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Painuly Pariwar
India
เข้าร่วมเมื่อ 31 พ.ค. 2021
मनुष्य होना मेरे भाग्या में था लेकिन आप लोगों से जुड़ना मेरे शौभाग्या में था
धारी देवी एक रहस्यमयी मन्दिर । Dhari mandir Uttrakhand । Dhari devi Temple Srinagar
माता धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है । यह मंदिर काली माता को समर्पित है माना जाता है कि मूल मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग में स्थापित की गयी थी मान्यता है कि उत्तराखंड के चारों धामों व उनके सभी भक्तों की वह रक्षा करती हैं।
यह मंदिर डैम के बीच में स्थित है माँ धारी देवी की पौराणिक कथा के अनुसार एक कहानी प्रचलित है जिससे आपको जानना चाहिए।
माता धारी देवी 7 भाइयों की इकलौती बहन थी। माता धारी देवी अपने सात भाइयों से अत्यंत प्रेम करती थी ,वह स्वयं उनके लिए अनेक प्रकार के खाने के व्यंजन बनाती और उनकी अत्यंत सेवा करती थी यह कहानी तब की है जब माँ धारी देवी केवल सात साल की थी । परन्तु जब उनके भाइयों को यह पता चला कि उनकी इकलोती बहन के ग्रह उनके लिए खराब हैं तो उनके भाई उनसे नफरत करने लगे
परन्तु माँ धारी देवी अपने सात भाइयों को ही अपना सब कुछ मानती थीं क्योंकि इनके माता - पिता के जल्दी गुजर जाने के कारण माँ धारी देवी का पालन - पोसण अपने भाइयों के हाथों से ही हुआ था और उनके लिए अपने भाई ही सब कुछ थे ।
धीरे धीरे समय बीतता गया और धारी माँ के भाइयों की माँ धारी देवी के प्रति नफरत बढ़ती गयी, परन्तु एक समय ऐसा आया कि माँ के पाँच भाइयों की मौत हो गयी । और केवल दो शादी शुदा भाई ही बचे थे और इन दो भाई की परेशानी और बढ़ती गयी क्योंकि इन दो भाइयों को ऐसा लगा कि कंही हमारे पाँच भाइयो की मोत हमारे इस इकलोती बहन के हमारे प्रति खराब ग्रहों के कारण तो नी हुयी क्योंकि उन्हें बचपन से यही पता चला था कि हमारी बहन के ग्रह हमारे लिए खराब हैं
इन दो भाइयों ने जब माँ धारी केवल 13 साल की थी तो उनके दोनों भाइयों ने उनका सिर उनके धड़ से अलग कर दिया ओर उनके मृत - शरीर को रातों रात नदी के तट में डुबो दिया।
और माँ धारी का सिर वहाँ से बहते - बहते कल्यासौड़ के धारी नामक गाँव तक आ पहुँचा, तब- सुबह का वक्त था तो धारी गाँव में एक व्यक्ति नदी तट के किनारे पर कपड़े धुल रहा था तो वह ब्यक्ति देखता है कि नदी में कोई कन्या बह रही है ।
उस व्यक्ति ने कन्या को बचाना चाहा परन्तु नदी में बहुत ज़्यादा पानी होने के कारण वह व्यक्ति घबरा जाता है और सोचने लगता है कि अब मै वह कन्या को नहीं बचा पाऊँगा
परन्तु अचानक उस काटे हुए सिर से एक आवाज आती है और उस आवाज़ से उस व्यक्ति का धैर्य बढ जाता है, वह आवाज थी कि तू घबरा मत और तू मुझे यहाँ से बचा ले । और मैं तेरे को यह आश्वासन दिलाती हूँ कि जहाँ जहाँ तू पैर रखेगा में वहाँ वहाँ तेरे लिए सीढ़ी बना दूँगी, कहा जाता है कि कुछ समय पहले ये सीडिया यहाँ पर दिखाई भी देती थीं ।
