मुझे राम भद्राचार्य जी 🤔हर पहलू से ठीक लगे लेकिन जब बात वर्ण व्यवस्था की आती है तो उसका खंडन जरूरी है जिसका करण ही महाभारत हुआ था उसे सर्वोच दिखा रहे कि वो चलता ही रहे जिसे मैं सहमत नहीं हूं वर्ण व्यवस्था को तो खत्म करना ही चाहिए सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए किसी भी जाति का व्यक्ति पुजारी बने और कोई भी कुछ भी करे
परमपूज्य संत शिरोमणी संत श्री आशाराम जी बापू के साथ साथ परमपूज्य संत श्री रामभद्राचार्य के चरणों में शत शत नमन । श्री गुरूचरण सरोज रज, निज मन मुकुरि सुधारि । बरनउं रघुवर विमल जसु, जो दायक फल चारि । बुद्धिहीन तनु जानके सुमरो पवनकुमार, बल बुद्धि विदया देहु मोहि हरहु कलेश विकारि । जय हनमुान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर । रामदूत अतुलित बलधमा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा । (1) महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवारि सुमति के संगी । कंचन वरन विराज सुवेशा, कानन कुंडल कुंचित केशा । (2) हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मुज जनेउ साजे । शंकर स्वयं केशरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन । (3) विद्यावान गुनि अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर । प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया, रामलखन सीता मन बसिया । (4) सूक्ष्म रूप धरि सिंअहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा । भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज संवारे । (5) लाये संजीवन, लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये । रघुपति कीन्हीं बहुत बढाई, तुम मम प्रियं भरतहिं सम भाई । (6) सहस बदन तुमरो जस गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावें । सनकादिक ब्रम्हादि मुनीषा, नाराद, सारद सहित अहीसा । (7) यम कुबेर दिग्पाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते । तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाये राज पद दीन्हा । (8) तुमरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना । युग सहस्त्र योजन पर भानु, लील्यो ताहिं मधुर फल जानूंं । (9) प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहिं, जलधि लांघि गये अचरज नाहिं । दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुमरे तेते । (10) राम दुवारे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे । सबसुख लहे तुमारि शरणा, तुम रक्षक काहु को डर ना । (11) आपन तेज संभारों आपे, तीनों लोक हांक ते कांपे । भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे । (12) नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंत हनुमत वीरा । संकट ते हनुमान छुडावे, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें । (13) सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकत तुम साजा । और मनोरथ जो कोई ध्यावे, सोई अमित जीवन फल पावे । (14) चारों जुग परताप तुमारा, है प्रसिद्ध जगत उजयारा । साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंद रामदुलारे । (15) अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता । राम रसायन तुमरे पासा, सदा रहो रघुर के दासा । (16) तुमरे भजन राम खों पावें, जनम जनम के दुख विसरावें । अंतकाल रघुवर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्ति कहाई । (17) और देवता चित्त ना धरहिं, हनुमत सेई सर्व सुख करहिं । संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरंत हनुमत वीरा । (18) जै जै हनुमंत गुसाईं, कृपा करहु गुरूदेव की नाहिं । जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंधि महासुख होई । (19) जो यह पढे हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखि गोरीसा । तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजे नाथ हृदय मंह डेरा । पवनतनय संकट हरण मंगलवार मुरति रूप । राम लखन सीता सहित सुर भूप । सियावर रामचंद जी की जय पवनसुत हनुमान जी की जै, बोलों भाई सब संत की जय ।
आशुतोष सर आपके प्रश्न ही आपकी विद्वत्ता सिद्ध करता है,साथ ही गुरुदेव तो गुरुदेव ही हैं,उनकी प्रशंसा करके उनकी विद्वत्ता को सीमित नहीं कर सकता । गुरुदेव ने इतने तार्किक और सरल शब्दों में सारे प्रश्न का उत्तर दिया कि मन प्रफुल्लित हो गया ।
अभिनेता इस ज्ञान से जुडा हुआ पहली बार देखा हैं.... आज की परीपेक्ष मे हमारे जैसे दर्शको के लिये यह असाधारण अनुभव हैं.... आशुतोष जी को बहोत बहोत साधुवाद!
ऐसे ही यूट्यूब चैनल की आवश्यकता है आज, श्री आशुतोष राणा सर जी को बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं 🙏🌺 परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के चरणों में शाष्टांग दंडवत करता हूं 🙏🌺
अद्भुत, अकल्पनीय साक्षात्कार। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कृष्ण द्वैपायन सम्वाद हो रहा है। आशुतोष जी को साधुवाद , और गुरुदेव के लिए कुछ भी कहने के लिए हमारी वाणी सामर्थ हीन है।
