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विधिक ज्ञान चर्चा Vidhik Gyan Charcha
India
เข้าร่วมเมื่อ 14 มี.ค. 2022
आपका स्वागत है अभिनंदन है अपने चैनल विधिक ज्ञान चर्चा में,
मैं R. S. Dhiman Advocate,
साथियों इस चैनल मे आपको कानून से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियाँ मिलेंगी।
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ग्राम पंचायत और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भूमि आदि सौपे जाने के नियम।
#Niyamavali 2016 ka Niyam 54 kya hai
#Niyamavali ka Niyam 55 kya hai
#Aadesh prakashit kiye jaane ka kya Tarika hai
#Rajya Sarkar dwara Bhumi ka punargathan kaise kiya jata hai
#Punargrahan ki Suchna Kisko Di Jaati Hai
#Avanti ko Sudhar ke liye Pratikar Kaun nirdharit karta hai
#Vidhik Gyan Charcha
#नियमावली 2016 का नियम 54 क्या है
#नियमावली 2016 का नियम 55 क्या है
#आदेश पारित किये जाने का क्या तरीका है
#राज्य सरकार द्वारा भूमि का पुनर्ग्रहण कैसे किया जाता है
#पुनर्ग्रहण कि सूचना किसको दी जाती है
#आवंटी को सुधार के लिए प्रतिकर कौन निर्धारित करता है
#विधिक ज्ञान चर्चा
#Niyamavali ka Niyam 55 kya hai
#Aadesh prakashit kiye jaane ka kya Tarika hai
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#Punargrahan ki Suchna Kisko Di Jaati Hai
#Avanti ko Sudhar ke liye Pratikar Kaun nirdharit karta hai
#Vidhik Gyan Charcha
#नियमावली 2016 का नियम 54 क्या है
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#आदेश पारित किये जाने का क्या तरीका है
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#पुनर्ग्रहण कि सूचना किसको दी जाती है
#आवंटी को सुधार के लिए प्रतिकर कौन निर्धारित करता है
#विधिक ज्ञान चर्चा
มุมมอง: 156
วีดีโอ
ग्राम पंचायतो और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भूमि आदि कैसे सौंपी जाती है?
มุมมอง 23414 วันที่ผ่านมา
#राज्य सरकार ग्राम पंचायत को भूमि कैसे सौंपती है? #राज्य सरकार प्राधिकरणों को भूमि कैसे सौंपती है? #राज्य सरकार ग्राम पंचायत से भूमि कैसे वापस लेती है? #राज्य सरकार प्राधिकरणों से भूमि कैसे वापस लेती है? #प्राधिकरणों को कौन भूमि सौंपी जा सकती है? #ग्राम पंचायत को कौन सी भूमि सौंपी जा सकती है? #प्राधिकरण को कौन से वृक्ष सौंपे जा सकते हैं? #ग्राम पंचायत को कौन से वृक्ष सौंपे जा सकते हैं ? #अनुरक्...
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा 35 अन्तरण के मामलों में नामान्तरण (दाखिल खारिज)
มุมมอง 60328 วันที่ผ่านมา
#अन्तरण के मामलों में नामान्तरण क्या है #उद्घोषणा किस प्रपत्र में जारी होती है #विवादित मामला का नामान्तरण कौन कउत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 कि धारा 35 क्या है #तहसीलदार उद्घोषणा कब जारी करता है #विवादित मामले का दाखिल खारिज कौन करता है #अविवादित मामला का निस्तारण कौन करता है #तहसीलदार के आदेश से व्यथित व्यक्ति अपील कहां कर सकता है #उद्घोषणा जारी करने के नियम क्या है #तहसीलदार उद्घोषणा कि प्...