कहा जाता है कि जब वह व्यक्ति नदी में कन्या को बचाने गया तो सच में अचानक एक चमत्कार हुआ, और जहाँ जहाँ उस व्यक्ति ने अपने पैर रखे वहाँ - वहाँ पर सीढ़ियाँ बनती गयी ।
जब वह व्यक्ति नदी में गया तो उस व्यक्ति ने उस कटे हुये सिर को जब कन्या समझ कर उठाया तो वह व्यक्ति अचानक से घबरा गया वह जिसे कन्या समझ रहा था वह सिर्फ़ और सिर्फ़ एक कटा हुआ सिर था
फिर उस कटे हुए सिर से आवाज आई कि तू घबरा मत में देव रूप में हूँ और मुझे एक पवित्र, सुन्दर स्थान पर एक पत्थर पर स्थापित कर दे ।
और उस व्यक्ति ने भी वही किया जो उस कटे हुए सिर से आवाज़ आयी थी क्योंकि उस व्यक्ति के लिए भी वह किसी चमत्कार से कम नहीं था कि एक कटा हुआ सिर आवाज दे, उस व्यक्ति के लिए सीढ़ी बनाएं, एवं उसे रक्षा का आश्वासन दे, यह सब देखकर वह व्यक्ति भी समझ गया कि यह एक देवी ही है।
जब उस व्यक्ति ने उस कटे हुए सिर को एक पत्थर पर स्थापित किया तो उस कटे हुए सिर ने अपने बारे में सब कुछ बताया कि मैं एक कन्या थी, जो कि सात भाइयों की इकलौती बहन थी ओर मुझे मेरे दो भाइयों के द्वारा मार दिया गया और यह सब कुछ बताकर उस कटे हुए सिर ने एक पत्थर का रूप धारण कर लिया।
तब से स्थानिया लोग उस पत्थर की वहाँ पर पूजा अर्चना करने लगे और धीरे धीरे वहाँ पर एक सुन्दर व विशाल मंदिर का निर्माण किया गया जो की आज माँ धारी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और माँ धारी देवी का धड़ वाला हिस्सा रुद्रप्रयाग के कालीमठ में माँ मैठाणी के नाम से प्रसिद्ध है, यहाँ पर भी माँ का भव्य मंदिर है और इस मंदिर को माँ मैठाणी के नाम से जाना जाता है ।
कहा जाता है कि माँ धारी देवी अपने मंदिर में एक दिन में अपने तीन रूप बदलती है जो की प्रातकाल छोटी बच्ची ,दोपहर में युवती ,और शाम के समय व्रद्ध महिला का रूप माँ धारी देवी लेती है ।
केदारनाथ में आपदा आने का कारण माता धारी देवी का ही क्रोध माना जाता है
16 जून 2013 को जैसे ही माँ धारी देवी को उसके मूल स्थान से हटाया गया हालाँकि स्थानीय लोगों ने इसका भारी विरोध भी किया था लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं मानी।
और माँ धारी देवी को उसके मूल स्थान से हटा दिया मूल स्थान से हटाने के कुछ ही घंटो बाद केदारनाथ में आयी आपदा ने मौत का तांडव रचा और सब कुछ तबाह कर केवल केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ बाढ में बह गया था यह सब माँ धारी देवी का क्रोधित होने का ही कारण माना जाता है जिसके बाद मंदिर फिर से बनाया गया और माँ धारी देवी को पुनः उनके मूल स्थान पर रखा गया
धारी देवी मंदिर में लोग पूरी निष्ठा और नियमों का पालन करते हुए पूजा-पाठ करते हैं। हालांकि देवी मां ने कभी भी पूजा-पाठ की वजह से ग्रामिणों को दंडित नहीं किया है लेकिन लोग भक्तिभाव से सभी नियमों का पालन करते हैं। 18वीं सदी में एक बार मंदिर से छेड़छाड़ हुई थी, जिसके बाद भारी तबाही हुई थी।
