क्या शिव भगवान नहीं है ? || By भाई गौतम खट्टर 9084415208
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- เผยแพร่เมื่อ 28 ก.ย. 2024
- भाई गौतम खट्टर 9084415208
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शिव आदी अनंत है शिव ही सत्य है शिव से बड़ा ना कोई 🙏
जिसका जन्म होता है, उसकी मृत्यु भी होती ही है।
शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव शिव
जय श्री राम 🙏
सादर नमन स्वामी जी
Jai shree Mahakal 🚩
आर्य समाज के पीछे बैठे ओजस्वी प्रखर प्रवक्ता स्वामी जी और गौतम जी को बहुत बहुत साधुवाद
Sir मैं इंडियन आर्मी में हु 9साल से मैं 2032 में
रिटायर होकर आर्य समाज के साथ रहूंगा
मेरे नाम रवि कुमार है जय श्री राम
❤
एक सच्चा आर्मी मैन ही अपने पराए को जान सकता है आर्य समाज में भरोसा दिखाने के लिए आपको सैल्यूट
परमेश्वर =परमाणु का भंडार
जिसकि ऐनजिॅ से सारा संसार चलता है
Jay Sri ram 🙏
Aapko PRANAM
Bilkul Satya Vachan🙏🕉🙏
Om namah sivaya
Joy Sree Ram ❤🎉❤🎉❤🎉❤
Jo Kan Kan me rma hai vah ram . Jisko dhayan ke dubara Deka jata hai vahi ram hai. Jai guru.
❤
We expect discussion on
Paramatma to ak hi hai use prapta karne ke marg bhinna bhinna hai .
Jo jis marg se jaata hai uska naam paramatma ko deta hai .
Sadhan Marg & Padhatiya
Man and/ or Praan
tattwa ke sahare se chalne wali sadhan padhatiya
Satvik , Rajsik , Tamsik .
Vedocta , Yogocta Tantrocta , Mantroct , Yantrocta .
Shaiv , Shakta , Vaishnav , Saur , Ganpatya
Gyaan , Karma , Bhakti , Yoga .
For
Self realisation , iternal spiritual awareness , peaceful life , Mukti - Moksha
प्रवचन से कुछ नही होगा हरेक आर्य समाजो संकल्प करे कि मे दस परिवार आर्य वनाऊॅगा😊
विचार बदलने से ही कोई हमारे साथ आता है। प्रवचन लोगों की आंखें खोलने का सशक्त माध्यम है बन्धु।
Gautam khattar ji bhagwan एक hi hai pr wo anek roop dharan kar sakta hai ❤❤❤❤❤
कैसे ,
गलत बात भईया जी ईश्वर एक ही है यह सत्य कहा आपने।
लेकिन वह अनेक रूप धारण नही कर सकता क्योकि वही एक प्रभु अनन्त है सर्वव्यापक है इस कारण आकार की सीमा से परे है सीमा तक सीमित नही है असीमित है।
@@Ram47988 mere bhole bhaiya iswar limit ma nhi aa sakta lekin wo khud ka roop le sakta hai agar wo roop nhi le sakta toh wo sarvshaktimaan nhi ho sakta
Jaise mahasagar se agar hum pani le toh kehlayga wo sagar hi lekin hum use samajh sakte hai uski gehrai uska weight usi tarah iswar ko koi samajh nhi sakta isliye iswar ne anek roop dharan kiye hai taki usko samjha jaa ske
देखिए जिसने बोला कि इतने भगवान हैं करके चिड़ाया उसने क्या पाया।
देखिए श्रीराम पुरषोत्तम हैं, श्री कृष्ण जी योगेश्वर।
शिव शरीर नहीं हैं।
Banavati sanatani
रत्ति भर नहीं
अभी उपर वाला राम धरती पर आया है अब यह दुनिया पुरानी हो चुकी है उसे नया बनाने गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा शिव निराकार राजस्थान में आया है
आपको कैसे पता चला परमात्मा शिव राजस्थान में आए है
satta sanatan vedic dharm ki jai
परमेश्वर =परमाणु का भंडार
जिसकि ऐनजिॅ से सारा संसार चलता है
परमेश्वर =परमाणु का भंडार
जिसकि ऐनजिॅ से सारा संसार चलता है
वही राम दशरथ का बेटा वहीं राम घट घट में बैठा उसी राम का सकल पसारा वही राम संसार से न्यारा ।
Jai shree Ram
अति उत्तम सार्थक व्याख्या करते हुए समझाया गया है कि मूर्ति पूजा करना नही चाहिए।
Om namastey
ओउम्🎉🎉🎉🎉🎉 प्रणाम्🙏🙏🙏🙏🙏 नमस्ते प्रभु जी 🌹🌹🌹🌹🌹 जय स्वामी दयानंद जी महाराज की जय
🙏 सभी आर्य समाज का सभी विडीयो को like aur share किजिए 🙏👍
Koti koti naman aapko🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
सदर प्रणाम एवं आभार आचार्य जी
Har har Mahadev 🙏
परमात्मा शिव जी संसार के स्वामी सनातन धर्म के संस्थापक विश्वविधाता योग के जनक विश्व पिता की संतान संसार के हम सभी लोग एक परिवार के एक समान सच्चे शिव भक्त सनातन धर्म के आजीवन सनातन धर्म प्रचारक चरित्रवान हिंदूवादी जनसेवक आत्मनिर्भर भगवा ध्वज वाहक संस्कृत भाषी शाश्वत सत्य आनंद विश्व प्रेमी हैं भगवान शिव जी का स्वरूप ही रामकृष्ण दुर्गा हनुमान ईश्वर परमात्मा ब्रह्मा विष्णु सरस्वती महेश आदि हैं जय हिंदू राष्ट्र जय सनातन धर्म जय काशी विश्वनाथ हर हर महादेव
खट्टर भाई जी आपका no nahi मिलता है जी
मैने आपसे बात करने का बहुत प्रयास किया किंतु नही हो पाई जी
??