उ0 प्र0 रा0 सं0 2006 की धारा 33 [उत्तराधिकार, वरासत,विरासत] के नियम 29 नियम 30 नियम 31,
มุมมอง 305หลายเดือนก่อน
#उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 का नियम 29 क्या है #उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 का नियम 30 क्या है #उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 का नियम 31 क्या है #उत्तराधिकार की रिपोर्ट किस प्रपत्र में की जाती है #वरासत की रिपोर्ट किस प्रपत्र में की जाती है #विरासत की रिपोर्ट किस प्रपत्र में की जाती है #उत्तराधिकार की रिपोर्ट में पक्षकार किसको बनाया जाता है #भूमि एक से आधिक...
उ0प्र0रा0सं0 2006 धारा38(गलती और लोप का सुधार) उ0प्र0रा0सं0 2016 नियम 36(किसी भूल अथवा लोप का सुधार)
มุมมอง 424หลายเดือนก่อน
#उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 38 क्या है #उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 का नियम 36 क्या है #धारा 38 में किस प्रकार की गलती का सुधार होता है #धारा 38 में किस प्रकार की त्रुटि का सुधार होता है #त्रुटि किसे कहते हैं गलती किसे कहते हैं #लोप किसे कहते हैं #त्रुटि दुरुस्ती का आवेदन पत्र कैसे लिखा जाता है #लोप का आवेदन पत्र कैसे लिखा जाता है #नक्शा दुरुस्ती की रिपोर्ट तहसीलदार कि...
वसीयती उत्तराधिकार और निर्वसीयती उत्तराधिकार किसे कहते हैं?
มุมมอง 166หลายเดือนก่อน
#वसीयती उत्तराधिकार किसे कहते हैं #निर्वसीयती उत्तराधिकार किसे कहते हैं #विधिक ज्ञान चर्चा #Vasiyati uttradhikar Kise Kahate Hain #Nirvasiyti uttradhikar Kise Kahate Hain #Vidhik Gyan Charcha
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा 55 क्या है। खान और खनिज क्या है।
มุมมอง 173หลายเดือนก่อน
#Uttar Pradesh rajasv Sanhita 2006 ki dhara 55 kya hai #Khan Kise Kahate Hain #Khanij Kise Kahate Hain #Ayask Kise Kahate Hain #Utkhanan kya hai #Patta ghrit kya hai #Adhiniyam 1957 kya hai #Vidhik Gyan Charcha #उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा 55 क्या है #खान किसे कहते हैं #खनिज किसे कहते हैं #उत्तखनन क्या है #पट्टाघृत क्या है #अधिनियम 1957 क्या है #विधिक ज्ञान चर्चा
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा - 54 (समस्त भूमि आदि में राज्य का हक)
มุมมอง 267หลายเดือนก่อน
#Uttar Pradesh Rajasv Sanghita 2006 ki dhara 54 kya hai #Sarvjanik Marg per Kiska Adhikar Hota Hai #Galiyon per Kiska Adhikar Hota Hai #Pathon per Kiska Adhikar Hota Hai #Setu per Kiska Adhikar Hota Hai bhaiyon per Kiska Adhikar Hota Hai #Tat bandhuon per Kiska Adhikar Hota Hai #Badon per Kiska Adhikar Hota Hai #Nadi Tal per Kiska Adhikar Hota Hai #Jharno per Kiska Adhikar Hota Hai #Naalon per ...
उ0 प्र0 रा0 सं0 नियमावली 2016 नियम-37,38,39 क्या हैं? किसान बही जारी करने के नियम क्या है?
มุมมอง 392หลายเดือนก่อน
उ0 प्र0 रा0 सं0 नियमावली 2016 नियम-37,38,39 क्या हैं? किसान बही जारी करने के नियम क्या है?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-41 क्या है? किसान बही क्या है? जोत बही क्या है?
มุมมอง 3432 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-41 क्या है? किसान बही क्या है? जोत बही क्या है?
