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SinghalBhai
เข้าร่วมเมื่อ 26 พ.ย. 2024
|| मैं नाम बाबूलाल सिंघल हैं ||
मैं मानवता सेवा संस्थान के माध्यम से लावारिस, अनाथ, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए कार्य करता हूं। हमारा उद्देश्य मानवता की सेवा करना और उन लोगों को नई जिंदगी देना है ,जो मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं। हमारी टीम पूरी निष्ठा और लगन से हर जरूरतमंद की सहायता करती है, चाहे वह रहने की व्यवस्था हो, भोजन, शिक्षा या चिकित्सा उपचार। हमारा विश्वास है कि सेवा से बड़ी कोई पूजा नहीं।
आइए, इस नेक काम में हमारा साथ दें और मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करें।” आप सभी का दिल से धन्यवाद, जिन्होंने हमारी वीडियो देखीं और हमारे काम को सराहा दिया ||
अगर आपके आसपास कोई मानसिक रूप से बीमार, बेसहारा या लावारिस व्यक्ति हो, तो कृपया हमसे संपर्क करें।
📞 हेल्पलाइन नंबर: 9414363537, 9509320035
📩 व्हाट्सएप पर मैसेज करें।
📺 TH-cam चैनल पर सब्सक्राइब करें:
👉 www.youtube.com/@Singhalsocialwork
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👉 babulal_singhal_108_official
मैं मानवता सेवा संस्थान के माध्यम से लावारिस, अनाथ, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए कार्य करता हूं। हमारा उद्देश्य मानवता की सेवा करना और उन लोगों को नई जिंदगी देना है ,जो मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं। हमारी टीम पूरी निष्ठा और लगन से हर जरूरतमंद की सहायता करती है, चाहे वह रहने की व्यवस्था हो, भोजन, शिक्षा या चिकित्सा उपचार। हमारा विश्वास है कि सेवा से बड़ी कोई पूजा नहीं।
आइए, इस नेक काम में हमारा साथ दें और मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करें।” आप सभी का दिल से धन्यवाद, जिन्होंने हमारी वीडियो देखीं और हमारे काम को सराहा दिया ||
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วีดีโอ
मैंने बहादूरी का काम किया है || #socialwork #help #sad #socialhelp #emotional #humanity #popatbhai
มุมมอง 9224 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मैंने बहादूरी का काम किया है |
कचरे से दवाइयाँ चुनकर जीने की मजबूरी || #help #socialwork #sad #emotional #humanity #popatbhai_ahir
มุมมอง 4579 ชั่วโมงที่ผ่านมา
“डर से आज़ादी की ओर: मानवता सेवक टीम ने दिया नई ज़िंदगी का सहारा” “बेबसी की इंतिहा: कचरे से दवाइयाँ चुनकर जीने की मजबूरी”
नग्न अवस्था में फुटपाथ पर जीवन जी रहा है ! #sad #socialwork #popatbhai_ahir #love #humanity #help
มุมมอง 8519 ชั่วโมงที่ผ่านมา
नग्न अवस्था में फुटपाथ पर जीवन जी रहा है ! #sad #socialwork #popatbhai_ahir #love #humanity #help
वीडिओ कालिंग पर बात कर हुआ ! #socialhelp #popatbhai_ahir #helpbygod #helpme #videocall
มุมมอง 57421 ชั่วโมงที่ผ่านมา
वीडिओ कालिंग पर बात कर हुआ ! #socialhelp #popatbhai_ahir #helpbygod #helpme #videocall
“फुटपाथ की जिंदगी ,अरविंद की संघर्ष भरी कहानी || #sad #humanity #socialwork #love #help
มุมมอง 1.3Kวันที่ผ่านมา
“फुटपाथ की जिंदगी ,अरविंद की संघर्ष भरी कहानी || #sad #humanity #socialwork #love #help
|| आज तो प्रभु जी से बाल-बाल बचे || #singhal_social_work #sad #help #humanity #popatbhai_ahir
มุมมอง 165หลายเดือนก่อน
|| आज तो प्रभु जी से बाल-बाल बचे || #singhal_social_work #sad #help #humanity #popatbhai_ahir
नंदूलाल का वायरल सफर || #singhal_social_work #sad #motivation #emotional #viralvideos #viralvideo
มุมมอง 484หลายเดือนก่อน