कहा जाता है कि एक स्थानीय राजा ने भी 1882 के दौरान माँ धारी देवी को उनके मूल स्थान से हटाने की कोशिश की थी और उस समय भी केदारनाथ में भूस्खलन आया था ।और श्रीनगर जैसे पहाड़ी क्षेत्र को भी उस प्रलय ने उजाड़कर मैदानी रूप दे दिया था।
यह मंदिर डैम के बीच में स्थित है माँ धारी देवी की पौराणिक कथा के अनुसार एक कहानी प्रचलित है जिससे आपको जानना चाहिए।
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परन्तु माँ धारी देवी अपने सात भाइयों को ही अपना सब कुछ मानती थीं क्योंकि इनके माता - पिता के जल्दी गुजर जाने के कारण माँ धारी देवी का पालन - पोसण अपने भाइयों के हाथों से ही हुआ था और उनके लिए अपने भाई ही सब कुछ थे ।
धीरे धीरे समय बीतता गया और धारी माँ के भाइयों की माँ धारी देवी के प्रति नफरत बढ़ती गयी, परन्तु एक समय ऐसा आया कि माँ के पाँच भाइयों की मौत हो गयी । और केवल दो शादी शुदा भाई ही बचे थे और इन दो भाई की परेशानी और बढ़ती गयी क्योंकि इन दो भाइयों को ऐसा लगा कि कंही हमारे पाँच भाइयो की मोत हमारे इस इकलोती बहन के हमारे प्रति खराब ग्रहों के कारण तो नी हुयी क्योंकि उन्हें बचपन से यही पता चला था कि हमारी बहन के ग्रह हमारे लिए खराब हैं
इन दो भाइयों ने जब माँ धारी केवल 13 साल की थी तो उनके दोनों भाइयों ने उनका सिर उनके धड़ से अलग कर दिया ओर उनके मृत - शरीर को रातों रात नदी के तट में डुबो दिया।
और माँ धारी का सिर वहाँ से बहते - बहते कल्यासौड़ के धारी नामक गाँव तक आ पहुँचा, तब- सुबह का वक्त था तो धारी गाँव में एक व्यक्ति नदी तट के किनारे पर कपड़े धुल रहा था तो वह ब्यक्ति देखता है कि नदी में कोई कन्या बह रही है ।
उस व्यक्ति ने कन्या को बचाना चाहा परन्तु नदी में बहुत ज़्यादा पानी होने के कारण वह व्यक्ति घबरा जाता है और सोचने लगता है कि अब मै वह कन्या को नहीं बचा पाऊँगा
परन्तु अचानक उस काटे हुए सिर से एक आवाज आती है और उस आवाज़ से उस व्यक्ति का धैर्य बढ जाता है, वह आवाज थी कि तू घबरा मत और तू मुझे यहाँ से बचा ले । और मैं तेरे को यह आश्वासन दिलाती हूँ कि जहाँ जहाँ तू पैर रखेगा में वहाँ वहाँ तेरे लिए सीढ़ी बना दूँगी, कहा जाता है कि कुछ समय पहले ये सीडिया यहाँ पर दिखाई भी देती थीं ।
कहा जाता है कि जब वह व्यक्ति नदी में कन्या को बचाने गया तो सच में अचानक एक चमत्कार हुआ, और जहाँ जहाँ उस व्यक्ति ने अपने पैर रखे वहाँ - वहाँ पर सीढ़ियाँ बनती गयी ।
जब वह व्यक्ति नदी में गया तो उस व्यक्ति ने उस कटे हुये सिर को जब कन्या समझ कर उठाया तो वह व्यक्ति अचानक से घबरा गया वह जिसे कन्या समझ रहा था वह सिर्फ़ और सिर्फ़ एक कटा हुआ सिर था
फिर उस कटे हुए सिर से आवाज आई कि तू घबरा मत में देव रूप में हूँ और मुझे एक पवित्र, सुन्दर स्थान पर एक पत्थर पर स्थापित कर दे ।
और उस व्यक्ति ने भी वही किया जो उस कटे हुए सिर से आवाज़ आयी थी क्योंकि उस व्यक्ति के लिए भी वह किसी चमत्कार से कम नहीं था कि एक कटा हुआ सिर आवाज दे, उस व्यक्ति के लिए सीढ़ी बनाएं, एवं उसे रक्षा का आश्वासन दे, यह सब देखकर वह व्यक्ति भी समझ गया कि यह एक देवी ही है।
