4.अंगूर की प्रूनिंग (Grapes pruning)

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2024
  • उत्तर भारत में अंगूर की प्रूनिंग का सही टाइम जनवरी का पहला सप्ताह से 15 फ़रवरी तक कर सकते है जब अंगूर की बेल डोरमेंसी में होती है तभी कटिंग करनी चाहिये।उत्तर भारत में अंगूर की प्रूनिंग साउथ राज्यो से अलग की जाती है।नासिक जैसे एरिया में साल भर तापमान सामान्य रहता है इस लिये वहाँ अंगूर की बेल अधिक बढ़वार करती है ।वहाँ पर साल में दो बार अंगूर की बेल की छटाई की जाती है ।अप्रैल में की जाने वाली कटिंग को बैकवर्ड और सितंबर में की जाने वाली को फॉरवर्ड कहते है।जबकि उत्तर भारत में तापमान सर्दियों में काफ़ी कम हो जाता है इसलिये अंगूर की बेल अपनेआप ही डोरमेंसी में चली जाती है और बेल को ग्रोथ करने का सिर्फ़ 6 से 8 महीने ही मिल पाते है इसलिये उत्तर भारत में सिर्फ़ सर्दियों में ही प्रूनिंग की जाती है।
    प्रूनिंग करते समय अंगूर की क़िस्म का ध्यान रखे।अंगूर की अलग-अलग क़िस्म अलग गाठो पर काटी जारी है।
    उद्धरहण- 1 -थॉम्पसन सीडलेस 6-11 गाँठ पर काटी जाती है।
    2- फ्लेम सीडलेस 6-8 गाँठ पर काटी जाती है।
    3-ब्यूटी सीडलेस 2-3 गाँठ पर काटी जाती है।
    4-पैर्लेट सीडलेस 2 गाँठ पर काटी जाती है।
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