#सीमांचल

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
  • हम खुद ही हैं इस तबाही के जिम्मेदार।
    आज अगर पूरे हिन्दुस्तान का मुआयना करें तो से साफ साफ जाहिर होता हमेशा अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे के शहरी की हैसियत देखा जाता है आख़िर यह ज़ुल्म हमारे साथ कब तक ?
    भारत का एक प्रसिद्ध राज्य जिसे हम बिहार के नाम से जानते हैं वहां ऐसी तबाही मची है चाहे सैलाब की शक्ल में हो या दिन व रात बारिश की फिर नदी के ज़द में आने वालों के आंखों में ख़ून पानी की तरह बहता नजर आता है जिसे क़लम लिखने से क़ासिर है अवाम का दर्द दिन रात की परेशानी का आलम हर वक़्त ज़िन्दगी और मौत से लड़ते रहते हैं
    बिहार का राज्य ज़िला पूर्णियां पंचायत ताराबाड़ी हर तरफ से डूबता नज़र आरहा है लोग हर तरफ़ से परेशानी के शिकार हैं पूरा गांव टापू की शक्ल ले चुका है अब कोई कसर नहीं बची पंचायत ताराबाड़ी का चंकी गांव का वार्ड नंबर 1 और 2 तकरीबन नदी में जा चुका है और पंचायत ताराबाड़ी का वार्ड नंबर 5 और 6 मेरी मालूमात के मुताबिक़ 14 से 16 घर नदी में समा चुके हैं अगर इसी ही चलता रहा तो गांव और गांव वालों का क्या हाल होगा अल्लाह ही जानता है
    सूत्रों से पता चला है पंचायत ताराबाड़ी में 4000 हज़ार के आसपास वोटर्स हैं जो एक बड़ा अंक है अगर वह पूर्णियां या बायसी जाना चाहें तो उनका रास्ता सिर्फ नाव है और अगर पंचायत के लोग किशनगंज जाना चाहें तो एक रस्ता वार्ड नंबर 1 और 2 से होता हुआ गुजरता है बहुत अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है वह भी अब नदी के ज़द में आने वाला है इन तमाम का में ज़िम्मेदार में सिर्फ मौजूदा MLA या MP को नहीं दूंगा देश में लगभग 67 साल कोंग्रेस ने हुकूमत की फिर भाजपा की सरकार 6 साल से हुकूमत कर रही है और बिहार राज्य में बहुत से मुख्यमंत्री आये चले गए मगर विकास के नाम की सबने टोपी पहनाई
    लालू यादव बिहारियों के अपने भाषण से खुश करते रहे और लोग भी खुश होते रहे फिर नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने सरकारें आईं और चली गई मगर विकास 0%
    आज़ादी के 74 साल बाद भी ताराबाड़ी पंचायत के लोगों को पूरी पक्की सड़क नहीं मिल पाई जो भी थोड़ी बहुत बनी थी वह भी अब नदी में जाने को तैयार साल में कभी एक बार विधायक द्वारा 1 किलो मीटर सड़क बनने पर नेता जी इस तरह शिलन्यास करते हैं जैसे पूरे गांव की सड़क इनके द्वारा ही बनाई गई हो
    ताज्जुब तो इस बात पर है जिन नेताओं ने इनके साथ दोगला पन किया लोगों को जानवरों जैसी ज़िन्दगी देने पर आमादा किया आज वही उनके रहनुमा बने हुवे हैं और फख्र से उनका प्रचार परसार करते हैं उनके लिए आपसी रिश्ते नाते तक खराब कर लेते हैं आज भी नेता जी के नाम पर जान कुर्बान करने को तैयार हैं बस नेता जी हुकुम करें तो सही
    नेता जी अगर कभी भूले भटके इलेक्शन के टाईम पर आगये तो सवाल करने की बजाए नेता जी के नाकामियों को भी कमियाबी में बदलने का काम भी इन्हीं के सर है
    नेता जी ज़िंदाबाद के नारे लगाते हैं और सवाल तो दूर साथ बैठकर फ़ोटो और गले में पार्टी का पट्टा सोशल मीडिया में फोटो अपलोड करते ही हैं कुछ पल नेता जी के साथ और बहुत सारे सम्सियाओं पर चर्चा हुई क्या हुई नहीं हुई यह वही जानते हैं
    फिर रोना किस बात का रोने से किसी कोम को उरूज नहीं मिलता जब कोम सवाल करने के बजाए गुलामी का पट्ठा बांध ले उसके जिम्मेदार हम खुद हैं
    ✍️ A W SEEMANCHAL
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