवाद सर. यह जानकारी सभीसे साझा करे और समर्थन करना ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी
Bilkul sahi kaha aapne
Bahut bahut sukriya 🙏🙏 Aapka
तुमको पैसे का लालच नहीं दीदी तभी सच्चाई बोल रही हैं आपको दिल से शुक्रिया
@Vijay Vishwakarma vai ap kahase ho
आदरणीय Vijayji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
😂😂
तुम्हारी यही गलती है जो भी ब्राह्मण पत्रकार है उसी की सच्चाई मानते हो , आंधे बने हो 75 सालो से चमचे बने हो
Right aurangzeb ek ache badshah the
सच्ची पत्रकारिता आज भी जीवित हैं, इसीलिए उम्मीद की एक किरण आज भी जिंदा हैं कि वक्त जरूर बदलेगा।
हिन्दू मुस्लिम,सब राजनीति के लिए हैं,हम जनता को इन सब से कोई मतलब नहीं रहता है, नेता लोग जानबूझकर सबको भड़काते हैं,और अपना फायदा करते हैं,आप ने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है 🙏🏻🙏🏻
Good sister g. Aapko saloot krte hai.aapme ensaniyat h
@@tarnummemon99 assalamualaikum
Acha hindu muslim rajniti or ko dharm ke nam par Pakistan Bangladesh le liya vo kya ... Tab konse muslim the jinho ne vote kiya tha Pakistan ke liye.... 😂😂😂😂 Andhe ho ya budhi nahi hai
ऐ सब ईलेक्शन की तैयारी है पिसे गी गरीब जनता
Janta ab aur murkh nahi banegi.karnatak ki janta ne pure desh ko rasta dikha diya hai.jago grahak jago.
पिछले 70 साल मे कभी भी मुगल बादशाहों को इतना याद नही किया गया जितना आज कीया जा रहा है ।
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 सभी धर्म अच्छाई सिखाते हैं राष्ट्र के विकास में कभी कोई धर्म आड़े नहीं आएगा नेताओं को चाहिए कि वह गड़े हुए मुर्दे न उखाड़े अगर ऐसा कर रहे हैं तो जनता को जागरूक होना चाहिए
@@whatsappstatus8781 धन्यवाद भाईसाब. मैं भी जागरुकता बढा रहा हूं. मुलतः क्या समस्या है वह बता कर ऊसके समाधान की बात कर रहा हूं देशव्यापी चर्चा से... वह भी हमेशा के लीये समाधान. आप जैसे जागरूक लोगों से ईसका समर्थन चाहता हूं. आप समर्थन करे और देशव्यापी चर्चा की बात लोगों के साथ साझा करे ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी
@@whatsappstatus8781 sabhi mazhab acchayi nahi sikhate , pahle dharam ka matlab to jaan lo
Aur koran aur bible puri padh lena pata chal jayega
@@shanuyok615 kuraan aur bilbe padh Li h ab aap bhi padh lo ha uske sath मनुस्मृति bhi padh lena
आप एक ऐसी पत्रकार हो कि कोई खोफ,भय या डर नही रखती,आपकीं पत्रतारिकता को नमन।🙏❤️🙏👍🙏...
Y jihalo ki reporter hii
Ye Akhilesh ji ki media hai.
@@princemishra5747ha ye brahman ke naam pr kalank hai
@@hcgey.yktggdv isko itihass ka knowledge nahi hai. Aur itihass pe gyan de rahi hai. Jodhabai naam ki koi biwi thi hi nahi. Lekin Bollywood dekh kar isne Akbar se jazia khatam bhi karwa dia. Isko anpadh gawar hone ka certificate milna chaihe.
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
सही यह है कि औरंगज़ेब एकं अच्छा योद्धा था। और भारत की सीमाओं के विद्रोह नष्ट किए।
Auragazeb conqured akandabharath totelly included maratha and rajputh coutries 💪think how much powerfull he was. Great legendery emporer 💪
औरंगजेब ने बचपन से ही सैनिक सेवा की थी। इसी कारण वह एक कुशल सेनानायक था, और कभी कोई युद्ध नहीं हारा।
हा तो अपने घर मे। इश्का तस्वीर लगा कर रोज़ पूजा करना और अपने बच्चो को इश्के जैशा बनना
@@chikuyadav3485 😂😂😂kahen bhadak rahe ho Bhai
@@monotheist1.0 भाई सिख और हिन्दू बच्चओ का सर काट कर अपने भालो मे लगाने वाले को प्रज्ञा फातिमा मैडम उसको हिन्दू का हितेषी हीरो बनाने पे तुली हे
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
Bhai you are Indian first' 🇮🇳 ❤
हकीकत बयान करने के लिए छोटी बहन सलाम
आदरणीय Mohdnaushadji 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
प्रज्ञा मिश्रा पहले यह तो बता तू उसकी पूजा करती क्या लाखों हिंदुओं को मरवाया हिंदुओं के ऊपर जजिया कर लगाया हिंदुओं को मुसलमान बनाया कोई पार्टी हिंदुओं की हित की बात नहीं करता मैं किसी पार्टी को उम्मीद नहीं करता चाहे कांग्रेस हो चाहे सपा को मैं खुद यादव हूं लेकिन किसी से समर्थन नहीं करता पार्टी का हिंदुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है सब ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीतिक खेल करके मुसलमान का साथ दिया है यह बात कांग्रेस सरकार ने 5000 ब्राह्मण को मरवाया था महात्मा गांधी की हत्या हुई
अब चुनाव होगा विकास पर औरंगजेब पर नहीं
Chunao toh bikwas par hoga magar.... secular party ka admi jitne ka bad Pakistan jindabad ka desh bakti bala nara vi lageyga.....😂😂😂
Gajab bro good job 👌👍
काश हर एक भारतीय के दिमाग़ मै यही बात आ जाएं तो सरकारें भी विकास ही करेंगी बजाए लोगो को लड़ाने के
@@SufiyaNaaz-l9u Good 👍 absolutely right
Good bro
Apna khayal rakhe Mam. You are real journalist.
सभी बातों का एक ही सार है कि मणिपुर के बाद अब महाराष्ट्र की बारी, दंगाई मानसिकता वाले जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं सावधान रहें इनसे।
DALAAL MODI NOUTANKI MODI KAPAT JHOOTA DHOKEBAAZ JUMLEBAAZ MODI KAATIL GOONDA AATANKI, PULVAAMA SAINIKONKA KO HATYAKAAND JAANBOOJKAR KARVAAYA MODI , BJP MODIBJP KO HATAO DESH BACHAO
आदरणीय Paarkhiji🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
सही कहा आपने
@@avadhutjoshi796 Bhai shab apko kis ne bola ki Jo BJP ko support karta hai bo he Hindu hai ...Baki jo other party'ko support karta hai bo Hindu Dharm ko nhi manta..
aurangzeb accha admi tha to Sikho ne bhi uske sath Jung kyu ki ?