परमपूज्य संत शिरोमणी संत श्री आशाराम जी बापू के साथ साथ परमपूज्य संत श्री रामभद्राचार्य के चरणों में शत शत नमन । श्री गुरूचरण सरोज रज, निज मन मुकुरि सुधारि । बरनउं रघुवर विमल जसु, जो दायक फल चारि । बुद्धिहीन तनु जानके सुमरो पवनकुमार, बल बुद्धि विदया देहु मोहि हरहु कलेश विकारि । जय हनमुान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर । रामदूत अतुलित बलधमा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा । (1) महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवारि सुमति के संगी । कंचन वरन विराज सुवेशा, कानन कुंडल कुंचित केशा । (2) हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मुज जनेउ साजे । शंकर स्वयं केशरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन । (3) विद्यावान गुनि अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर । प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया, रामलखन सीता मन बसिया । (4) सूक्ष्म रूप धरि सिंअहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा । भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज संवारे । (5) लाये संजीवन, लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये । रघुपति कीन्हीं बहुत बढाई, तुम मम प्रियं भरतहिं सम भाई । (6) सहस बदन तुमरो जस गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावें । सनकादिक ब्रम्हादि मुनीषा, नाराद, सारद सहित अहीसा । (7) यम कुबेर दिग्पाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते । तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाये राज पद दीन्हा । (8) तुमरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना । युग सहस्त्र योजन पर भानु, लील्यो ताहिं मधुर फल जानूंं । (9) प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहिं, जलधि लांघि गये अचरज नाहिं । दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुमरे तेते । (10) राम दुवारे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे । सबसुख लहे तुमारि शरणा, तुम रक्षक काहु को डर ना । (11) आपन तेज संभारों आपे, तीनों लोक हांक ते कांपे । भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे । (12) नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंत हनुमत वीरा । संकट ते हनुमान छुडावे, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें । (13) सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकत तुम साजा । और मनोरथ जो कोई ध्यावे, सोई अमित जीवन फल पावे । (14) चारों जुग परताप तुमारा, है प्रसिद्ध जगत उजयारा । साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंद रामदुलारे । (15) अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता । राम रसायन तुमरे पासा, सदा रहो रघुर के दासा । (16) तुमरे भजन राम खों पावें, जनम जनम के दुख विसरावें । अंतकाल रघुवर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्ति कहाई । (17) और देवता चित्त ना धरहिं, हनुमत सेई सर्व सुख करहिं । संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरंत हनुमत वीरा । (18) जै जै हनुमंत गुसाईं, कृपा करहु गुरूदेव की नाहिं । जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंधि महासुख होई । (19) जो यह पढे हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखि गोरीसा । तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजे नाथ हृदय मंह डेरा । (20) पवनतनय संकट हरण मंगलवार मुरति रूप । राम लखन सीता सहित सुर भूप । सियावर रामचंद जी की जय पवनसुत हनुमान जी की जै, बोलों भाई सब संत की जय ।
मैं धन्य हो गया जो आखिरकार हमारे देश में सस्त्रो और ज्ञान पे वाद हो रही है।ज्ञान की ये सबसे उच्चतम शिखर है। जो इसे सुन मात्र लेने से मुझे ज्ञान और शांति का अनुभव हो रहा है। आशुतोष जी आपको दिल से ध्यानवाद।
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। महान संत परंपरा के कलियुग में वर्तमान समय के ध्वजा वाहक परम पूजनीय गुरुजी के श्री चरणों में बारम्बार कोटिकोटि प्रणाम!! हरिकृपा हो तो आशुतोष जनमानस में फिल्म कलाकार से संत शास्त्रार्थ का सौभाग्य पाकर अबोध जिज्ञासु की तरह जानने वालों में सम्माननीय हो जाते हैं।
This discusson is full of wisdom where Shri Ashutosh ji has come with perfect home work .His holy highness guru Bhadracharya ji is an ocean of knowledge .Mostly Bollywood personalites a particular class is in aggression with Hinduism .Ashutosh ji deserve a big applause .
यदृच्छया चोपपन्नां स्वर्गद्वारमपावृतम् ।सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम् ॥2.32॥ अपने-आप प्राप्त हुआ धर्ममय युद्ध खुले हुए स्वर्ग के द्वार के समान ही है। इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय लोग ही पाते हैं। जय श्री कृष्ण, जय श्री राम, जय वीर हनुमान ।
प्रश्न पूंछना भी कला है, पृच्छा जितनी उत्तम होगी उतना आध्यात्मिक गहनता बढ़ेगी, सम्प्रति लोग न प्रश्न पूछना जानते है, न ईश्वर से अनुग्रह करना।आशुतोष जी जितने विद्वान अध्यापक है उतने कुशल छात्र भी है,धन्य है आपकी क्षमता और अद्भुत व्यक्तित्व🎉🎉🎉🎉
Jai shree guru dev maharaj gi ki Jai Ho Jai shree sita ram ram jai shree radhe Krishna radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe
जन साधारण के नित्य उठने वाले प्रश्न एवम्अद्भुत प्रश्न तथा परम् श्रद्देय गुरुवर द्वारा उनका सरल शब्दों र्मे समझाने का प्रयास हम साधारण जन के लिए प्रशाद स्वरूप है।🙏
ऊं नमः शिवाय ऊं शिव-परिवार ऊं जय श्री उमा-माहेश्वर। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय। ऊं जय श्री सीताराम। ऊं जय श्री गुरु महाराज जी को प्रेम स्नेह पूर्वक कोटि कोटि नमन प्रणाम करता हूं सम्पूर्ण परिवार सहित।
