बॉस ने कहा 8 घंटे बहुत कम हैं, 12 घंटे काम किया करो || आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2023)
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.พ. 2025
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वीडियो जानकारी: 05.11.23, गीता दीपोत्सव, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्राशांत जी ने जीवन के सार्थकता, काम के प्रति दृष्टिकोण, और सही कर्म के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि जीवन में केवल काम करने की संख्या (घंटे) नहीं, बल्कि काम की गुणवत्ता (क्वालिटी) महत्वपूर्ण है। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि जब हम अपने काम को प्रेम और समर्पण के साथ करते हैं, तो समय की गिनती नहीं होती।
उन्होंने यह भी कहा कि समाज में काम के प्रति जो मानसिकता है, वह अक्सर हमें बेचने के लिए मजबूर करती है, जिससे हम अपने जीवन के बहुमूल्य घंटे बर्बाद करते हैं। सही काम करने का अर्थ है अपने कौशल और ज्ञान का सही उपयोग करना, न कि केवल पैसे कमाने के लिए काम करना।
आचार्य जी ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में सार्थकता खोजें और अपने काम को एक पूजा के रूप में देखें। उन्होंने यह भी बताया कि सही काम करने से तनाव कम होता है और जीवन में संतोष मिलता है।
प्रसंग:
~ कितने घंटे काम करना सही है?
~ काम मे घंटे (समय) कब नहीं गिने जाते?
~ काम मे समय गिन रहे है मतलब प्रेम नहीं है, ऐसा क्यों?
~ जिन्हें समय देख कर काम करना पड़ता है वो अभागे क्यों है?
संगीत: मिलिंद दाते
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