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CA Vishal Patni
เข้าร่วมเมื่อ 3 ต.ค. 2011
I am practicing and teaching true spirituality universal truth about the world and universe, I came to understand means of happiness and liberty from sin and pains
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शरीर को जानने पर ही आत्मा को जानने का पुरुषार्थ प्रारंभ होता है, शरीर का मोह तोड़ना ही पुरुषार्थ है
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हम संयोगों में कुछ नहीं कर सकते, संयोग और साथी झूठे है, शरीर को पर जानने पर ही अपनी खोज कर सकते है
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ज्ञान सूर्य, रवि आतम की प्राप्ति के लिए अजीव (परायों) का लक्ष्य छोड़ो
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सम्यक दर्शन क्या है, उसे कैसे पहचाने
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भाव भासन कैसे करते है, जीव, आस्रव, निर्जरा, मोक्ष तत्व की भाव भासना
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सही स्थान पर अहम करना ही सम्यक दर्शन है
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जैन धर्म की विशेषता - मुक्ति का मार्ग प्राप्ति का एकमात्र स्थान
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जीव की द्रव्य के विराधना का फल, भोगों का फल, तत्व चिंतन की अनिवार्यता
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"मै आत्मा हु" ऐसा श्रद्धान / प्रतीति दृढ़ करो, मोह से जागो
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सात सत्व का पूर्ण स्वरूप अत्यंत सरल शब्दों में
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इच्छा के माध्यम से आस्रव बंध संवर निर्जरा मोक्ष तत्व का स्वरूप
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Sarvgyta kya hai ? Aur isme sidh bhagwan kis prakar jaenge .kyoki unko vikapl nahi hai to bahut se therotical questions kaise janege
😊😊
Good
Adrniy bhaiya ko barmbar pranam 🙏🙏🙏
जय जिनेंद्र 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कोई सुनने समझने को तैयार नहीं है
बहुत ही सुन्दर चर्चा है।
सादर जय जिनेन्द्र सागवाड़ा से 🙏👌,👍👍👍
बहुत सुंदर 🙏
Jai Jinendra
📱🫵 🙏🙏🙏🥇🥇🥇🥇🥈🥈🥉🥉🏅🎖️🏆📢🏆🏆🥇🥇🥇🥇🥇🫵
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice 👍👍👍😊
True
Adbhut natika
🙏
😊😊🙏🙏🙏
Which state
Which places drama this
Chhatrapati Sambhaji Nagar (Aurangabad) Maharshtra
Anumodna
Nice
बहुत सुंदर
Bhout sunder hai 🙏
Very nice
Bahut suunder....
Bahut hi sunder
Bhut achi jankari aap se kese contact karskte he
@@hiteshjain3190 आप कहा से हो
परिग्रह स्टार्ट ना हो इसलिए केश का लोच करना कहा गया है ?
🙏🙏मार्मिक विवेचन,👌
Kyon insaano paagli ka chooran de raha hai. Be a Desh Premi First. Chooran bechna bund kar de aaj hi.
अभव्य जीव भी जब मनुष्य पर्याय में आता है तो वह भी समझता है कि मैं आत्मा हुं ,शरीर और आत्मा अलग-अलग है .
@@pravindedhiya वह बस ऐसा कहता ही है ऐसा बिल्कुल भी नहीं मानता, ऐसा मानने लगे तो वह अभव्य नहीं
@@vrpatni19 देवलोक के सुख प्राप्त हो इसलिए तो वो चारित्र ग्रहण करता है,परमात्मा ने बताये हुए 7 तत्व में से मोक्ष को छोड़कर बाकी के जैसे बताये वैसे ही मानता है ,अंश मात्र भी फरक नही अगर शरीर-आत्मा को अलग नही माने तो चारित्र क्यो ले ??
Sir aap kaha pravachan lete hai🙏🏻
दोनो प्रश्न का जवाब "नही" है
अभव्य जीव स्वयं को नही जानता ? अभव्य जीव ज्ञानी हो शकता है ??
लढेका कोण ?
Sir aap konsi Book padhte ho
🙏🏻
@@ExplainerLover314 मोक्षमार्ग प्रकाशक (Jain literature)
Aap konsi book padhte ho❤
Comments pls❤
Nice ❤
Sir aapke speaker ki clarity nhi hai bilkul bhi ... warna achi khasi viral ho jaegi video.. Plzzz work karo aap
Apki bat achi lag rahi hai jay ho apki
बहुत सुंदर प्रस्तुति
🙏
Baba बनने की डिग्री ले रहे हो क्या
Aap samjhe ki nhi😂😂😂
🙏