अरिय मौन का गंभीर अर्थ,उसमें विपश्यना अरहंत भिक्खू कैसे जानता है!वाणी से मौन रहने से गुंगा कैसे होगा
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- เผยแพร่เมื่อ 15 พ.ย. 2024
- अरिय मौन का गंभीर अर्थ, उसमें विपश्यना अरहंत भिक्खू कैसे जानता है!!
वाणी से मौन रहने से गुंगा कैसे होगा?
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सभी ब्रम्हांड की, सुक्ष्म एवं स्थुल वस्तुपदार्थ-जड़, एवं, सुक्ष्म,मनोमय सत्वके धातु का विभिन्न से विभाजन करके विस्तार से अपना अस्तित्व, एवं,वास्तविकताको, चार पटीससम्भिदा, एवं चार आर्य सत्य का ज्ञान से, चित्त,चैतसीक,रुप, एवं,निब्बाण प्रकाशित करना ही विभज्यवाद है ।
यह संसारके सभी वाद से विभज्यवाद, अपनी योग्यता श्रेष्ठ प्रकाशित करता है इस अर्थसे प्रज्ञावान जानते हैं ।
विभिन्न घटनाओं का विभिन्नकलापोंका-चित्तकलाप-रुपकलाप-आहरकलाप-ऋतुजकलाप-कर्मजकलापका-अन्यसमय, अन्यसमान, अनभिज्ञतया से को प्रकाशित करना विभज्यवाद है।
जो विभज्यवाद की प्रशंसा करता है एवं, स्वीकार करता है ,तो संसारके प्रती या अपने अस्तित्व के प्रति वास्तविकता के लिये, आत्मवाद एवं आत्मावाद ,नित्यवाद, एवं, शास्तावाद का अपने आप खंडन हो, जाता है।
यह सभी समझने के लिए पुज्य भंते बार-बार धम्म की व्याख्या और दृष्टि को प्रकाशित किया है The Vibhajjavad TH-cam channel के अबतक के प्रकाशित विडियो और आने वाले के लिए।
/ @thevibhajjavad
फिर तथागत की शिक्षा क्रमशः कैसे है यह भी प्रकाशित किया है और यहा अमार्ग कहा है और मार्ग कब और कौन साक्षात्कार कर सकता है यह भी प्रमाणित किया है बुद्ध वाणी से।
तथागत का वचन ज्ञान गंभीर होंने से प्रज्ञापुर्वक ही जान सकते हैं।जहा शील, ध्यान समाधि और तथागत उपदिष्ट धम्म विपस्सना को भी प्रकाशित किया है उसके निमित्त से और किसके लिए है यह भी बताया है।
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Sadhu sadhu sadhu 🙏🙏🙏 Anumodami bhanteji 🙏🙏🙏
Sadhoo Sadhoo Sadhoo ❤
Sadhu sadhu sadhu anumodami vandami bhantiji 🙏🙏🙏
Vandami pujaniya aadarniya bhenteji🙏🙏🙏🙏
Very nice
Sadhu sadhu sadhu 🙏🙏🙏
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Sadhu sadhu sadhu Namo Buddhay Namona
Sadhu sadhu sadhu 💐🙏💐
Sadhu sadhu sadhu bhante ji
Sadhu sadhu sadhu 🙏
Sadhu sadhu sadhu
आपका कहणेका मतलाप फिर गोयंका गुरुजी की विपसना बकवास है ..... तो सही द्यान सही साधना कैसे करते है .. आप बतायेंगे भांतेजी
पहले यह सोचे विपस्सना -चार स्मृति प्रस्थान तथागत सम्यकसमबुद्ध का वचन है या गोयंका जी का??
फिर विपश्यना पहले या ध्यान पहले??
विपश्यना प्रज्ञा होने से सम्यकदृष्टि प्राप्त वाले का आंतरिक धर्म या मिथ्या दृष्टि के लोगों का दस दिन शिविर पद्धति की विपश्यना??
रही बात मौन की तो प्रवरणा स्कंधक मे तथागत का वचन है मौन का निषेध और मौन धारण करने वाले को दुग्गट दोषी, तार्किक लोग की शिक्षा और तथागत ने मौन धारण करने वाले भिक्खु को मोघपुरिस/मुर्ख कहा है।
रही बात अरिय मौन की जो वितर्क विचार शांत होने से तृतीय ध्यान से अरिय मौन कहा है अब किसी को ध्यान क्या होता है ही अता पता नहीं है,तो दोनों ध्यान सभी के पास है, Rather पांच ध्यान प्राप्त है और पांच निवारण धर्म क्षय हुए हैं और सम्यकदृष्टि है??
यह खुद को पुछो।
रही बात ध्यान की तो तथागत ने कुशल पुण्य कर्म के आधार पर ध्यान कहा है जो वितर्क विचार से कहा है ना की केवल श्वास को मन को भटकने नही देना के लिए।
सबसे पहले आप घर में किस की पुजा वन्दना करते हैं?? क्या दस कुशल पुण्य कर्म भिक्खु से बौद्ध विहार जाकर करते हैं??तीन रत्न शरण से बुद्ध धम्म संघ की पुजा वन्दना पत्तिदान पत्तानुमोदन करते हैं,यह जरूर बताना।
अनमोदामी, साधु साधु साधु