नंदूलाल का वायरल सफर || #singhal_social_work #sad #motivation #emotional #viralvideos #viralvideo
“माता जी का अपना परिवार मिल गया है || part-2 #singhal_social_work #sad #help #socialwork #motivation
มุมมอง 1.2Kหลายเดือนก่อน
“माता जी का अपना परिवार मिल गया है || part-2 #singhal_social_work #sad #help #socialwork #motivation
प्रभुओं के लिए स्वस्थ की कामना के लिए अग्नि यज्ञ रखा गया है || #singhal_social_work #sad #helppoor
มุมมอง 41หลายเดือนก่อน
प्रभुओं के लिए स्वस्थ की कामना के लिए अग्नि यज्ञ रखा गया है || #singhal_social_work #sad #helppoor
परिवार वालों ने छोड़ दिया फ़ुटपाथ पर || #singhal_social_work #sad #socialwork #emotional #poor #love
มุมมอง 531หลายเดือนก่อน
परिवार वालों ने छोड़ दिया फ़ुटपाथ पर || #singhal_social_work #sad #socialwork #emotional #poor #love
|| मैं नहीं जाऊंगा || #singhal_social_work #sad #socialwork #emotional #helpinghands #poorhelping
มุมมอง 402หลายเดือนก่อน
|| मैं नहीं जाऊंगा || #singhal_social_work #sad #socialwork #emotional #helpinghands #poorhelping
मुझे फुटपाथ पर रहना अच्छा लग्ता हैं || #help #sad #singhal_social_work #socialwork #emotional #help
มุมมอง 40หลายเดือนก่อน
मुझे फुटपाथ पर रहना अच्छा लग्ता हैं || #help #sad #singhal_social_work #socialwork #emotional #help
10 साल से नग्न अवस्था में खुले आसमान के नीचे || #dausa #help #sad #emotional #helppoor #jaipur
มุมมอง 1.1Kหลายเดือนก่อน
10 साल से नग्न अवस्था में खुले आसमान के नीचे || #dausa #help #sad #emotional #helppoor #jaipur
माँ-बाप बचपन में गुज़र गए || #socialwork #poor #emotional #popatbhaifoundation #popatbhai_ahir
มุมมอง 910หลายเดือนก่อน
माँ-बाप बचपन में गुज़र गए || #socialwork #poor #emotional #popatbhaifoundation #popatbhai_ahir
|| आश्रम || humanity #Singhal_social_work #movitation #helping #sad #poor #dausa #jaipur #rajasthan
มุมมอง 91หลายเดือนก่อน
|| आश्रम || humanity #Singhal_social_work #movitation #helping #sad #poor #dausa #jaipur #rajasthan
महाकाल प्रभु जी भक्ति में लीन हैं || #help #socialwork #sad #emotional #jaipur #singhal_social_work
มุมมอง 2.8Kหลายเดือนก่อน
महाकाल प्रभु जी भक्ति में लीन हैं || #help #socialwork #sad #emotional #jaipur #singhal_social_work
आपके धन से ज्यादा आपके मन का बड़ा रोल होता है || #humanity #movitation #helping #sad #socialwork
มุมมอง 20หลายเดือนก่อน
आपके धन से ज्यादा आपके मन का बड़ा रोल होता है || #humanity #movitation #helping #sad #socialwork
सच्ची मोहब्बत की कोई सीमा नहीं होती || #motivation #socialwork #love #singhal_social_work #comedy
มุมมอง 51หลายเดือนก่อน
सच्ची मोहब्बत की कोई सीमा नहीं होती || #motivation #socialwork #love #singhal_social_work #comedy
200 बीघा जमीन के मलिक, फिर भी फुटपाथ पर || #socialwork #helppoor #motivation #dausa #jaipur
มุมมอง 432หลายเดือนก่อน
200 बीघा जमीन के मलिक, फिर भी फुटपाथ पर || #socialwork #helppoor #motivation #dausa #jaipur
|| मैं तो यही बैठा रहता हूँ || #humanity #movitation #helping #sad #poor #dausa #jaipur #rajasthan
มุมมอง 1.1Kหลายเดือนก่อน
|| मैं तो यही बैठा रहता हूँ || #humanity #movitation #helping #sad #poor #dausa #jaipur #rajasthan
|| कोरोना में फस गया , मैं मार्केटिंग करता हूं हार्डवेयर का || #helpme #poor #humanity #motivation
มุมมอง 361หลายเดือนก่อน
|| कोरोना में फस गया , मैं मार्केटिंग करता हूं हार्डवेयर का || #helpme #poor #humanity #motivation
