मै पत्थर पूजा न करू.. मेरा ईश्वर में विश्वास मै आर्यों की लाड़ली BY Ramnivas Arya Ji / Vaidik Prachar
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- เผยแพร่เมื่อ 26 มี.ค. 2023
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#Vaidikprachar #Aryasamaj #Swamidayanand
आर्य बनो वैदिक धर्म की जय 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
जब यह ईश्वर का भजन कर रहे थे जब तिजारा के विधायक इनका सम्मान करने आए थे और 24 पूलिस भी सुरक्षा के लिए आए थे।
🙏🙏
बहुत सुंदर चित्रण एवम शिक्षा दायक भजन।
Realy devotee of Katamulle Paakistaani
Proud to be aryasamaji ❤
Om namaste ji good
Bahut hi sundar 🙏🙏
बहुत ही सुंदर भजन 👍। बहुत ही अच्छा लगा। जय हो आर्यों की 🙏
Sunder
कोर्ट के अन्दर जज जो है पब्लिक के लिए होता है फैसला सुनाने के लिए लेकिन एक परिवार में तीन या चार भाई हो तो जज साहब अपने घर का फैसला नही कर सकता
मूर्ति पूजा जड़ पूजा है उस चेतन प्र भु की भक्ति नहीं है जैसे तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में कहा है। ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन विमल सहज सुख राशि। ।
बहुत अच्छा भजन
Om.namstey.aarya.samaj.ki.jay
Bahut Sundar
Parallel ha
आर्य समाज जो में दुसरे आदमी को ज्ञान बांटने के लिए तत्पर रहते हैं लेकिन अपने घर में पता नहीं होता की माता पिता ने खाना खाया यि नही कयो कि दुसरो को ज्ञान बांटने में अपना पता नहीं चलता कक घर पर कया हच रहा
उसकी उपवासा मत करो जिन को हमने बनाया उस ईश्वर की उपवासना करो जिसने हमें बनाया है। क्युकी अंधभक्त तो मूर्ति की पूजा करेगा निराकर ईश्वर में ध्यान करने के लिए विद्या, ज्ञान, बुद्धि, की जरूरत होती है।
सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।
२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
😡😡😡 जितने भी क्रांति कारी थे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सुभाषचन्द्र बोस आदि सब महर्षि दयानंद सरस्वती से प्रेरित थे जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज ना होता तो यह देश आजाद नही होता। पर आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार फलित ज्योतिष, जादू-टोना, जन्मपत्री, श्राद्ध, तर्पण, व्रत, भूत-प्रेत, देवी जागरण, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्रा मनगढ़ंत हैं, वेद विरुद्ध हैं। आर्य समाज में पत्थर को ईश्वर नही माना जाता। उस ईश्वर का ध्यान किया जाता है जिसने सूर्य चंद्र आदि रचाया है ईश्वर का कोई आकार नही होता। सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है। आर्य समाज में मुख्य उदेस्य यह की कोई भी आदमी नशा नहीं करे, अच्छा भोजन करे, सबसे अच्छी वाणी बोले, अंधविश्व में ना पड़े, हर घर में हवन हो , ईश्वर की भक्ती करे ,
में तुम्हारे भजन या कथा से इम्प्रेश नही हुआ कोई मजेदार बात हो तो बताना
उसकी उपवासा मत करो जिन को हमने बनाया उस ईश्वर की उपवासना करो जिसने हमें बनाया है। क्युकी अंधभक्त तो मूर्ति की पूजा करेगा निराकर ईश्वर में ध्यान करने के लिए विद्या, ज्ञान, बुद्धि, की जरूरत होती है।
सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।
२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
जब यह ईश्वर का भजन कर रहे थे जब तिजारा के विधायक इनका सम्मान करने आए थे और 24 पूलिस भी सुरक्षा के लिए आए थे।
तुम भी जड हो
उसकी उपवासा मत करो जिन को हमने बनाया उस ईश्वर की उपवासना करो जिसने हमें बनाया है। क्युकी अंधभक्त तो मूर्ति की पूजा करेगा निराकर ईश्वर में ध्यान करने के लिए विद्या, ज्ञान, बुद्धि, की जरूरत होती है।
सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।
२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
😡😡😡 जितने भी क्रांति कारी थे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सुभाषचन्द्र बोस आदि सब महर्षि दयानंद सरस्वती से प्रेरित थे जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज ना होता तो यह देश आजाद नही होता। पर आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार फलित ज्योतिष, जादू-टोना, जन्मपत्री, श्राद्ध, तर्पण, व्रत, भूत-प्रेत, देवी जागरण, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्रा मनगढ़ंत हैं, वेद विरुद्ध हैं। आर्य समाज में पत्थर को ईश्वर नही माना जाता। उस ईश्वर का ध्यान किया जाता है जिसने सूर्य चंद्र आदि रचाया है ईश्वर का कोई आकार नही होता। सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है। आर्य समाज में मुख्य उदेस्य यह की कोई भी आदमी नशा नहीं करे, अच्छा भोजन करे, सबसे अच्छी वाणी बोले, अंधविश्व में ना पड़े, हर घर में हवन हो , ईश्वर की भक्ती करे ,
इस अतार्किक 1008 श्रीजगद्खुरुशङ्कराचार्य द्वारा निन्दित अनार्य भत को छोडोरु
गुरुजी आप दिवाली पर Luxmi पूजा करते hai... 🧐🧐🧐🤔🤔🤔❤🙏❤
कुसंस्कार नष्ट करने हेतु मन्दिर मे रोज शिवलिङ्ग के ऊपर एक एक लीटर दूध चडाना चाहिए
उसकी उपवासा मत करो जिन को हमने बनाया उस ईश्वर की उपवासना करो जिसने हमें बनाया है। क्युकी अंधभक्त तो मूर्ति की पूजा करेगा निराकर ईश्वर में ध्यान करने के लिए विद्या, ज्ञान, बुद्धि, की जरूरत होती है।
सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।
२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
@@myCountryShoot-rd6xi कटमुल्ले पाकिस्तानी लोग आप को मूर्ती पूजा खण्डन केलिए कितने करोड देते है?