।।अनमोल वचन।।बोलना सभी को आता है किसी की जुबान बोलती है। किसी की नियत बोलती है किसी का समय बोलता है। किसी का पैसा बोलता है किसी का फरेबी दबदबा (दादा गिरी)बोलती है फिर जिन्दगी के अंत मे यमराज के दरवार मे इंसान का अच्छा और बुरा कर्म बोलता है। तदुपरांत अगले सफर का निर्धारण होता है।।01।।क्योकि सत सनातन परमपिता जी के दरवार मे सभी के कर्मो का खाता।।इसीलिए-उजली करनी करले रे मेरे भाई, कर्म ना करना काला। असंख्य आंखो से देख रहा है तुझको सृष्टी का सिरजनहारा।।उसकी तेज नजरो से भाई बहनो, कोई ना बचने पाता। लाख मनाले देवी देवता, कोई ना बचावनहारा।।02।।अपनी आत्मा को परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द से मिलाने वाली जड़े जंगल और गुफाओ मे नही है ना ही मूंड मुडाने और जटा बढाने मे निहित है। ना ही देही गुरुओ के बाजार मे और ना ही, जप तप तीरथ व्रत उपवास मे जपा अजपा अनहद के व्यवहार मे। परमात्मा को पहचानने की जड़ तो समय के भेदी सद्गुरु की तलाश मे नीहित है।।03।।सत सनातन परमात्मा का अखण्ड सारशब्द अजर अमर अविनाशी का लखाव तो स्वयं सत सनातन सतगुरु परमात्मा अपनी ओर से सुपात्र के चित्त मे कराते है। समझनियां तो समझ जाएगे और मन मूरख रह जाए ठिल्ली मे। सतगुरु मेरे सतधाम बस्से, और साँई अरुण जी शेलार सतसंग सुनाऐ यूट्यूब और फैश बुक पर रोज दुनिया मे।।04।।सत सनातन शब्द गुरु का साथ और साँई अरुण जी शेलार नासिक महाराष्ट्र का सारशब्दीय सतसंग मे मार्ग दर्शन जीवन मे अच्छे बदलाव ला रहा है। इस घोर कलिकाल मे निर्भय वही है जो सत सनातन सारशब्दीय सतगुरु की शरण मे है। असत्य झूठी प्रकृति के जाप अजपा अनहद की शरण वाला हमेशा काल गाल मे फंसा रह कर बारम्वार जन्मता और मरता रहता है।।05।।,,साँई अरुण जी शेलार नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी 🙏🏻🌹
आषुतोष जी आपका जीवन धन्य हो गया आप अपने जीवन का इस अद्भुत साक्षात्कार को भगवान का सबसे बड़ा तोफा समझें, ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनको ये अद्भुत तोहफा मिलता है। गुरुदेव के चरणों में प्रणाम । 🙏🙏🙏
😢😢😢 kitne Mahan hai bhagwan guru Maharaj me ek atheist se phir se insan bn gya mujhe guru Ji ki kirpa mile jai ho sanatan ki me kese misguided ho gya tha 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
हम व्यक्ति के मन में जो प्रश्न ,जिज्ञासा होती है उसको आशुतोष राणा जी ने सहज भाव से गुरुदेव से पूछे एवं गुरुदेव ने बहुत ही सरलता से उनका जवाब दिया इससे हमें आध्यात्मिक ज्ञान की और विश्वास आगे बढ़ा दोनों को बहुत बहुत धन्यवाद, नमन
गुरुदेव ने सारी शंका दूर कर दी अब से और नम्र होने की कोशिश करके देखते हैं शायद गुरुजी की कृपा हो जाए वैसे घमंड करने के लायक कुछ बचा ही नहीं हमारे पास पहले से धरती में घड़े हुए हैं अब और जमींदोज कर लेते हैं गुरुदेव अपने आप को बस थोड़ी सी सद्बुद्धि देना
दिल खुश हो गया मन में एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हो रही है इसे सुनकर ,आशुतोष राणा आशुतोष राणा है और उनके क्वेश्चंस का आंसर पूज्य गुरुदेव के मुख से सुनकर दिल खुश हो गया पूज्य गुरुदेव रामभद्राचार्य जी के चरणों में शत प्रणाम
परमपूज्य रामभद्राचार्य जी को कोटि कोटि नमन। इनती सुन्दर जवाब सुन कर धन्य कर दिये हम सभी को । आशुतोष जी आपको "आचार्य प्रशांत" जी से भी मिलना चाहिए, उनके पास भी जाके आपको और साफ चीजे पता चलेंगे।
Bohat Sunder discussion...! हालांकि रामभद्राचार्य जी ने प्रश्नों की सरलतम व्याख्या की... और हो सकता है मैं महाअहंकारी गलत होऊं लेकिन कुछ त्रुटियां जो मुझे दिखी।:: 1. अष्टांग योग में धारना के बाद ध्यान आता है! 2. आदिगुरु शंकराचार्य जी ने मन बुद्धि चित अहंकार का अर्थ अधिक गहरा स्पष्ट किया है... इसे अंतहरण कहते हैं और इसी की शुद्धि के लिए सारे ध्यान धारणा योग भक्ति मंत्र जप तप आदि है। उनके अर्थ करूंगा तो विषय लंबा हो जाएगा इसलिए वह फिर कभी.. 3.एब्सलूट सत्य के तीक्ष्ण जिज्ञासु के पास अपना सत्य जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती..अन्यथा वह वहीं रुक जाएगा... उसको जब तक एब्सलूट ट्रुथ के दर्शन ना हो जाए तब तक हरएक गुरु से सीखने समझते रहना चाहिए.. यदि आपके पास सीखने वाला मन है तोहर व्यक्ति घटना से आप सीख सकते हो... बस अंतिम सत्य तक पहुंचाने की प्यास अनन्य होनी चाहिए। 4. मिथ्या का अर्थ जो वास्तव में दिखाई दे पर फिर भी एब्सलूट ट्रुथ न हो... बिस्तर में फिर कभी... 5. श्रद्धा से ही श्रुति पैदा होती है... 6. शास्त्र अनुसार धर्म शब्द का अर्थ "जो धारण करने योग्य हो वही धर्म है।"हालांकि कुछ हद तक आचार्य जी भी वही कह रहे हैं.. 4. आस्था का भक्ति का मोहब्बत का प्रेम का तर्क से विज्ञान से अधिक गहराई में कुछ लेना देना नहीं है... आचार्य जी सही कह रहे हैं।। 5. हृदय अहंकार और भगवान साथ-साथ साथ नहीं सकते... आचार्य ठीक कह रहे हैं... कबीर जी कहते हैं प्रेम गली अतिसांकरी जा मे दो ना समाही...जहां राधे जू है वहां बस राधे जू ही हैं।। 6. वर्णआश्रम पर आचार्य जी ने बहुत ही सुंदर और पूर्ण कहा है।। 7. कबीर जैसे महाभक्तऔर महाज्ञानी की बात के अर्थ मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैंने पूरी उलट बांसी नहीं सुनी 8. सद्गुरु भगवान की भक्ति की कृपा से मिलते हैं और फिर सतगुरु की कृपा से हृदय में प्रेम का राधा रानी का प्रस्फुटन होता है और साक्षात भगवान मिलते हैं...!! फिर भी कोई गलती हुई हो तो क्षमा प्रार्थी हूं।।
कृपया वीडियो को लाइक करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें! धन्यवाद ☺️✨
मुझे राम भद्राचार्य जी 🤔हर पहलू से ठीक लगे लेकिन जब बात वर्ण व्यवस्था की आती है तो उसका खंडन जरूरी है जिसका करण ही महाभारत हुआ था उसे सर्वोच दिखा रहे कि वो चलता ही रहे जिसे मैं सहमत नहीं हूं वर्ण व्यवस्था को तो खत्म करना ही चाहिए सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए किसी भी जाति का व्यक्ति पुजारी बने और कोई भी कुछ भी करे
जय श्री राम 🙏🙏🚩🚩🚩🏹🏹🏹