मानवता की सेवा में सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । #help #poor #motivation #humanity #सरकार
มุมมอง 83หลายเดือนก่อน
मानवता की सेवा में सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । #help #poor #motivation #humanity #सरकार
|| 8 साल से भूख प्यास,कभी भीख नहीं मांगी || #help #humanity #motivation #poor #singhal_social_work
มุมมอง 86หลายเดือนก่อน
|| 8 साल से भू प्यास,कभी भी नहीं मांगी || #help #humanity #motivation #poor #singhal_social_work
|| डरा हुआ बाबा || #help #humanity #motivation #helping #poor #singhal_social_work
มุมมอง 720หลายเดือนก่อน
|| डरा हुआ बाबा || #help #humanity #motivation #helping #poor #singhal_social_work
|| 10 साल से रास्ता भटक गए || #help #humanity #motivation #helping #poor #singhal_social_work
มุมมอง 7Kหลายเดือนก่อน
|| 10 साल से रास्ता भटक गए || #help #humanity #motivation #helping #poor #singhal_social_work
#help #humanity #motivation #socialwork #socialnews #poor #helpneedypeople #singhal_social_work
มุมมอง 302 หลายเดือนก่อน
#help #humanity #motivation #socialwork #socialnews #poor #helpneedypeople #singhal_social_work
|| मुंह पर कैंसर दोनों पैरों में लकवा || #help #humanity #motivation #poor #singhal_social_work
มุมมอง 482 หลายเดือนก่อน
|| मुंह पर कैंसर दोनों पैरों में लकवा || #help #humanity #motivation #poor #singhal_social_work
#सरकार और #पत्रकार वालों से नाराजगी की भावना #help #helping #humanity #motivation #poor
มุมมอง 1412 หลายเดือนก่อน
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Popat Bhai Uttrakhand ke bacche Hain Gujarat mein gaye the Jo back chori ho gaya usmein hard disk tha bacche bhukhe pyase 4 din Se khana Khai mein baithe Hain vah report nahin likh rahe hain madad kijiye
❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊😊
👍👍👍👍
❤❤❤❤❤
🫸🫷👍🙏
मानवता और इंसानियत एक मुर्झाई हुई तस्वीर :- मानवता और इंसानियत के मूल्यों की तस्वीर कहीं धुंधली पड़ती जा रही है। ऐसी ही एक घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया, कि क्या हम वास्तव में उस समाज का हिस्सा हैं, जहाँ मदद और दया मानव होने का सबसे बड़ा गुण माना जाता है? एक लावारिस व्यक्ति जिसकी जिंदगी मौत से जूझ रही थी, उसे बचाने के लिए "मानवता सेवा टीम ने पहल की। उस व्यक्ति की मदद के लिए सहायता की गुहार लगाई। लेकिन, वह दृश्य चौंकाने वाला था। चारों और तमाशबीनों की भीड़ थी, लेकिन मदद के लिए कोई हाथ नहीं बढ़ा। सबने मुँह फेर लिया, और अपनी व्यस्त जिंदगी का हवाला देकर वहां से चले गए। यह घटना हमारे समाज के एक कटु सत्य को उजागर करती है। हम भले ही आधुनिक हो गए हों, लेकिन हमारी सोच संकीर्ण होती जा रही है। एक समय था जब लोगों की पीड़ा को देखकर पूरा गाँव मदद के लिए खड़ा हो जाता था। लेकिन आज, हम केवल दर्शक बनकर तमाशा देखना पसंद करते हैं। किसी की मदद करना तो दूर, हम यह सोचकर भी पीछे हट जाते हैं कि इससे हमारा नुकसान हो सकता है ,या हमारी जिम्मेदारियाँ बढ़ जाएंगी। इंसानियत का मतलब सिर्फ इंसान होना नहीं है, बल्कि यह भाव है कि हम दूसरों की तकलीफों को समझें और उनकी मदद करें। लेकिन आज, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित सोच ने इस भावना को धीरे-धीरे मार डाला है। मदद के लिए आगे न आना केवल उस व्यक्ति की मदद/मौत नहीं है, यह हमारी इंसानियत की मौत भी है। यदि हम इंसान होकर भी दूसरों की मदद करने में असमर्थ हैं, तो हमें अपने जीवन और समाज के उद्देश्यों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हमें समझना होगा कि किसी के जीवन को बचाने के लिए किया गया प्रयास न केवल उस व्यक्ति के लिए मायने रखता है, बल्कि यह हमारी आत्मा को भी संतुष्टि देता है। छोटी-छोटी मदद से ही समाज में बदलाव आता है। आइए, हम उस भीड़ का हिस्सा न बनें जो तमाशा देखती है। बल्कि, हम वह इंसान बनें जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़े। यही सच्ची मानवता है, और यही हमारी इंसानियत को जीवित रख सकती है। धन्यवाद 🙏