Thoda dimag se socho ese log jo mugal ko promote karte unko jawab Dena aur Virodh karna zaroori kyu hai pahle ye toh jaan Lo paarkhi ji.
As a upsc history optional aspirant i know its completely true
well done prgya mam ❤❤❤
Upsc aspirant??
Yes 😊 happy 😊 Ramdan ❤️ u form ❤️❤️😊
Bhai as a upac aspirants you should also know that indian history isn't based on truth
Arengjeb ko axom kindam .haraya hai
lachit barphukan ke bare jaan loon
17 time haraya mugal ko
I am a Hindu but I respect Aurangzeb. Because he also did not do any casteism like Shivji. I respect Aurangzeb. Aurangzeb did what was right at that time which our Hindus of today cannot understand
Aurengzeb jo bhi thaa lekin usne India ko world me number one banaya tha
आदरणीय 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Respect the person who know humanity .....don't you know how aurangzeb brutally killed sambhaji maharaj
@@dipalishintre4572 Dipaliji! 🙏!
I do agree with you. However we have equal responsibility of changing this situation. What should we do?
I have one good idea for such problems. I am sharing it with you. Pl support it.
भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है।
हमारे देश में जब भी कोई इतिहास पर बात करता है तो विवाद में पड़ जाता है। एक नया मौखिक युद्ध शुरू होता है। हमारे देश में ऐसा क्यों है? इसलिए मैं आपको उपाय सहित इसके मूल कारण तक ले जा रहा हूं।
भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ ।
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
यह कैसे किया जाएगा?
1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा.
3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा।
4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा
5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय।
7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान
आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
You are right 👍
V good Masha allah
I am a history student and I can rightly say that the whole analysis is based on fact and figures. Thank You Pragya. You reveal some of the interesting facts which even I was not aware of.
😂 feeling sorry for U
You are reading Manipulated History
@@HindurashtraNayak Yes bcoz you wrote it.
Hai bahan tu hi history ki student hai baki to PhD wale chutiya the
The British historians twisted the truth of mediaeval history of India & assassinated the character of Muslim rullers of that period. Thanks Pragya for revealing the fact.
@@HindurashtraNayak😂
#मैं हिन्दू हूँ मुर्ख नहीं, बहुत हुआ हिंदू मुस्लिम, महामूर्ख व्यक्ति को क्या कहेंगे ?अगर वोट डालना है तो महंगाई और बेरोजगारी के नाम पर डालो Kabhi BJP ko vote mat dena.. aur kisi bhi party ko de dena..
Mai general caste se hu kisi party ko vote dena to durki baat hai mene aapna voter id card hi fek diya
General caste ke liye kisi party ne kuch Kiya hoto bata Dena ise mai vote dunga 🤷🤷🤷
Or rahi baat mahegai, berojgari ki to ise koi party khatam nahi kar sakti😂😂😂
@@kamina_hu_me_13 samj gya tum Mulla ho
Aman ab khtana BHI karawa lo Matalab lulli katawa lo
@@ravinwdkr Jay shree ram ❤️Jay mataji ❤️ Jay Dwarkadhish 💖
Aab iske aalava kaya kahu🤔🤔
तुम्हारे जैसे कुछ हिन्दुओ के कारण ही हिन्दु मुर्ख समझे जाते है।
इंसाफ़ पसंद बादशाह औरंगज़ेब आलमगीर भारतीय इतिहास की अज़ीम शख़्सियतों में सबसे आला मुक़ाम रखते हैं 😊
😂😂😂😂
@@Sarveshtiwari34 😂😂😂😂comedy Kar Rahe ho
Iumd fakir spotted
@@Ahaan-ro5zw jiske dar se aj bhi andhbhakto ki fatti hai
हजरत ओरंग जेब रहमतुल्लाह आले बहुत ही ईमानदार थे
Wah re convert putra ek lutere akaranta ko hazrat bana diya
सच्ची पत्रकारिता और सच्ची बात करने के लये आज़ के दौर मे बड़ी हिम्मत की बात है
🌹🌹🌹🌹🌹👍👍👍👍👍👌👌👌👌👌
😂😂😂😂😂😂
@@Missioncomplete-pc1ty kyA huwa Bhai has kyun rhee
आदरणीय shoilshaikhji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
बहन जी को बहुत बहुत धन्यावद,,,नफ़रत के माहौल में मोहब्वत कई हवा चलाने के लिए,,,फडणवीस की भाषा,,किसी राजनेता की तरह नही ,किसी गुंडे मवालियों की तरह है ,देश प्रेम ,मोहब्बत और भाई चारे से चलेगा,, हाँ अब वोट भी नफ़रत फैलाकर नही मिलेंगे,,देश के लोग आपस में मिलजुलकर ही रहना चाहते,,है,,
ACHHA TO GURU TEGH BAHADUR AUR CHHATRAPATI SAMBHAJI MAHARAJ KO DHOKHE SE AGWA KR KE KISNE MARA THA
@@IIMASPIRANT_24 wah gyani aya 😂😂😂
@@IIMASPIRANT_24 जो गुज़र गया उसे भूलों, क्या सही क्या गलत,,न तुम जानो न हम,, वर्तमान और भविष्य को बेहतर करने पर विश्वाश करो,,
आदरणीय ! 🙏
भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है।
भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ ।
कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं।
आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
यह कैसे किया जाएगा?
1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा.
3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा।
4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा
5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय।
7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान
आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
@@IIMASPIRANT_24 bhai I don't expect from her this she's really I don't want to use bad words for her really bad
औरंगजेब ऐसा बादशाह था जो खुदा के डर से थर्रा जाता था अपने धर्म के साथ दूसरों के धर्म की भी इज्जत करता था। ❤
आदरणीय Zainabkhanji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
🤫
Ryt
पुरानी ऐतिहासिक बातों का सहारा लेकर जो राजनीतिक पार्टी बहेस करवाती है उसे एहमियत देना ही गलत है आज के हालात पर कौन क्यों नहीं सोचता?
@@shahajanmulani9779 कैसे नहीं देंगे अहमियत? ईतनी मेजारीटी लेकर सत्तामें आये है. ऊस बातको भी तो सोचिये.