Just a suggestion, please invite jagadguru Shankaracharya once on this show!🙏🏻😊
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@@vppointeducationhub9967हां ये विचारो में जरूरी है ना कि जो रामचरित और हनुमान चालिसा की लाइन को बदलना ।
आशुतोष राणा जी के अलावा बॉलीवुड का कोई भी कलाकार परम पूजनीय गुरुजी का साक्षात्कार नही कर सकता। आप दोनों ही विद्वता और ज्ञान का भंडार हैं।
Jii ekdum satya baat haiii
परमपूज्य संत शिरोमणी संत श्री आशाराम जी बापू के साथ साथ परमपूज्य संत श्री रामभद्राचार्य के चरणों में शत शत नमन ।
श्री गुरूचरण सरोज रज, निज मन मुकुरि सुधारि । बरनउं रघुवर विमल जसु, जो दायक फल चारि ।
बुद्धिहीन तनु जानके सुमरो पवनकुमार, बल बुद्धि विदया देहु मोहि हरहु कलेश विकारि ।
जय हनमुान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर ।
रामदूत अतुलित बलधमा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा । (1)
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवारि सुमति के संगी ।
कंचन वरन विराज सुवेशा, कानन कुंडल कुंचित केशा । (2)
हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मुज जनेउ साजे ।
शंकर स्वयं केशरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन । (3)
विद्यावान गुनि अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर ।
प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया, रामलखन सीता मन बसिया । (4)
सूक्ष्म रूप धरि सिंअहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा ।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज संवारे । (5)
लाये संजीवन, लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।
रघुपति कीन्हीं बहुत बढाई, तुम मम प्रियं भरतहिं सम भाई । (6)
सहस बदन तुमरो जस गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावें ।
सनकादिक ब्रम्हादि मुनीषा, नाराद, सारद सहित अहीसा । (7)
यम कुबेर दिग्पाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाये राज पद दीन्हा । (8)
तुमरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना ।
युग सहस्त्र योजन पर भानु, लील्यो ताहिं मधुर फल जानूंं । (9)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहिं, जलधि लांघि गये अचरज नाहिं ।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुमरे तेते । (10)
राम दुवारे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ।
सबसुख लहे तुमारि शरणा, तुम रक्षक काहु को डर ना । (11)
आपन तेज संभारों आपे, तीनों लोक हांक ते कांपे ।
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे । (12)
नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंत हनुमत वीरा ।
संकट ते हनुमान छुडावे, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें । (13)
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकत तुम साजा ।
और मनोरथ जो कोई ध्यावे, सोई अमित जीवन फल पावे । (14)
चारों जुग परताप तुमारा, है प्रसिद्ध जगत उजयारा ।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंद रामदुलारे । (15)
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता ।
राम रसायन तुमरे पासा, सदा रहो रघुर के दासा । (16)
तुमरे भजन राम खों पावें, जनम जनम के दुख विसरावें ।
अंतकाल रघुवर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्ति कहाई । (17)
और देवता चित्त ना धरहिं, हनुमत सेई सर्व सुख करहिं ।
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरंत हनुमत वीरा । (18)
जै जै हनुमंत गुसाईं, कृपा करहु गुरूदेव की नाहिं ।
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंधि महासुख होई । (19)
जो यह पढे हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखि गोरीसा ।
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजे नाथ हृदय मंह डेरा ।
पवनतनय संकट हरण मंगलवार मुरति रूप ।
राम लखन सीता सहित सुर भूप । सियावर रामचंद जी की जय
पवनसुत हनुमान जी की जै, बोलों भाई सब संत की जय ।
Pankaj tripathi
नहीं, डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी को मत भूलिए।
@@SiddharthMishra_UPPolice Aap ko kis tarah pata chala political baba ji ka
Phle mujhe ashutosh bhut vidvaan lgte the...Aaj pta chala wo shabd ka bhandaar hai ....vidvata to guruvar me hai
आशुतोष सर आपके प्रश्न ही आपकी विद्वत्ता सिद्ध करता है,साथ ही गुरुदेव तो गुरुदेव ही हैं,उनकी प्रशंसा करके उनकी विद्वत्ता को सीमित नहीं कर सकता । गुरुदेव ने इतने तार्किक और सरल शब्दों में सारे प्रश्न का उत्तर दिया कि मन प्रफुल्लित हो गया ।
😊😊😊😊😊😊😊
Ekdom dil ki baat likhi hai apne ❤❤❤
Very important
Aap ke lekhan or aap ki budhi ko naman hai sir 🚩🚩🚩🙏🙏🙏
th-cam.com/users/shortsXi3tXdJQImQ?feature=share
अभिनेता इस ज्ञान से जुडा हुआ पहली बार देखा हैं.... आज की परीपेक्ष मे हमारे जैसे दर्शको के लिये यह असाधारण अनुभव हैं.... आशुतोष जी को बहोत बहोत साधुवाद!
अद्भुत शास्त्रार्थ सुनने को मिला , संतों के दर्शन श्रवण से मन शांत हो जाता है।
Ye jhandu sant nahi ,resist aadmi hai
Sahi bat hai bhai
@@universaltruth2 प्राचीनकाल में धर्म, वेद , और अगोचर विषयों पर चर्चा को ही शास्त्रार्थ कहा गया है।
दोनों विद्वानों को एक साथ देखकर प्रसन्नता हुई। जय श्री हरि
ज्ञान गंगा को लाने वाले भागीरथ और गंगा के वेग को धारण करने वाले शिव दोनों महारथी को धन्यवाद सहित प्रणाम 🙏🌸🌸
हिन्दूस्तान के महान संत।
करूणा से परिपूर्ण।
साक्षात ईश्वर!!
आपको बार-बार नमन।
भाषा पर गुरुदेव की पकड, सरलतासे धर्म समझाना अप्रतिम!