अच्छे पुत्र हो सकते श्री राम अच्छे भरता हो सकते श्री राम लेकिन अच्छे पति नहीं हो सकते क्योंकि सीता को अग्नि परीक्षा लेने के बादभी वनवासभेजा था
Mujhe Satyarth prakash book chahiye
Aacharya Swami satyanand ji aur Gautam ji Khattar ko Om namaste
Har har Mahadev 🕉️🕉️🕉️🔱
🧘
We expect discussion on
Kashmiri Shaiv :
Maha shiv
Shiv
Shakti
Sadashiv
Ishwar
:
:
Panch Mahabhut
( Total 36 tattwa )
*
We expect discussion on the granth
' Yog Vashisthya '
*
🚩
देखिए मूर्ति पूजा करें न करें बिना स्वयं का शरीर मूर्ति बने बिना सिद्धि प्राप्त ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता हां विद्वान हो सकते हैं।
भगवान =भ+ग+वा+न=पंचमहाभुत=मनुष्य
Gautam khattar mukhanand
ओ३म् नमस्ते जी! आदरणीय गौतम खट्टरजी से मै ( आदर्श आर्य ) आपसे निवेदन करता हूॅं, क्या वृहद विमान शास्त्र में जो कुछ वर्णित वह मिथ्या है? लोग कहते कि वृहद विमान शास्त्र पढ़कर कुछ नहीं बना पाओगे। अवश्य बताएं।
वे लोग वैज्ञानिक हैं क्या?
Arya namaji ho tum
हर हर महादेव
Om namah sivaay Shri sivaay namah sthubhayam
Bhagwan ji kaise milenge
@@Shivshakti-p8g bhagwan ki sachi bhakti kro bhagwan tumhe khud darshan denge 👍🏻💯
@@Chanchalrathore_1234 yr lekin mujhe bohot saare bhagwan pasand hain. Sabki bhakti m Anand milta h. Lekin koi ek isht select Krna chahta hu. Lekin kar ni pata . Bohot confusion hota h ki kiski bhakti karu. 🥺
@@Shivshakti-p8g Aap man me sabko mano lekin isht ek hi rakho . Aapko lagta hoga ki agar un bhagwan ki bhakti nhi kru toh vo naraj ho jayenge. Aisa bilkul nhi hai. Aap apna ek isht rakho 🙏🏻🚩
परमेश्वर =परमाणु का भंडार
जिसकि ऐनजिॅ से सारा संसार चलता है
🙏🚩🔱🚩🙏
नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा
कृपया माईक की आवाज़ का जो ईको है उसको सुधारिये मैंने आर्य समाज के video किसी को दिखाने चाहे मगर इस वजह से नहीं देखा उन्होंने। अक्सर यह दिक्कत आती है। दूसरों के videos बहुत क्लियर होते हैँ, कृपया इस technical fault को सुधारिये
0:55, "परम पिता परमात्मा" बोलने पर "पिता" शब्द है, इसमें "माता" का समावेश नहीं है, क्योंकि पिता और माता का स्वभाव, properties भिन्न भिन्न हैं, इसलिए "परम पिता " न बोलें , वरन, "परम जनक" या "परम एक " ही बोलें .
Comments are invited, please.