बहुत ही शानदार व्याख्या, तुलना, अर्थ और खुबसूरती से प्रस्तुत किया गया है 🎉
आज से ठीक सौ साल बाद जब इतिहास लिखा जाऐगा तो इस बात का जिक्र विशेष तौर पर होगा कि जब मोदी काल में गोदी मीडिया पूरी तरह बिकाऊ होकर तलवे चाट कर चाटुकारिता कर रहा था तो उस समय परगया मिश्रा जैसे महान लोग अपनी जान तली पर रखकर सच्ची पत्रकारिता कर रहे थे। मैडम जी आप की सच्ची पत्रकारिता को दिल से नमन ।
आदरणीय 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
आप खुद का खयाल रखिये देश को आप जैसे राष्ट्रभक्त , और ईमानदार पत्रकारों की जरूरत है।
नहीं 😂
आदरणीय Shortstories9547🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Bhai ye kaha se rastra bhakt ho gya ye to सपा bhakt hai
@@bhanugupta391 yes
बहुत ज्यादा ही ईमानदार है ये।
इतिहास को समझना आसान नहीं है और अंधभक्त तो जो भी वॉट्सएप्प यूनिवर्सिटी मे आता है उसको सच मान लेता है उसके दिमाग मे इतनी ताकत ही नहीं की इतिहास की सच्चाई क्या है समझ सके।
आपने बहुत अच्छे से बताया।
Maratho ne bend baja rakhi thi 😮 isko bata khud maratha mansudar kitne the Aurangzeb ke darbar me
Tu bata teri sena me kitne pakistani h. Vidrohiyo aur dushmano ko koi apni sena m nahi rakhta.
Mentos khao dimag ki batti jalao😂
आपने औरंगजेब पर बेहतरीन खुलासा किया है यही सच्चाई है आपके हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी
Tum sahi kere ho lekin a jo kuche bhas ha na ya andhbhakt in logo ko kon samjhaya ga😂😂😂 Itihas kiy ha .
@@dilshadahmad6166 abe chungooooo , andhbhakt 🙆😂
Mentosh tu kha👅 pajeet
Pakistan afganistan ye sab pahele hindustan me hi ata tha 🤷samza
Or hindustan ki shan mughal se hi badhi he aaj bhi hindustan Mughlo or musalmano ki banai hui chijo se hi itna femus he Taj mahel lal kila kutub minar dilli bengaluru agra surat ahmedabad heydara bad bade bade saher mughalo or muslim ne hi banae he chimkandi 😂🙆💁♈
Very very good discussion
कुछ लोग मामा को #मामू, चाचा को चच्चू कहते हैं,
वैसे ही कुछ लोग
पापा को #पप्पू कहते हैं।
😋(AndhBhakt) 😂
😂😂
बोला यार बोला
👍👍👍👍👍🇮🇳 💪 💪💪
😂😂😂😂😂😂😂😂
🤣🤣🤣🤣🤣
इतिहास की सच्चाई सामने ले आई कुछ की तो आंखें खुलेंगी
Hava main bate karne ka matlab itihas padhana nahin hota. Kya koi ek bhi tarikh, jagah sahit kuchh bat ki hain. Kya inhe pata bhi hain ki aurangjeb 1680 main dilli chhod kar Maharashtra main kyon aaya tha. Kya yeh bhi pata hain ki usane apni jindagi ka aham hissa - 27 sal aurangabad main bitaye voh bhi keval marathon se ladate huye uski jindagi yahin par khak ho gayi? Chhatrapati shivaji maharaj ki 1680 main mrityu ke bad usne marathon ko harana bada asan samjha tha lekin marathe voh hain jinhone use lagatar 27 sal tak keval unse ulzayen rakha. Baki to kuchh bhi soch nahin paya voh. Na hi vapis dilli ja paya. Aurangjeb ki agar asli history hain to voh keval aur keval marathon se hain. Usne shivaji maharaj ko agra ki kile main kaid karvaya tha, unke suptr chhatrpati sambhaji maharaj ki nrushyans hatya kar di. Baki to karname gine nahi jate. Aur fir use achha kam karne ki fursat kab mili?
प्रज्ञा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद!
आपने इतिहास न पढ़ने वाले लोगों को बहुत ही सराहनीय जानकारी दी है। औरंगजेब के बारे में अच्छी जानकारी दी है आपने बहुत बहुत आभार आपका!🎉🎉
आदरणीय Kamlesh Yadavji🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
बहन सच में आप एक बहुत अच्छी जानकारी और पटकर्ता करती हो। ईश्वर आपको और हिम्मत दे।
दख्खन जितने जब औरंगजेब आया था तब अफजल खान से डर के भाग गया था तुमहारा ओंरगजेब ईतना बाहादुर था😂😂😂लेकिन जब छत्रपती शिवाजी महाराज का अफजल खानसे सामना हूवा तब फाड दिया था शिवाजी महाराजने😂😂😂
सच में दिल से दुआ निकलती है आप जैसे ईमानदार पत्रकारों के लिए
दिल से सलाम प्रज्ञा जी
May Allah bless you Dost
आदरणीय 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Is jise patkare ko murda bade bolte he ok jai Shri ram 🚩🚩
@@sorabhr979 अंड भक्तों अंड भक्त इसी लिए कहा जाता है क्यू कि गोबर खार और मूत्र विसर्जन करके उनका दिमाग तो बिल्कुल खराब हो चुका है और कोई बात समझ नहीं आती क्या सही और क्या गलत, यही तो है अंड भक्त.
