घोड़ले रे घमके ओजो रे भोमीया भोपल!सिंगर राणाराम गोपड़ी

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ส.ค. 2024
  • घोड़ले रे घमके ओजो रे भोमीया भोपल!!सिंगर राणाराम गोपड़ी#nrp_live_music2023👈
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    भोमिया जी महाराज का इतिहास देखें
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    👇👇👇👇👇भोमिया महाराज का जन्म
    रूण नागौर जिले में स्थित है रूण गांव जिसका प्राचीन काल में नाम तांबावती था और बाद में उसका नाम बदलकर कोयलापाटन रखा गया कोला पाटन के राजा अनंतराज जी के घर भोमिया जी महाराज का जन्म हुआ था विक्रम संवत 1271 में सोमवार के दिन भोमिया जी महाराज का जन्म हुआ था इनकी माता सोलंकी रानी थी जब भोमिया जी महाराज का जन्म हुआ तब महल के अंदर ज्योतिषी को बुलाया गया
    ज्योतिषी जी को बुलाकर पूछा गया कि बताइए इस बच्चे का जीवन फल क्या रहेगा तब उन्होंने कहा कि यह बच्चा बड़ा होकर एक शूरवीर योद्धा बनेगा और इसका नाम भोमिया होगा इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई होगी लोग इनकी पूजा करेंगे भोमिया महाराज जी का बचपन का नाम सीहड़देवसांखला था | भोमिया महाराज का इतिहास |
    भोमिया महाराज की शिक्षा 🌺🌺🌺
    भोमिया महाराज जी बचपन से ही अस्त्र शास्त्र में बहुत ही रुचि रखते थे उन्होंने बचपन में ही शस्त्र विद्या का अध्ययन कर लिया था एक बार सीहड़देव अपने राज दरबार में बैठे थे तब उन्होंने अपने मंत्रियों से राज दरबारियों से पूछा कि मैं किस देवता की पूजा करूं जो मेरा युद्ध में सहयोग कर सके तब उन्होंने कहा कि आप भगवती माता चामुंडा की पूजा कीजिए इसके बाद सीहड़देव ने बचपन से ही माता चामुंडा को भक्ति करके उन्हें प्रसन्न कर लिया था🌺🌺🌺
    इसके बाद चामुंडा माता ने सीहड़देव को यह वरदान दिया कि तेरे जैसा वीर योद्धा या तेरे सामान कोई भी इस भारत भूमि पर नहीं होगा युद्ध के अंदर तेरा सामना कोई भी युद्ध नहीं कर पाएगा मां भगवती से यह वरदान पाकर सीहड़देव बहुत ही खुश हुए | भोमिया महाराज का इतिहास | 🌺🌺🌺
    सीहड़देव की रानियां
    सीहड़देवजी के पांच रानियां थी उस समय दिल्ली के ऊपर अलाउद्दीन खिलजी का शासन था अलाउद्दीन खिलजी ने उस समय ऐसी कुप्रथा चला रखी थी जब भी किसी का विवाह होता था तो वह उसकी डोली अपने महल में बुलवा लेता था और इसके बाद जब उसका मन भर जाता था तो वह उस औरत को वापस भेज देता था जब अलाउद्दीन खिलजी को इस बात का पता चला कि हरदेव की रानियां बहुत ही खूबसूरत है तब उन्होंने उनकी पत्नी पद्मिनी पर अपनी नजर डाली इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने सीहड़देव को पत्र भेजा की आप अपनी पत्नी की डोली मेरे महल में भिजवा दें नहीं तो युद्ध के लिए तैयार रहें🌺🌺🌺
    इसके बाद जब सीहड़देव को यह पत्र मिला तो उन्होंने युद्ध करना स्वीकार कर लिया और कहा कि मैं किसी भी हिंदू लड़की को बादशाह के महल में नहीं भेजूंगा इसके बाद सीहड़देव के भाइयों ने उन्हें समझाया कि बादशाह की फौज के सामने हमारी टुकड़ी बहुत ही छोटी है हम बादशाह का सामना नहीं कर सकते तब सीहड़देव ने कहा कि मैं बादशाह से डरता नहीं हूं मैं अकेला ही उनकी फौज का सामना करूंगा इसके बाद उनके भाइयों ने कहा कि युद्ध करके हमें कुछ भी हासिल नहीं होगा युद्ध में नरसंहार होगा बहुत से लोग मारे जाएंगे | भोमिया महाराज का इतिहास |🌺🌺🌺
    भोमिया महाराज द्वारा बनाई गई योजना
    सीहड़देव ने एक योजना बनाई उन्होंने अपनी एक दासी को रानी बनाकर बादशाह के महल में भेज दिया और बादशाह के साथ उसका विवाह कर दिया इसके बाद वह दासी बादशाह के साथ बेगम बनकर रहने लगी समय बीतता गया और वह दासी गर्भवती हो गई जब बच्चे के जन्म का समय हुआ तब उस दासी को प्रसव की पीड़ा होने लगी बादशाह ने हकीम को बुलवाया, वेद को बुलाया, परंतु बच्चे का जन्म नहीं हो रहा था तब बादशाह की रानियों ने आकर उस दासी से पूछा की सभी ने बहुत कोशिश की परंतु तुम्हारे बच्चे का जन्म क्यों नहीं हो रहा है
    तब उस दासी ने कहा मुझे कोयला पाटन से शिव कुंड का जल लाकर पिला दो तब मेरे बच्चे का जन्म होगा जब इस बात का पता बादशाह को चला तो उन्होंने तुरंत अपने सैनिकों को शिव कुंड से जल लाने के लिए कोयला पाटन भेज दिया जब बादशाह के सैनिक कोयला पाटन पहुंचे तो रात हो चुकी थी महल के दरवाजे बंद हो चुके थे दरवाजों के सामने पहरेदार खड़े थे जब उन सैनिकों ने उनसे शिव कुंड का पानी मांगा तो उनमें से एक ने गंदी नाली का पानी भर कर दे दिया और कहा कि यह पानी शिव कुंड से होकर ही आता है और वह सैनिक वह पानी लेकर महल में पहुंच गए🌺🌺🌺
    वह पानी पीने के बाद सांखली रानी(दासी) ठीक हो गई और अच्छे से उनके बच्चे का जन्म हो गया जब उस दासी ने उस पात्र को देखा तो उसमें नीचे किचन था तब उसने उन सैनिकों को बुलाया और पूछा कि तुम यह पानी कहां से लेकर आए हो तब उन सैनिकों ने कहा कि महल के बाहर जो पहरेदार थे उन्होंने हमें यह पानी दिया और कहा कि यह पानी शिव कुंड से आता है यह बात सुनकर वह दासी बहुत ही उदास हुई और उसने सोचा कि यदि आज मैं उनकी बहन होती तो मेरे लिए भी रात को दरवाजे खोले जाते और शिव कुंड का पानी दिया जाता क्योंकि शिव कुंड का पानी बहुत ही निर्मल और साफ था उस दासी के गर्भ से शहजादे का जन्म हुआ था इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी बहुत ही खुश होगा और वह रानी से मिलने के लिए उसके कक्ष में गया
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