प्रणाम,जय गुरुदेव, यह स्त्रोत्रं जो आपने डिस्क्रिप्शन मैं मैं दिया है पूरा नही है,जहाँ तक है वहा तक तो इसे साथ मैं पढ़ सकते है फिर इसे सिर्फ सुन ही सकते है,ॐ गणेशाय नमः से पूरा ही स्तोत्र डाल दे दो उत्तम रहेगा धन्यवाद
सप्रयोग महाविद्या पाठ का महत्व ************************ पराम्बा जगदम्बा महाविद्या की पाठ इस कलिकाल में सर्वश्रेष्ठ , महत्त्वपूर्ण एवं शीघ्र फलदायक है । समस्त विघ्न - बाधाओं तथा अनिष्ट ग्रहों की शान्ति एवं शत्रु - विनाश के लिये प्रस्तुत ' सप्रयोग - महाविद्यास्तोत्र ' बहुत ही उपयोगी प्रयोग है । इसके द्वारा स्तोत्रपाठ , जप एवं मन्त्रानुष्ठान से शीघ्रातिशीघ्र कार्य सिद्ध होता है , इसमें संशय नहीं । घर में भूत - प्रेतादि विघ्न - बाधाओं के लिए तो यह रामबाण है l महाविद्या स्तुति का नियमित रूप से पाठ करने या सुनने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं ! महाविद्या स्तुति का पाठ करने या सुनने से धन , लाभ , कीर्ति , प्रसिद्धि , विजय , यश , समृद्धि , पौरुष और बल आदि की प्राप्ति होती हैं ! और साथ ही ज्ञानश्चेतना , प्राणश्चेतना , समाधि , ब्रह्मज्ञान , मोक्ष और पूर्णता भी प्राप्त होती है । नमो नारायण🌷
Is Maa Amritananda Saraswati who is recorded here? I’m very moved by the power of this beautiful recitation and would really appreciate any help if there are other names I can search for info about her with. I can’t seem to find information in English. Many thanks.
Yes, it's recorded by Maa Amritananda Saraswati, Anant Shree Vibhushit 🙏🏻 You can connect her on FB as YOGIRAJ MAA AMRITANANDA SARASWATI & FB page : ANANTSHREE MAA AMRIT PREM Be blessed Namo Narayan🌷
नमः शिवाय धन्यवाद जय गुरुदेव दत्तात्रेय
Bahut dhanyawad
Jai vairevey
જય માતાજી.
Pranam guru matre prathna h apka ashirvad sada rahe mere jivan par
ATI sunder Puja 10 Mahavir ya Mata ka
🙏🌹
🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
Aati utam 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Maa MahaVidya 👏👏 🤗🤗
🙏🌹🇮🇳💐
महाशक्ति. सर्वा मनोकामना पूर्ण महा शक्ति मंत्र
🙏
राम राम
जय मां भवानी
जय माता श्री 🙏🏽
Jay mata dasmahavidhya
महाविद्या महामाया महाभय विनाशिनी। ज्वाला कराल वदनां,रक्त दंतिका,लोल जिह्वां,,,,,,,,,,,,,,,,।
Jai prasekti
💐
Joi joi Maa Tara
Durlavam Tarini margang Durlavam Tarini padam
Joi joi Maa Tara
Clear pronounciation
🙏🙏
Jay mata di
Jay maha shakti
I am highly obliged, blessed by Maa ❤
ॐ
जय हो
Jai.mata.di
Atyant sundar
Jay Mataji
Jay jagannth Jay jagannth jay
🙏🌺☘️
Jai mata sarswti Ji
🙏🌹🌺
Ji gur mata ji mata di
જયમાતાજી
अति सुंदर प्रस्तुति
❤🎉
🌺🙏
Kripa Karo man
Jaymhadewahnmh
Jai mata di
Bahut bahut dhanyawad
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Samaptam to nahi kaha jaata hai, aisa pandit ji kahte hai. Bahut sunder hai.