Guruju ko pranaam 🙏 AAP please bathaayiye guruji ke eyes q aisaa hai
@@universaltruth2 very very thanks ji.bathaaneke liye my guruuji ke paadhpadmo ko namaskar karthee hu🙏🙏🙏
siraf rta lgaya he in pandit ne ir ye kud isvar ko nhi jan paye he
ढोंगी पाखंडी है ये पापी अंधा। इलाज डॉक्टर से करवाता है और गुणगान काल्पनिक बंदर का करता है।
शर्मा के बेटे लिए नौकरी मांगता है और ओबीसी को गाली देता है।
वाह
हृदय गद गद हो गया कबीरजी की वाणी पर बहुत जबरदस्त व्याख्या
आशुतोष जी आपको कोटि कोटि धन्यवाद हार्दिक नमन गुरुदेव के चरणों में शत शत नमन
बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।
ऐसे ही यूट्यूब चैनल की आवश्यकता है आज, श्री आशुतोष राणा सर जी को बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं 🙏🌺
परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के चरणों में शाष्टांग दंडवत करता हूं 🙏🌺
अद्भुत, अकल्पनीय साक्षात्कार। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कृष्ण द्वैपायन सम्वाद हो रहा है। आशुतोष जी को साधुवाद , और गुरुदेव के लिए कुछ भी कहने के लिए हमारी वाणी सामर्थ हीन है।
Jay Shri Krishna Guruji and Ashutosh Sirji bahuti aachsaji sachme baate suntehi manme bahut santi milteji Dhanyawadji🌺🙏❤🌺🌺🙏❤🌺
परमपूज्य संत शिरोमणी संत श्री आशाराम जी बापू के साथ साथ परमपूज्य संत श्री रामभद्राचार्य के चरणों में शत शत नमन ।
श्री गुरूचरण सरोज रज, निज मन मुकुरि सुधारि । बरनउं रघुवर विमल जसु, जो दायक फल चारि ।
बुद्धिहीन तनु जानके सुमरो पवनकुमार, बल बुद्धि विदया देहु मोहि हरहु कलेश विकारि ।
जय हनमुान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर ।
रामदूत अतुलित बलधमा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा । (1)
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवारि सुमति के संगी ।
कंचन वरन विराज सुवेशा, कानन कुंडल कुंचित केशा । (2)
हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मुज जनेउ साजे ।
शंकर स्वयं केशरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन । (3)
विद्यावान गुनि अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर ।
प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया, रामलखन सीता मन बसिया । (4)
सूक्ष्म रूप धरि सिंअहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा ।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज संवारे । (5)
लाये संजीवन, लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।
रघुपति कीन्हीं बहुत बढाई, तुम मम प्रियं भरतहिं सम भाई । (6)
सहस बदन तुमरो जस गावें, अस कहि श्रीपति कंठ लगावें ।
सनकादिक ब्रम्हादि मुनीषा, नाराद, सारद सहित अहीसा । (7)
यम कुबेर दिग्पाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाये राज पद दीन्हा । (8)
तुमरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना ।
युग सहस्त्र योजन पर भानु, लील्यो ताहिं मधुर फल जानूंं । (9)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहिं, जलधि लांघि गये अचरज नाहिं ।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुमरे तेते । (10)
राम दुवारे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ।
सबसुख लहे तुमारि शरणा, तुम रक्षक काहु को डर ना । (11)
आपन तेज संभारों आपे, तीनों लोक हांक ते कांपे ।
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे । (12)
नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंत हनुमत वीरा ।
संकट ते हनुमान छुडावे, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें । (13)
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकत तुम साजा ।
और मनोरथ जो कोई ध्यावे, सोई अमित जीवन फल पावे । (14)
चारों जुग परताप तुमारा, है प्रसिद्ध जगत उजयारा ।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंद रामदुलारे । (15)
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता ।
राम रसायन तुमरे पासा, सदा रहो रघुर के दासा । (16)
तुमरे भजन राम खों पावें, जनम जनम के दुख विसरावें ।
अंतकाल रघुवर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्ति कहाई । (17)
और देवता चित्त ना धरहिं, हनुमत सेई सर्व सुख करहिं ।
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरंत हनुमत वीरा । (18)
जै जै हनुमंत गुसाईं, कृपा करहु गुरूदेव की नाहिं ।
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंधि महासुख होई । (19)
जो यह पढे हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखि गोरीसा ।
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजे नाथ हृदय मंह डेरा । (20)
पवनतनय संकट हरण मंगलवार मुरति रूप ।
राम लखन सीता सहित सुर भूप । सियावर रामचंद जी की जय
पवनसुत हनुमान जी की जै, बोलों भाई सब संत की जय ।
Kaha jaat ka Dhobi pakhandi,durachari Aasha Ram aor kaha Bramman jagat Guru dono mein tumhe aantar nahi dikhta murkh aadmi.
धन्य हूं मैं, ऐसी धरती पर पैदा हुआ जहां इतने विद्वानों ने जन्म लिया🙏
सौ बार सुनना पड़ेगा तब कुछ समझ में आजाए तो ईश्वर कृपा होगी
Bilkul Satya h
गुरु जी के चरणो में कोटि-कोटि प्रणाम गुरु जी की जय हिंदू राष्ट्र
आशुतोष जी आप बहुत बहुत भाग्यशाली है जो गुरूदेव जी के पास बैठे हुए बातचीत कर रहे उनका आशीर्वाद आप सब परीवार को हमेशा सुख शांती हेल्थ प्रदान करे ❤❤
गुरुदेव जी को कोटि-कोटि नमन🙏🏻 🙏🏻
धन्य है आप आशुतोष जी, जो गुरु जी के साक्षात दर्शन व उनसे इतनी बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ 🙏🏻🙌
अतुलनीय, शत् शत् नमन दोनो महानुभावों को ❤
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जय हो जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी गुरु जी आपके चरणों में कोटि कोटि नमन जय हो
गुरुदेव श्री के चरणों मे प्रणाम!.. आशुतोष जी के प्रयास से गुरुदेव श्री के मुख से निकले ज्ञान को श्रवण करके जीवन धन्य हो गया!.. हरि ॐ
मैं धन्य हो गया जो आखिरकार हमारे देश में सस्त्रो और ज्ञान पे वाद हो रही है।ज्ञान की ये सबसे उच्चतम शिखर है। जो इसे सुन मात्र लेने से मुझे ज्ञान और शांति का अनुभव हो रहा है। आशुतोष जी आपको दिल से ध्यानवाद।
सत्य सनातन धर्म कि सत्य सहजता से शास्त्रार्थ दिव्य गुरुदेव, विद्वानों को नमन करता हूं।
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
महान संत परंपरा के कलियुग में वर्तमान समय के ध्वजा वाहक परम पूजनीय गुरुजी के श्री चरणों में बारम्बार कोटिकोटि प्रणाम!!