भाई ये पत्र कर जन्नत में होगी या जहन्नुम में जलेगी
Allah does not bless kaafir she is hindu born by halalaa
औरंगजेब ऐसे बादशाह थे जो अपनी मेहनत का खाते थे टोपी बुनाई करके न कि आज के नेताओं जैसे जनता का ख़ून पसीने की कमाई खातें हैं
😊sach kaha bhai aapne
Topi silakar apana kharcha chalane vale gulam vans ke sasak nasiruddin the jo ki balban ke damad the n ki aurangjeb ok bhai aur mandir devdasi pratha ki vjh se todte the muslim usame chhoti ladkiyo ka pandit sosad karate the 🥺🥺🥺🥺🥺🥺
@@ishikarao2577In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
सच्चाई की जानकारी देने के लिए धन्यवाद, प्रज्ञा बिटिया
Bhai sbko smjhna chahiye ke vote abhi ko dekh kr de ye chutiya party h jhut or sb jhut hi bolta h modi vote rozgar pe do or mahgai pe do Hindu Muslim bhai pahle bhi the aj bhi h aage bhi rahege
Great journalism mam ❤
मुगल का खौफ अभी भी आर एस एस बजरंग दल हिंदू विश्व परिषद और बीजेपी के दिल में कूट-कूट के भरा हुआ है जब रात में सोता होगा तो जरूर सपना देखता होगा कल यही मुगल पैदा तो नहीं हो जाएगा😂😂😂😂
तू मुग्ल है क्या.😂मा को पूछ😂😂😘
@@ramnathfunde7587 chup sale niyog vidhi se jalme
@@ramnathfunde7587 Tu hanuman bandr ka oulad ha ya siv ling ke ling ka oulad ha tu apni maa se puch tera papa kon ha abdul ya sivling 😆😆😆😆
Sach ko bolne ki takat sirf aap jese logo me h
Madam auranjeb ki deth ahmedabad me nahi ahmednagar maharatra me hui hai
Well explained. Pragya take care of yourself and get well soon. You are an important and commendable journalist for the country.❤
आदरणीय Rajanijaniji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Sharam ani chahiye apko itihas ka kuch nahip
@@shanuyok615 भाईसाब किसको शरम आनी चाहीये? और क्यों? थोडा विस्तारसे बताना तो समझने के लीये आसान होगा. 🙏. अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 @Rajani jani ye comment likhne Walen
@@shanuyok615 धन्यवाद
You are very good
Ama 49 sal me 17crore 64lakh brahmar ko mara jabki janta 15 crore socho aese musalman ko badnam karte hain
मेरे प्यारे दोस्तों आपके लिए एक विशेष जानकारी ये है कि औरंगजेब के ट्रेजरर (treasurer) जो है एक ब्राह्मण ता। उसका नाम चंद्रभान ब्राह्मण। अगर ब्राह्मण को विरोध करने वाला अपना कोषाधिकारी क्या ब्राह्मण रखेगा। ये तो सोंचने वाली बात है भाई 🙏
नेता को मालूम है कि जनता चाहती क्या है
मैं एक पत्रकार हूं, "यह हमारा नया न्यूज़ प्लेटफार्म है", आप सब के सहयोग की आवश्यकता है, हम सत्य के साथ हैं 🙏🙏 jai hind🙏🤲🙏
नेता को यह मालूम है कि आम जनता की नाक मे निकेल कैसे डालनी है, बस फिर जिस तरफ मर्ज़ी हांक ले
Mera man ki bat suno...?
Rahul Gandhi best leader
हा सही बोले पप्पू है गधा।
49 sal main 176 crore ,400,000 lakh itna to hamare desh ki Abadi nahin tha 😂😅😅😂😂😂
Sahi kha😂
17cr 64lac😅😅😅😅😅😂😂😂😂
Aor bhai sahab yh v to soch lo k aj musalmano par nas bandi lg rhi h to mugloo k tim hindu bhaioo pr itna zulm hone k bad bacche kaise paida ho rhe the aor abadi kitni rhi hogi
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@MohdUsman-mk1hr In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
Aurangzeb rahmtullah Bharat ke bahut acche Badshah the Aur unKe Jaisa Koi Bhi Nahin ho sakta Na Hoga❤
Chal haatt he was not Indian tum jaise gaddaro ki wajse hi yaise invader Bharat aye
Osama bin Laden aur isis ko apna khuda manne wale s kya hi bol skte hain....jinki maa behen beti ka rape krke use muslim banaya gya hai wahi aj aisi baat krte hain.....
Bahut acche badshah the to gagiya tax kyo lagaya apne Bhai Dara shikoh ko kyo mara aur ek baat sach kahi uske jaisa Raja sayad kabhi hoga bhi nahi
@@RaviPandey-w7v Tere Hindu Raja to apne hi mandiro se tax wasulte the aur itne gire hue the ki dalito ki aurto per stan per bhi tex laga rakha tha
@@CinemaHD123Tere Muslim raja itne acche the to hindustan kyu aaye jis desh se aye vahipe kyu nahi rhe
ऐसे नाज़ुक दौर में हक़ की आवाज़ है प्रज्ञा जी, God Bless You💚❤️
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Very nice
Jay Hind
Zabardast journalism...
Zabardast analysis...
Matchless Pragyaji🙏...
Delhi ki incident par vi report karne ko kaho ji.... Hasrat Mai jab hote hai toh pure din rote rehete hai....or Bihar ka jo pul gira uspar vi report karne ko kaho.... bro 😂😂
@@RoboRhythms198 Ha bhai ye sab pragya Chachi ke agende me fit nhi ho Raha isliye vo Delhi par video nahi bana sakti😊
@@sutharsahul5425 ehi toh bat hai.... Secularism ki name par ek side ka reporting karte hai magar hum hindu lok ise secularism man lete.... bolna hai toh dono side ka bolna chaiye....nehi bolte or dusro ko andhabhakat or godi media bolte hai bro... Magar kud piddi media hai...ar sabse bara andhabhakat hai....😂😂😂
Waah madam, PM Modi ke against bolte bolte Aurangzeb ki taarif bhi shuru kar di. Cheap juornalism mam. Kya Ye Rahul Gandhi 30rs. Petrol bikwaenge ya LPG price 250rs. Per cylinder ho jaaega. Satya par patrakarita karo anti BJP nai.
@@RoboRhythms198 you are right
delhi ke incident pr bhi report kariye..
...Or ek pujaari jiski already ek biwi thi usne apni gf ka murder kiya usko pregnant karke ...uspar bhi vedio banni chaiye
....or ek hindu ladke mumbai me hindu ladki ko kaatkar ubaal diya uspar bhii banni chaiye
अब चुनाव शिक्षा, बेरोजगारी, विकास पर होगा, नकी किसी जाति, धर्म भाषा में ❤
कोई जन्म से इंसान अच्छा बुरा नहीं होता हर आदमी अपने किरदार से ही भला बुरा कहलाता है
KON KON 2024 MAIN BJP SARKAR GIRANA CHAHTA HAI...
AUR PURE INDIA SE KON KON BJP KO KHATAM KARNA CHAHTA HAI ...
🎉🎉✨✨❤️🙏🇮🇳🙏❤️✨✨🎉🎉
Jo log desh ki bala cahte hy, apni baccho ki ujjal bhabiswa k liye sochte hy... Desh pe sirf piyar mohabbat ki baat karte hy..
Sirf wohi log hi bjp ko hatana cahte hy.. jis tara karnatak pe abam ne bjp ko saaf kar diya
Koi nhi .. mulle
Kuch neta or kuch pattarkar .modi ko harana chanhti hai
Janta to modi ke sath hai
.
Tum girane ki baat kar rahe ho
2024 mein bahut bada surprise hone wala hai.
Modi ki jagah Yogi ko pm
Tab kya karoge Rahul mulle bhaijaan.
Bahut bada sadma lagega
😂😂😂😂
Kya iska matlab hame congress ko jitana to nahi na 😁....hame koi thisra option dundna hoga jo india ko sahi mahine me grow karega....
कौन कौन मानता है दोस्तों जब तक के चुनाव में हिंदू मुस्लिम नहीं होता तब तक के इलेक्शन लड़ने में मजा ही नहीं आता❤
Hindu-Muslim ki rajniti khatam honi chahiye ......