Jai Ho Mata ki jai ho 😍🌺🌺🪷
Good morning ji jai mata di
OM NAMAH SHIVAY
जय माता दी। सभी के लिए प्रायः बिना पाठ्य,
सामग्री के जप/पाठ संभव नहीं। जय हो।।
🙏🌝🌷🌸☘️
har har Mahadev 🙏 Jay mata jagatha janani 🚩🪔🌺🌺🌺🌺🌺🙏
Bhut bhut aabhar h aap ka
Excellent presentation thanks madam
Pranam
जै मां काली जै महा काल
Jai matadi 🙏🏻🙏🏻💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
bhut sundar jai maai ke
Dhanwad
🙏🙏🙏🙏🙏
I am feeling, blessed to hear this स्तोत्र from your श्री मुखं।
बहुत ही सुन्दर, स्पष्ट और कर्ण प्रिय उद्गीथ।संरचना के लिए हृदय से धन्यवाद 🌹🙏🏻
Jaymatad easy. .
Jay shree mataji
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏
Jay Mata Ji
This is the Best forever...... Outstanding.......
Pranaam 🙏🙏🙏
Ram ram pranam devi ji merko mahavidhya ki sadhna k liye guidence or ek guru chahiye kripya karke mera margdarshan kijiye
Very clear pranounsation & very clear voice.
अति सुन्दर उच्चरण।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 जय माता दी।
बहुत शानदार उच्चारण 🙏🙏🙏🙏🙏
This is fantastic. God Speed. RadheRadhe
Good morning ji jai mata bindhywasni ji
This is fantastic. Heart touching. Jai mata di. Jai Bharat.
Excellent
🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Lverynice
Nice 🌹🌹🌹🙏🙏🙏
कोन गरनथ से लिआगय हा बहुत अछा जय माता जी
Aadhya Kali kkaradi estrot ki video banaaey
Aap hi saksat bhairvy lagrahi hai
🙏🌹❤️🙏🙏🙏
Ye mahavidhya ka path ghar me khud se kaise kare daily pls bataiye isse kya labh hota hai
G
Guru.ji.aap.se.maha.vidya.path.karwana.hai.marg.darsan.kare.dhanyavad
भारवि बाबा कोन है हिन्दू है या मुस्लिम कुकी मेरे स्वप्न में आये थे अतर की सुगंध थी कृपा प्रश्नों का उत्तर दीजिये
Pranam pdf ho to pls description me dijiye
Spinking different bij mantra as per strotra is different....?
Mujhe help chachi....pls ..maargdarshan dijiye
महाशक्ति माँ आपके सारी मनोकामनाएं पूरी करें
जय माँ पाराम्बा भवानी 🚩
Thanks for your help 🙏🏻 Jay mataji 🙏🏻mata ji heap me and my family 🙏🏻
iss ka use kya hi....kya iss k fayde hi...iss se kese use krte hai...iss kb kese or kese use kr skte hi....?
