शंकराचार्य, आदि शंकराचार्य के प्रतिनिधि हैं उनसे किसी की समानता नहीं है ज़बरदस्ती समानता पाने के लिए प्रतिस्पर्द्धा की चुनौती देने वाला उनके स्तर पर पहुँचने का नापाक प्रयास करना चाहता है जो उपेक्षा योग्य है हम लोगों के लिए शंकराचार्य आदरणीयों में प्रथम हैं ।
#walkforcows नमन शंकराचार्य जी को।🙏 #WeSupportShankaracharya #StopHateAgainstShankaracharya #ShankaracharyaIsTheOriginofDharma सत्यम शिवम सुंदरम सत्य सनातन धर्म की जय हो #गौमाँ_हत्या_बन्द_करे_सरकार #Save_Gaumata #रामा #गौमाता_राष्ट्रमाता #FreeTemples हर हर महादेव।जय माँ🙏🔱💐
बिना शंकराचार्य धर्म गुरु ,भारत भुमी में जो भी वयकति राष्ट्र का कुछ निर्णय लेता हैं ,वहं शंकराचार्य के बिना नहिं ले सकता ,क्योंकि भारत हिंदुओंका राष्ट्र हैं ,पाकिस्तान मुसलमान लोगोंका राष्ट्र हैं ,भारत का विभाजन तो हिंदु मुस्लिम के बटवारे पर हिं हुआं ना ,तो भारत में मुसलमानोंका कोई भी विचार ना करें ,हिंदु और हिंदुओंके धर्म गुरु श्री शंकराचार्य ईनका हिं उपदेश का पालन करना चाहिए, जय श्री राम दंडवत प्रणाम वंदन महाराज
*जब तक हमारे पूर्वजों की विरासत धरोहर राजभवन सरकारी भवनों कार्यालयों विद्यालयों तालाबों वाटिकाओं की मूल पहचान नहीं मिलती तब तक हम सभी गुलाम हैं* *जिसको राम मंदिर बोलते हैं वह राजभवन है* *जिसको कृष्ण जन्मभूमि बोलते हैं वह शासकीय भवन कारावास है* *जिसको ज्ञानवापी बोलते हैं वह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया गया वापी कुंआ है* *जिसको द्वारिका तीर्थ बोलते हैं वह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया गया राजभवन है* *मध्य काल में स्वार्थी तत्वों ने अपने स्वार्थ में राजाओं द्वारा निर्मित अनेकों स्थानों का नाम परिवर्तन किया है* *🚩🏹 जय श्री राम 🏹🚩🙏*
अपने अद्भुत ज्ञान दिया इस ज्ञान के लिए हम आपके आभारी हैं आपके जैसे विद्वान हरगांव मोहल्ले में हो तो देश बहुत जल्द तरक्की करेगा और सभी सनातनी अपने धर्म की ओर पुनः वापस लौट आएंगे
@@RamNarayanMouryaVlog *अपने घर परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारियों को निभाना धर्म है जो अपनी इन जिम्मेवारियों से पलायन करते हैं उन्हें अधर्मी बोला जाता है* *आईना कभी झूठ नहीं बोलता है इसलिए नर के अयन आईना को नारायण बोला जाता है* *वर्तमान काल जिसे बॉलीवुड कथा कहानी नाटक इत्यादि मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं उनका आधार पूर्व काल के कथा कहानी नाटक इत्यादि आधारित हैं* *1. शिवजी अजन्मा अविनाशी हैं, सर्वत्र समान रूप से व्याप्त है! शिवजी बिना जन्म लिए शादी करते हैं, उनके दो पुत्र 1. कार्तिकेय 2.गणेश हैं और दो पुत्री 1. मनसा 2. अशोक सुंदरी हैं, वे भष्मासूर से अपने प्राण बचाने के लिए कंदराओं में छिपते हैं, धूमावती देवी शिवजी को निगल जाती हैं* *2. गाय गोकर्ण पैदा करती है, हिरण श्रृंगी ऋषि पैदा करती है, रानी अंडे देती हैं जिसमें एक के अंडे से हजारों सर्प तथा दूसरे के अंडे से पंगु अरुण और गरुड़ पैदा होते हैं* *3. दो रानियां आपस में क्रीड़ा करती हैं और उन दोनों से एक लड़के का आधा आधा शरीर पैदा होता है जिसको जरा नामक राक्षसी जोड़कर जरासंध बना देती है* *4. एक सप्ताह में सात दिन होते हैं प्रत्येक दिन का आरक्षण एक एक देवी देवता के नाम पर है* *5. प्रत्येक घर में सत्यनारायण व्रत कथा होता है जिसमें वक्ता श्रोता को बताते हैं कि सत्यनारायण व्रत करने कथा सुनने के अनेक फायदे हैं और नहीं सुनने से नुकसान ही नुकसान है लेकिन सत्यनारायण कथा क्या है इसको कोई वक्ता नहीं बताते हैं* *सिद्धांत जो व्यावहारिक नहीं है उसका पठन पाठन बंद होना चाहिए*
@@apnibaat8825 जी *परम स्वतंत्र ना सिर पर कोऊ : रामचारित मानस* *जिसको परिवार समाज ने एक दिन के बच्चे से लेकर कामयाब होने तक पालन पोषण किया सयाना होकर अपनी जिम्मेवारियों को त्याग विरक्त हो गया वह परिवार समाज राष्ट्र का सबसे बड़ा शत्रु है "तजहुँ तात मल मूत्र की नाई 🙏*
श्री सीता राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
जय जय श्री सीताराम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
ऐसे ज्ञान को तिलांजलि देता हूं, जो व्यक्ति को घमंड से भर दे, किसी भी तरह से आदर्श व्यक्ति नही दिखते, हर शब्द में दूसरो से श्रेष्ठ होने का अहंकार झलक रहा है। पहले नम्रता सीखिए, वृंदावन वाले गुरु जी से। शायद इसीलिए ज्ञान से ऊपर भक्ति को कहा गया है, क्योंकि ज्ञान अहंकार जबकि भक्ति विनम्रता लाती है।
आपको ज्ञान है कहा जो आप तिलांजलि. दे रहे हास्य और व्यंग मे अन्तर नहीं पता, जो व्यंग करने योग्य है उस पर व्यंग ही होता है, और शंकराचार्य जी किन्ही वृंदावन के गुरु से सीखे वाह, मूर्खतापूर्ण अज्ञान की पराकाष्ठा है आप भक्ति के नाम पर ज्ञान को नीचा कहने मे बड़ा आनंद आ गया क्यू उनमे भक्ति या ज्ञान का स्तर आपसे कम है क्या आपके तथाकथित उन धर्म गुरुओ से कम है जो मोदी के आगे झुनझुना बजाते है
नम्रता की आड़ में पाखंड तो नहीं दिखाई देता शंकराचार्य जी के बारे में कुछ भी बोलने से पहले यह सोच अगर उनकी परंपरा नहीं होती तो आज पूरा भारत नास्तिक बन गया होता
Vrindavan wale Guru ji (pujya Premanand ji) ka hriday se aadar karta hoon lekin Shankaracharya ji se bada main kisi ko nahin maanta, woh bhi (Premanand ji) Varnvyavastha aur samanya dharm karm ke baare mein nahi bolte, jabki varnavyavastha anivarya hai🙏🙏Jay Shri Ram🚩
Bichar ke adhar par shreshta ka nirupan kare jinke bachan aapke chetna ko nisandeh aur tattba samriddh kare ohi satya jagatguru hai Jagat Guru nischalananda ji aise uchha koti ke bibhuti hai। Paramparagat paddhati se baithaya Gaya sabhi shankaracharya uchha koti ke honge iske nirnay aapko lena padega। Byakti vishesh se nirbhar karte hai woh kitne mahan hai