एक लिटर गरीबों में देना चाइए। बांटे पर क्यू डालते हो। किसी गौ माता को एक लिटर दूध पिला दो ईश्वर खुश हो जायेगा।
यदि मूर्ति पूजा से ईश्वर में विश्वास बढ़ता है तो मूर्ति पूजा करने में क्या बुराई नजर आती है ?
अपने प्रश्न के उत्तर के लिए आप कृपया सत्यार्थ प्रकाश पढ़िए
@@sarvandhull3114
आपने पढ़ा है, अतः कृपया आप ही बताने का कष्ट करें ।
@@sarvandhull3114 सत्यार्थ प्रकाश में शास्त्रोक्त प्रतिमा का खंडन तो नहीं है ! फिर ये दयानंदी मूर्ति पूजा का खंडन क्यों करते,है? वर्णशंकर मूर्ख दयानंदी?
@@gajanandsharma6247 शास्त्रोक्त प्रतिमा कौन सी है
@@gajanandsharma6247 जी
और गालियाँ हो तो वह भी निकाल लीजिए क्योंकि जिसके पास जो होता है वही तो देता है हमारे पास तो है नहीं जो आपको गालियां दे
Tum jaise insan hai isliye to kaluyug hai kyu ki tum bolte kuchh ho karte usse ulta jayada syana mat ban jis din raid padegi us din tu memne ki tarh gidgidayega
उसकी उपवासा मत करो जिन को हमने बनाया उस ईश्वर की उपवासना करो जिसने हमें बनाया है। क्युकी अंधभक्त तो मूर्ति की पूजा करेगा निराकर ईश्वर में ध्यान करने के लिए विद्या, ज्ञान, बुद्धि, की जरूरत होती है।
सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।
२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
पुलिस और फौजी मूर्ति पूजा नही करते। जिस महर्षि दयानंद सरस्वती ने गौ रक्षा के लिए 20 बार जहर पी गया उसी के स्थापित आर्य समाज में रेड क्यू पड़ेगा। पाखंड वाद नही करना चाहिए। भारत के जितने भी क्रांति कारी भागत्सिंग, चंद्रशेखर आजाद आदि सब महर्षि दयानंद से प्रेरित है। भगत सिंह ने सारी सत्यार्थ प्रकाश पढ़ी नही तो भगत सिंह मूर्तियो के चक्कर में देश लूटा देता। Jai Hind 🇮🇳🧡🤍💚
मेने तिजारा आर्य समाज में इनको दिखा था वहां पुलिस भी बेटी थी मंच के साइड में अच्छा चरित्र, अच्छा मित्र, मन वाले इंसान का होना चाहिए। और पढ़ें लिखे विद्वान पुरुष किसी से नही डरते
जब यह ईश्वर का भजन कर रहे थे जब तिजारा के विधायक इनका सम्मान करने आए थे और 24 पूलिस भी सुरक्षा के लिए आए थे। 🧘🌍🌎
😡😡😡 जितने भी क्रांति कारी थे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सुभाषचन्द्र बोस आदि सब महर्षि दयानंद सरस्वती से प्रेरित थे जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज ना होता तो यह देश आजाद नही होता। पर आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार फलित ज्योतिष, जादू-टोना, जन्मपत्री, श्राद्ध, तर्पण, व्रत, भूत-प्रेत, देवी जागरण, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्रा मनगढ़ंत हैं, वेद विरुद्ध हैं। आर्य समाज में पत्थर को ईश्वर नही माना जाता। उस ईश्वर का ध्यान किया जाता है जिसने सूर्य चंद्र आदि रचाया है ईश्वर का कोई आकार नही होता। सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है। आर्य समाज में मुख्य उदेस्य यह की कोई भी आदमी नशा नहीं करे, अच्छा भोजन करे, सबसे अच्छी वाणी बोले, अंधविश्व में ना पड़े, हर घर में हवन हो , ईश्वर की भक्ती करे ,