हरिकृपा हो तो आशुतोष जनमानस में फिल्म कलाकार से संत शास्त्रार्थ का सौभाग्य पाकर अबोध जिज्ञासु की तरह जानने वालों में सम्माननीय हो जाते हैं।
ज्ञान और भक्ति में क्या सुंदर विभेद किया है गुरु जी ने❤
आशुतोष राणा जी को भूमि पर नीचे बैठकर परम् पूज्य जगतगुरु जी का साक्षात्कार लेना चाहिए था। जय श्रीराम 🙏🏻
Chota soch nahi rakhna chahiye vai ..yeto bahut achha hai gurudev k sath upper baithkar bate karnese gyanka vandar khul jatahai 🙏
सटीक व्याख्या से sanka समाधान हुआ। सादर प्रणाम पूज्य संत श्री के charno में। आशुतोष राणा जी sir को भी नमस्कार और साधुवाद 🙏🙏🙏🙏🙏
This discusson is full of wisdom where Shri Ashutosh ji has come with perfect home work .His holy highness guru Bhadracharya ji is an ocean of knowledge .Mostly Bollywood personalites a particular class is in aggression with Hinduism .Ashutosh ji deserve a big applause .
अशोतोस सर आपको हम बचपन से विलेन के रूप में देख रहे थे किंतु आज वाल्मीकि जी की सत्य कहानी की याद आ गई
आशुतोष राणा sir को बॉलीवुड वाले नही फसा सके।फिल्मी life से एकदम जुदा।मैं गुरु जी और आशुतोष राणा जी को हिदय से प्रणाम करते हैं।
यदृच्छया चोपपन्नां स्वर्गद्वारमपावृतम् ।सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम् ॥2.32॥
अपने-आप प्राप्त हुआ धर्ममय युद्ध खुले हुए स्वर्ग के द्वार के समान ही है। इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय लोग ही पाते हैं।
जय श्री कृष्ण, जय श्री राम, जय वीर हनुमान ।
जगद्गुरु जी के ज्ञान को सही सही सब लोगों तो पहुँचाने का सबसे उत्तम विधा ये प्रश्न उत्तर है प्रवचन नहीं आशुतोष जी आपके इस प्रयास को प्रणाम जय सिया राम
ADBHUT !! ADBHUT 🙏🙏🚩🚩🕉️🌸
Bohut sundar shasharth sunneko mile 😊😊
Jaii jaii shree ram 💪🕉️🔥🙏🦁🔱🚩🚩🚩🚩🌸🌸
Ashutosh Sir's questions are so profound and deep which can really ignite one's consciousness...🔥👏
जय हो बहुत अच्छा शिक्षक मिला गुरुदेव चरणों में शत शत नमन
जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् जयतु संस्कृतम् जयतु संस्कृतम्
बहुत ही सरलता से❤❤❤
बडे भाग मानुष तन पाया और बड़े भाग आप दोनों को पाया जय हो जय हो जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री
काश इस जीवनकाल में ऐसा तर्क सुनने को मिले जिससे जीवन की सत्यता का ज्ञान हो ।
ईश्वर हमें अगला जन्म संतो के चरणों में दे ।
आप दोनों ज्ञानि मनीषियों को प्रणाम दंडवत,🙏🙏🚩💐💐🙂
परम पूज्य गुरुदेव को बारंबार प्रणाम आशुतोष जी आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न लोगों को धर्म के और करीब लाएंगे
अद्भुत आशुतोष जी ऐसा प्रश्न विद्वान ही कर सकता है ❤ महादेव अपनी कृपा बनाए रखें
ओशो के धरती के तत्वों से निर्मित राणा जी प्रश्नों का मायाजाल आप ऐसा बुनते हो कि उत्तर देने वाला ही घूम जाता है.... जय हो दोनों महान आत्माओं ko..❤
What a mature conversation! Shri Rambhadracharya sounds so logical and reasoned.
सद्गुरू श्री जी तो है हि पर आशुतोष जी आप को भी कोटि कोटि प्रणाम
🕉🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🕉
प्रश्न पूंछना भी कला है, पृच्छा जितनी उत्तम होगी उतना आध्यात्मिक गहनता बढ़ेगी, सम्प्रति लोग न प्रश्न पूछना जानते है, न ईश्वर से अनुग्रह करना।आशुतोष जी जितने विद्वान अध्यापक है उतने कुशल छात्र भी है,धन्य है आपकी क्षमता और अद्भुत व्यक्तित्व🎉🎉🎉🎉
आपका भाषाई गियान अद्भुत है और गुरुदेव जी को मेरा सत सत नमन 🙏🙏🙏
बिल्कुल सही कहा गया है जब दो विद्वानों का आपस में साक्षात्कार होता है तो श्रवण करने वालों को सर्वाधिक ज्ञान प्राप्त होता है
आप दोनों भारत के रत्न हैं सादर चरण वंदन 🙏🏻🙏🏻
ज्ञान के सागर श्री श्री १००८ श्री रामभद्राचार्य को कोटि कोटि नमन
अदभुत साक्षात्कार है,दो ज्ञान की धारा का झरणा,एक बुंद का कुछ अंश भी ले सके तो जीवन प्राप्ती की और बढने लग जाये
राधेश्याम गौरीशंकर सीताराम राधेश्याम सीताराम हनुमान
गुरुदेव के बारे में तो कुछ कहने की पात्रता ही हमारे पास नहीं है किन्तु ऐसे संत के साक्षात्कार के लिए आषुतोष जी जैसा ब्यक्तित्व एवं ज्ञान ही चाहिए।
परमपूजनीय श्री जगत गुरु रामभद्राचार्य जी को हमारे तरफ से कोटि कोटि चरण वंदन असंतोष जी को भी जय श्री राधे राधे
Jai shree guru dev maharaj gi ki Jai Ho Jai shree sita ram ram jai shree radhe Krishna radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe
शुद्ध सत्संग
हरि अनंत हरि कथा अनंता !!