प्रणाम,जय गुरुदेव, यह स्त्रोत्रं जो आपने डिस्क्रिप्शन मैं मैं दिया है पूरा नही है,जहाँ तक है वहा तक तो इसे साथ मैं पढ़ सकते है फिर इसे सिर्फ सुन ही सकते है,ॐ गणेशाय नमः से पूरा ही स्तोत्र डाल दे दो उत्तम रहेगा
धन्यवाद
नमो नारायण
Description में सिर्फ 5000 words ही लिख सकते हैं,और ये बहुत बड़ा मंत्र है, 5000 words exceed हो रहा है
Description में शुरू का portion लिखा है, बाकी अंश यहां है 🙏🏻
ॐ उत्तरदिशायां यक्षारुढं मदाहस्तं परिवारसहितं दिग्देवताधिपतिं कुबेरमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
ॐ कुबेरमण्डलं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष माचल माचल माक्रम्य माक्रम्य स्वाहा ।
ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
ॐ क्राँ क्रीँ क्रूँ क्रैँ क्रौँ क्रः स्वाहा ।
ॐ अग्निदिशायां कूर्मारूढं लोष्ठभागं परिखहस्तांतरण स्वपरिवारसहितं दिग्देवतधिपतिं पातालमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
ॐ गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
ॐ पातालमण्डलं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष माचल माचल माक्रम्य माक्रम्य स्वाहा।
ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
ॐ क्राँ क्रीँ क्रूँ क्रैँ क्रौँ क्रः स्वाहा ।
ॐ दुर्गेमहाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस- ब्रह्मराक्षस-वेताल-वृश्चिकादिभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ पूर्वदिशायां व्रजको नाम राक्षसस्तस्य व्रजकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहाअ ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहाअ ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ अग्निदिशायामग्निज्वालो नाम राक्षसस्तस्याग्निज्वालस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां वध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ दक्षिणदिशायामेकपिङ्गलिको नाम राक्षसस्तस्यैकपिङ्गलिकस्याष्टा- दशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ नैरृत्यदिशायां मरीचिको नाम राक्षसस्तस्य मरीचिकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ पश्चिमदिशायां मकरो नाम राक्षसस्तस्य मकरस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ वायव्यदिशायां तक्षको नाम राक्षसस्तस्य तक्षकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ उत्तरदिशायां महाभीमो नाम राक्षसस्तस्य भीमस्याष्टादसकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ ईशानदिशायां भैरवो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा । ।
ॐ अधः दिशायां पातालनिवासिनो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य तस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ ब्रह्मदिशायां ब्रह्मरूपो नाम राक्षसस्तस्य ब्रह्मरूपस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रूद्राय स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै स्वाहा ।
ॐ नमो महाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस-ब्रह्मराक्षस- वेताल-वृश्चिकभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ शिखायां मे क्लीं ब्रह्माणी रक्षतु ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ शिरो मे रक्षतु माहेश्वरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ भुजौ रक्षतु सर्वाणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ उदरे रक्षतु रुद्राणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ जङ्घे रक्षतु नारसिंही ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ पादौ रक्षतु महालक्ष्मी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ सर्वाङ्गे रक्षतु सुन्दरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
परिणामे महाविद्या महादेवस्य सन्निधौ ।
एकविंशतिवारं च पठित्वा सिद्धिमाप्नुयात् ॥ १॥
स्त्रियो वा पुरुषो वापि पापं भस्म समाचरेत् । दुष्टानां मारणं चैव सर्वग्रहनिवारणम् । सर्वकार्येषु सिद्धिः स्यात् प्रेतशान्तिर्विशेषतः ॥ २॥
इति श्रिभैरवीतन्त्रे शिवप्रोक्ता महाविद्या समाप्ता ।
अथाऽस्य स्तोत्रस्योत्कीलनमन्त्रः - ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् । नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
धन्यवाद,जय गुरुदेव, आपको फेसबुक पर रिक्वेस्ट भेजी है कृपया स्वीकार करे,
त र ैट😅😮😮😮😮😮😮ईईईीईैर्यब
Guru.jiaap.se.bat.karni.hai
Please send mail : brahmaandguru@gmail.com
Mata je es path ko sunnai s kya labh h
सप्रयोग महाविद्या पाठ का महत्व
************************
पराम्बा जगदम्बा महाविद्या की पाठ इस कलिकाल में सर्वश्रेष्ठ , महत्त्वपूर्ण एवं शीघ्र फलदायक है । समस्त विघ्न - बाधाओं तथा अनिष्ट ग्रहों की शान्ति एवं शत्रु - विनाश के लिये प्रस्तुत ' सप्रयोग - महाविद्यास्तोत्र ' बहुत ही उपयोगी प्रयोग है । इसके द्वारा स्तोत्रपाठ , जप एवं मन्त्रानुष्ठान से शीघ्रातिशीघ्र कार्य सिद्ध होता है , इसमें संशय नहीं । घर में भूत - प्रेतादि विघ्न - बाधाओं के लिए तो यह रामबाण है l
