जगदगुरु शंकराचार्य जी श्री निश्चलानंदसरस्वती जी की जय । गुरु के ज्ञान और वाणी से ही संशय मिट ता है, एसे ही जगदगुरु शंकरचाचार्य जी है, जो हमारी अज्ञान और संशय दूर करते है । जय हो ।
🙏 pranaam to Shankaracharya Ji Swami Nischalananda Saraswati Swami ji, my favourite amongst everyone..🙏his divine Grace is everywhere even in kaliyuga..long live the tradition of Shankaraacharya ji & long live our Swami ji..God bless him with great robust health..I'm using TH-cam in right way💫
रामेश्वर चंडक का दंडवत प्रणाम स्वीकार करें आपके द्वारा विस्तृत रूप से सुनाई गई वर्ण व्यवस्था, के अनुरूप कर्म, सर्वश्रेष्ठ नीति है हमें यह ज्ञात भी हुआ की वैश्य वर्ण के लिए वानप्रस्थ और सन्यास, निशिद्ध है। पुनः प्रणाम गुरुवर।
जय हो जगत्गुरुजी महाभाग स्वामी जी ने जन्म से प्राप्त जाति एवं कर्म से प्राप्त स्वभाव में वर्ण तथा आश्रम की उपयोगिता को सार्थक साबित कर दिया जैसे समझने से सभी भ्रम, मतभेद दूर हो जाते हैं जो आधुनिक तथाकथित विद्वान, बुद्धिजीवी वर्गौ में प्रचुर मात्रा में विस्फोटक रूप से विद्यमान हैं।👋👋🙏🙏👌👌❤❤
भगवद गीता कहती है की " जाे अपने आप प्राप्त हाे उसीमे संतुष्ट हाेना चाहिए." ताे फिर प्लानिंग करना जैसे प्रॉफिट के लिए या फिर परिक्षा में नंबर लाने के लिए गलत है? काेई उचित मार्गदर्शन करे 🙏🙏🙏
@@simfinso858 अगर ऐसा होता तो भगवान श्री कृष्ण क्यो अर्जुन से युध्द करने को कहते (कर्तव्य कर्म करने की सलाह) जबकि उन्होंने 11 बे अध्याय में कहा ह की मने इन योद्धाओं को पहले ही मर दिया ह (यानी कर्मफल पहले ही fix ह)??? 👉यानी जो होना ह वो तो वैसे भी होना ह लेकिन जीवो को कर्तव्य कर्म नही त्यागने चाइये 👉जीविका कमाना मनुष्य मात्र का कर्तव्य ह तो प्लानिंग भी इसी कर्तव्य के अंतर्गत आती ह 🙏🙏🙏🙏🙏🙏जय श्री राम
मैं इस विषय को जहाँ तक समझता हूँ उसके अनुसार प्रभु की आज्ञा यह है कि हम जहाँ हैं उस जगह हमारा जो कर्तव्य कर्म है उसे पूरी कुशलतापूर्वक संपन्न करें पर फलरूप में जो भी प्राप्त हो उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करें...हाय-तौबा,ये हड़प लूँ,ये गटक लूँ--ऐसा भाव ना रहे। मेहनत करें और आनंद से जिएँ। धन्यवाद!
जन्म से प्राप्तवर्ण को स्थिर करने के लिए यज्ञोपवीत धारण कर वर्ण मेँ पूर्णतःस्थिर होते हैँ ।अपनेवर्ण से ऊपर नहीँ जा सकते प्राप्तवर्ण मेँ स्थिर होना अनिवार्य है अन्यथा अपनेवर्ण से पतित होकर नीचे गिर जावोगे पतित तो यही चाहेँगे अतः उपनयन धारण कर वर्णाश्रमधर्म को कठोरता से पालन कर अपनेवर्ण मेँ स्थिर हो जावो।।
@@ramanand8111 रोमनलिपि त्यागने से और देवनागरीलिपि अपनाने से ही आर्यधर्मदेशभाषाजातिवृद्धि होगी अतः देवनागरीलिपि अपनाओ सङ्कोच कैसा क्या ऐसा करने के लिए किसीने तो मुँहहाथपाँव नहीँ बाँध रक्खे हैँ।।
नमस्कार!आपके न्याय के अनुरूप विचार करें तो जो जीव जिस- तिस(माता,बहन आदि) से समागम करते हैं वह भी जीवित हैं तो क्या हमें उनका ही अनुशरण करना चाहिये?? या जीवों को छोड़ दें तो क्या कुछ मानवसमाज(विशेष कारणों से नाम नहीं लिया) भी ऐसे नहीं हैं जिनमें संतानोत्पत्ति के लिए कोई विशेष बंधन नहीं है तो क्या हमें उनका ही अनुशरण करना चाहिये?? श्रीशंकराचार्य महाभाग आत्मोन्नति के ज्ञान के अनुकूल आत्मलाभ के लिए ये विधि-निषेध बता रहे हैं अगर कोई वह आत्मवस्तु/कल्याण/परमात्मतत्व नहीं चाहता तो वह उनकी बातों की अवहेलना करने के लिए स्वतंत्र ही है। धन्यवाद!