अब नही होगा मेरे दोस्त,सब जीना चाहते है,,वह भी सुकून से शांति से,,सबको चाहिए कि देश में आपसी सद्भावना पैदा करे,,
Y katwa krta hii
ye rondi kha se aa gai
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
राणासांगा के 28 #पत्नियां थी,
राणासांगा के बेटे उदय सिंह के 22 पत्नियां और पोते #महाराणा प्रताप के 14 पत्नियां थी
लेकिन #अय्याश अकेला शाहजहां था!!!🎅
👏👏
Kya khoob kaha 👏👍👌👍
Correct
Right bro 👍
@@mohdkhaleel8455 In Mughal era Hindu princess would happily marry Muslim rulers but today Muslim husband and Hindu wife is seen derogatory whereas it has always been the culture of the Sanatanis to marry at least one girl of the family in the Muslim fold and this is how Islam spread, today Hindus have forgotten their own culture.
नमन औरंगजेब & your पत्रकारिता
आपने औरंगजेब बादशाह के बारे में जो सत्य पर आधारित जानकारी प्रस्तुत की है, इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
मेरा लैंड बादशाह था
Kya tumhara baap aurangzeb hai
آپ نے تاریخی حقائق بہت اچھے سے بتائی ہے بہت خوب
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
प्रज्ञा जी आपको कोटि कोटि धन्यवाद आपने बहुत अच्छी जानकारी दी लेकिन आज एक विशेष पार्टी इस पर झूठ फैलाकर सत्ता का सुख भोगना चाहती है
बहुत अच्छा प्रज्ञा मैडम, keep up with the good work! God Bless!
आदरणीय🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
टुकड़े टुकड़े गेंग के पपु मीडिया का एक ही काम ठगबंधन की चमचागिरी से पैसे कमाओ
Great and imandar reporting ....salute u Pragya....
Jo kuch nahi jannta sirf one side dekhta hai wahi ea bolta hai. Humara target hai BJP ko hatana eska matlab ea nahi ki sach ko jhut sabit karne main lage rahe💀💀
@@deepakmanna7128.... Bhai Sach kiya hain aap batav please ❤❤❤❤❤❤❤❤....
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
मैं एक पत्रकार हूं, "यह हमारा नया न्यूज़ प्लेटफार्म है", आप सब के सहयोग की आवश्यकता है, हम सत्य के साथ हैं 🙏 jai hind🙏🙏🤲
Karnataka me hue chunav pr is bar jo Pakistan jindabad ka nara laga hai us per video banawo
@@DUST175 मैंने देखा वो वीडियो और उस में तुम सबसे आगे खड़े हो और पूरे हाथ ऊपर करके नारे पाकिस्तान के हक में लगा रहे हो क्या ये सच नहीं है 😂😂😂😂😂
Sachai sun k tumhare pichhwade me jalan hui n😁😁😁
Very Good Infoarmation
महिला पत्रकार में सबसे अधिक पसंदीदा आप हो जो निस्पक्छ पत्रिकता करती है साथ में महंगाई ,बेरोजगारी ,देश में हो रहे कार्पसन पे आवाज और,सविधान को रौंदने वाले को उजागर करती रहती है , सलाम है आप को जो बिना डरे बिना थके हम सब को अहम जानकारी उपलब्ध कराती रहती है।
जाएगी ये भी जन्नत नही। इस्लाम अपना ले बुर्का पहन लें और घर मे रहे वहाँ से पट्टलकरिता करे जन्नत मिलेगी।
@@elsalvadorthesaviour5021 झूठ बोलना दूसरे धर्म को नीचा दिखाना ,ये सनातन धर्म का परिभाषा नहीं, अगर इसी तरह चलता रहा तो एक दिन हिंदू धर्म भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा या तो कोई बौद्धिक विचार धारा में जाएगा या मुस्लिम में ,हिंदू धर्म आप जैसे लोगो के वजह से एक गाली बन कर रह जाएगा।
@@abdulwadood6183 धर्म? कौन सा? मज़हब बोल भाई। और इस मजहब की बुराई कोई करता भी नही। तुम सोशल मीडिया पे इतना ज्ञान बाटते हो और तुम्हारा ही कोई सगा वाला ओला उबेर कह के फट जाता है निर्दोषों को मार देता है।
सनातन धर्म को तुम सब पिछले 1300 साल से खत्म करना चाहते हो खुद खत्म होगये। 3 हिस्सो में बट गए। आज जिस हिस्से में सबसे शांति से हो वही के खिलाफ गद्दारी करते रहते हो।
@@abdulwadood6183 और कौन गाली है और कौन नही? इसकी जांच करनी है तो किसी भी विकसित देश के एयरपोर्ट पे ओला उबेर और जय श्री राम बोल के देख ले।
बाकी नबी के परिवार को कर्बला में मारने वाले कहते है कि गाली बन गया है। अरे अपने मजहब को देख।
@@abdulwadood6183 बाकी जवाब दे मिलेगा इस लडक़ी को जन्नत? और ये काफिर है या नही?
During Aurangzeb ruling period gdp of india was 24,and he was the only ruler who doesn't take a single rupee from gov. treasure, by selling topi and writing quran he runs his livelihood
👍 भाई आपने सच कहा ,पर जहा की जनता ही यही चाहती है तो सरकार भी यही करेगी 🙏बाकी आप खुद समझदार है
Who estimated the GDP than...
जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
@@Xyzmdgakwndod Bhai sab tumhari tarah jahil nahi the.. padhe likhe the us time me bhi
GDP 24 THI YEH KAHA KI REPORT HAI 😂🤣😂😂 WHATS APP UNIVERSITY SEY
Aapki sachhi patrakarita ke liye AAPKO tahe dil se DHANYAVAD
Thanks madam, explain over facts
जबरदस्त पत्रकारिता इमानदार पत्रकारिता प्रज्ञा मिश्रा जी को 🙏🙏🙏❤️❤️💐
Log isko patrakaar kah rahe h, thuuuuuuuu h unke gyan pr
Gb रोड की है पत्रकार 🤣😂😅
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@Devendras5555 😂😂
धर्म के नाम पर कब तक सत्ता की मलाई खाते रहेंगे। अंत तो होगा ही ।
वाह प्रज्ञा जी अतिउत्तम ज्ञान के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , बीजेपी के अंधों की आखें खोलने का काम किया है अगर इस ज्ञान को थोड़ा कुछ समझ आने पर इन अंधभक्तों का भविष्य बन जावेगी
आदरणीय Roopnarayansinghji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
😂😂😂😂
@@avadhutjoshi796 andhabhakt ho tum
@@shamshoddinshaikh247 मैं अंधभक्त नहीं हूं. मैं भारत का अकेला ईन्सान हूं जिसकी आंखे खुली है. और मैं किसीभी व्यक्ती का भक्त नहीं हूं...बस भगवान की भक्ती करता हूं.