*जब मनुष्य के शरीर के बैक्टीरिया मनुष्य को नहीं जानते तब मनुष्य ब्रह्म को कैसे जान सकते हैं जिनके रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्मांड है* *#ब्रह्म_सत्यम_जगत_मिथ्या** लिखने वाले ने अपने को ब्रह्म से अलग और श्रेष्ठ साबित करने के लिए लिखा है* *#एकोहं_वहुष्याम** एक ब्रह्म ही सभी रूपों में भासता है यही ब्रह्मज्ञान है* *जो जिस लायक उसकी वैसी व्यवस्था करना ही ब्रह्म की अविरल सेवा भक्ति है* *परात्पर गुरुवे नमः 🙏*
@@rakeshmishra679 महाराज जी ईशावाश्योपनिषद का शांति पाठ "ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्ण मुदच्यते......" समझिये तब आपका मतिभ्रम दूर होगा रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्मांड है रामचरित मानस में लिखा है एकोहं वहुष्याम उपनिषद में लिखा है
@@BAAGBIRENDRA-vc8km बहुत अच्छा भईया, मुझे लगा आप जगदगुरु का हल्का सा मजाक उड़ा रहे हैं। बहुत वैष्णवों को शांकर संतों का मजाक उड़ाते सुना है मैंने इसीलिए -----------
@@rakeshmishra679 श्रीमान जी मैं किसी का सपने में भी मजाक नहीं उड़ाता हूं ना जाने किसने कब प्रचार किया है कि #धर्मो_रक्षति_रक्षितः जब कि धर्म का मूल #कर्मों_रक्षति_रक्षितः है धर्म का निर्धारण समय स्थान परिस्थितियां भौगोलिक स्थिति जलवायु तय करतीं हैं कि वर्तमान परिस्थिति में कौन सा कर्म धर्म संगत है और कौन सा कर्म धर्म विरुद्ध है शुभ दिवस ♥️🙏♥️
@@rakeshmishra679 गुरुभाईजी कोई गुरु नहीं है सभी गुरुभाई हैं प्रकृति का एक विपत्ति ऐसा गुरु है कि विपत्ति जो ज्ञान तत्काल देती है वह ज्ञान देने की क्षमता किसी गुरु में नहीं है
ज्ञान का विद्या का महत्व है पद का नहीं पड़ तो पानी के बाद लोकमत में बैठ जाते हैं मत हो जाता है लोग हो जाता है मुंह हो जाता है ज्ञान तो स्वतंत्र है स्वतंत्र है कोई भी ज्ञानी चैलेंज कर सकताहै
कुछ लोग हवा में पत्थर उछाल उछाल कर भारत को विश्वगुरु बनाने की बात करते देखे जाते हैं खासकर एक राजनैतिक दल से जुड़े लोग...........लेकिन वही लोग कभी ये नहीं बताते कि किस क्षेत्र में विश्वगुरु??? शंकराचार्यों जी के बिना विश्वगुरु कैसे बनेगा भारत ........ बिन धर्म, बिन धार्मिक गुरुओं के बनेगा भारत????
इनके सामने तो कबीर भी फैल हैं. यह अहंकार है. संस्कृत बोलने भ र से कोई ज्ञानी नही हो जाता. मैं तो किसी भी शंकराचार्य को आत्मज्ञानी मानता ही नहीं. ये विद्वान लोग हैं लेकिन ज्ञानी नही हैँ. ज्ञानी सिर्फ शास्त्र नहीं जानता है विद्वान लोग सिर्फ़ किताबी ज्ञान रखते हैं
Ewww! who said Ramabhadracharya is a dharma guru? his guru is kalanemi & he belongs to modi parampara. have seen his Rama katha? he says modi will become pm again during Rama katha! Oh sorry! my mistake. He does modi katha NOT Rama katha.
@crackneetug5988 Demons like you will only like such a demon guru who will tell the lie that Modi will no longer become the Prime Minister....but ayega to Modi hi Radhe Radhe😁
*पुराण किसने बनाये.....???* *हमारे भोले भाले हिन्दू भाई समझे बैठे हैं कि अठारह पुराण(मारकण्डेय, भविष्य, भागवत, ब्रह्मवैवर्त्त, ब्रह्माण्ड, शिव, विष्णु, वराह, लिंग, पद्म, नारद, कूर्म, मत्स्य, अग्नि, ब्रह्म, वामन, स्कन्द गरुड) और अठारह उपपुराण (आदि, नरसिंह, वामन, शिवधर्म, दुर्वासा, कपिल, नारद, वरुण, साम्ब, कलकी, महेश्वर, सौर, स्कन्द पराशर, मारीच भास्करः, औशनस, ब्रम्हा) व्यास जी ने बनाये हैं जो कि पराशर के पुत्र थे और महाराजा युधिष्ठिर के समय में विद्यमान थे। जिस समय से वर्तमान काल के कलियुग का प्रारम्भ होता है जिसको आज तक 4991 वर्ष होते हैं, किन्तु पुराणों के अध्ययन से प्रगट होता है कि उनका यह विचार उपयुक्त नहीं है, यह बात निम्नलिखित प्रमाणों से प्रमाणित हो जाएगी। आशा है कि धर्म के जिज्ञासु पक्षपात रहित होकर इसे पढ़ेंगे।* *प्रथम प्रमाण* *अठारह पुराणों में बुद्ध को अवतार स्वीकार किया है और जिस लेख में वर्णन है, उसमें से उनका अतीत काल प्रतीत होता है, भविष्य का नहीं। जो उनकी रहन सहन की पद्धति वर्णित है, वह आजकल के जैनियों के (पूज्यों) गुरुओं से ठीक मिलती है उससे स्पष्ट प्रगट है कि जिस समय अठारह पुराण बनाये गए, उससे पूर्व बुद्ध का अवतार हो चुका था। (देखो शिव पुराण पूर्वार्द्ध खण्ड 1 अ. 5-3-9)* *किन्तु इतिहास के विशेषज्ञों ने, चिह्न, स्मृति, स्तम्भ और बौद्ध मन्दिरों तथा आर्यावर्त, लंका, ब्रह्मा, चीन और तिब्बत की पुस्तकों और अजाएब घरों की मूर्तियों से खोज की है कि बुद्ध विक्रमाजित संवत् से 614 वर्ष पूर्व हुए थे और 80 वर्ष जीवित रहकर निधन को प्राप्त हुए, जिसे आज तक दो सहस्र पांच शत बासठ वर्ष(२५६२ वर्ष) होते हैं और व्यास जी को चार सहस्र नौ सौ इकानवे वर्ष(४९९१ वर्ष) [आर्य पथिक श्री पं० लेखराम जी ने अपनी पुस्तकों में जहां-जहां तिथियों की गणना लिखी है, वह गणना उस पुस्तक मुद्रण काल से लिखी गई है। अनुवादक हुए हैं अर्थात् बुद्ध दो सहस्र चार सौ उन्नीस वर्ष व्यास जी के पीछे हुए हैं। इससे सिद्ध हुआ कि व्यास जी पुराणों के रचयिता नहीं थे।* 1/5