जगदगुरु शंकराचार्य जी श्री निश्चलानंदसरस्वती जी की जय । गुरु के ज्ञान और वाणी से ही संशय मिट ता है, एसे ही जगदगुरु शंकरचाचार्य जी है, जो हमारी अज्ञान और संशय दूर करते है । जय हो ।
Dhanya ho guruji
Hum shudra varn se hai
Aapke Pravachan se saare Doubts dur Ho Gaye👌❤
Beautiful Explanation, NAMO NARAYAN, PRABHU KO NAMAN.
🙏 pranaam to Shankaracharya Ji Swami Nischalananda Saraswati Swami ji, my favourite amongst everyone..🙏his divine Grace is everywhere even in kaliyuga..long live the tradition of Shankaraacharya ji & long live our Swami ji..God bless him with great robust health..I'm using TH-cam in right way💫
रामेश्वर चंडक का दंडवत प्रणाम स्वीकार करें
आपके द्वारा विस्तृत रूप से सुनाई गई वर्ण व्यवस्था, के अनुरूप कर्म, सर्वश्रेष्ठ नीति है
हमें यह ज्ञात भी हुआ की वैश्य वर्ण के लिए
वानप्रस्थ और सन्यास, निशिद्ध है।
पुनः प्रणाम गुरुवर।
जय हो जगत्गुरुजी महाभाग स्वामी जी ने जन्म से प्राप्त जाति एवं कर्म से प्राप्त स्वभाव में वर्ण तथा आश्रम की उपयोगिता को सार्थक साबित कर दिया जैसे समझने से सभी भ्रम, मतभेद दूर हो जाते हैं जो आधुनिक तथाकथित विद्वान, बुद्धिजीवी वर्गौ में प्रचुर मात्रा में विस्फोटक रूप से विद्यमान हैं।👋👋🙏🙏👌👌❤❤
जगद्गुरु भगवानजी के चरणों में सपरिवार दण्डवत् प्रणाम ।
हे परम पुज्य स्वामी जी,
आपके चरणों में कोटि-कोटि-कोटि वन्दन हैं !!
आपकी सदा ही जय हों ।
🙏🙏 सीताराम सीताराम सीताराम 🙏🙏
भ्रम दूर हो गया। आपके चरणों में कोटिशः नमन।।
गुरुदेव महाराज के श्री चरणों में प्रणाम
जय हो सद्गुरु देव जी भगवान कोटि कोटि नमन सत्य वचन
कोटि कोटि नमन है, महाभाग आपके श्रीचरणों में
😇🙏🌿🌿🌿🌿🌿🙏😇
हे महानुभाव आपके उत्तर के बाद मन के सभी प्रश्न मिट गए 🙏
श्री राम जय राम जय जय राम जय जगन्नाथ महाप्रभु की ।।
Param pujay shankerachaya ji Maharaj ji ki Jay
Please donate to goverdhan math_
जय हो। जय हो।
Jagannath swami Nayan pathagami bhavatu me 🙏Bhagwan Shree Shankaracharyaji ko koti koti Pranam 🙏 🙏🙏 🙏
Har har mahadave
गुरु देव भगवान शंकराचार्य स्वामी श्री को नमन
नारायण नारायण
दंडवत प्रणाम गुरु देव
Jai Gurudev 🌹❣️🙏🌹🙏❣️🌹
जय जगन्नाथ महाप्रभु।
Shiva avtar gurudev ko pranam
जगतगुरु भगवान शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के चरणों में कोटि-कोटि साष्टांग प्रणाम।
नमाे नारायण महात्मा जी 🙏🙏🙏🚩🚩🚩
ॐ नमः शिवाय !!
जय महामाया
जय जगन्नाथ जी जयगुरुदेव
जय जय जय 🙏
Har har mahadev
guru charnu mein naman
Jai shree Ram ji Jai Guru Dev Ji Ko koti koti pranam ji 🙏🙏🌹🌹💐💐
Jagadguru Shankaracharya Ji ke charno mein Mahadev ke bhakt ka koti koti pranam 🚩🚩🚩🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
That's pretty high quality translation
🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌸🌸🌸
जय गुरुदेव
श्री राम. जय जगन्नाथ
हर हर महादेव
जय भारतवर्ष
Shankaracharya Bhagwan ki jai
Jai Jagannath 🙏🏼🙏🙏
🙏
Pranamm
🙏😇🙏🌞🙏🌝🙏
प्रणाम गुरु जी, धन्यवाद, परन्तु संशय नहीं मिटा, प्रश्न ये था कि, मेरे पूर्वज ब्राह्मण थे, क्या इस कारण मेरी जीविका वेद आदी के पाठ से होना चाहिए?
ha kyun nahi? agar arthik wajah se dusre karm krne ho toh bhi sandhya adi karm krte rehna chahiye
नमस्कारम् सद्गुरु
नमस्कार !!
