अब जाग देखो सुख जागनी, ए सुख सोहागिन जोग ।। बोबी जी द्वारा सुन्दर वाणी गायन

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
  • १. अब जाग देखो सुख जागनी, ए सुख सोहागिन जोग। तीन लीला चौथी घर की, इन चारों को यामे भोग।।
    २. अब दुख न देऊं फूल पांखड़ी, देखूं सीतल नैन। उपजाऊं सुख सब अंगों, बोलाऊं मीठे बैन।।
    ३. प्रीतम मेरे प्राण के, अंगना मन कलपे खेल देखते, आतम नूर। सो ए दुख करूं सब दूर।।
    ४. लागोगे जो दुख को, तो दुख याद करो जो निज सुख, तो दुख तुमको लागसी। तुमचें भागसी।।
    ५. तारतम का बल कोई न जाने, मूल सरूप के चित्त की बातें, एक जाने मूल सरूप। तारतम में कई रूप।।
    ६. इन्द्रावती के मैं अंगे संगे, जो अंग सौंपे इंद्रावती को, इंद्रावती मेरा अंग। ताए प्रेमें खेलाऊं रंग।। कलस हिन्दुस्तानी-प्रकरण-२३
    श्री प्राणनाथ जी मन्दिर,गुरुग्राम,जनवरी महीने का कार्यक्रम
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