Thank you for telling history as per records 🎉🎉🎉
औरंगज़ेब अलरहमा पर अल्लाह की
सलामती हो 😊
ऐसी पत्रकारिता को निरंतर जारी रखना मैम
निडर पत्रकारिता को दिल से धन्यवाद।
Bilkul dubne m smay nhi lgega 😂😂😂
प्रज्ञा जी आपके इस सच्ची पत्रकारिता को मेरा सलाम, आप ऐसे ही अपनी पत्रकारिता जारी रखें, ईश्वर से आपके लंबी उम्र की कामना करता हूँ I और ईश्वर का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जो उन्होंने आप जैसा पत्रकार पैदा किया जो हमेशा लोगों को सचचाई बताने की कोशिश करती हैं I
Aurangzeb ki najayaz aulad itni sacchai lag rahi hai tuze isme chutiye us Aurangzeb ne baccho tak Ko nahi chhoda tha Guru Gobind Singh ji ke
Gadhe history padh school se madrase se nahi
Ase hi jari rakhe. Abhi hath tuta he Inka aage pata ni kya or tutega
आदरणीय amjadnoorji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@anujtripathi6019सही कहा.😅😂❤
Amazing discussion didi
Mashaallah.......all you said about Aurangzeb Alamgir are true, you are unbiased❤. At last you said yeh Ladne ka vishay nahi Padhne ka vishay hai was just Wowww. You are a true Indian.
I support all Mughals except Aurangzeb. He treated his father badly. Not considering how he treated Hindus.
bcoz his father was wasting too much money in makin monuments like black Taj mahal, Aurangzeb was very honest and he did not want his kingdom's money being wasted on monuments and so he arrested his father @@BengaliManfromWB
@@jeeaspirant_0083 Aurangzeb did not even give water to his father during his last days. Is this the way someone treats his parents?
Aurangzeb Alamgir Rahmatullah taala alaihi was a great emperor and great leader 🌹🌹🌹🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आदरणीय 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 bat Aapki Thik hai👍👍👍...magar jahan tak Maine padha hai Aurangzeb ak achhe Insan the
@@ishtiyakaluminium धन्यवाद सर. हमारे देशमें ईतिहास का बहुत जादा राजनितीकरण हो गया है. एक स्कूल या कॉलेज का विषय एक राजकीय हथीयार बना है. मैं आपकी बात का विरोध नहीं कर रहा. औरंगजेब अच्छा था या बुरा. ऊसके कर्म करके दुनिया छोड चुका है. उसका आज हमारी जिंदगीसे कोई नाता.... कमसे कम विवाद के रुपमें तो होना नहीं चाहीये. और हिंदू हो या मुस्लिम औरंगजेब ईतिहास का एक महत्वपूर्ण किरदार है. ऊसे ईतिहास के दायरेमें सिमीत होना चाहीये. पर भारत में स्थीति विचित्र है. अरे भाईसाब... भारतपर कुछ शतक मुस्लिम राज रहा. फीर 150 साल अंग्रेजी. फीर जो हिंदु प्रधानमंत्री बना वहभी देशद्रोही होने की बात होती है..... तो आप औरंगजेब की बात सोचे की कीस हदतक बाते हो सकती है. इसलीये तो मैं ईतिहास के संदर्भमें भारत मुर्ख देश है ऐसा कहता हूं. और ईस स्थितीस हमेशा के लीये समाधान की बात कर रहा हूं. और सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करना चाहता हूं. आप देशव्यापी चर्चा कि बात लोगोंसेभी साझा करना और समर्थन करना ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी
कमाने की सबसे #बेहतरीन #चीज़ "इज़्ज़त" है,
और ख़र्च करने की सबसे #बेहतरीन #चीज़ "इल्म" है,
Zabardast
मॅडम आप को सुने मे हमे अच्छा लगता है 🙏🙏आप शेरनी आहे.हाम मराठा आपके साथ हैं जय महाराष्ट्र 🚩
Kabhi bhi kisi Neta ke pahnana Bano Neta To Har Dharm ko ladwate Hain kya Shivaji ke sath musalmanon Ne yuddh Nahin sath mein Lada
Shivaji ke sath kitne musalmanon Ne Aurangzeb se Lada aur kitne hi musalmanon ne apni Jaan Di Panipat ki yuddh mein Ham kahan kar diya aapka Sansar Mein Lade
Masha allah good analysis pragya ji❤
😢❤🎉 1:59
Jo kuch nahi jannta sirf one side dekhta hai wahi ea bolta hai. Humara target hai BJP ko hatana eska matlab ea nahi ki sach ko jhut sabit karne main lage rahe💀💀
आदरणीय Yasmenbanoji 🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
प्रज्ञा मैडम हाथ में चोट कैसे लग गई? आपकी सच्ची पत्रकारिता के फैन हैं हम
सच्चाई बात करने के लिए आप ही में ताकत है आप गोदी मिडिया जैसी अंधभक्त नहीं है आपको हजार बार सेल्यूट मेरा प्रज्ञा मैडम जी❤❤❤❤
प्रज्ञा जी आप की सच्ची इमानदार पत्रकारिता को मैं सेल्यूट करता हूं।
आपके हाथ में चोट लग गई है क्या किस वजह से
जयभीम जयजोहार जयसंविधान
❤❤❤❤
प्रज्ञा,जी आपने मुगल काल का अच्छा विश्लेषण किया है,,औरंगज़ेब ने मंदिरों को दरगाह को भी ज़मीन ज़ायदाद भी खूब दी हैं,, ब्रह्ममण को सम्मानित किया,,सबके सनद दी,,
Hahaha wah re mullo
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला विषय है। जब भी कोई इतिहास पर बात करेगा, तो कई लोग उसे झूठा ही कहेंगे। ऐसी स्थिति क्यों है? यह हिंदू धर्म के संदर्भ में विरोधाभासी स्वीकृति के कारण है। एक तरफ हजारों लोग हिंदू धर्म को एक महान धर्म मानते हैं। दूसरी ओर, हजारों लोग हिंदू धर्म को सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। इस विरोधाभास ने हमारे इतिहास को प्रभावित किया है।
भारत में इतिहास के कितने संस्करण हैं। ये संस्करण जाति या धर्म या राजनीतिक दल की सुविधा पर आधारित हैं। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र बना दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा।
भाजपा के करोड़ों समर्थक हिंदू धर्म को महान धर्म मानते हैं। करोड़ों डॉ अंबेडकर समर्थक हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते हैं। क्या यह हमारे देश के लिए एक स्वस्थ संकेत है?