ईश्वर माता भी है और पिता भी है, माता पिता के मूल गुण एक ही हैं, दोनों संतानों का उत्पादन और पालन-पोषण करते हैं, ऐसे ही परमात्मा भी करता है। वेद के मंत्र में ईश्वर को पिता भी कहा है और माता भी कहा है, आप कहेंगे तो मैं भेज दूंगा। 🙏
@@veda-vaani_aacharya-vijay यदि "ईश्वर" माता भी है और पिता भी, तब तो ’ईश्वर’ प्राणी की श्रेणी में आ गया, जबकि ईश्वर समस्त "पदार्थों" और "शक्तियों" का भी जनक है.
कृपया "ईश्वर" को परिभाषित कीजिए, ताकि वह प्राणी होने की परिधि से बाहर आ जाय?? ( यह परिभाषा, सभी पदार्थों, शक्तियों पर मान्य होनी चाहिए ).
@@webmace
प्रिय मित्र! ईश्वर की शक्तियों को समझाने के लिए प्राणियों और भौतिक पदार्थों से भी उसकी कुछ उपमा-समानता की जाती है, परंतु ऐसा नहीं है कि ईश्वर प्राणियों के समान ही जगत् की उत्पत्ति करता है अथवा न ही ऐसा है कि ईश्वर प्राणियों और जगत् के पदार्थ जैसा ही पूर्णतः समान है। ईश्वर को वेदों में अकाय कहा है, उसको जगत् के पदार्थो की उत्पत्ति और शरीरों की रचना के लिए अपना कोई निज शरीर नहीं चाहिए। वह बिना हाथ-पैर और अन्य इंद्रियों के जगत् की रचना करने का सामर्थ्य रखता है। इस प्रकार वह पूर्ण रूप से प्राणियों के समान होने की परिधि से बाहर आ जाता है।
👉 आप कहते हो कि ईश्वर पदार्थों की रचना करता है अर्थात् वह सृष्टिकर्ता है, परंतु मनुष्य भी तो पदार्थों की रचना करता है, अंतर केवल इतना है कि मनुष्य ईश्वर के दिए हुए पदार्थों से अन्य मकान, गाड़ी आदि पदार्थों का निर्माण करता है और ईश्वर मूल - अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, सूर्य आदि पदार्थों का निर्माण करता है, जो की मानवादि प्राणियों के जीवन के लिए मूल रूप से आवश्यक हैं।
👉 आप रहते हो कि ईश्वर को जनक कहा जाए, तो "जनक" तो पिता को भी कहते हैं। पिता का पर्यायवाची शब्द एक "जनक" भी होता है। तो जनक शब्द तो प्राणियों पर भी लागू-मान्य होता है, तब तो इस शब्द से भी ईश्वर प्राणी की श्रेणी में आ जाएगा !
👉 सीधी सी बात है, परमात्मा में कुछ विशेष शक्तियां है, विशेष ऐश्वर्य हैं, जिसके कारण उसको ईश्वर अथवा परमेश्वर कहते हैं, जैसे संपूर्ण सृष्टि की रचना, पालन और संहार करना और वह भी बिना किसी शरीर के माध्यम से। ईश्वर भी प्राणियों के समान माता-पिता अथवा जनक है, परंतु वह एक विशेष प्रकार का माता-पिता और जनक है, जिससे प्राणियों से उसका भेद रहता है।
क्रमशः...
@@webmace
पूर्व लेख से आगे...
👉 आत्मा और परमात्मा के भी कुछ गुण समान हैं, जैसे दोनों सत्य और चेतन हैं, तो क्या आत्मा भी परमात्मा हो जाएगा अथवा परमात्मा कहलायेगा? नहीं, क्योंकि जब सभी गुण समान होंगे, तभी दोनों को एक कहा जा सकता है, जो की हैं नहीं। सर्वप्रथम दोनों की चेतना अथवा ज्ञान में ही श्रेणी का अंतर है। परमात्मा सर्वज्ञ अर्थात् सब कुछ जानने वाला है, परंतु जीवात्मा अल्पज्ञ है, परमात्मा की तुलना में थोड़ा जानता है। जीवात्मा सत्ता की दृष्टि से एकदेशी है, जबकि परमात्मा सर्वव्यापक है और उसको अनंत भी कहा है। परमात्मा सर्वशक्तिमान् है, वह अपने कार्य बिना किसी अन्य वा प्राणी/जीवात्मा की सहायता से करता है, जबकि जीवात्मा अल्पशक्तिमान् है, उसे अपने कार्यों की पूर्ति के लिए दूसरे प्राणियों की सहायता लेनी पड़ती है। इसी प्रकार परमात्मा में कुछ अन्य गुण-कर्म स्वभाव अथवा उनके अनुसार कुछ नाम भी हैं, जो उसको जीवात्मा वा मनुष्य आदि प्राणियों से भेद करते हैं। आप सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम समुल्लास पढ़िए, उसमें स्वामी दयानंद ने ईश्वर के १०० नामों की परिभाषा की है। उनसे आपको ईश्वर के विशेष गुण-कर्म-स्वभाव, जो उसको जीवों/प्राणियों और जगत् के पदार्थों से भेद करते हैं, उनका पता लगेगा और कुछ गुण सामान भी हो सकते हैं।
