आई मुंब्रा देवी | Mumbra Devi Temple | Durga Devi | Navdurga | Navratri | Exploring Mumbai

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  • เผยแพร่เมื่อ 2 ก.พ. 2025
  • आई मुंब्रा देवी | Mumbra Devi Temple | Durga Devi | Navdurga | Navratri | Exploring Mumbai
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    ठाणे शहर में मुंब्रा देवी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था-भक्ति का बड़ा केंद्र है। मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास पहाड़ पर मां मुंब्रा देवी की भव्य मंदिर है। यह प्राचीन कालीन मंदिर ब्रिटिश साम्राज्य के समय का है। करीब 1500 फीट ऊपर विराजमान मुंब्रा देवी के प्रति लोगों की आस्था है कि यहां आने पर उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने मंदिर में मत्था टेकने पहुंचते हैं। इस मंदिर की देख रेख स्व. नाना भगत और राम चन्द्र भगत वर्षों से करते आ रहे थे। अब उनके नहीं रहने पर परिवार के लोग कर रहे हैं।
    मंदिर की देखरेख कर रहे मोहन भगत ने बताया कि मुंब्रा देवी मंदिर के अंदर एक मुंब्रा देवी की मूर्ति है और उसके नीचे नवदुर्गा की नवरूप मां का है। समूचे महाराष्ट्र में इस प्रकार के अद्भुत नवदुर्गा की मूर्ति कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। मूर्ति के ठीक बगल में मां मुंब्रादेवी के भाई गवली दादा की मूर्ति है। मुंब्रा देवी मंदिर में नवरात्र के नौ दिनों तक उत्सव का माहौल रहता है। विशेषता यह है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद मां पूरी करती हैं। खासकर संतान प्राप्ति के लिए भक्त मां के चरणों में शीश झुकाते हैं, और मां उनकी गोद भर देती हैं। मान्यता है कि मां का दर्शन कर मन्नत मांगने से मां उनकी झोली खुशियों से भर देती हैं।
    मंदिर पर जाने के लिए बीच पहाड़ से होकर जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है। इसमें करीब 780 सीढिय़ां बनी हुई हैं और यह मंदिर 1500 फीट ऊपर है। मंदिर में जाते समय बीच रास्ते में एक सातेश्रा देवी मंदिर पड़ता है। सातेश्रा मां के मंदिर के नीचे से ही झरने का पानी बहते रहता है। सुबह के समय निकली हुई पहली किरण मां के पैरों को स्पर्श करती हैं। किवदंती है कि यहां के स्थानीय लोगों में उस समय आस्था जगी जब सबको मंदिर पर एक जलता हुआ लौ दिखाई दिया। उसके बाद नाना दादा भगत के साथ लोग इकट्ठा होकर पहाड़ी के ऊपर जाकर देखे तो मंदिर के पास एक दीपक जल रहा है और मां मुंब्रा देवी की एक दिव्य प्रतिमा है। उसी समय से लेकर आज तक भगत परिवार मंदिर की देखरेख करते आ रहा है।
    मुंबई पुणे बाईपास से गुजरने वाले लोग गाडिय़ों में ही बैठकर मां के दर्शन कर लेते हैं। मुंबई की तरफ जाने और आने वाले यात्री ट्रेन में बैठकर ही मां के दर्शन करते हैं। मान्यता पूरी होने पर मां के भक्त पूरी सीढिय़ों पर कपूर जलाते हैं और हल्दी कुमकुम लगाते है। मां मुंब्रा देवी की आरती सुबह 11 बजे और शाम को छह बजे घंटानाद, शंखनाद और ढोल आदि बजाकर आरती की जाती है। यह आरती 15 मिनट की होती है। भगत परिवार के रामकृष्ण भगत, मनीष भगत, नगरसेवक विश्वनाथ भगत, मोहन भगत आज भी मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। ट्रस्टी, मुंब्रा देवी मंदिर मोहन भगत ने बताया कि वर्षों पुराने माता मुंब्रा देवी का दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। मनोकामना पूरी होने पर भक्त कर्पूर जलाते हुए माता की सीढिय़ा चढ़ते हैं। नवरात्रि के समय माता के नौ मूर्तियों के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है।
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