आपके और मेरे जैसे सच्चे देशभक्त व्यक्ति की भूमिका क्या होगी? हमें इतिहास पर एकमत चाहिए। ऐसी मूलभूत बात का हम समाधान नहीं कर सकते और हम अपने को विश्वगुरु होने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात
क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Aur kashi vishwanath mandir ko bhi toda
Aurangzeb is truly kind hearted king, During his rule he never differentiate any religion. I appreciate prigya Mishra Madam truth can't be hidden. 🙏🙏
Differentiate nhi karta tha sabki bajata tha
ABB HINDUO KO MAARNE WALA KIND HEARTED HO GYA😡😡
Logonko aurangZeb ki histry sahi maano me nahi maaloom pl jaanne ki koshish karen thanks
@@IIMASPIRANT_24
TO TERE PURWAJ KAISA BACH GAYE.
MUGHLO KI TALWAR K AAGE APNI SALWAR KHOL DI THI KYA TERE PURWAJO NE. 😠😠
@@uniquefact5633 TERE PURWAJ NE KHOL DI THIDARR KE MAARE.... TABHI TU AAURANGZEB KO GLORIFY KR RHA HAI....
AUR GURU TEGH BAHADUR SINGH JI KO MAARNE WALA, GURU GOVIND SINGH JI KE PUTRO KO MARWANE WALA, CHHATRAPATI SAMBHAJI MAHARAJ KO DHOKHE SE AGWA KR KE MAARNE WAKA KAYAR AAURANGZEB KO BOLNE PAR TERE PICHHWADE ME AAG KYU LAG GYA... 😡😡😡😡😡
MERE PURWAJ LADE THE DAT KE TABHI ME AAJ HINDU HU...BOL PAA RHA HU YAHA...SAMJHAA
Thanks sister
पत्रकार महोदय आपकी सच्ची पत्रकारिता ने भगवाधारी अंध भक्तों के पिछवाड़े में आग लगा दिया है बिना पेट्रोल-डीजल डाले पत्रकार महोदय आप ऐसे ही सच्ची पत्रकारिता करते रहे जनता आपके साथ मजबूती से खड़ी रहेगी
Andh bhakt hi kyon Safedhadi Andhnamazi bhi ho sakta hein
Thanks a lot for fearless analysis, it will help to understand youth the real chronology of today's HINDU MUSLIM POLITICS. MOST OF HINDU MUSLIM DON'T WANT ANY CONFLICT AND LIVE WITH PEACE AND HARMONY
आदरणीय Riyazsir🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796 ... Highly appreciable.
They control the information, controlling the whole country. They purchased every pen and paper, body and soul. I tried my best to change the people, at the end of the day I don't speak or read much.
Kaun sa mandir Aurangzeb ne banwaya jara batana. Hume bhi dekhna hai kitna jhootha itihas bataya jata hai.
@@Dave_en Wo bata rahi hai 6:42 pey, past ko lekar hi lada rahey hai, present ka game ho chuka, future ki ummed kya hai bhai. har din bahut mehnat karkey survival ho raha hai kabhi nahi hota.
@@saintinthedevil agar past ko bury karna hai toh kyu aurangzeb ko laa kar hinduo ke jakhmo pe namak chidka jata hai? kyu Akbar ko hinduo ka jeeja bola jata hai jabki bahut saare hindu raja muslim shehjadiyo se shaadi kiya.
Ek haath se taali nhi bajti. Agar ye bolenge ki humne tum par 800 saal raaj kiya toh humlog bhi muslimo ke atyacharo ki baat karenge.
Koi mandir nhi banwaya mughalo ne, bas narrative banaya jaa raha hai. Toda hai, todna hi aata hai.
क्या बात है प्रज्ञा जी दिल बाग बाग हो गया यही हक़ीक़त है ❤❤❤❤❤
आदरणीय Waseem Ahmedji🙏!
औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा यह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। आज का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है- एक राष्ट्र के रूप में भारतीय बुद्धिमान हैं या मूर्ख? उत्तर सरल है।
जहाँ तक इतिहास का संबंध है, भारत एक मूर्ख राष्ट्र है।
क्यों- सभी इतिहास, जाति/धर्म संबंधी विवादों का मूल कारण हिंदू धर्म पर विरोधाभास की स्वीकृति है।
1947 में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हिंदू धर्म पर बहुत गंभीर विवाद हुआ। पारंपरिक हिंदू हिंदू धर्म के पक्ष में थे और डॉ. अंबेडकरजी, पेरियारजी, महात्मा फुलेजी जैसे समाज सुधारकों का हिंदू धर्म के बारे में बिल्कुल विपरीत विचार था। वे हिंदू धर्म को एक सड़ा हुआ धर्म मानते थे। अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए उस दौर की हिंदू पार्टी, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने हिंदू धर्मपर एक पवित्र समझौता किया और इस तरह एक विरोधाभास अस्तित्व में आया।
इससे बाहर आने का आदर्श तरीका क्या है? इस स्थिति से बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका सच्चाई का पता लगाना है। यदि हिंदू धर्म अन्य सभी धर्मों की तरह है, तो हमें एक सुधार करना चाहिए। यदि हिंदू धर्म एक सड़ा हुआ धर्म है, तो हमें हिंदू धर्म का महिमामंडन बंद करना चाहिए।
लेकिन इस मुद्दे को अकादमिक तरीके से संभालने के बजाय, हमारे देश ने एक राजनीतिक तरीका चुना। आज इतिहास राजनीतिक सफलता प्राप्त करने का एक प्रमुख राजनीतिक उपकरण बन गया है। राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी पार्टी, जाति या धर्म के अनुकूल इतिहास के उपयुक्त संस्करणों को बढ़ावा दिया है। और इसलिए पूरी तरह अराजकता है। भारत ने इतिहास के संदर्भ में विश्वमूर्ख का दर्जा प्राप्त किया है।
हकीकत यह है कि हम मूर्खता में विश्वगुरु हैं।
तो सवाल यह नहीं है कि कोई औरंगजेब एक अच्छा राजा था या बुरा राजा? वह मुख्य बात नहीं है।
क्या इसे बदलना संभव है?
आपके और मेरे बारे में मुख्य बात- क्या हम बौद्धिक, बुद्धिमान और तर्कसंगत व्यक्ति हैं? आज जवाब है कि हम एक मूर्ख राष्ट्र के नागरिक हैं। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमें खुद को बुद्धिमान, शिक्षित और समझदार व्यक्ति साबित करना होगा।
मैंने सत्य की खोज के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
मई 2022 तक, मैंने इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा आयोजित करने का अवसर देने के लिए सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ की हैं।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इस पर विचार करें और राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। बुद्धिमान राष्ट्र का नागरिक होने का सम्मान प्राप्त करें, मूर्ख नहीं।
अवधूत जोशी
Thanks madam,true information
अंग्रेजो के जमाने में कही क्रांतिकारी हुए । पर आज के क्रांतिकारी लोगोमे से है ,, प्रज्ञा मैडम ,, जो भारत को बचाने में लगी हुई है। सारे खतरे उठाके ,, सलाम आपकी देश भक्ति को । ग्रेट जॉब,,,,जय हिंद
His commander in chief was Hindu.But Hindus of maharashtra are bound to reject bjp like Hindus of karnataka
But this fact will be hidden by the political leaders to keep andh bhakts to keep them hating one community to win elections!