गुरुदेव के श्री चरणों में शत-शत नमन 🙏🙏
आनंद आ गया, कोटि कोटि नमन❤
परम पूज्य श्री जगतपुर भगवान के चरण कमालों मे अनंत प्रणाम
श्री जगत गुरु के चरण कमल में अनंत प्रणाम
Excellent talk, we are so thankful to Ashutosh sir please have more episodes with Jagadguru we want to enlighten more with his presence.
Jai Shri Sitaram
Well done Ashutosh ji, because of your questions we are also blessed by Guruji Satsang... and educate ourselves more refined. 😊
❤❤जय श्री सीता राम परम पिता परमात्मा प्रभु भगवान की जय❤❤❤
Jai shree sita ram 🚩🚩🚩🚩🚩🚩.. sanatan dharm ki jai 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️..
गुरुदेव के चरणो में शत् शत् नमन🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🚩🚩
Mujhe Har prashn ka solution Mil Gaya Guruji thank u so Much itne Saral tarike se batane ke liye
बहुत बहुत धन्यवाद!! धर्मशास्त्र पर चर्चा करने के लिए अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ।
Ashuthosh bhai. Best questions and answer session.
मन के अनेकानेक भ्रमों का निवारण होगा आपके वार्तालाप से
बार बार सुनना होगा आपकी बातों को समझने के लिए
आपके सदैव आभारी रहेंगे 🙏🙏
धन्य हैं गुरुदेव जी, इस युग में आप का दर्शन ही भगवान का दर्शन है।
जन साधारण के नित्य उठने वाले प्रश्न एवम्अद्भुत प्रश्न तथा परम् श्रद्देय गुरुवर द्वारा उनका सरल शब्दों र्मे समझाने का प्रयास हम साधारण जन के लिए प्रशाद स्वरूप है।🙏
ऊं नमः शिवाय ऊं शिव-परिवार ऊं जय श्री उमा-माहेश्वर। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय। ऊं जय श्री सीताराम। ऊं जय श्री गुरु महाराज जी को प्रेम स्नेह पूर्वक कोटि कोटि नमन प्रणाम करता हूं सम्पूर्ण परिवार सहित।
सुंदर, ज्ञान वर्धक, जय सियाराम
।।अनमोल वचन।।बोलना सभी को आता है किसी की जुबान बोलती है। किसी की नियत बोलती है किसी का समय बोलता है। किसी का पैसा बोलता है किसी का फरेबी दबदबा (दादा गिरी)बोलती है फिर जिन्दगी के अंत मे यमराज के दरवार मे इंसान का अच्छा और बुरा कर्म बोलता है। तदुपरांत अगले सफर का निर्धारण होता है।।01।।क्योकि सत सनातन परमपिता जी के दरवार मे सभी के कर्मो का खाता।।इसीलिए-उजली करनी करले रे मेरे भाई, कर्म ना करना काला। असंख्य आंखो से देख रहा है तुझको सृष्टी का सिरजनहारा।।उसकी तेज नजरो से भाई बहनो, कोई ना बचने पाता। लाख मनाले देवी देवता, कोई ना बचावनहारा।।02।।अपनी आत्मा को परमात्माराम नाम अखण्ड सारशब्द से मिलाने वाली जड़े जंगल और गुफाओ मे नही है ना ही मूंड मुडाने और जटा बढाने मे निहित है। ना ही देही गुरुओ के बाजार मे और ना ही, जप तप तीरथ व्रत उपवास मे जपा अजपा अनहद के व्यवहार मे। परमात्मा को पहचानने की जड़ तो समय के भेदी सद्गुरु की तलाश मे नीहित है।।03।।सत सनातन परमात्मा का अखण्ड सारशब्द अजर अमर अविनाशी का लखाव तो स्वयं सत सनातन सतगुरु परमात्मा अपनी ओर से सुपात्र के चित्त मे कराते है। समझनियां तो समझ जाएगे और मन मूरख रह जाए ठिल्ली मे। सतगुरु मेरे सतधाम बस्से, और साँई अरुण जी शेलार सतसंग सुनाऐ यूट्यूब और फैश बुक पर रोज दुनिया मे।।04।।सत सनातन शब्द गुरु का साथ और साँई अरुण जी शेलार नासिक महाराष्ट्र का सारशब्दीय सतसंग मे मार्ग दर्शन जीवन मे अच्छे बदलाव ला रहा है। इस घोर कलिकाल मे निर्भय वही है जो सत सनातन सारशब्दीय सतगुरु की शरण मे है। असत्य झूठी प्रकृति के जाप अजपा अनहद की शरण वाला हमेशा काल गाल मे फंसा रह कर बारम्वार जन्मता और मरता रहता है।।05।।,,साँई अरुण जी शेलार नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी 🙏🏻🌹
आषुतोष जी आपका जीवन धन्य हो गया आप अपने जीवन का इस अद्भुत साक्षात्कार को भगवान का सबसे बड़ा तोफा समझें,
ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनको ये अद्भुत तोहफा मिलता है।
गुरुदेव के चरणों में प्रणाम ।
🙏🙏🙏
सत सत प्रणाम गुरुदेव नमः❤
अद्भुत आशुतोष जी । प्रभु श्री राम आप पर सदैव कृपा बनाए रखे ।
What a divine conversation! जयतु- जयतु भारतम!!
I am feeling so proud of myself today that u were my love since Swabhimaan days..today I understand your divinity attracted me..❤❤..stay divine...
गुरु जी आपके गुणों का जितना वर्णन किया जाए कभी संपूर्ण नही किया जा सकता, धन्य है भारत की भूमि आप जैसे दिव्य पुरुष जन्म लेते है समय समय पर
😢😢😢 kitne Mahan hai bhagwan guru Maharaj me ek atheist se phir se insan bn gya mujhe guru Ji ki kirpa mile jai ho sanatan ki me kese misguided ho gya tha 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
Ek dfa bhgat singh ki book padh le wapas atheist ho jayega 😂😂😂
@@Daredevil245-i1y aur tum wapas theist. Yahan jo aa gaye ho 🤣
हम व्यक्ति के मन में जो प्रश्न ,जिज्ञासा होती है उसको आशुतोष राणा जी ने सहज भाव से गुरुदेव से पूछे एवं गुरुदेव ने बहुत ही सरलता से उनका जवाब दिया इससे हमें आध्यात्मिक ज्ञान की और विश्वास आगे बढ़ा दोनों को बहुत बहुत धन्यवाद, नमन
Ashutosh ji.. You are contributing immensely in understanding Hindu n ethos of it. Hats off.