भगवद गीता कहती है की " जाे अपने आप प्राप्त हाे उसीमे संतुष्ट हाेना चाहिए." ताे फिर प्लानिंग करना जैसे प्रॉफिट के लिए या फिर परिक्षा में नंबर लाने के लिए गलत है? काेई उचित मार्गदर्शन करे 🙏🙏🙏
पंडित विवेक मिश्रा प्रभु समझे नही इसलिए गुरू के पास आये है ना? आप काे अगर आता है ताे मार्गदर्शन करने की कृपा किजीए
@@simfinso858 अगर ऐसा होता तो भगवान श्री कृष्ण क्यो अर्जुन से युध्द करने को कहते (कर्तव्य कर्म करने की सलाह)
जबकि उन्होंने 11 बे अध्याय में कहा ह की मने इन योद्धाओं को पहले ही मर दिया ह (यानी कर्मफल पहले ही fix ह)???
👉यानी जो होना ह वो तो वैसे भी होना ह लेकिन जीवो को कर्तव्य कर्म नही त्यागने चाइये
👉जीविका कमाना मनुष्य मात्र का कर्तव्य ह तो प्लानिंग भी इसी कर्तव्य के अंतर्गत आती ह
🙏🙏🙏🙏🙏🙏जय श्री राम
XYZ EVERYTHING वाह बहाेत सुंदर धन्यवाद.
मैं इस विषय को जहाँ तक समझता हूँ उसके अनुसार प्रभु की आज्ञा यह है कि हम जहाँ हैं उस जगह हमारा जो कर्तव्य कर्म है उसे पूरी कुशलतापूर्वक संपन्न करें पर फलरूप में जो भी प्राप्त हो उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करें...हाय-तौबा,ये हड़प लूँ,ये गटक लूँ--ऐसा भाव ना रहे।
मेहनत करें और आनंद से जिएँ।
धन्यवाद!
स्वामी जी कई दफा आप का व्याख्यान समझने में दुर्गम हो जाता है किरपया कर के सरल भाषा में samysa का समाधान करें
आर्य चतुर्वर्णयुक्त हैँ ।अपने वर्णाश्रमधर्म का कठोरता से पालन करो।।
जन्म से प्राप्तवर्ण को स्थिर करने के लिए यज्ञोपवीत धारण कर वर्ण मेँ पूर्णतःस्थिर होते हैँ ।अपनेवर्ण से ऊपर नहीँ जा सकते प्राप्तवर्ण मेँ स्थिर होना अनिवार्य है अन्यथा अपनेवर्ण से पतित होकर नीचे गिर जावोगे पतित तो यही चाहेँगे अतः उपनयन धारण कर वर्णाश्रमधर्म को कठोरता से पालन कर अपनेवर्ण मेँ स्थिर हो जावो।।
Patit kaun Kai .shudra or antayaj
@@ramanand8111 जो वेदनिन्दक और आर्यधर्मदेशजातिविरुद्ध लिखनेबोलनेकरनेहारे स्वपक्षक्षयकारक हैँ।।
@@ramanand8111 रोमनलिपि त्यागने से और देवनागरीलिपि अपनाने से ही आर्यधर्मदेशभाषाजातिवृद्धि होगी अतः देवनागरीलिपि अपनाओ सङ्कोच कैसा क्या ऐसा करने के लिए किसीने तो मुँहहाथपाँव नहीँ बाँध रक्खे हैँ।।
@@राजन्यसिंहवर्मा it is not necessary I should agree with you
Jati ka hona Kya jarori hai Jin desho Mai jati system nahi wo Kya jeewan yapan nahi Kar rahe
नमस्कार!आपके न्याय के अनुरूप विचार करें तो जो जीव जिस- तिस(माता,बहन आदि) से समागम करते हैं वह भी जीवित हैं तो क्या हमें उनका ही अनुशरण करना चाहिये??
या जीवों को छोड़ दें तो क्या कुछ मानवसमाज(विशेष कारणों से नाम नहीं लिया) भी ऐसे नहीं हैं जिनमें संतानोत्पत्ति के लिए कोई विशेष बंधन नहीं है तो क्या हमें उनका ही अनुशरण करना चाहिये??
श्रीशंकराचार्य महाभाग आत्मोन्नति के ज्ञान के अनुकूल आत्मलाभ के लिए ये विधि-निषेध बता रहे हैं अगर कोई वह आत्मवस्तु/कल्याण/परमात्मतत्व नहीं चाहता तो वह उनकी बातों की अवहेलना करने के लिए स्वतंत्र ही है।
धन्यवाद!
Arey Maharaj kshamaa karein
A horrible justification for casteism. Shameful.
Tumhe toh dharma ka ABCD bhi abhi nahi ata bachhu 🤣🤣
bakwaas
🙏🙏🙏