*द्वितीय प्रमाण* *समस्त इतिहासज्ञ इस बात को स्वीकार करते हैं कि रामानुज विक्रमादित्य की द्वादशवीं शती में हुए किन्तु वैष्णव मत का खण्डन लिंग पुराण में विद्यमान है।* *शंख चक्रे तापयित्वा यस्य देहः प्रशस्यते।* *संजीवन् कुणपस्त्याज्यः सर्वधर्म बहिष्कृतः।* *लिंग पुराण* *जिससे शरीर पर तपाकर शंख चक्र के चिह्न लगाये गए हैं वह जीता हुआ भी मृतवतु है और सर्व धर्म कार्यों से बहिष्कृत कर देने के योग्य है।* *इससे प्रगट होता है कि रामानुज के मत के पश्चात् लिंग पुराण में उसका खण्डन हुआ। क्योंकि यह सर्व सम्मत है कि जो बात न हो चुकी हो उसका खण्डन नहीं हो सकता और लिंग पुराण अठारह पुराणों में संख्यात है। अत: रामानुज विक्रमाजित की बारहवीं शती में हुए हैं, अर्थात आज तक उनको हुए 748 वर्ष हुए हैं और जैसाकि ऊपर लिखा जा चुका है कि व्यास जी को 4991 वर्ष हुए हैं जिससे सिद्ध है कि व्यास जी से रामानुज 4243 वर्ष पीछे हुए है अत: लिंग पुराण व्यास कृत नहीं हो सकता।* *◼️तृतीय प्रमाण* *तौज़के जहाँगीरी नायक पुस्तक में जहांगीर बादशाह लिखता है कि में पिता के राज्यकाल में अमरीका से एक पादरी आलु, तम्बाकू, गोभी यह तीन वस्तुयें लाया था। इस बात पर समस्त ऐतिहासिक एक मत हैं किन्तु ब्रह्माण्ड पुराण में लिखा है कि* *प्राप्ते कलियुगे घोरे सर्ववणश्रिमे नरः।* *तमालं भक्षितं येन स गच्छेन्नरकार्णवे॥* *ब्रह्माण्ड पुराण* *इस घोर कलियुग में जो मनुष्य तम्बाकू का सेवन करता है वह नरक को जाता है। और पद्म पुराण में लिखा है कि* *धूम्रपानरतं विप्रं दानं कृण्वंतिये नराः।* *दातारी नरकं यान्ति ब्राह्मणो ग्राम शूकरः॥* 2/5
*भागवत में लिखा है कि राजा परीक्षित के राज्य समाप्ति काल अर्थात् महाभारत के 86 वर्ष के पश्चात् शुकदेव जी ने उनको भागवत सुनाया किन्तु महाभारत के शान्ति पर्व के 332 और 333 अध्यायों से सिद्ध होता है कि जब युद्ध समाप्त हुआ और भीष्म जी के अन्त समय पर युधिष्ठिर , जी उनसे उपदेश सुनने गये तब उन्होंने शुकदेव जी का वर्णन करते हुए कहा कि बहुत समय हुआ कि उनकी मृत्यु हो गई और उनके मरने पर व्यास जी का शोक मग्न होना भी लिखा है। युधिष्ठिर जी इस प्रकार से पूछते हैं, मानो उन्होंने देखा ही नहीं था और उस समय राजा परीक्षित गर्भ में थे। जब परीक्षित के जन्म से पूर्व ही शुकदेव जी मर गये थे तो उनको 96 वर्ष पश्चात् भागवत सुनाना असम्भव है और सत्य यह है जैसा कि देवी भागवत के अनुवादक ने लिखा है कि वास्तव में भागवत बोपदेव ने रचा है और जब भागवत शुकदेव ने नहीं सुनाया तथा परीक्षित ने नहीं सुना,* *जिनसे व्यासदेव बहुत पहिले हो चुके हैं तो सिद्ध हुआ कि व्यास देव जी भागवतकार नहीं हैं।* *◼️सप्तम प्रमाण* - *पद्म पुराण के उत्तरखण्ड के भागवत महात्म्य के प्रथमाध्याय में श्लोक 28 से 32 तक लिखा है कि नारद जी व्याकुल अवस्था में सनकादि को मिले और कहा कि काशी, सोमनाथ, रामेश्वर आदि स्थानों पर यवनों ने मन्दिरों को गिरा दिया और उन पर अधिकार लिया अर्थात मस्जिदें बना ली और यही अवस्था आश्रमों की हुई। किन्तु स्पष्ट है कि यह अब महमूद के समय से औरंगजेब के समय तक होती रही। अतः स्पष्ट प्रगट है कि पद्म पुराण को बने हुए संवत् 1014 से 1326 का समय हुआ है।* *अष्टम प्रमाण* *अठारह पुराणों में ऋषि मुनियों और देवताओं की निन्दा लिखी है और पर मिथ्या कलंक लगाये हैं ? जैसा कि* *1. ब्रह्मा जी पर पुत्री समागम का कलंक।* *2. कृष्ण जी को कुआ और राधिका है।* *3. महादेव जी को ऋषि पत्नियों से।* *4. विष्णु को जलंधर की स्त्री वृंदा से।* *5. इन्द्र को गौतम की स्त्री से।* *6. सूर्य को कुन्ती से।* *7. चंद्रमा को अपने गुरु बृहस्पति को स्त्री तारा से।* *8. वायु देवना को केसरी बन्दर की स्त्री अंजना से।* *9. वरुण देवता को अगस्त्य देवता की माता उर्वशी से।* *10 बृहस्पति को अपने भाई की स्त्री ममता से।* *11. विश्वामित्र को उर्वशी से।* *12, पराशर को मत्स्योदरी से।* *13. देव को दासी से।* *14. द्रौपदी को पांच पतियों से।* *15. देवियों को मांसभक्षा से।* *16. वामन को छल से।* *17. बलदेव को मद्यपान से कलंकृत किया है तथा ।* *18. रामचन्द्र को छल से सूरमा बालि के वध आदि का कलंक तथा सब ऋषि, मुनि, देवताओं पर कलंक लगाया परन्तु बुद्ध पर कोई कलंक नहीं लगाया और नास्तिक मत को कई स्थानों पर प्रगट किया है, इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि पुराणों के रचयिता बौद्ध हैं,व्यासदेव जी नहीं।* 4/5
*◼️नवम प्रमाण* *व्यास कृत वेदान्त सूत्रों और योग भाष्य से संसार में स्पष्ट रूप से उनका धर्म समस्त विद्वानों पर प्रगट है किन्तु यह अठारह पुराण उनके स्पष्ट विरुद्ध हैं उनका अभिप्राय उनके लिये शास्त्रों से नहीं मिलता इससे अच्छी प्रकार विदित होता है कि यह पुराण उनके दाग निर्मित नहीं हैं।* *◼️दशम प्रमाण* *देवी भागवत में लिखा है कि एक राजा का लड़का किसी एक म्लेच्छ वेश्या पर आसक्त होकर पतित हो गया। यह बात तो सूर्यवत् स्पष्ट है कि जब मुसलमान नहीं आए थे तब मुसलमान वेश्याएं भी न थीं तो उन पर कोई आसक्त भी न हो सकता था अतः इससे प्रगट् है कि देवी भागवत मुस्लिम काल में बना है और व्यास जी ने नहीं बनाया है।* *धर्म शास्त्र के अनुसार ब्राह्मण का कार्य पढ़ना और पढ़ाना है जैसा कि मनुस्मृति में लिखा है कि-* *योऽनधीत्यद्विजो वेदमन्त्रयत्र कुरूते श्रमस्।* *सजीवन्नेव शूद्रत्वमाशुगच्छति सान्वयः॥* *अर्थ-जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य वेदों को नहीं पढ़ता और अन्य कार्यों में परिश्रम करता है। तो वह जीवन में ही शीघ्र सपरिवार शूद्रत्व को प्राप्त करता है। देखिये अत्रीस्मृति में भी लिखा है कि -* *वेदर्विहीनाश्च पठन्ति शास्त्रं शास्त्रेण हीनाश्च पुराण पाठाः।* *पुराण हीना कृषिणो भवन्ति भ्रष्टास्ततो भागवताः भवन्ति ।* *अर्थ-वेद विहीन लोग शास्त्र पढ़ते हैं, शास्त्र से पतित लोग पुराण पढ़ते हैं, पुराण विहीन सो कृषि कार्य करते हैं और सबसे पतित लोग भागवत पढ़ने वाले होते हैं।* *जहाँगीर के राज्यकाल में भक्त तुलसीदास जी का निधन हुआ था। यथा-* *संवत सोला सौ अस्सी असी नग के तीर।* *सावन शुक्ला पंचमी तुलसी तन्यो शरीर॥* *जहाँगीर की संवत् 1684 में मृत्यु हुई थी। इससे सिद्ध हुआ कि तुलसी कृत रामचरित मानस (तुलसी कृत रामायण) को बने हुए 1948-1684 त्र 264 वर्ष हुए।* *इन प्रमाणों से स्पष्ट प्रगट होता है कि समस्त पुराण नवीन हैं। केवल चारों वेद ही सनातन हैं।* *ओ३म् शान्ति ! शान्ति !! शान्ति !!!* *✍🏻 लेखक- अमर हुतात्मा धर्मवीर पण्डित लेखराम आर्य पथिक 📖 पुस्तक - पं० लेखराम ग्रन्थ-संग्रह (कुल्लियाते आर्य मुसाफ़िर) [भाग-२]* 5/5