उ0 प्र0 रा0 सं0 2006 की धारा-39 क्या है? राजस्व अधिकारियों के कौन से आदेश वाद करने से रोकते नहीं हैं
มุมมอง 4872 หลายเดือนก่อน
उ0 प्र0 रा0 सं0 2006 की धारा-39 क्या है? राजस्व अधिकारियों के कौन से आदेश वाद करने से रोकते नहीं हैं
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा - 34 (नामान्तरण, दाखिल खारिज, Mutation) की रिपोर्ट।
มุมมอง 8972 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा - 34 (नामान्तरण, दाखिल खारिज, Mutation) की रिपोर्ट।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा - 33 (उत्तराधिकार के मामलों में नामान्तरण)
มุมมอง 5632 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा - 33 (उत्तराधिकार के मामलों में नामान्तरण)
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-32 (खतौनी, नक्शा, खसरा) में गलतियों/त्रुटियों का सुधारना।
มุมมอง 1.5K2 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-32 (खतौनी, नक्शा, खसरा) में गलतियों/त्रुटियों का सुधारना।
अधिकार अभिलेख/खतौनी/फर्द/खतियाना में गलत अंश निर्धारण को कैसे सही करायें?
มุมมอง 1.6K2 หลายเดือนก่อน
अधिकार अभिलेख/खतौनी/फर्द/खतियाना में गलत अंश निर्धारण को कैसे सही करायें?
उ0प्र0रा0सं0 2006 धारा 31(2) अंश का निर्धारण।
มุมมอง 1K2 หลายเดือนก่อน
उ0प्र0रा0सं0 2006 धारा 31(2) अंश का निर्धारण।
उ0प्र0रा0सं0 2006 धारा 31(1) अधिकार अभिलेख(खतौनी)/फर्द/खतियाना/इन्दखाब/खेवट/रिकार्ड आफ राइट।
มุมมอง 4952 หลายเดือนก่อน
उ0प्र0रा0सं0 2006 धारा 31(1) अधिकार अभिलेख(खतौनी)/फर्द/खतियाना/इन्दखाब/खेवट/रिकार्ड आफ राइट।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-30(2) ममिनजुमला गाटा/खसरा/प्लाट व नक्शा का भौतिक विभाजन।
มุมมอง 2.4K2 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा-30(2) ममिनजुमला गाटा/खसरा/प्लाट व नक्शा का भौतिक विभाजन।
उ0 प्र0 रा0 सं0 2006 की धारा 30(1) के अन्तर्गत नक्शा,मानचित्र,मैप,व खसरा,फील्ड बुक में संशोधन।
มุมมอง 4693 หลายเดือนก่อน
उ0 प्र0 रा0 सं0 2006 की धारा 30(1) के अन्तर्गत नक्शा,मानचित्र,मैप,व खसरा,फील्ड बुक में संशोधन।
ग्राम के अभिलेखों का अनुरक्षण / रखरखाव / वैसी ही स्थिति में बनाये रखना ।
มุมมอง 2513 หลายเดือนก่อน
ग्राम के अभिलेखों का अनुरक्षण / रखरखाव / वैसी ही स्थिति में बनाये रखना ।
उपजिलाधिकारी की पुनरीक्षण सम्बन्धी शक्ति।
มุมมอง 3353 หลายเดือนก่อน
उपजिलाधिकारी की पुनरीक्षण सम्बन्धी शक्ति।
धारा-26(अवरोध का हटाया जाना) सार्वजनिक सड़क, चकमार्ग, पथ, भूमि पर से अतिक्रमण को हटवाना।
มุมมอง 4443 หลายเดือนก่อน
धारा-26(अवरोध का हटाया जाना) सार्वजनिक सड़क, चकमार्ग, पथ, भूमि पर से अतिक्रमण को हटवाना।
मार्गाधिकार क्या है? सुखाचार क्या है? What is rights of way? What is of easements?
มุมมอง 3033 หลายเดือนก่อน
मार्गाधिकार क्या है? सुखाचार क्या है? What is rights of way? What is of easements?
