Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare.Hare. Guruji Dandavat Pranam please accept me Guruji I am feeling very helplesss and very lonely and i am drowning in this bhavsagar without Guru please show me way and let me board on your boat to cross this ocean.please help me please help me.
हरे कृष्ण प्रणाम 🙏 भगवान ने जीवात्मा को ऐसा क्यों बनाया की स्वतंत्र इच्छा के कारण जीवात्मा में भगवान बनने की या भोक्ता बनने की चाहत uttpanan हुई और वो उनसे तटस्थ स्थान या गोलोक धाम में स्वतंत्र इच्छा के कारण वो जीवात्मा भगवान से विमुख हो गया और अनादि काल से कष्ट भोगने के लिए बाध्य हो गया? जबकि कष्ट कोई भोगना नही चाहता swayam se किसी का कोई द्वेष नहीं है भगवान ने ऐसा बनाया ही क्योंकि उसमें ऐसी इच्छा अर्थात भगवान की तरह भोग करने की या स्वयं भगवान बनने की इच्छा उत्पन्न हो जिसकी पूर्ती वो स्वयं नहीं कर सकते जिसके बदले केवल जीवात्मा को कष्ट दे सकतें है अर्थात वो कष्टदायी कारगार भौतिक जगत में आने के लिये बाध्य है, जिसके कारण जीवात्मा को कष्ट मिलना तय है, जबकि वो चाहता नहीं कष्ट भोगना भौतिक जगत में अपनी इच्छानुसर जी भी नहीं सकता और इस जिंदगी से निराश होकर मरना चाहे तो मर भी नहीं सकता उसके बाद भी कष्ट घनघोर कष्ट मृत्यु की घनघोर पीड़ा यम दण्ड पीड़ा नरक का भय 84लाख का चक्कर गर्भ की पीड़ा त्रिताप .... भगवान और उनकी शक्ति के भय से जीवात्मा भक्ति के लिए बाध्य है क्योंकि अगर भगवान की भक्ति नहीं करेगा तो भगवान स्वयं या अपनी माया शक्ति या अन्य शक्ति के द्वारा उस जीवात्मा को घनघोर कष्ट देंगे...
जिस तरह बच्चे अपने घरों में "घर-घर" खेलते हैं, घंटों लगातार खेलने के बाद जब उन्हें भूख लगती है तो वे अपनी मां के पास जाते हैं और खाना मांगते हैं। कभी-कभी, माँ उन्हें "घर-घर" रसोई में अपना खाना खुद बनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। हालाँकि, जब बच्चे रोते हैं तो माँ उन्हें बुलाती है और अपने हाथों से खाना खिलाती है। भगवान ने, प्रेमवश, हमें हमारी इच्छा के अनुसार भौतिक संसार में "घर-घर" खेलने का विकल्प और अवसर दिया है। इस भौतिक घर में हम अपना घर बनाते हैं और पैसा कमाते हैं। ईश्वर ने हमें चुनने की स्वतंत्र इच्छा प्रदान की है। लेकिन जब हमें वास्तविक भूख का अनुभव होता है. तो हम कृष्ण को बुलाते हैं। जब हमें एहसास होता है कि पांच तत्वों से बना भौतिक संसार हमारा वास्तविक घर नहीं बल्कि एक मुखौटा है, तो हम कृष्ण के प्रति समर्पण कर देते हैं। हालाँकि, जो लोग कृष्ण के लिए तरसते नहीं हैं वे भौतिक संसार में अकेले रोते रहते हैं। भौतिक संसार को "दुःखलायम" कहा जाता है, जिसका अर्थ है दुख से भरा संसार। जिस प्रकार "पुस्तकालय" पुस्तकें प्रदान करता है, उसी प्रकार यहाँ "दुखालय" में हमारा सामना दुख से होता है।
जिस तरह मां बाप जानता हूं कि अगर बच्चे को थोड़ी आजादी दे तो वो बिगड सकता है लेकिन फिर भी हम उसे आजादी देते हैं। अगर हम अपने बच्चे को बिल्कुल रोबोट के जैसे रखें,तो हमें खुद बुरा लगेगा, छोटा बच्चा जब बदमाशी करता है मां बाप के बोलने पर भी, फिर माँ बाप को अच्छा लगता है। तो भगवान हमारे परम पिता हैं हमें वो थोड़ी सी आज़ादी देते है जब कोई दम्पति एक बच्चा चाहता है तो वो अपने लिए चाहता है। वो ये नहीं सोचते कि बच्चे को माँ बाप मिल जाए। इसलिए भगवान अपनी सेवा के लिए हामे बनाये हैं।हम भगवान का अंश हैं, और हमारा ये कर्तव्य है हम पूर्ण की सेवा करें।जिस तरह हमारे हाथ पाँव हमारा सेवा करता है। हरे कृष्णा
@@BhagwatJivan Aap log to bhagvan ko laukik maa baap jitna bhi shreshtha na siddha kr ske is jagat m maa baap tk ye chahte hai mera bachha hamse bhi aage Jaye uski har khwahish poori ho use kabhi kashta na ho pr yahi sala bhonsdi wala bhagvan beech me aata hai sbko kashta deta hai unhe to aap logo ne do kaudi ka param swarthi param kaami siddha kr diya Jisne hme apne use k liye banaya hai lekin aisa hme program Kiya ki hmare andar enjoyer controller banne ki ichha aa skti hai aur us ichchha k kaaran jeevatma ko is kashtadaayak karagar bhautik jagat me aana padega aur yaha ghanghor kashta uthana padega jbki jeevatma kashta bhogna nhi chahta kisi bhi haal me. Simple si baat hai bhagvan keval sarvashktiman apni ichhao ki poorti k liye to use jeev ko Aisa nahi banana chahiye na jisk kaaran usk andar Golok dham me bhokta ya enjoyer ya bhagvan banne ki chahat ho jise vo bhagvad dham me ya Golok dham poori nahi kr skte jiske kaaran use kashtadaayak jagat me aana padega ...