@@rameshverma4461 जी दाद एक ऐसा रोग है जो खुजलाने में आनंद आता है लेकिन बाद में उसमें जलन पैदा होता है *हिंदू धर्माचार्यों कथावाचकों ने हिंदुओं तड़पा तड़पाकर मारने का विधि विधान बनायें हैं* *जिन देवी देवताओं से साधक को शक्ति मिलनी चाहिए उन्हीं देवी देवताओं के वस्त्र आभूषण मूर्तियां चोरी हो जाती हैं मूर्तियां तोड़ दी जाती हैं मंदिर टूट जाते हैं* *एक महीने में 30 - 31 दिन होता है* *पंडित द्वारा रचित 40 दिन का चालीसा पाठ 40* *सप्ताह में हर दिन के अलग व्रत कथा 7 x 4 = 28* *नवरात्रि 4 x 9 = 36* *पूर्णिमा अमावस्या 2* *एकादशी 2* *अक्षय तृतीया अक्षय नवमी 2* ------------------------------------------------------------------------------- *कुल 110* ------------------------------------------------------------------------------- *ये होम वर्क आपको 30 दिनों तक पंडित जी के देखरेख में करना है* *ऊपर से रोग निवारण ग्रहदोष निवारण पुत्र धन प्राप्ति के लिए जो पंडित जी जितने लाख मंत्रों जाप कराने का बताएंगे उनको भी इसी 30 दिनों के अंदर ही करना है* *पंडित जी को दक्षिणा देकर खुश रखना है नहीं तो सब गुड़ गोबर हो जायेगा* *कोई कितना कमायेगा इन कामों से समय मिलेगा तब न कमायेगा उसको भी कमाकर पंडित जी को दे देना है! बैकों से लोन लेगा दानपेटी पहले से रखा हुआ है या तो हिंदू धर्म परिवर्तन करेगा या हिंदू पलायन करेगा* *4. रक्षा के लिए 👉 मंत्र कवच लक्ष्मी प्राप्ति मारण मोहन वशीकरण स्तम्भन उच्चाटन विद्वेषण की रचना की गई है जो प्रायः सभी देवी देवताओं के नाम पर अनेकों हैं। इतने मन्त्रों, कवचों के रहते गौहत्या अपहरण बलात्कार हत्यायें रोकने के बदले जहां हैं वहीं से पलायन कर रहे हैं,उन्हीं देवी देवताओं के प्राण प्रतिष्ठा होने के बावजूद सभी धर्मों के धर्मस्थल मन्दिर मस्जिद दरगाह चर्च गुरुद्वारे टूट रहे हैं, बाढ़ आने पर डूब रहे हैं* *महीने दो महीने के भीतर प्रत्येक दिन वार तिथि के प्रत्येक देवी देवताओं की पूजा पाठ, चालीसा पाठ, नवग्रहों के जप विधि विधान, 4 नवरात्रि, अक्षय तृतीया, अक्षय नवमी, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, महामृत्युंजय, नवार्ण, द्वादश मंत्रों, शिवचर्चा, वटसावित्री, 18 पुराण इत्यादि 30 + 40 + 9 + 36 + 6 + 5 + 18 = 144 प्रकार के विधि विधान हैं* *पंडित जी बोलते हैं लगे रहो यजमान 🤗* *🚩 🏹🌹 जय श्री राम 🙏🌹🏹🚩*
Believe ke sath problems kam ho prathana toh kuchh kaam karte hai jo adiguru Shankaracharya ji ne prakat kiye hai ek paise earn hai nahi source nahi tab toh bhikhari hi hone ke equal ohh time par ,jitne jarurat ho utne ,aise baton mein saralta dikhti hai
Gyan ka mazak mat banaye ...padai ke sath logical aurvlateral thinking bhee jarooree hai Siksha bhee samay ke sath adjust hona sikhata hai ..samay ke sath jo gya ko logical samajhta hai. Khaan paan. Gyan sab shathan aur samay ke sath
तुम्हारे पप्पा का जन्म भी नहीं हुआ था उससे पहले ये संन्यासी है,,मोदी को पप्पा मानना बंद कर के एक बार हिंदू धर्म की बुद्धि लगा के सोचो क्या तुम सही हो अपने धर्म के प्रति
कोटि कोटि वंदन भगवान शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के चरणों में
जगद्गुरु भगवान् श्री शंकराचार्य स्वामी जी के पावन चरणों में नमन् करते हैं🌹💐🌹💐
जय हो । परम् पूज्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द जी महाराज की जय ।
मुद मंगलमय संत समाजू । जो जग जंगम तीरथराजू ॥ शंकराचार्य जी भगवान के श्री चरणों में कोटिशः प्रणाम
गुरुदेव भगवान श्रीशंकराचार्य जी महाराज के श्रीचरणों में कोटि कोटि प्रणाम
अभद्रदास को भगवान शंकराचार्य जी ने बढ़िया उत्तर दिया
अभद्राचार्य को ऊत्तर देना आवश्यक था और आज ये चलचित्र आपने डाल दिया. धन्यवाद.
शंकराचार्य, आदि शंकराचार्य के प्रतिनिधि हैं उनसे किसी की समानता नहीं है ज़बरदस्ती समानता पाने के लिए प्रतिस्पर्द्धा की चुनौती देने वाला उनके स्तर पर पहुँचने का नापाक प्रयास करना चाहता है जो उपेक्षा योग्य है हम लोगों के लिए शंकराचार्य आदरणीयों में प्रथम हैं ।
सचिव,बैद्य,गुरु तीन जो प्रिय बोलैं भय आस। राजा धर्म तन तीन कर होहिं बेग ही नास ।।
गुरुदेव भगवान शंकराचार्य स्वामी श्री को नमन 🌷
Shankaracharya ka virodh rare toh galat lekin shankaracharya bhagwan Ram ka virodh kare vo sahi
😢😢😢😢
#walkforcows
नमन शंकराचार्य जी को।🙏
#WeSupportShankaracharya
#StopHateAgainstShankaracharya #ShankaracharyaIsTheOriginofDharma
सत्यम शिवम सुंदरम
सत्य सनातन धर्म की जय हो
#गौमाँ_हत्या_बन्द_करे_सरकार #Save_Gaumata #रामा #गौमाता_राष्ट्रमाता #FreeTemples
हर हर महादेव।जय माँ🙏🔱💐
प्रणिपात सदगुरुदेव भगवान 🙏🌹
ऊंट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता है तब तक उसे लगता है कि मैं सबसे ऊंचा हूं।वही दशा श्री रामभद्राचार्य जी की है।
@vilasm9765
रामभद्राचार्य पाखंडी है।
बिना शंकराचार्य धर्म गुरु ,भारत भुमी में जो भी वयकति राष्ट्र का कुछ निर्णय लेता हैं ,वहं शंकराचार्य के बिना नहिं ले सकता ,क्योंकि भारत हिंदुओंका राष्ट्र हैं ,पाकिस्तान मुसलमान लोगोंका राष्ट्र हैं ,भारत का विभाजन तो हिंदु मुस्लिम के बटवारे पर हिं हुआं ना ,तो भारत में मुसलमानोंका कोई भी विचार ना करें ,हिंदु और हिंदुओंके धर्म गुरु श्री शंकराचार्य ईनका हिं उपदेश का पालन करना चाहिए, जय श्री राम दंडवत प्रणाम वंदन महाराज
Vibhajan ke bad sarva samtise deshne dharm nirpeksh samajwadi jantanrase rastra ko chalaneke liye ghatana ke nirdeshanusar sarkar hakegi karo bat.