सीमा विवादों का निपटारा (धारा 24, सीमांकन, हद्दबरारी, पैमाइश, मेंड़बंदी, ठीहाबन्दी के नियम)
มุมมอง 3913 หลายเดือนก่อน
सीमा विवादों का निपटारा (धारा 24, सीमांकन, हद्दबरारी, पैमाइश, मेंड़बंदी, ठीहाबन्दी के नियम)
सीमा एवं चिन्हों का पर्यवेक्षण, अनुरक्षण, मरम्मत, पुनस्थापित, प्रतिस्थापित, नष्ट किये जाने के नियम।
มุมมอง 1383 หลายเดือนก่อน
सीमा एवं चिन्हों का पर्यवेक्षण, अनुरक्षण, मरम्मत, पुनस्थापित, प्रतिस्थापित, नष्ट किये जाने के नियम।
सीमा सम्बन्धी विवाद, सीमांकन, पैमाइश, हद्दबरारी, मेंड़बंदी का निस्तारण।
มุมมอง 4173 หลายเดือนก่อน
सीमा सम्बन्धी विवाद, सीमांकन, पैमाइश, हद्दबरारी, मेंड़बंदी का निस्तारण।
सीमा और सीमा चिन्हों का अनुसरण, पुनः स्थापन, मरम्मत, पुनर्स्थापन कराने व करने का दायित्व।
มุมมอง 2893 หลายเดือนก่อน
सीमा और सीमा चिन्हों का अनुसरण, पुनः स्थापन, मरम्मत, पुनर्स्थापन कराने व करने का दायित्व।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 14 से 19 तक विस्तृत चर्चा।
มุมมอง 4954 หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 14 से 19 तक विस्तृत चर्चा।
उप जिलाधिकारी और अपर उप जिलाधिकारी Sub-Divisional Officers And Additional Officers, SDM, SDO.
มุมมอง 2.2K4 หลายเดือนก่อน
उप जिलाधिकारी और अपर उप जिलाधिकारी Sub-Divisional Officers And Additional Officers, SDM, SDO.
कलेक्टर और अपर कलेक्टर की नियुक्ति, नियंत्रण, कर्तव्य, शक्तियां।
มุมมอง 2.4K4 หลายเดือนก่อน
कलेक्टर और अपर कलेक्टर की नियुक्ति, नियंत्रण, कर्तव्य, शक्तियां।
Sir आप मुझे अपना no दीजिए
Kya koi court fees bhi determine ki gayi hai.please tell me soon.
Kya koi court fees bhi determine ki gayi hai.please tell me soon.
क्या मृतक व्यक्ति के नाम से संशोधन हो सकता है ? मृतक का ना आधार लगा है न ही मृतियों प्रमाण पत्र फिर भी संशोधन हो सकता है 🙏
Sir haamne 3/12/24 ko dhara 24 online avedan kiya hai lekin sir hme bhumi paimaish ki koi update nahi mili ab tak please sir hame avgat krya jya krna chihiy plz help me
Sir bahut ache se samajh A raha hai
प्रणाम सर् मेरी एक समस्या है एक खसरा 900 है जो संक्रमणीय है जिसमे 5 सहखातेदार है।जो आपस मे बांट कर काबिज है परंतु मेरे हिस्से में मुझे खेत तक जाने नही दिया जा रहा है sdm को प्रार्थना पत्र रास्ते के लिए भी दे चुके है। पर रास्ता नही मिला है बहुत परेशान हूँ कृपया सुझाव देनेकी कृपा करें सर्।
Very very nice video sir ji
Sir meri jamin MP me hai kya mai UP me solvensi bnwa sakta hun
सर मेरा रियल time खतौनी मे पूर्व वरासत् आदेश चढ़ा है पर ऊपर main coloumn मे वरिसो के नाम नही अंकित किये गए है तो क्या जमीन बेच सकते है
कब्जा मिल जाने के बाद क्या पेपर लेना चाहिए
Nice
Sir kya aap se baat ho sakti h kya
सम्पर्क करे 9936644678
Sir aap awesome ho lekin aap playlist tayyar karo apne channel ki
Super sir
सर बताये अगर बनामा लिखनेवाले की डेथ हो जाए तब क्या करें और यदि लिखवानेवाले की भी डेथ हो जाए तो वाद कैसे दायर करें