मानवता और इंसानियत एक मुर्झाई हुई तस्वीर :- मानवता और इंसानियत के मूल्यों की तस्वीर कहीं धुंधली पड़ती जा रही है। ऐसी ही एक घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया, कि क्या हम वास्तव में उस समाज का हिस्सा हैं, जहाँ मदद और दया मानव होने का सबसे बड़ा गुण माना जाता है? एक लावारिस व्यक्ति जिसकी जिंदगी मौत से जूझ रही थी, उसे बचाने के लिए "मानवता सेवा टीम ने पहल की। उस व्यक्ति की मदद के लिए सहायता की गुहार लगाई। लेकिन, वह दृश्य चौंकाने वाला था। चारों और तमाशबीनों की भीड़ थी, लेकिन मदद के लिए कोई हाथ नहीं बढ़ा। सबने मुँह फेर लिया, और अपनी व्यस्त जिंदगी का हवाला देकर वहां से चले गए। यह घटना हमारे समाज के एक कटु सत्य को उजागर करती है। हम भले ही आधुनिक हो गए हों, लेकिन हमारी सोच संकीर्ण होती जा रही है। एक समय था जब लोगों की पीड़ा को देखकर पूरा गाँव मदद के लिए खड़ा हो जाता था। लेकिन आज, हम केवल दर्शक बनकर तमाशा देखना पसंद करते हैं। किसी की मदद करना तो दूर, हम यह सोचकर भी पीछे हट जाते हैं कि इससे हमारा नुकसान हो सकता है ,या हमारी जिम्मेदारियाँ बढ़ जाएंगी। इंसानियत का मतलब सिर्फ इंसान होना नहीं है, बल्कि यह भाव है कि हम दूसरों की तकलीफों को समझें और उनकी मदद करें। लेकिन आज, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित सोच ने इस भावना को धीरे-धीरे मार डाला है। मदद के लिए आगे न आना केवल उस व्यक्ति की मदद/मौत नहीं है, यह हमारी इंसानियत की मौत भी है। यदि हम इंसान होकर भी दूसरों की मदद करने में असमर्थ हैं, तो हमें अपने जीवन और समाज के उद्देश्यों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हमें समझना होगा कि किसी के जीवन को बचाने के लिए किया गया प्रयास न केवल उस व्यक्ति के लिए मायने रखता है, बल्कि यह हमारी आत्मा को भी संतुष्टि देता है। छोटी-छोटी मदद से ही समाज में बदलाव आता है। आइए, हम उस भीड़ का हिस्सा न बनें जो तमाशा देखती है। बल्कि, हम वह इंसान बनें जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़े। यही सच्ची मानवता है, और यही हमारी इंसानियत को जीवित रख सकती है। धन्यवाद 🙏
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Sabki jindagi chahiye hi honi har pal isiliye dukhi hona chahiye hi nahi hona kyoki ye swasthya ke liye haanikarak hai 🙂❤️
Good work ❤❤❤
बहुत अच्छा
❤❤❤
🙏🥹
👍👍
❤
❤
🥺🥺🥺💔💔💔🥺🥺🥺🤗
❤❤❤
Good ❤
लावारिस से परिवार तक मानवता की मिसाल ||कुछ दिन पहले, मानवता सेवा संगठन ने सड़कों पर भटकते और लावारिस जीवन जी रहे, अनाथों को एक आश्रम में लाने का अभियान चलाया। इन व्यक्तियों की आंखों में एक गहरी उदासी और दिल में अनगिनत सवाल थे। आश्रम में पहुंचने के बाद, उनकी सुरक्षा और देखभाल के साथ, मानवता सेवा टीम ने उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया।हर चेहरे के पीछे एक अनकही कहानी थी। जब उनसे बातचीत की गई, तो उनकी जिंदगी के पहलुओं को समझने और उनके घर या परिवार के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की गई। कुछ ने अपने माता-पिता के चेहरे याद किए, तो किसी ने अपने गांव का नाम बताया। उनकी कहानियां दुःखद थीं, लेकिन हिम्मत और उम्मीद से भरी हुईं।