महाविद्या स्तुति का नियमित रूप से पाठ करने या सुनने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं ! महाविद्या स्तुति का पाठ करने या सुनने से धन , लाभ , कीर्ति , प्रसिद्धि , विजय , यश , समृद्धि , पौरुष और बल आदि की प्राप्ति होती हैं ! और साथ ही ज्ञानश्चेतना , प्राणश्चेतना , समाधि , ब्रह्मज्ञान , मोक्ष और पूर्णता भी प्राप्त होती है ।
नमो नारायण🌷
Lyrics diniye
Description में शुरू का portion लिखा है, बाकी अंश यहां है 🙏🏻
ॐ उत्तरदिशायां यक्षारुढं मदाहस्तं परिवारसहितं दिग्देवताधिपतिं कुबेरमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
ॐ कुबेरमण्डलं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष माचल माचल माक्रम्य माक्रम्य स्वाहा ।
ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
ॐ क्राँ क्रीँ क्रूँ क्रैँ क्रौँ क्रः स्वाहा ।
ॐ अग्निदिशायां कूर्मारूढं लोष्ठभागं परिखहस्तांतरण स्वपरिवारसहितं दिग्देवतधिपतिं पातालमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
ॐ गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
ॐ पातालमण्डलं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष माचल माचल माक्रम्य माक्रम्य स्वाहा।
ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
ॐ क्राँ क्रीँ क्रूँ क्रैँ क्रौँ क्रः स्वाहा ।
ॐ दुर्गेमहाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस- ब्रह्मराक्षस-वेताल-वृश्चिकादिभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ पूर्वदिशायां व्रजको नाम राक्षसस्तस्य व्रजकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहाअ ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहाअ ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ अग्निदिशायामग्निज्वालो नाम राक्षसस्तस्याग्निज्वालस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां वध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ दक्षिणदिशायामेकपिङ्गलिको नाम राक्षसस्तस्यैकपिङ्गलिकस्याष्टा- दशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ नैरृत्यदिशायां मरीचिको नाम राक्षसस्तस्य मरीचिकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ पश्चिमदिशायां मकरो नाम राक्षसस्तस्य मकरस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ वायव्यदिशायां तक्षको नाम राक्षसस्तस्य तक्षकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ उत्तरदिशायां महाभीमो नाम राक्षसस्तस्य भीमस्याष्टादसकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ ईशानदिशायां भैरवो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा । ।
ॐ अधः दिशायां पातालनिवासिनो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य तस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ ब्रह्मदिशायां ब्रह्मरूपो नाम राक्षसस्तस्य ब्रह्मरूपस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रूद्राय स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै स्वाहा ।
ॐ नमो महाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस-ब्रह्मराक्षस- वेताल-वृश्चिकभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ शिखायां मे क्लीं ब्रह्माणी रक्षतु ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ शिरो मे रक्षतु माहेश्वरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ भुजौ रक्षतु सर्वाणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ उदरे रक्षतु रुद्राणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ जङ्घे रक्षतु नारसिंही ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ पादौ रक्षतु महालक्ष्मी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ सर्वाङ्गे रक्षतु सुन्दरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
परिणामे महाविद्या महादेवस्य सन्निधौ ।
एकविंशतिवारं च पठित्वा सिद्धिमाप्नुयात् ॥ १॥
स्त्रियो वा पुरुषो वापि पापं भस्म समाचरेत् । दुष्टानां मारणं चैव सर्वग्रहनिवारणम् । सर्वकार्येषु सिद्धिः स्यात् प्रेतशान्तिर्विशेषतः ॥ २॥
इति श्रिभैरवीतन्त्रे शिवप्रोक्ता महाविद्या समाप्ता ।
अथाऽस्य स्तोत्रस्योत्कीलनमन्त्रः - ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् । नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
Is Maa Amritananda Saraswati who is recorded here? I’m very moved by the power of this beautiful recitation and would really appreciate any help if there are other names I can search for info about her with. I can’t seem to find information in English. Many thanks.