सम्पर्क करे 9936644678
रियल time खतौनी मे पूर्व का वरासत् आदेश चढ़ा है परंतु अभी उतराधिकरियों कै नाम् ऊपर वाले coloumn मे नही show हो रहे
Sab prakriya nahi batate hai aap ki kin kin process se hokar gujarna padata hai pura kaam hone me
Aapse bat krni h, aap kb free hote h
Sir pranam mai virendra Pratap jila chandauly u.p mughalasaray ka mool nivasi hu Sir maine19/06/2024ko do araji khata num.14,aur02 kadhara 24 me simankan karaya ghata number.02ka hogaya lekin gata number. 14ka likh diye ki aabadi se aachhandit hai napane yogy nahi hai s.dm sahab keyaha jama kar diye aur sach me sir aaraji number. 14.2biss ke lagabhga garbana haiaur Khali hai es par hamara kabja nahi hai sir 24/07/2024ko hamane aaraji number. 14par ste le liya divani se aur 4,5mahina ho gaya lekin aaj tak vipkshchi hajir tak nahi hua hai jo ki bakayada notic bhi diya gaya hai 4tarikh bi lag gaya hai agali tarikh 05/022025 hai ab kya kare sir aur aaraji number.02ka simankan kort se pust ho gaya hai sir kya kare ab kaise kabja milega koe kahata hai high court chale jao sir hamako sahi rasta nahi mil raha hai sir ham aapse Milana chahate hai aap kanha rahate hai phon par kis samay kis din bat ho sakti hai sirbata dijiye apna pata sir ak bar Milana chahate hai document Sara dikha chahate hai nahi to esi tarah ham be matalab ka ladate rah jaenge sir ham aapaka video hamesa dekhate hai sir apana pata bata dijiye siraapse mil lenge au r document Sara dikha denge to hame taslli ho jaega sie aur prativadi kabja par kabja kiye ja raha hai sir ham entjar kar rahe hai aapke jabab ka
Sir mere dih ke jamin pr dusare apna hak jata rahe hai to kya kre
सर विपक्षी बंटवारे के लिए सहमति नही दै रहे है तो अब क्या करे ।
सहमति आवश्यक नहीं है
सर संगठित नंबर का बंटवारा करने के लिए कौन सा धारा लगाया जाए 116 के अंतर्गत हमारा मुकदमा खारिज हो गया है
धारा 30 उपधारा 2
सर जी नमस्ते मेरा 30/2का आदेश सन 2020 को हुआ है SDM महोदय के यहां तारीख चल रहा है adm महोदय साइन नहीं कर रहे हैं क्या यह धारा कमजोर है
Ji❤, aap kaha se hain? Mahoday
Good ❤
Bahut Sundar 🎉
बहुत ही सुन्दर
Jab ki gata164 Naksha se rakba brabr h
Sir gata164 h usaka dhara 24 patthar nasab aadesh 17/05/2024 ko huwa h Abhi patthar nasab nhi ho paya h lekin minjumla hone ke wajah se 1 freek nuksha durusti dal Diya h kiya us se dhara 24 ruk jayega T
Sir contact number please
Sir gharoni yojana me kisi our ne apne name ka patta bna liya ab dono apas ghagda kr rhe Is condition mein kya karna chahie Kya asal Makan Malik ko uska hak milega Is samasya ka Samadhan bataiye
Pranam sir...sir agar zamin abadi se aachaadit ho gai ho to kya 32/38 ki proceeding chal sakti hai, long standing wrong entry in khatauni ko hatane ke liye? plz guide..
