HIMALAYAN HIGHWAYS| Kaubeshwar Mahadev's village Kaub | part 01| UTTARAKHAND| CHAMOLI| NARAYANBAGAD

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  • เผยแพร่เมื่อ 26 ส.ค. 2024
  • कौबेश्वर महादेव का गांव कौब | पार्ट वन
    हिमालय की वादियों में बसा एक ऐसा गांव जिसका श्रृंगार खुद देवताओ ने किया हो, जिसकी जमीन अन्न जल से परिपूर्ण हो और जिसके खेतों में लहलहाती फसल की महक पूरे वातावरण को महकाती हो जी हां किताबों में जिस देवभूमि का जिक्र आपने सुना होगा वह ऐसी ही होती है। हिमालयन हाइवेज आज के इस एपिसोड में आपको ऐसे ही एक गांव की तस्वीर दिखाने जा रहा हैं जिसकी जमीन को देवताओं ने अपने रहने के लिए चुना, जहां पारम्परिक जागर ओर लोकगीत जैसे गहने बिखरे पड़े हो, जहां लोगों के जीवन मे उल्लास नजर आता हो। उत्तराखण्ड के चमोली जनपद स्थित नारायणबगड़ विकासखण्ड का गांव कौब । जी हां आज हम आपको कौब गांव के ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन से रूबरू करवाने जा रहे है। कौब गांव को कोबेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है लेकिन इस गांव की एक पहचान यहां के कालनाथ भैरव नमडु बाबा से भी है। नमडु बाबा को लेकर गांव के हर व्यक्ति के मन में अथाह श्रद्धा रहती है। नमडु बाबा का इतिहास सदियो पुराना है और यह काफी विस्तारित है। स्थानीय लोगो के मुताबिक नमडु बाबा कौब में उस वक्त आये थे जब उत्तराखण्ड के इस क्षेत्र में नेपाली गौरखा राजाओ का शासन हुए करता था। दो स्थानीय कन्याओं को बंधक बनाने के बाद पीड़ित परिवार ने जोशीमठ से आगे जाकर एक गुरु से भैरव को लिया था जिसके बाद भैरव ने कौब आकर दोनों कन्याओं को मुक्त कराया था |
    कौब गांव में कोबेश्वर महादेव का मंदिर भी स्थापित है। महादेव के कौब पहुंचने ओर यहां उनके स्थापित होने को लेकर भी धार्मिक मान्यताएं है । सदियो से चली आ रही परम्पराएँ ओर मान्यताए आज भी वैसे ही मानी जाती है जैसे पहले हुआ करती थी। महादेव कोबेश्वर को लेकर कौब ग्रामसभा में शामिल छह गांवो को अलग अलग जिम्मेदारियां दी गयी है जिनका पालन आज भी हो रहा है। गांव में अलग अलग जगहों पर मन्दिर और अन्य देवताओं के भी धार्मिक स्थल है जिन पर हर साल पूजा के कार्यक्रम होते है। कौब गांव ऊंचाई पर स्थित होने के चलते यहां से दूर तक ऊंची ऊंची पहाड़ियां ओर स्थानीय गांवो की लंबी श्रंखलाएँ नजर आती है। पिंडर नदी के किनारे बसे आबादी वाले क्षेत्र यहां से मनमोहक नजर आते है। कौब ग्राम सभा के छह गांवो की उपजाऊ जमीन हर साल स्थानीय जरूरत से ज्यादा अन्न उगाती है। धान यहां सबसे ज्यादा उगने वाली फसल है इसके साथ ही गेंहू, दालें चौलाई ओर आलू भी स्थनीय लोग उगाते है। गनव में बड़ी संख्या में मौसमी फल और सब्जियां भी पैदा होती है। सड़क मार्ग से जुड़ने के बाद कौब पहुंचना आसान हुआ है लेकिन सड़क का सफर अभी इसके सभी छह गांवो तक नही है। हिमालयी गांवो की तरह स्वास्थ्य सुविधा का अभाव यहां ग्रामीणों को झेलना पड़ता है जिसकी वजह से गांव से पलायन भी बड़ी संख्या में हुआ है।
    कौब गांव के इस एपिसोड में आज इतना ही कल कौब गांव के दूसरे एपिसोड में हम आपके लिए लेकर आएंगे इस गांव की कुछ और तस्वीरें। हमारे दूसरे एपिसोड में देखिए स्थनीय महिला भागा देवी की सुरीली आवाज में पांडव लीला की प्रस्तुति......
    साथ ही अगले एपिसोड में हम आपकी मुलाकात कराएंगे कौब के रहने वाले प्रेम सती से जो जत्तराखण्ड के चार धाम से लेकर स्थानीय घरों के डिजाइन लकड़ियों की मदद से तैयार कर नाम कमा रहे है।
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