@@BhagwatJivan Aap ne to bhagvan ko laukik maa baap jitna bhi shreshtha na siddha kr ske unhe to aap logo ne do kaudi ka param swarthi param kaami siddha kr diya Jisne hme apne use k liye banaya hai lekin aisa hme aisa program Kiya ki hmare andar enjoyer controller banne ki ichchha aa skti hai aur us ichchha k kaaran jeevatma ko is kashtadaayak bhautik jagat me aana padega aur yaha ghanghor kashta uthana padega jbki jeevatma kashta bhogna nhi chahta kisi bhi haal me. Simple si baat hai jb vo kisi ki bhagvan banne ki ichchha ko poorna kr hi nahi skte vo bhagvan bana hi nahi skte sbko poorna mukt swadheen kr hi nahi skte Unk pass aise saamartha nahi hai . Vo sarvashktimaan hai keval apni ichchhao ki poorti k liye to usko(jeev ko) aisa program nahi Krna chAhiye ki usme maalik banne ki ichchha aaye aur vo bechara jeev Matra apni is ichchha k kaaran kashtadaayak bhautik jagt me aakr kashta jhele ...
Hare krishna prabhuji 🙏❤️🌻🌸🙇♂️
Jai srila prabhupada 🙏❤️🌻🌸🙇♂️
Shri shri RadhaNeelaMadhav ki jai 🙏❤️🌻🌸🙇♂️
Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare Ram hare Ram Ram Ram Hare Hare
Hare Krishna, Shrila Prabhupad ki Jaya .🙇
হরে কৃষ্ণ।
Hare Krishna Prabhuji Dandvat 🙏
Thanks for sharing such Important lectures of Srila prabhupada.
Hare Krishna 🙏
Hare Krishna
Hare Krishna Hare Krishna
Krishna Krishna Hare Hare
Hare Ram Hare Ram
Ram Ram Hare.Hare.
Guruji Dandavat Pranam please accept me Guruji
I am feeling very helplesss and very lonely and i am drowning in this bhavsagar without Guru please show me way and let me board on your boat to cross this ocean.please help me please help me.
The teachings and blessings of prabhupad will surely help you to come out of this material maya
हरे कृष्ण प्रणाम 🙏 भगवान ने जीवात्मा को ऐसा क्यों बनाया की स्वतंत्र इच्छा के कारण जीवात्मा में भगवान बनने की या भोक्ता बनने की चाहत uttpanan हुई और वो उनसे तटस्थ स्थान या गोलोक धाम में स्वतंत्र इच्छा के कारण वो जीवात्मा भगवान से विमुख हो गया और अनादि काल से कष्ट भोगने के लिए बाध्य हो गया? जबकि कष्ट कोई भोगना नही चाहता swayam se किसी का कोई द्वेष नहीं है भगवान ने ऐसा बनाया ही क्योंकि उसमें ऐसी इच्छा अर्थात भगवान की तरह भोग करने की या स्वयं भगवान बनने की इच्छा उत्पन्न हो जिसकी पूर्ती वो स्वयं नहीं कर सकते जिसके बदले केवल जीवात्मा को कष्ट दे सकतें है अर्थात वो कष्टदायी कारगार भौतिक जगत में आने के लिये बाध्य है, जिसके कारण जीवात्मा को कष्ट मिलना तय है, जबकि वो चाहता नहीं कष्ट भोगना भौतिक जगत में अपनी इच्छानुसर जी भी नहीं सकता और इस जिंदगी से निराश होकर मरना चाहे तो मर भी नहीं सकता उसके बाद भी कष्ट घनघोर कष्ट मृत्यु की घनघोर पीड़ा यम दण्ड पीड़ा नरक का भय 84लाख का चक्कर गर्भ की पीड़ा त्रिताप .... भगवान और उनकी शक्ति के भय से जीवात्मा भक्ति के लिए बाध्य है क्योंकि अगर भगवान की भक्ति नहीं करेगा तो भगवान स्वयं या अपनी माया शक्ति या अन्य शक्ति के द्वारा उस जीवात्मा को घनघोर कष्ट देंगे...
