चर्चा कार्यक्रम 07-11-2024
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- เผยแพร่เมื่อ 14 พ.ย. 2024
- मंथन क्रमांक 266:
बुद्धिजीवियों ने श्रम की स्वाभाविक परिभाषा "शारीरिक श्रम" को बदलकर उसके साथ "बौद्धिक श्रम" को जोड़ लिया। इस परिवर्तन से बुद्धिजीवियों का रास्ता साफ हो गया। यह लोग, श्रमजीवियों के नाम पर नीतियां बनाने लगे, संगठन बनाने लगे और सरकार बनाने लगे और उससे भी ज्यादा शक्तिशाली हो बैठे, जहां पहले पूंजीपति हुआ करते थे। 7002
ब्रिजेश राय जी ऋषीकेश कार्यालय से