👉 आत्मा और परमात्मा का जो एक गुण समान है, वह यह भी है कि दोनों स्वरूप से अमर हैं, नित्य हैं, अनादि हैं। और यह गुण मूल अथवा कारण प्रकृति में भी है। वह भी नित्य है, अनादि है। परंतु जीवात्मा और परमात्मा में एक भेद यह भी है कि जीवात्मा स्वरूप से भले ही अमर हो, परंतु वह शरीर धारण रूपी जन्म को प्राप्त होता है और शरीर त्याग रूपी मृत्यु को भी प्राप्त होता है अथवा दूसरे शब्दों में कहें तो वह शारीरिक बंधन में भी आता है, वहीं दूसरी ओर परमात्मा बंधनरहित सदामुक्त हैं।
👉 इस प्रकार परमात्मा के इन विशिष्ट गुणों से वह सर्वथा जीवों वा प्राणियों के समान होने की श्रेणी से बाहर आ जाता है।🙏
👉 और केवल लॉजिक अथवा तर्क पर न जाए, शास्त्रों का भी अध्ययन करें। पहले शास्त्रों से मूल ज्ञान लें, फिर उसपर एक सीमा तक समझने के लिए तर्क करें। आजकल उनको समझने के लिए तर्क नहीं किया जाता, परंतु उनके खण्डन के लिए कुतर्क किया जाता है। नास्तिक लोग तो जीवात्मा और परमात्मा की सत्ता को स्वीकार ही नहीं करते हैं, और इसपर वह अनेकों कुतर्क भी करते हैं। वेद, उपनिषद और हमारे दर्शन शास्त्रादि में जो परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति के गुण बताएं हैं, पहले उनका अध्ययन करें। सब चीजों पर तर्क नहीं किया जा सकता। अब शास्त्रों के अनुसार जीवात्मा, परमात्मा और प्रकृति स्वरूप से अमर है, उन्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता। अब इस पर भी कोई तर्क करने लगे कि क्यों अमर हैं? तो इसका कोई भी तर्क नहीं है, क्योंकि जो पदार्थ का गुण है, वैसा ही रहेगा। किसी को अधिक शंका हो, तो वह इनको नष्ट करने का प्रयास वा परीक्षण कर ले और यदि न हो, तब फिर समझ में आ ही जाएगा कि यह विनाशरहित वा नित्य हैं।
👉 दर्शनशास्त्र को बनाने वाले ऋषियों ने देखकर, समझकर और तर्क करके बहुत से पदार्थों का विवेचन किया, परंतु वह भी यह कह गए कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है, उससे मूल ज्ञान लेकर हम आगे जीवात्मा, परमात्मा और सृष्टि के पदार्थों का अन्वेषण कर रहे हैं, अन्यथा हम वह भी नहीं कर पाते।
Sampurna sahi bola apa...charitra ko gyan ko sanatanio ko apanana padega.. sadhana karna chahiye...satya ko prachar jaruri hai
Arya samaj se koi khatara nahi hai.
Asman pe chillane se aacha murti ke samne shant baith jao isse aacha kya...bread aur wine wale to aur bhi unique hai
शिव त्रिलोकी के गुरुहैं। तुम्हें शिव जी के वचनों का पता ही नहीं। तो शिव जी को क्या जानोगे।
आर्य समाज निराकार साकार को ही परमात्मा मां बैठा है लेकिन वेद निराकार साकार को माया बता रहे हैं क्या इन्हें ही आर्य कहते हैं? वेद कुछ कह रहा है और यह लोग कुछ कह रहेहैं। क्या इसी का नाम आर्य है। नहीं यह आर्य है ही नहीं यह केवल अनार्य है।
Katy nhi
परमेश्वर =परमाणु का भंडार
जिसकि ऐनजिॅ से सारा संसार चलता है
आदरणीय आचार्य जी नमस्ते।आप का व्याख्यान अति उत्तम सराहनीय है लेकिन मेरी बुद्धि के अनुसार आप ने महर्षि स्वामि दयानन्द जी को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हक़दार हैं
Namaskar Sar
Sar mara ek saval ha kaya arya samaji log varn vyavastha ko mante hai agar manta ha to sabsa upar or sabsa nicha kon ha manusmriti adhar par bataya
Aarya Samaji Janm ke aadhar par nahi lakin Karm ke aadhar par varn vyavastha ko mante hai.
Jyada bk.mt. Sara. Gyan tere andr. Hi. Bhara hai kya
Jai Mahakaal ❤❤❤❤
😮🤣🤣🤣🤣🤣🤣