Shrimad Bhagwat Katha 5
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- เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
- उत्तर भारत में गणेश विसर्जन नही करना चाहिए क्योंकि गणेश जी केवल एक सप्ताह के लिए माता गौरा के साथ उत्तर से दक्षिण, अपने भाई कार्तिकेय जी से मिलने गए थे, मान्यता अनुसार दोनो भाई महाराष्ट्र मे मिले थे, इसीलिए महाराष्ट्र में ये पर्व मनाया जाता है तथा उन्हें फिर अगले साल आने का निमंत्रण दिया जाता है, उत्तर भारत में गणेश जी सदा विराजमान रहते है, जरा सोचिए, अगर आप गणेश जी विसर्जित करके कहेंगे की अगले बरस तू जल्दी आ, तो फिर आप दीपावली पर किसका पूजन करेंगे, कुछ त्योहारों का भौगोलिक महत्व होता है, भेड़ चाल न अपनाएं 🙏
पूजा करिए लेकिन तरीक़े से भेड़चाल से नहीं 🙏
#ganeshchaturthi2024अस्थि #विसर्जन के लिए पूरे विश्व में #गंगा के जल जितना पवित्र और कुछ भी नहीं है इसलिए मृत्यु के पश्चात् मृत #आत्मा को पाप से #मुक्त करने के लिए उसके अंतिम #संस्कार से बची हुई राख का विसर्जन गंगा नदी में किया जाता है। गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे संभवतः #मोक्ष की प्राप्ति होती है।
#दिल्ली में हर साल सैकड़ों #अज्ञात शव मिलते हैं। कई #लाशें ऐसी भी होती है जिनका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नही होता की वो अस्थि फूल को #हरिद्वार तक ले जाए, ऐसे में श्री राम अस्थि विसर्जन संस्था दिल्ली में पिछले कई वर्षों से उन अस्थि फूलों को उनके अंतिम धाम तक पहुंचने का काम कर रही है वो भी निशुल्क ।
आप अपने आस पास यदि किसी ऐसे परिवार को देखते जो किसी कारणवश या आर्थिक तंगी के कारण अपने बंधू जन को मुक्ति धाम तक पहुंचने में असमर्थ है, तो कृपया श्री राम अस्थि विसर्जन संस्था दिल्ली सूचित करें
#लावारिश #अस्थियों के #विसर्जन हेतु
हमसे आप संपर्क कर सकते है 📞 9873622037#ShriRamAsthiVisarjanSanstha
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