ये संकर आचार्य केवल अद्वैत के प्रतिनिधि है हिंदुओ के नही और ये महाराज तो अहंकार के कारण विक्षिप्त हो चुके है।
Shankracharya ji ko naman. Jai Jai Shree Ram
*जब तक हमारे पूर्वजों की विरासत धरोहर राजभवन सरकारी भवनों कार्यालयों विद्यालयों तालाबों वाटिकाओं की मूल पहचान नहीं मिलती तब तक हम सभी गुलाम हैं*
*जिसको राम मंदिर बोलते हैं वह राजभवन है*
*जिसको कृष्ण जन्मभूमि बोलते हैं वह शासकीय भवन कारावास है*
*जिसको ज्ञानवापी बोलते हैं वह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया गया वापी कुंआ है*
*जिसको द्वारिका तीर्थ बोलते हैं वह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया गया राजभवन है*
*मध्य काल में स्वार्थी तत्वों ने अपने स्वार्थ में राजाओं द्वारा निर्मित अनेकों स्थानों का नाम परिवर्तन किया है*
*🚩🏹 जय श्री राम 🏹🚩🙏*
अपने अद्भुत ज्ञान दिया इस ज्ञान के लिए हम आपके आभारी हैं आपके जैसे विद्वान हरगांव मोहल्ले में हो तो देश बहुत जल्द तरक्की करेगा और सभी सनातनी अपने धर्म की ओर पुनः वापस लौट आएंगे
@@RamNarayanMouryaVlog
*अपने घर परिवार समाज राष्ट्र की जिम्मेवारियों को निभाना धर्म है जो अपनी इन जिम्मेवारियों से पलायन करते हैं उन्हें अधर्मी बोला जाता है*
*आईना कभी झूठ नहीं बोलता है इसलिए नर के अयन आईना को नारायण बोला जाता है*
*वर्तमान काल जिसे बॉलीवुड कथा कहानी नाटक इत्यादि मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं उनका आधार पूर्व काल के कथा कहानी नाटक इत्यादि आधारित हैं*
*1. शिवजी अजन्मा अविनाशी हैं, सर्वत्र समान रूप से व्याप्त है! शिवजी बिना जन्म लिए शादी करते हैं, उनके दो पुत्र 1. कार्तिकेय 2.गणेश हैं और दो पुत्री 1. मनसा 2. अशोक सुंदरी हैं, वे भष्मासूर से अपने प्राण बचाने के लिए कंदराओं में छिपते हैं, धूमावती देवी शिवजी को निगल जाती हैं*
*2. गाय गोकर्ण पैदा करती है, हिरण श्रृंगी ऋषि पैदा करती है, रानी अंडे देती हैं जिसमें एक के अंडे से हजारों सर्प तथा दूसरे के अंडे से पंगु अरुण और गरुड़ पैदा होते हैं*
*3. दो रानियां आपस में क्रीड़ा करती हैं और उन दोनों से एक लड़के का आधा आधा शरीर पैदा होता है जिसको जरा नामक राक्षसी जोड़कर जरासंध बना देती है*
*4. एक सप्ताह में सात दिन होते हैं प्रत्येक दिन का आरक्षण एक एक देवी देवता के नाम पर है*
*5. प्रत्येक घर में सत्यनारायण व्रत कथा होता है जिसमें वक्ता श्रोता को बताते हैं कि सत्यनारायण व्रत करने कथा सुनने के अनेक फायदे हैं और नहीं सुनने से नुकसान ही नुकसान है लेकिन सत्यनारायण कथा क्या है इसको कोई वक्ता नहीं बताते हैं*
*सिद्धांत जो व्यावहारिक नहीं है उसका पठन पाठन बंद होना चाहिए*
Baba ki bhasa me dambh jhalkta hai,vinaysheelta nahi.aap ji kewal modi virodhi ahankari saadhu hai.pranaam ji
@@apnibaat8825 जी
*परम स्वतंत्र ना सिर पर कोऊ : रामचारित मानस*
*जिसको परिवार समाज ने एक दिन के बच्चे से लेकर कामयाब होने तक पालन पोषण किया सयाना होकर अपनी जिम्मेवारियों को त्याग विरक्त हो गया वह परिवार समाज राष्ट्र का सबसे बड़ा शत्रु है "तजहुँ तात मल मूत्र की नाई 🙏*
जय सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम जय सीताराम।
श्री सीता राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
Ram ram 🙏🙏🙏
जय जय श्री सीताराम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
Shree jagadguru shankaracharya ji ke Charo me barambaar vandan
Shankaracharya hi he jo hindu dharm ko bacha sakta he.
ऐसे ज्ञान को तिलांजलि देता हूं, जो व्यक्ति को घमंड से भर दे, किसी भी तरह से आदर्श व्यक्ति नही दिखते, हर शब्द में दूसरो से श्रेष्ठ होने का अहंकार झलक रहा है। पहले नम्रता सीखिए, वृंदावन वाले गुरु जी से। शायद इसीलिए ज्ञान से ऊपर भक्ति को कहा गया है, क्योंकि ज्ञान अहंकार जबकि भक्ति विनम्रता लाती है।
आपको ज्ञान है कहा जो आप तिलांजलि. दे रहे हास्य और व्यंग मे अन्तर नहीं पता, जो व्यंग करने योग्य है उस पर व्यंग ही होता है, और शंकराचार्य जी किन्ही वृंदावन के गुरु से सीखे वाह, मूर्खतापूर्ण अज्ञान की पराकाष्ठा है आप भक्ति के नाम पर ज्ञान को नीचा कहने मे बड़ा आनंद आ गया क्यू उनमे भक्ति या ज्ञान का स्तर आपसे कम है क्या आपके तथाकथित उन धर्म गुरुओ से कम है जो मोदी के आगे झुनझुना बजाते है
हां असली भक्ति तो मोदी योगी को दंडवत करने वालो में ही होती हैं🥴😆😆
नम्रता की आड़ में पाखंड तो नहीं दिखाई देता शंकराचार्य जी के बारे में कुछ भी बोलने से पहले यह सोच अगर उनकी परंपरा नहीं होती तो आज पूरा भारत नास्तिक बन गया होता
Vrindavan wale Guru ji (pujya Premanand ji) ka hriday se aadar karta hoon lekin Shankaracharya ji se bada main kisi ko nahin maanta, woh bhi (Premanand ji) Varnvyavastha aur samanya dharm karm ke baare mein nahi bolte, jabki varnavyavastha anivarya hai🙏🙏Jay Shri Ram🚩
संस्कृत छांटना ही हिन्दीभाषी संतों की दृष्टि में महानता है।
BJP को ले डूबे रामभद्र ------------
Kripya ek prashn ka ek video banayenge to bahu accha hoga. 🙏🏼🚩
Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare
Kotishah naman gurudev 🙏🏼🙏🏼🙇♀️
पुस्तक पढकर मनुष्य तर्क कुतर्क ही करता है सबसे जरूरी है आत्मज्ञान जो आजकल के धर्म गुरूओं के पास नही है
To murkh ban jana chahiye
जय जगत् गुरु महाराज की जय
JagatGuru Shankaracharya Bagwaan ki Jai Jai
Bichar ke adhar par shreshta ka nirupan kare jinke bachan aapke chetna ko nisandeh aur tattba samriddh kare ohi satya jagatguru hai Jagat Guru nischalananda ji aise uchha koti ke bibhuti hai।
Paramparagat paddhati se baithaya Gaya sabhi shankaracharya uchha koti ke honge iske nirnay aapko lena padega। Byakti vishesh se nirbhar karte hai woh kitne mahan hai
Jai Gurudev
Koti Koti Naman
Jai Ho sadguru Dev bhagwan ki jai ho saty bachan
*जब मनुष्य के शरीर के बैक्टीरिया मनुष्य को नहीं जानते तब मनुष्य ब्रह्म को कैसे जान सकते हैं जिनके रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्मांड है*
*#ब्रह्म_सत्यम_जगत_मिथ्या** लिखने वाले ने अपने को ब्रह्म से अलग और श्रेष्ठ साबित करने के लिए लिखा है*
*#एकोहं_वहुष्याम** एक ब्रह्म ही सभी रूपों में भासता है यही ब्रह्मज्ञान है*
*जो जिस लायक उसकी वैसी व्यवस्था करना ही ब्रह्म की अविरल सेवा भक्ति है*
*परात्पर गुरुवे नमः 🙏*
आप,कैसे जान गये कि रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्माण्ड है - ?