टीम ने उनकी कहानियों को ध्यानपूर्वक सुना और महसूस किया, कि ये सिर्फ अनाथ नहीं, बल्कि इंसानी संवेदनाओं की जीवंत मिसाल हैं। उनकी कहानियों ने टीम को मानवता के असली मायने समझाए।यह अभियान केवल घर का पता लगाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्हें एक नई शुरुआत देने की पहल भी थी। जिनका कोई परिवार नहीं मिला, उन्हें संगठन ने हमेशा के लिए अपनाने का निर्णय लिया।यह घटना साबित करती है कि दुनिया में अगर कहीं अंधेरा है, तो कहीं न कहीं उम्मीद की किरण भी है। इन लावारिसों की जिंदगी में मानवता ने वही रोशनी बनकर उनकी राहें रोशन कीं।
लावारिस से परिवार तक मानवता की मिसाल ||कुछ दिन पहले, मानवता सेवा संगठन ने सड़कों पर भटकते और लावारिस जीवन जी रहे, अनाथों को एक आश्रम में लाने का अभियान चलाया। इन व्यक्तियों की आंखों में एक गहरी उदासी और दिल में अनगिनत सवाल थे। आश्रम में पहुंचने के बाद, उनकी सुरक्षा और देखभाल के साथ, मानवता सेवा टीम ने उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया।हर चेहरे के पीछे एक अनकही कहानी थी। जब उनसे बातचीत की गई, तो उनकी जिंदगी के पहलुओं को समझने और उनके घर या परिवार के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की गई। कुछ ने अपने माता-पिता के चेहरे याद किए, तो किसी ने अपने गांव का नाम बताया। उनकी कहानियां दुःखद थीं, लेकिन हिम्मत और उम्मीद से भरी हुईं।टीम ने उनकी कहानियों को ध्यानपूर्वक सुना और महसूस किया, कि ये सिर्फ अनाथ नहीं, बल्कि इंसानी संवेदनाओं की जीवंत मिसाल हैं। उनकी कहानियों ने टीम को मानवता के असली मायने समझाए।यह अभियान केवल घर का पता लगाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्हें एक नई शुरुआत देने की पहल भी थी। जिनका कोई परिवार नहीं मिला, उन्हें संगठन ने हमेशा के लिए अपनाने का निर्णय लिया।यह घटना साबित करती है कि दुनिया में अगर कहीं अंधेरा है, तो कहीं न कहीं उम्मीद की किरण भी है। इन लावारिसों की जिंदगी में मानवता ने वही रोशनी बनकर उनकी राहें रोशन कीं।
Good work bhai
लावारिस से परिवार तक मानवता की मिसाल ||कुछ दिन पहले, मानवता सेवा संगठन ने सड़कों पर भटकते और लावारिस जीवन जी रहे, अनाथों को एक आश्रम में लाने का अभियान चलाया। इन व्यक्तियों की आंखों में एक गहरी उदासी और दिल में अनगिनत सवाल थे। आश्रम में पहुंचने के बाद, उनकी सुरक्षा और देखभाल के साथ, मानवता सेवा टीम ने उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया।हर चेहरे के पीछे एक अनकही कहानी थी। जब उनसे बातचीत की गई, तो उनकी जिंदगी के पहलुओं को समझने और उनके घर या परिवार के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की गई। कुछ ने अपने माता-पिता के चेहरे याद किए, तो किसी ने अपने गांव का नाम बताया। उनकी कहानियां दुःखद थीं, लेकिन हिम्मत और उम्मीद से भरी हुईं।टीम ने उनकी कहानियों को ध्यानपूर्वक सुना और महसूस किया, कि ये सिर्फ अनाथ नहीं, बल्कि इंसानी संवेदनाओं की जीवंत मिसाल हैं। उनकी कहानियों ने टीम को मानवता के असली मायने समझाए।यह अभियान केवल घर का पता लगाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्हें एक नई शुरुआत देने की पहल भी थी। जिनका कोई परिवार नहीं मिला, उन्हें संगठन ने हमेशा के लिए अपनाने का निर्णय लिया।यह घटना साबित करती है कि दुनिया में अगर कहीं अंधेरा है, तो कहीं न कहीं उम्मीद की किरण भी है। इन लावारिसों की जिंदगी में मानवता ने वही रोशनी बनकर उनकी राहें रोशन कीं।
“भूले हुए सपने: फुटपाथ से जंगल तक का सफर”
कचरे से दवाइयाँ चुनकर जीने की मजबूरी”
❤❤❤❤
😢😢😮
🎉🎉🎉
❤❤❤❤❤
😢😢😢😢
😢😢😢😢
Hi
thanks. sir ji. ...🙏🙏
Please...help him...