Those who sold their daughters to mugals for power can't be Hindus. They had hindu name but converted moozlim
@@mr.amitbhatt3176 जब भी कोई नालायक भाजपायी ये कहता है की मन्दिरों को तोर्ड्कर मस्जिदें बनाई गई तो तुरंत अंधभक्तो के गोबर दिमाग में ये climex बन जाता है की कैसे तोर्डा होगा? जैसे मानो, मुघ्ल अपने घोर्डे लेकर जबर्दस्ती मन्दिरों में घुस जाते हैं और मन्दिर के पुजारी पण्डितो के सर काट देते हैं महिलाओ का बलात्कार करते हैं,,ऐसे विचार आते ही तुरंत एक अंधभक्त अपने पर्डॉसे मैं रहने वाले सलीम को भी नफरत की नज़र से देखने लगता है । पर सच आधा अधूरा है,जो शायद ये हरामखोर संघी कभी बताएँगे नही ,एक समय ऐसा था जब भारत में बहुत सी मन्दिरे हुआ करती थी। और लोगो की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी इसलिये लोग के लिए सारी मन्दिरो की देख भाल करना शायद उतना सम्भव नही था । उस समय लोगो को घर, जगह,जमीन, मन्दिर इसका महत्व पता ही नही था। और ठीक से देखभाल ना होने के कारण कई मन्दिर,घर,,हवेली,, बहुत पुरानी होजाती थी बहुत से मन्दिरो मैं लोगो का आना जाना भी बहुत कम होगया था। बहुत सी मन्दिरे तो ऐसीए थी जहा कोई आता जाता भी नही था । देखते देखते कई मन्दिरे खंडरो का रुप ले चुकी थी ।ऐसे खंडर मन्दिरो के पास से तो अक्सर लोग आने जाने से भी डरते थे ।लोगो मैं विब्भिन धारणायें बन चुकी थी जैसे मन्दिरो का श्रापित होना,,मन्दिर मैं देवी का प्रकोप होना,,भुत पिशाच का होना,,पर विदेशी मुसलमान चाहे लोदी हो,,या खिलजी हो,,या मुघल हो,,जो भी हो वो इन सब बातो पर विश्वास नही करते थे वो जब कभी ऐसे रास्तो से गुजरते तो अक्सर ऐसी ही जगो पर अपने घोर्डे बान्कर वहा विश्राम किया करते थे । और उन मैं कोई नमाज़ि होता तो वो वहीं थोर्डा साफ सफाई करके नमाज पर्ड लिया करता था। अब जब मुसलमानो ने देखा की ये जगह उन्के बहुत काम आरही है और कोई इस जगह पर अपना दावा भी नही कर रहा किसी हिन्दू को कुच पडी ही नही है तो उन्होँने अपनी सुविधा उनुसार उस मन्दिर के खंडर को मस्जीद मैं परिवर्तित कर लिया।आज जब उनकी मस्जीदे आबाद होगई,,मस्जीद में और आस पास में आना जाना शिरू होगया।आस पास मैं घर और बाज़ार बन गए विदेसी परेटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई मस्जीदे तो इन संघीयो के पेट में दर्द होने लगा नजाने कोन कोन से भगवान मस्जीदो मैं पैदा होने लगे।सच यही है कि कोई भी मस्जीद मन्दिर को जबर्दस्ती तोर्ड्कर नही बनाई गई ये सब बकवास है और नाही किसी हिन्दू की जबरदस्ती हत्या की गई और ना ही उनका धर्म परिवर्तन किया गया। ये केवल और केवल देश के बहुसम्पयक समुदाय के लोगो को मूर्ख बनाकर उनका वोट बटोरने की योजना है।
@@mr.amitbhatt3176 Ap ek cert. banwa lo uski copy batte jana jo lage hindu hai usko 😂😂😂
British had so many Muslims officers in British Army and many Muslims kings were in coaletion with british does that mean British were pro Muslims ?
प्रज्ञा जी अपने orengzeb के बारे में सही जानकारी दी मुगल बादशाह ने मंदिर saray, बनवाया, धरम गुरुओ का सम्मान करते थे
अच्छा तवी सभी मंदिर के ऊपर gummat रहता था और सिख और हिन्दू को हलवा पूड़ी खिलाया करता था छी कैसा शर्मा हो अपने बच्चू को मुगलो पे होवे अत्याचार को बताना कि कैसे मस्जिद तोड़ कर मंदिर बनाया
Great, Very daring truth speaker. There are still true heart and justice loving people like you. God Bless you.
Thank you प्रज्ञा जी
जब व्यक्ति अपने दिमाग से सोचना बंद कर देता है तब ही अंध भक्त बनता है
Karnataka चुनाव मे बजरंग बली ने साथ नही दिया इसलिए अब औरंगजेब मे आस्था बढ़ गयी है संघियों की😉
*जब अंतरिक्ष 🌒 में भेजे गये यान को पृथ्वी से कन्ट्रोल किया जा सकता है*
तो *#EVM* कौन से खेत की मूली है भाई 🙄🤷*
EVM हटाओ देश बचाओ.
love from Bangladesh,,, for your true discussion ❤🇧🇩
दिल से सलाम है बहन जी सच्चाई से आगाह कराने के लिए
कौन कौन चाहता है 2024 में राहुल गांधी जी प्रधानमंत्री बने
Koi ni cahta
Na Gandhi na modhi na yogi. Agar pm chaiye to sirf saccha bharatiya desh ki janta bhukhi berojgar hai. Modhi Gandhi yogi. Sabke sab saale chor hai.....Jay hind Jay bharat
@@chikuyadav3485 .
Chiku bhai ❤❤❤❤
Jai hind
Jai bharat
Bharat mata ki Jai
Vande Mataram
कोई नहीं😂😂😂
सत्य को आज स्थान नही है। आप सत्य के साथ है।साधुवाद
मुगल आक्रांता थे अंग्रेज धर्मात्मा थे .
मुगल अत्याचारी थे अंग्रेज परोपकारी थे
मुगल विदेशी थे .अंग्रेज अखंड भारत में जन्में थे.मुगल धन सम्पत्ति ले गये .अंग्रेज धन.सम्पत्ति छोड़ गये 😊
प्रज्ञा दीदी आप इतिहास बहुत अच्छा से समझाती है।
Thanks 👍