@@rakeshmishra679 महाराज जी
ईशावाश्योपनिषद का शांति पाठ "ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्ण मुदच्यते......" समझिये तब आपका मतिभ्रम दूर होगा
रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्मांड है रामचरित मानस में लिखा है
एकोहं वहुष्याम उपनिषद में लिखा है
@@BAAGBIRENDRA-vc8km बहुत अच्छा भईया,
मुझे लगा आप जगदगुरु का हल्का सा मजाक उड़ा रहे हैं।
बहुत वैष्णवों को शांकर संतों का मजाक उड़ाते सुना है मैंने इसीलिए -----------
@@rakeshmishra679 श्रीमान जी
मैं किसी का सपने में भी मजाक नहीं उड़ाता हूं
ना जाने किसने कब प्रचार किया है कि #धर्मो_रक्षति_रक्षितः
जब कि धर्म का मूल #कर्मों_रक्षति_रक्षितः है
धर्म का निर्धारण समय स्थान परिस्थितियां भौगोलिक स्थिति जलवायु तय करतीं हैं कि वर्तमान परिस्थिति में कौन सा कर्म धर्म संगत है और कौन सा कर्म धर्म विरुद्ध है
शुभ दिवस ♥️🙏♥️
@@rakeshmishra679 गुरुभाईजी
कोई गुरु नहीं है सभी गुरुभाई हैं
प्रकृति का एक विपत्ति ऐसा गुरु है कि विपत्ति जो ज्ञान तत्काल देती है वह ज्ञान देने की क्षमता किसी गुरु में नहीं है
❤❤❤❤❤ जय शिव शंभू
अभिमान राजा रावण का भी नही टीक सका जय हो शंकराचार्य महाराज की
Koti Koti Pranam
Swamiji ki jai!!❤❤❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞
गुरुदेव, भारत से तंबाकू धुम्रपान शराब जैसे व्यसन से मुक्ती दिलवा पायेंगे??? कब ??
संदेसखाली पे कुछ बोलिये पूज्यवर
जय श्रीराम जय श्रीराम
ज्ञान का विद्या का महत्व है पद का नहीं पड़ तो पानी के बाद लोकमत में बैठ जाते हैं मत हो जाता है लोग हो जाता है मुंह हो जाता है ज्ञान तो स्वतंत्र है स्वतंत्र है कोई भी ज्ञानी चैलेंज कर सकताहै
Bhakti apne jagah .... Rajnitee apne jagah. Samay sab se balwan hai hhaiya
हर हर महादेव
Iska matlab Sanskrit ka gyan bahut achcha hai
आर्य समाज अमर रहे
शंकराचार्य ही सच्चा कहने में ज्यादातर रह गये है
दंडवत सरकार के चरणों में।
🚩🙏🚩
इंन्द्र का सिंहासन डोलाने वाले 😂😂😂
जय गुरु देव
कुछ लोग हवा में पत्थर उछाल उछाल कर भारत को विश्वगुरु बनाने की बात करते देखे जाते हैं खासकर एक राजनैतिक दल से जुड़े लोग...........लेकिन वही लोग कभी ये नहीं बताते कि किस क्षेत्र में विश्वगुरु???
शंकराचार्यों जी के बिना विश्वगुरु कैसे बनेगा भारत ........
बिन धर्म, बिन धार्मिक गुरुओं के बनेगा भारत????
भारत मे शास्त्रर्थ की परमपरा रही है आएऔर शासत्र्थ करे
मच्छर चला है पर्वत उड़ाने।🤣🤣🤣🤣 और कोई इस लायक मिल गया जो शंकराचार्य प्रभु के समान हो तो ,मध्यस्थता क्या आप करेंगे?
💐💐🌼🙏🌼💐💐
We don't know what is true. Media created most of the problems in this field of शंकराचार्य
समझ नहीं आ रहा है कि ईर्ष्या किसकी कम है दंभ किसका कम है।
Shiv Shankar pralayankar.
गायब होजा जल्द ही पुलिस ढूंढेगी
❤🙏🙏
Send this achar to our vibhuthipur matt our guru dev is gold medalist in sanskrit he will not b able to talk
Kya savaal pooch rha hai? Ek line me char baar matlab matlab bol rha hai...
वो शोले का डायलॉग कितने आदमी थे?
कुछ धर्मांध लोगों को इकट्ठा कर जगद्गुरु बने फिर रहे है।
🙏🙏🙏
🙏🙏
इनके सामने तो कबीर भी फैल हैं. यह अहंकार है. संस्कृत बोलने भ र से कोई ज्ञानी नही हो जाता. मैं तो किसी भी शंकराचार्य को आत्मज्ञानी मानता ही नहीं. ये विद्वान लोग हैं लेकिन ज्ञानी नही हैँ. ज्ञानी सिर्फ शास्त्र नहीं जानता है विद्वान लोग सिर्फ़ किताबी ज्ञान रखते हैं
Ewww! who said Ramabhadracharya is a dharma guru? his guru is kalanemi & he belongs to modi parampara.
have seen his Rama katha? he says modi will become pm again during Rama katha! Oh sorry! my mistake. He does modi katha NOT Rama katha.
@crackneetug5988 Demons like you will only like such a demon guru who will tell the lie that Modi will no longer become the Prime Minister....but ayega to Modi hi Radhe Radhe😁
*पुराण किसने बनाये.....???*
*हमारे भोले भाले हिन्दू भाई समझे बैठे हैं कि अठारह पुराण(मारकण्डेय, भविष्य, भागवत, ब्रह्मवैवर्त्त, ब्रह्माण्ड, शिव, विष्णु, वराह, लिंग, पद्म, नारद, कूर्म, मत्स्य, अग्नि, ब्रह्म, वामन, स्कन्द गरुड) और अठारह उपपुराण (आदि, नरसिंह, वामन, शिवधर्म, दुर्वासा, कपिल, नारद, वरुण, साम्ब, कलकी, महेश्वर, सौर, स्कन्द पराशर, मारीच भास्करः, औशनस, ब्रम्हा) व्यास जी ने बनाये हैं जो कि पराशर के पुत्र थे और महाराजा युधिष्ठिर के समय में विद्यमान थे। जिस समय से वर्तमान काल के कलियुग का प्रारम्भ होता है जिसको आज तक 4991 वर्ष होते हैं, किन्तु पुराणों के अध्ययन से प्रगट होता है कि उनका यह विचार उपयुक्त नहीं है, यह बात निम्नलिखित प्रमाणों से प्रमाणित हो जाएगी। आशा है कि धर्म के जिज्ञासु पक्षपात रहित होकर इसे पढ़ेंगे।*
*प्रथम प्रमाण*
*अठारह पुराणों में बुद्ध को अवतार स्वीकार किया है और जिस लेख में वर्णन है, उसमें से उनका अतीत काल प्रतीत होता है, भविष्य का नहीं। जो उनकी रहन सहन की पद्धति वर्णित है, वह आजकल के जैनियों के (पूज्यों) गुरुओं से ठीक मिलती है उससे स्पष्ट प्रगट है कि जिस समय अठारह पुराण बनाये गए, उससे पूर्व बुद्ध का अवतार हो चुका था। (देखो शिव पुराण पूर्वार्द्ध खण्ड 1 अ. 5-3-9)*
*किन्तु इतिहास के विशेषज्ञों ने, चिह्न, स्मृति, स्तम्भ और बौद्ध मन्दिरों तथा आर्यावर्त, लंका, ब्रह्मा, चीन और तिब्बत की पुस्तकों और अजाएब घरों की मूर्तियों से खोज की है कि बुद्ध विक्रमाजित संवत् से 614 वर्ष पूर्व हुए थे और 80 वर्ष जीवित रहकर निधन को प्राप्त हुए, जिसे आज तक दो सहस्र पांच शत बासठ वर्ष(२५६२ वर्ष) होते हैं और व्यास जी को चार सहस्र नौ सौ इकानवे वर्ष(४९९१ वर्ष) [आर्य पथिक श्री पं० लेखराम जी ने अपनी पुस्तकों में जहां-जहां तिथियों की गणना लिखी है, वह गणना उस पुस्तक मुद्रण काल से लिखी गई है। अनुवादक हुए हैं अर्थात् बुद्ध दो सहस्र चार सौ उन्नीस वर्ष व्यास जी के पीछे हुए हैं। इससे सिद्ध हुआ कि व्यास जी पुराणों के रचयिता नहीं थे।*