जिस तरह बच्चे अपने घरों में "घर-घर" खेलते हैं, घंटों लगातार खेलने के बाद जब उन्हें भूख लगती है तो वे अपनी मां के पास जाते हैं और खाना मांगते हैं। कभी-कभी, माँ उन्हें "घर-घर" रसोई में अपना खाना खुद बनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। हालाँकि, जब बच्चे रोते हैं तो माँ उन्हें बुलाती है और अपने हाथों से खाना खिलाती है।
भगवान ने, प्रेमवश, हमें हमारी इच्छा के अनुसार भौतिक संसार में "घर-घर" खेलने का विकल्प और अवसर दिया है। इस भौतिक घर में हम अपना घर बनाते हैं और पैसा कमाते हैं। ईश्वर ने हमें चुनने की स्वतंत्र इच्छा प्रदान की है। लेकिन जब हमें वास्तविक भूख का अनुभव होता है. तो हम कृष्ण को बुलाते हैं। जब हमें एहसास होता है कि पांच तत्वों से बना भौतिक संसार हमारा वास्तविक घर नहीं बल्कि एक मुखौटा है, तो हम कृष्ण के प्रति समर्पण कर देते हैं। हालाँकि, जो लोग कृष्ण के लिए तरसते नहीं हैं वे भौतिक संसार में अकेले रोते रहते हैं। भौतिक संसार को "दुःखलायम" कहा जाता है, जिसका अर्थ है दुख से भरा संसार। जिस प्रकार "पुस्तकालय" पुस्तकें प्रदान करता है, उसी प्रकार यहाँ "दुखालय" में हमारा सामना दुख से होता है।
जिस तरह मां बाप जानता हूं कि अगर बच्चे को थोड़ी आजादी दे तो वो बिगड सकता है लेकिन फिर भी हम उसे आजादी देते हैं। अगर हम अपने बच्चे को बिल्कुल रोबोट के जैसे रखें,तो हमें खुद बुरा लगेगा, छोटा बच्चा जब बदमाशी करता है मां बाप के बोलने पर भी, फिर माँ बाप को अच्छा लगता है। तो भगवान हमारे परम पिता हैं हमें वो थोड़ी सी आज़ादी देते है
जब कोई दम्पति एक बच्चा चाहता है तो वो अपने लिए चाहता है। वो ये नहीं सोचते कि बच्चे को माँ बाप मिल जाए। इसलिए भगवान अपनी सेवा के लिए हामे बनाये हैं।हम भगवान का अंश हैं, और हमारा ये कर्तव्य है हम पूर्ण की सेवा करें।जिस तरह हमारे हाथ पाँव हमारा सेवा करता है।
हरे कृष्णा
@@BhagwatJivan Aap log to bhagvan ko laukik maa baap jitna bhi shreshtha na siddha kr ske is jagat m maa baap tk ye chahte hai mera bachha hamse bhi aage Jaye uski har khwahish poori ho use kabhi kashta na ho pr yahi sala bhonsdi wala bhagvan beech me aata hai sbko kashta deta hai unhe to aap logo ne do kaudi ka param swarthi param kaami siddha kr diya Jisne hme apne use k liye banaya hai lekin aisa hme program Kiya ki hmare andar enjoyer controller banne ki ichha aa skti hai aur us ichchha k kaaran jeevatma ko is kashtadaayak karagar bhautik jagat me aana padega aur yaha ghanghor kashta uthana padega jbki jeevatma kashta bhogna nhi chahta kisi bhi haal me. Simple si baat hai bhagvan keval sarvashktiman apni ichhao ki poorti k liye to use jeev ko Aisa nahi banana chahiye na jisk kaaran usk andar Golok dham me bhokta ya enjoyer ya bhagvan banne ki chahat ho jise vo bhagvad dham me ya Golok dham poori nahi kr skte jiske kaaran use kashtadaayak jagat me aana padega ...
@@BhagwatJivan Aap ne to bhagvan ko laukik maa baap jitna bhi shreshtha na siddha kr ske unhe to aap logo ne do kaudi ka param swarthi param kaami siddha kr diya Jisne hme apne use k liye banaya hai lekin aisa hme aisa program Kiya ki hmare andar enjoyer controller banne ki ichchha aa skti hai aur us ichchha k kaaran jeevatma ko is kashtadaayak bhautik jagat me aana padega aur yaha ghanghor kashta uthana padega jbki jeevatma kashta bhogna nhi chahta kisi bhi haal me. Simple si baat hai jb vo kisi ki bhagvan banne ki ichchha ko poorna kr hi nahi skte vo bhagvan bana hi nahi skte sbko poorna mukt swadheen kr hi nahi skte Unk pass aise saamartha nahi hai . Vo sarvashktimaan hai keval apni ichchhao ki poorti k liye to usko(jeev ko) aisa program nahi Krna chAhiye ki usme maalik banne ki ichchha aaye aur vo bechara jeev Matra apni is ichchha k kaaran kashtadaayak bhautik jagt me aakr kashta jhele ...