Yes, it's recorded by Maa Amritananda Saraswati, Anant Shree Vibhushit 🙏🏻
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& FB page : ANANTSHREE MAA AMRIT PREM
Be blessed
Namo Narayan🌷
@@Guruma-Amritanandacharya amazing, thank you 🙏🤩
Pranam guruma.i am very much impressed by your stotra.i want to do your Darshan.is there any ashram in gujarat.give me address.
pranam guru mayi. subcription me text jo likha hai wo pura nahi.sunte waqt mahi padh raha tha.bahot bhag chuta hai.pura ye stort mile to upkar hoga
Description में शुरू का portion लिखा है, बाकी अंश यहां है 🙏🏻
ॐ उत्तरदिशायां यक्षारुढं मदाहस्तं परिवारसहितं दिग्देवताधिपतिं कुबेरमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
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ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
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ॐ अग्निदिशायां कूर्मारूढं लोष्ठभागं परिखहस्तांतरण स्वपरिवारसहितं दिग्देवतधिपतिं पातालमण्डलं बध्नामि स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ भैरवाय स्वाहा ।
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ॐ नमो दुर्गायै नमः स्वाहा ।
ॐ पातालमण्डलं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष माचल माचल माक्रम्य माक्रम्य स्वाहा।
ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रैँ ह्रौँ ह्रः स्वाहा ।
ॐ क्राँ क्रीँ क्रूँ क्रैँ क्रौँ क्रः स्वाहा ।
ॐ दुर्गेमहाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस- ब्रह्मराक्षस-वेताल-वृश्चिकादिभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ पूर्वदिशायां व्रजको नाम राक्षसस्तस्य व्रजकस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहाअ ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहाअ ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ अग्निदिशायामग्निज्वालो नाम राक्षसस्तस्याग्निज्वालस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां वध्नामि स्वाहा ।
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ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा ।
ॐ ईशानदिशायां भैरवो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रुद्राय स्वाहा । ।
ॐ अधः दिशायां पातालनिवासिनो नाम राक्षसस्तस्या- ष्टादशकोटिसहस्रस्य तस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ ब्रह्मदिशायां ब्रह्मरूपो नाम राक्षसस्तस्य ब्रह्मरूपस्याष्टादशकोटिसहस्रस्य पिशाचस्य दिशां बध्नामि स्वाहा ।
ॐ अस्त्राय फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते रूद्राय स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते भैरवाय स्वाहा ।
ॐ नमो गणेश्वराय स्वाहा ।
ॐ नमो दुर्गायै स्वाहा ।
ॐ नमो महाशान्तिक-भूत-प्रेत-पिशाच-राक्षस-ब्रह्मराक्षस- वेताल-वृश्चिकभयविनाशनाय स्वाहा ।
ॐ शिखायां मे क्लीं ब्रह्माणी रक्षतु ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ शिरो मे रक्षतु माहेश्वरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ भुजौ रक्षतु सर्वाणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ उदरे रक्षतु रुद्राणी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ जङ्घे रक्षतु नारसिंही ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ पादौ रक्षतु महालक्ष्मी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
ॐ सर्वाङ्गे रक्षतु सुन्दरी ।
ॐ ह्रां ह्रीं व्रीं व्लीं क्षौं हुं फट् स्वाहा ।
परिणामे महाविद्या महादेवस्य सन्निधौ ।
एकविंशतिवारं च पठित्वा सिद्धिमाप्नुयात् ॥ १॥
स्त्रियो वा पुरुषो वापि पापं भस्म समाचरेत् । दुष्टानां मारणं चैव सर्वग्रहनिवारणम् । सर्वकार्येषु सिद्धिः स्यात् प्रेतशान्तिर्विशेषतः ॥ २॥
इति श्रिभैरवीतन्त्रे शिवप्रोक्ता महाविद्या समाप्ता ।
अथाऽस्य स्तोत्रस्योत्कीलनमन्त्रः - ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् । नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
Pilige apna contact no bheje aapae mujhe guru mantra lena hai aap sakchat maa aadi sakti hai
नमो नारायण
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Jay mata di
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