1/5
*द्वितीय प्रमाण*
*समस्त इतिहासज्ञ इस बात को स्वीकार करते हैं कि रामानुज विक्रमादित्य की द्वादशवीं शती में हुए किन्तु वैष्णव मत का खण्डन लिंग पुराण में विद्यमान है।*
*शंख चक्रे तापयित्वा यस्य देहः प्रशस्यते।*
*संजीवन् कुणपस्त्याज्यः सर्वधर्म बहिष्कृतः।*
*लिंग पुराण*
*जिससे शरीर पर तपाकर शंख चक्र के चिह्न लगाये गए हैं वह जीता हुआ भी मृतवतु है और सर्व धर्म कार्यों से बहिष्कृत कर देने के योग्य है।*
*इससे प्रगट होता है कि रामानुज के मत के पश्चात् लिंग पुराण में उसका खण्डन हुआ। क्योंकि यह सर्व सम्मत है कि जो बात न हो चुकी हो उसका खण्डन नहीं हो सकता और लिंग पुराण अठारह पुराणों में संख्यात है। अत: रामानुज विक्रमाजित की बारहवीं शती में हुए हैं, अर्थात आज तक उनको हुए 748 वर्ष हुए हैं और जैसाकि ऊपर लिखा जा चुका है कि व्यास जी को 4991 वर्ष हुए हैं जिससे सिद्ध है कि व्यास जी से रामानुज 4243 वर्ष पीछे हुए है अत: लिंग पुराण व्यास कृत नहीं हो सकता।*
*◼️तृतीय प्रमाण*
*तौज़के जहाँगीरी नायक पुस्तक में जहांगीर बादशाह लिखता है कि में पिता के राज्यकाल में अमरीका से एक पादरी आलु, तम्बाकू, गोभी यह तीन वस्तुयें लाया था। इस बात पर समस्त ऐतिहासिक एक मत हैं किन्तु ब्रह्माण्ड पुराण में लिखा है कि*
*प्राप्ते कलियुगे घोरे सर्ववणश्रिमे नरः।*
*तमालं भक्षितं येन स गच्छेन्नरकार्णवे॥*
*ब्रह्माण्ड पुराण*
*इस घोर कलियुग में जो मनुष्य तम्बाकू का सेवन करता है वह नरक को जाता है। और पद्म पुराण में लिखा है कि*
*धूम्रपानरतं विप्रं दानं कृण्वंतिये नराः।*
*दातारी नरकं यान्ति ब्राह्मणो ग्राम शूकरः॥*
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*भागवत में लिखा है कि राजा परीक्षित के राज्य समाप्ति काल अर्थात् महाभारत के 86 वर्ष के पश्चात् शुकदेव जी ने उनको भागवत सुनाया किन्तु महाभारत के शान्ति पर्व के 332 और 333 अध्यायों से सिद्ध होता है कि जब युद्ध समाप्त हुआ और भीष्म जी के अन्त समय पर युधिष्ठिर , जी उनसे उपदेश सुनने गये तब उन्होंने शुकदेव जी का वर्णन करते हुए कहा कि बहुत समय हुआ कि उनकी मृत्यु हो गई और उनके मरने पर व्यास जी का शोक मग्न होना भी लिखा है। युधिष्ठिर जी इस प्रकार से पूछते हैं, मानो उन्होंने देखा ही नहीं था और उस समय राजा परीक्षित गर्भ में थे। जब परीक्षित के जन्म से पूर्व ही शुकदेव जी मर गये थे तो उनको 96 वर्ष पश्चात् भागवत सुनाना असम्भव है और सत्य यह है जैसा कि देवी भागवत के अनुवादक ने लिखा है कि वास्तव में भागवत बोपदेव ने रचा है और जब भागवत शुकदेव ने नहीं सुनाया तथा परीक्षित ने नहीं सुना,* *जिनसे व्यासदेव बहुत पहिले हो चुके हैं तो सिद्ध हुआ कि व्यास देव जी भागवतकार नहीं हैं।*
*◼️सप्तम प्रमाण* - *पद्म पुराण के उत्तरखण्ड के भागवत महात्म्य के प्रथमाध्याय में श्लोक 28 से 32 तक लिखा है कि नारद जी व्याकुल अवस्था में सनकादि को मिले और कहा कि काशी, सोमनाथ, रामेश्वर आदि स्थानों पर यवनों ने मन्दिरों को गिरा दिया और उन पर अधिकार लिया अर्थात मस्जिदें बना ली और यही अवस्था आश्रमों की हुई। किन्तु स्पष्ट है कि यह अब महमूद के समय से औरंगजेब के समय तक होती रही। अतः स्पष्ट प्रगट है कि पद्म पुराण को बने हुए संवत् 1014 से 1326 का समय हुआ है।*
*अष्टम प्रमाण* *अठारह पुराणों में ऋषि मुनियों और देवताओं की निन्दा लिखी है और पर मिथ्या कलंक लगाये हैं ? जैसा कि*
*1. ब्रह्मा जी पर पुत्री समागम का कलंक।*
*2. कृष्ण जी को कुआ और राधिका है।*
*3. महादेव जी को ऋषि पत्नियों से।*
*4. विष्णु को जलंधर की स्त्री वृंदा से।*
*5. इन्द्र को गौतम की स्त्री से।*
*6. सूर्य को कुन्ती से।*
*7. चंद्रमा को अपने गुरु बृहस्पति को स्त्री तारा से।*
*8. वायु देवना को केसरी बन्दर की स्त्री अंजना से।*
*9. वरुण देवता को अगस्त्य देवता की माता उर्वशी से।*
*10 बृहस्पति को अपने भाई की स्त्री ममता से।*
*11. विश्वामित्र को उर्वशी से।*
*12, पराशर को मत्स्योदरी से।*
*13. देव को दासी से।*
*14. द्रौपदी को पांच पतियों से।*
*15. देवियों को मांसभक्षा से।*
*16. वामन को छल से।*
*17. बलदेव को मद्यपान से कलंकृत किया है तथा ।*
*18. रामचन्द्र को छल से सूरमा बालि के वध आदि का कलंक तथा सब ऋषि, मुनि, देवताओं पर कलंक लगाया परन्तु बुद्ध पर कोई कलंक नहीं लगाया और नास्तिक मत को कई स्थानों पर प्रगट किया है, इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि पुराणों के रचयिता बौद्ध हैं,व्यासदेव जी नहीं।*
4/5
*◼️नवम प्रमाण* *व्यास कृत वेदान्त सूत्रों और योग भाष्य से संसार में स्पष्ट रूप से उनका धर्म समस्त विद्वानों पर प्रगट है किन्तु यह अठारह पुराण उनके स्पष्ट विरुद्ध हैं उनका अभिप्राय उनके लिये शास्त्रों से नहीं मिलता इससे अच्छी प्रकार विदित होता है कि यह पुराण उनके दाग निर्मित नहीं हैं।*
*◼️दशम प्रमाण*
*देवी भागवत में लिखा है कि एक राजा का लड़का किसी एक म्लेच्छ वेश्या पर आसक्त होकर पतित हो गया। यह बात तो सूर्यवत् स्पष्ट है कि जब मुसलमान नहीं आए थे तब मुसलमान वेश्याएं भी न थीं तो उन पर कोई आसक्त भी न हो सकता था अतः इससे प्रगट् है कि देवी भागवत मुस्लिम काल में बना है और व्यास जी ने नहीं बनाया है।*
*धर्म शास्त्र के अनुसार ब्राह्मण का कार्य पढ़ना और पढ़ाना है जैसा कि मनुस्मृति में लिखा है कि-*
*योऽनधीत्यद्विजो वेदमन्त्रयत्र कुरूते श्रमस्।*
*सजीवन्नेव शूद्रत्वमाशुगच्छति सान्वयः॥*