जब उस व्यक्ति ने उस कटे हुए सिर को एक पत्थर पर स्थापित किया तो उस कटे हुए सिर ने अपने बारे में सब कुछ बताया कि मैं एक कन्या थी, जो कि सात भाइयों की इकलौती बहन थी ओर मुझे मेरे दो भाइयों के द्वारा मार दिया गया और यह सब कुछ बताकर उस कटे हुए सिर ने एक पत्थर का रूप धारण कर लिया।
तब से स्थानिया लोग उस पत्थर की वहाँ पर पूजा अर्चना करने लगे और धीरे धीरे वहाँ पर एक सुन्दर व विशाल मंदिर का निर्माण किया गया जो की आज माँ धारी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और माँ धारी देवी का धड़ वाला हिस्सा रुद्रप्रयाग के कालीमठ में माँ मैठाणी के नाम से प्रसिद्ध है, यहाँ पर भी माँ का भव्य मंदिर है और इस मंदिर को माँ मैठाणी के नाम से जाना जाता है ।
कहा जाता है कि माँ धारी देवी अपने मंदिर में एक दिन में अपने तीन रूप बदलती है जो की प्रातकाल छोटी बच्ची ,दोपहर में युवती ,और शाम के समय व्रद्ध महिला का रूप माँ धारी देवी लेती है ।
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Iske been nikaal Dene hai
Aaj Maine iski sabji Khai Hai Iske Aage nonveg bhi faila
Bilkul
Jay Mata Di
जानकारी देने के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत धन्यवाद
jai mata di
Jai Mata di Jai maa surkanda Devi ❤️🙏 maa aapke charanon mein mare koti koti pranam ❤️🙏 maa 🙏❤️🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌸🌸🌸🌸
Jai maa surkanda
Jay chamunda devi जय माता दी जय सुरकंडा मां 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Maa 🙏
Jay surkanda Devi maa ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jai mata di🙏🙏🌹🌹
Mmm
Hiieee
Hii
Mem
Hoo
Jay ma su🙏🙏❤️❤️🌺🌺🌹🌹rkanda Devi
Jai Mata Di 🙏🙏❤️❤️🌺🌺🌹🌹
Jay Mata Di
अपने हाथों की तलवार से अपनी गर्दन काट के माता को चढ़ा दे, तब तुझे सच्चा भक्त समझूंगा, ...
Mention address
भैजी नमसते बहुत सुंदर अचार बणोण सिक्खों आप ने धन्यवाद❤❤
🙏🙏🙏
Bhai sahab Kacche timli se Banega na
बेडू के लिए क्या कहते हैं
अंजीर ❤
जय माँ धारी देवी 🙏
Jai maa dhari devi🙏🏻
🙏🙏jai ho dhari devi 🙏🙏
Jai Mata Di 🙏
Jay mata di🙏🙏🙏
Jai mata di 🙏
जी mata di
जय माँ धारीदेवी❤🙏
Gjb kya bat hai... ❤🎉
❤
Bhaiya aap kahan ke Rahane wale ho
Didi jinpe mata aati hai wo pathri ke rehne wale hain lekin bolti mata sunday ke din hai Rishikesh 14 bigha me
Jay Mata Di
Dhanyvad bhaiya
Bahut badhiya
Panditji meri maa aapka nmbr janna chahri h kahi ss mil skta h
Jai mata di 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
❤😘❤ जय मां सुरकंडा 😘🥀🥀🥀🥀🌻🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद जानकारी देने के लिए हम भी जरूर ट्राई करेंगे🙏🙏🙏
Jai maa surkanda ...
Jai Mata di please bless me 🕉
Jai mata di
Aap ka kaisa hai
Channel bech rahe ho bhai ji apna
youtube.com/@JeetJoshi-iw6pj
Jay surkanda Mata Ki
Jay mata di 🙏🙏🙏
Jai mata de