गुरुदेव ने सारी शंका दूर कर दी अब से और नम्र होने की कोशिश करके देखते हैं शायद गुरुजी की कृपा हो जाए वैसे घमंड करने के लायक कुछ बचा ही नहीं हमारे पास पहले से धरती में घड़े हुए हैं अब और जमींदोज कर लेते हैं गुरुदेव अपने आप को बस थोड़ी सी सद्बुद्धि देना
जय श्री सीताराम जी की महाराज जी आपके चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन 🙏🙏🙏
जय श्री राम जय हो गुरु देव भगवान
आशुतोष राणा जी आप महान है
आप के प्रश्न ही धर्म के प्रति आस्था है
बहुत खूब गुरुदेव जी. ये मेरा सौभाग्य है कि मैं आप की वाणी सुन पा रहा हूं. कोटि कोटि प्रणाम
Guru ji aur ashutosh ji ka interview bahut hi accha laga. Jai shri ram.
He guru Brahma he guru Vishnu he Shankar bhagwan ap ke charno me he Guru Dev pranaam ap ke charno me ❤❤❤❤❤❤❤
अदभुत, इंटरव्यू
बहूत ही प्रैक्टिकल प्रश्न थे और उतना ही सरल जवाब। मान गए गुरुजी आपको। आप ने वेद और पुराण के कठीन शब्द डीकोड कर दिया।
दिल खुश हो गया मन में एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हो रही है इसे सुनकर ,आशुतोष राणा आशुतोष राणा है और उनके क्वेश्चंस का आंसर पूज्य गुरुदेव के मुख से सुनकर दिल खुश हो गया पूज्य गुरुदेव रामभद्राचार्य जी के चरणों में शत प्रणाम
My god how simply he gave all the answers of the complicated questions....
Thank you Ashutosh Ji for the questions and thank you Rambhadracharya ji for answering.🙏🏼
जय श्री कृष्ण दादा🙏
गुरु जी के चरणों में दंडवत प्रणाम 🙏
Ashutoshji! Aapka bahot bahot dhanyawad. Aapki madad se aaj mere bahot se ulje hue savalo ke javab mil gaye. 🙏
OUTSTANDING COMUNICATION WITH A GREAT SAINT IN OUR TIME. keep meditating all this words are extremly fruitfull indeed.
परमपूज्य रामभद्राचार्य जी को कोटि कोटि नमन। इनती सुन्दर जवाब सुन कर धन्य कर दिये हम सभी को । आशुतोष जी आपको "आचार्य प्रशांत" जी से भी मिलना चाहिए, उनके पास भी जाके आपको और साफ चीजे पता चलेंगे।
So deep conversation. I need keep watching this discussion again and and again to learn from it.
Guru Nanak Dev Ji,ki वाणी,
ए शरीर सब धर्म है जिस अंदर सच्चे की जोत,।
गुहज रत्न बिच लुक रहया, कोई गुरमुख सेवक कड़े खोत
Bohat Sunder discussion...! हालांकि रामभद्राचार्य जी ने प्रश्नों की सरलतम व्याख्या की... और हो सकता है मैं महाअहंकारी गलत होऊं लेकिन कुछ त्रुटियां जो मुझे दिखी।::
1. अष्टांग योग में धारना के बाद ध्यान आता है!
2. आदिगुरु शंकराचार्य जी ने मन बुद्धि चित अहंकार का अर्थ अधिक गहरा स्पष्ट किया है... इसे अंतहरण कहते हैं और इसी की शुद्धि के लिए सारे ध्यान धारणा योग भक्ति मंत्र जप तप आदि है। उनके अर्थ करूंगा तो विषय लंबा हो जाएगा इसलिए वह फिर कभी..
3.एब्सलूट सत्य के तीक्ष्ण जिज्ञासु के पास अपना सत्य जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती..अन्यथा वह वहीं रुक जाएगा... उसको जब तक एब्सलूट ट्रुथ के दर्शन ना हो जाए तब तक हरएक गुरु से सीखने समझते रहना चाहिए.. यदि आपके पास सीखने वाला मन है तोहर व्यक्ति घटना से आप सीख सकते हो... बस अंतिम सत्य तक पहुंचाने की प्यास अनन्य होनी चाहिए।
4. मिथ्या का अर्थ जो वास्तव में दिखाई दे पर फिर भी एब्सलूट ट्रुथ न हो... बिस्तर में फिर कभी...
5. श्रद्धा से ही श्रुति पैदा होती है...
6. शास्त्र अनुसार धर्म शब्द का अर्थ "जो धारण करने योग्य हो वही धर्म है।"हालांकि कुछ हद तक आचार्य जी भी वही कह रहे हैं..
4. आस्था का भक्ति का मोहब्बत का प्रेम का तर्क से विज्ञान से अधिक गहराई में कुछ लेना देना नहीं है... आचार्य जी सही कह रहे हैं।।
5. हृदय अहंकार और भगवान साथ-साथ साथ नहीं सकते... आचार्य ठीक कह रहे हैं... कबीर जी कहते हैं प्रेम गली अतिसांकरी जा मे दो ना समाही...जहां राधे जू है वहां बस राधे जू ही हैं।।
6. वर्णआश्रम पर आचार्य जी ने बहुत ही सुंदर और पूर्ण कहा है।।
7. कबीर जैसे महाभक्तऔर महाज्ञानी की बात के अर्थ मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैंने पूरी उलट बांसी नहीं सुनी
8. सद्गुरु भगवान की भक्ति की कृपा से मिलते हैं और फिर सतगुरु की कृपा से हृदय में प्रेम का राधा रानी का प्रस्फुटन होता है और साक्षात भगवान मिलते हैं...!!
फिर भी कोई गलती हुई हो तो क्षमा प्रार्थी हूं।।