*अर्थ-जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य वेदों को नहीं पढ़ता और अन्य कार्यों में परिश्रम करता है। तो वह जीवन में ही शीघ्र सपरिवार शूद्रत्व को प्राप्त करता है। देखिये अत्रीस्मृति में भी लिखा है कि -*
*वेदर्विहीनाश्च पठन्ति शास्त्रं शास्त्रेण हीनाश्च पुराण पाठाः।*
*पुराण हीना कृषिणो भवन्ति भ्रष्टास्ततो भागवताः भवन्ति ।*
*अर्थ-वेद विहीन लोग शास्त्र पढ़ते हैं, शास्त्र से पतित लोग पुराण पढ़ते हैं, पुराण विहीन सो कृषि कार्य करते हैं और सबसे पतित लोग भागवत पढ़ने वाले होते हैं।*
*जहाँगीर के राज्यकाल में भक्त तुलसीदास जी का निधन हुआ था। यथा-*
*संवत सोला सौ अस्सी असी नग के तीर।*
*सावन शुक्ला पंचमी तुलसी तन्यो शरीर॥*
*जहाँगीर की संवत् 1684 में मृत्यु हुई थी। इससे सिद्ध हुआ कि तुलसी कृत रामचरित मानस (तुलसी कृत रामायण) को बने हुए 1948-1684 त्र 264 वर्ष हुए।*
*इन प्रमाणों से स्पष्ट प्रगट होता है कि समस्त पुराण नवीन हैं। केवल चारों वेद ही सनातन हैं।*
*ओ३म् शान्ति ! शान्ति !! शान्ति !!!*
*✍🏻 लेखक- अमर हुतात्मा धर्मवीर पण्डित लेखराम आर्य पथिक 📖 पुस्तक - पं० लेखराम ग्रन्थ-संग्रह (कुल्लियाते आर्य मुसाफ़िर) [भाग-२]*
5/5
@BAAGBIRENDRA-vc8km एक रहस्य की बात बताए सुनिए "नीम का पत्ता का पत्ता कड़वा है दयानन्द *** है 😁
@@rameshverma4461 जी
दाद एक ऐसा रोग है जो खुजलाने में आनंद आता है लेकिन बाद में उसमें जलन पैदा होता है
*हिंदू धर्माचार्यों कथावाचकों ने हिंदुओं तड़पा तड़पाकर मारने का विधि विधान बनायें हैं*
*जिन देवी देवताओं से साधक को शक्ति मिलनी चाहिए उन्हीं देवी देवताओं के वस्त्र आभूषण मूर्तियां चोरी हो जाती हैं मूर्तियां तोड़ दी जाती हैं मंदिर टूट जाते हैं*
*एक महीने में 30 - 31 दिन होता है*
*पंडित द्वारा रचित 40 दिन का चालीसा पाठ 40*
*सप्ताह में हर दिन के अलग व्रत कथा 7 x 4 = 28*
*नवरात्रि 4 x 9 = 36*
*पूर्णिमा अमावस्या 2*
*एकादशी 2*
*अक्षय तृतीया अक्षय नवमी 2*
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*कुल 110*
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*ये होम वर्क आपको 30 दिनों तक पंडित जी के देखरेख में करना है*
*ऊपर से रोग निवारण ग्रहदोष निवारण पुत्र धन प्राप्ति के लिए जो पंडित जी जितने लाख मंत्रों जाप कराने का बताएंगे उनको भी इसी 30 दिनों के अंदर ही करना है*
*पंडित जी को दक्षिणा देकर खुश रखना है नहीं तो सब गुड़ गोबर हो जायेगा*
*कोई कितना कमायेगा इन कामों से समय मिलेगा तब न कमायेगा उसको भी कमाकर पंडित जी को दे देना है! बैकों से लोन लेगा दानपेटी पहले से रखा हुआ है या तो हिंदू धर्म परिवर्तन करेगा या हिंदू पलायन करेगा*
*4. रक्षा के लिए 👉 मंत्र कवच लक्ष्मी प्राप्ति मारण मोहन वशीकरण स्तम्भन उच्चाटन विद्वेषण की रचना की गई है जो प्रायः सभी देवी देवताओं के नाम पर अनेकों हैं। इतने मन्त्रों, कवचों के रहते गौहत्या अपहरण बलात्कार हत्यायें रोकने के बदले जहां हैं वहीं से पलायन कर रहे हैं,उन्हीं देवी देवताओं के प्राण प्रतिष्ठा होने के बावजूद सभी धर्मों के धर्मस्थल मन्दिर मस्जिद दरगाह चर्च गुरुद्वारे टूट रहे हैं, बाढ़ आने पर डूब रहे हैं*
*महीने दो महीने के भीतर प्रत्येक दिन वार तिथि के प्रत्येक देवी देवताओं की पूजा पाठ, चालीसा पाठ, नवग्रहों के जप विधि विधान, 4 नवरात्रि, अक्षय तृतीया, अक्षय नवमी, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, महामृत्युंजय, नवार्ण, द्वादश मंत्रों, शिवचर्चा, वटसावित्री, 18 पुराण इत्यादि 30 + 40 + 9 + 36 + 6 + 5 + 18 = 144 प्रकार के विधि विधान हैं*
*पंडित जी बोलते हैं लगे रहो यजमान 🤗*
*🚩 🏹🌹 जय श्री राम 🙏🌹🏹🚩*
और गुरुओ मे भेद करके उनकी बुराई करना भी नामापराध है
ye to asan or pad ke liy je rhe hi ye dambh nhe chonte hi himmat hi to svikar kro
Jiske man me irshya jalan dikhawa moh lobh lalach mad maya evam ahankar ho woh kabhi sant nhi hosakta h
Wrong title
अए धडाधण्डड संस्कृत बोलेनबोलेसे कुक्षक्षभीनहिंहोगा सनश्यरहितत्
(संस्कृतसशंकिर््र्ण्ण संस्
कृत बाण्ढें पुतपिता करमा कर्म अकर्म===का आलुटमाटर?
This is not a saint's mantality
Believe ke sath problems kam ho prathana toh kuchh kaam karte hai jo adiguru Shankaracharya ji ne prakat kiye hai ek paise earn hai nahi source nahi tab toh bhikhari hi hone ke equal ohh time par ,jitne jarurat ho utne ,aise baton mein saralta dikhti hai
Gyan ka mazak mat banaye ...padai ke sath logical aurvlateral thinking bhee jarooree hai
Siksha bhee samay ke sath adjust hona sikhata hai ..samay ke sath jo gya ko logical samajhta hai. Khaan paan. Gyan sab shathan aur samay ke sath
Koi bhi biyakti Jagat guru Jano ke beech me tippni na Karo apne liye dono hi Param bandniy hai
O
Madhandh mhrz
शंकराचार्य जी के लक्षण नहीं दिख रहे हैं । सनातन के विरोधी मत बनो । योगी मोदी है तभी आप बोल पा रहे हैं । नहीं आज तक आप भी धर्मांतरित हो गए होते ।।
Bhai ye 50 वर्षों से संस्यासी हैं, क्या मजाक कर रहे? बीजेपी तो पिछले 10 साल से ही हैं। होश में रह कर मोदी योगी को भक्ति किया करो।
मोदी योगी की बात कहा से आ गई
तुम्हारे पप्पा का जन्म भी नहीं हुआ था उससे पहले ये संन्यासी है,,मोदी को पप्पा मानना बंद कर के एक बार हिंदू धर्म की बुद्धि लगा के सोचो क्या तुम सही हो अपने धर्म के प्रति
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के विषय मे क्या विचार है।
To Galt Kay kaha sahi kaha jagat guru rambhadracharya ji ne
आर्य समाज के नए आर्य समाजी आपको गुरुदेव सदेव गाली।देते है
Jagat Guru se inko mirichi lagati hai thik se to inko bolena to ata nahi jagat guru ki burai kerne ka koi moke nahi chodte
जय श्रीराम जय श्रीराम
जय गुरुदेव
🙏🙏