Thanks
Apko salute hai... sir ji. 😮😮
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Good ❤❤
So sad
So sad
So sad
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लावारिस अरविंद की कहानी ठंडी की एक सर्द रात थी। सड़क पर कोहरा ऐसा फैला हुआ था, जैसे आसमान ने सफेद चादर ओढ़ रखी हो। फुटपाथ के किनारे, एक पुरानी फटी हुई चादर में अरविंद लेटे हुए थे। उनकी उम्र लगभग 60 साल थी। उनका चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था, और उनकी आंखें बीते समय की तकलीफें बयां कर रही थीं। अरविंद दोनों पैरों से विकलांग थे। न कोई घर था, न कोई अपना। उनकी जिंदगी की शुरुआत एक छोटे से गांव में हुई थी। बचपन में माता-पिता का साया सिर से उठ गया, और गांववालों ने उन्हें किसी तरह पाला। बड़े होते-होते वह शहर आ गए, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। एक सड़क हादसे में उनके दोनों पैर चले गए। वह अकेले पड़ गए, और सड़क ही उनका घर बन गया। ठंड उनके लिए एक चुनौती थी। शरीर कांपता था, लेकिन मदद के लिए कोई हाथ नहीं बढ़ाता था। उस रात भी अरविंद ने अपनी कमजोर चादर में खुद को ढकने की कोशिश की, लेकिन ठंडी हवा उनकी हड्डियों तक चुभ रही थी। भूख से उनका पेट सिहर रहा था, लेकिन उनका दिल पूरी तरह से हार मानने को तैयार नहीं था। उस रात, "मानवता सेवा संस्थान" की टीम शहर के बेघर लोगों को ठंड से बचाने के लिए गश्त कर रही थी। उनकी गाड़ी फुटपाथ के पास रुकी। जैसे ही उन्होंने अरविंद को देखा, उनके मन में करुणा उमड़ पड़ी। अरविंद की हालत बेहद खराब थी। उनका शरीर ठंड से अकड़ गया था, और उनकी आंखें मदद की पुकार कर रही थीं। संस्थान की टीम ने तुरंत उन्हें उठाया। किसी ने उनके कंधे पर गर्म कंबल रखा, तो किसी ने उनके लिए गरम चाय का इंतजाम किया। अरविंद के आंखों से आंसू बहने लगे। ये आंसू दर्द के नहीं थे, बल्कि सालों बाद मिले इंसानियत के अहसास के थे। टीम ने अरविंद को अपने वाहन में बिठाया और उन्हें एक सुरक्षित आश्रम पहुंचाया। वहां उनके रहने, खाने और इलाज का प्रबंध किया गया। पहली बार अरविंद ने एक नरम बिस्तर पर सोने का सुख महसूस किया। उनके लिए गर्म खाना परोसा गया। अगले दिन, अरविंद ने मानवता सेवा संस्थान के सदस्यों का धन्यवाद किया। उनकी आवाज भर्राई हुई थी, लेकिन उनके शब्दों में कृतज्ञता थी। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे लिए भी कोई इस दुनिया में कुछ करेगा। आप सभी भगवान के दूत हैं।" अरविंद अब आश्रम में सुरक्षित हैं। उन्हें गर्मी, खाना और दवा मिल रही है। उनकी जिंदगी ने एक नई दिशा ली है। यह सब केवल उन लोगों की वजह से मुमकिन हुआ, जिन्होंने ठंड की रात में मानवता को जीवित रखा। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि एक छोटी-सी मदद भी किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है। मानवता सेवा संस्थान ने न केवल अरविंद को बचाया, बल्कि यह भी साबित किया कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
“फुटपाथ की जिंदगी: अरविंद की संघर्षभरी कहानी”
“फुटपाथ की जिंदगी: अरविंद की संघर्षभरी कहानी”
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“फुटपाथ की जिंदगी