Sir Sangathit number ka ho jayega
उसे समय के लोग जमीन को गिरवी रखते थे गिरवी रखी हुई जमीन जमीदार लोगों से छोटे छोटे लोगों में आ गई लेकिन वह भूमि असली मालिक को नहीं दी गई क्या उसका कुछ हो सकता है
NICE INFORMATION
नाम ज्ञाति वंश/ जाति वर्ण पर अनर्गल प्रलाप करना अज्ञानतापूर्ण सोच रखकर समय खराब कर अपना नुकसान करना होता है। दिमाग सदुपयोग कर निष्पक्ष सोच अपनाकर व्यर्थ अंधविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए। शिक्षित विद्वान मानव जनों! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रियां समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य में कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। इन सबको भी समान अवसर उपलब्ध है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म विभाग होता है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करना चाहिए। कर्मधारी वर्ण वाला कैसे? जानें - चार कर्म शिक्षण, सुरक्षण, उत्पादण और वितरण। चारवर्ण कर्म में ब्रह्म वर्ण ( ज्ञान शिक्षण वैद्यन संगीत कर्म करने वाले जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण अध्यापक होते हैं , क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय होते हैं, शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण होते हैं और वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य होते हैं। महिला भी अध्यापिका ही ब्राह्मणी, सुरक्षिका ही क्षत्राणी, उत्पादिका निर्माता ही शूद्राणी और वितरिका ट्रांसपोर्टर व्यापारी ही वैश्याणी होती हैं। यह समान अवसर महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा ने सबजन को उपलब्ध कराया है। हरएक मानव जन को खुद की सोच सुधार करनी चाहिए। चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरत हैं। प्रत्यक्ष भी प्रमाण उपलब्ध है। पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है। बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस ज्ञान भरी पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ा कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करना कराना उचित सोच वाला कार्य है और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना उचित सोच कदम है। चार आयु आश्रम परिवार कल्याण के लिए निर्मित हैं जैसे कि ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ और यतिआश्रम। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्।। ॐ ।।
धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हितो की मानवता इन्सानियत की करनी चाहिए। पौराणिक वैदिक सतयुग समय से लेकर आजतक समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
चंद्रायण व्रत का भाग है करवाचौथ व्रत है । यह व्रत अनुष्ठान करना आचरण व्यवहार निर्माण करने में लाभदायक सहयोगी है, विवाद कम करने में सहायक है, फलस्वरूप आयु बढने में सहयोगी है। विवाद में तनाव में असमय जान चली जाती है विवाद रूकने में उसको रोकने में मदद करता है। व्यभिचार कम होता है। एक माह का चंद्रायण व्रत उपवास ही इस्लामिक मुस्लिम मत पन्थ वालो के रोजे रमजान व्रत-उपवास हैं।गुप्तांग शिश्न को ढककर रखना चाहिए जैनाचार्य को और गुप्तांग शिश्न की योन हिंसा खतना बंद करनी चाहिए मुस्लिम को। लोकतंत्र संविधान युग में सुधार करें।शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।मित्रो ! सवर्ण और असवर्ण । कब कब कैसे होते हैं? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें और सबजन को बताएं। जब ब्रह्मण (अध्यापक) और शूद्रण (उद्योगण) दोनो आपस मे मिलते हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए असवर्ण होते हैं कियोंकि वे एक दूसरे के वर्ण कर्म विभाग वाले नही होते हैं। लेकिन जब अध्यापक (ब्रह्मण) अगर दूसरे अध्यापक ( ब्रह्मण) से मिले तो एक वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण होते है। इसी प्रकार शूद्रण ( उत्पादक निर्माता उद्योगण ) अगर दूसरे शूद्रण ( उद्योगण) से मिले तो दोनो शूद्रण भी सवर्ण होते हैं। इसी प्रकार अन्य वर्ण कर्म विभाग के लिए समझना चाहिए। अर्थात चारो वर्ण ( शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम ) कर्म विभाग वाले सवर्ण होते हैं और चारो वर्ण वाले असवर्ण भी परिस्थिति अनुसार होते हैं। अतः सवर्ण और असवर्ण का शब्दो का अर्थ प्रयोग समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य जन को अवगत करवाना चाहिए। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।। चार कर्म = शिक्षण + सुरक्षण + उत्पादन + वितरण। चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम । चार गुण = सत + रज + तप + तम। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर सबजन को भेजकर अज्ञान मिटाई करवाएं ।। हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण ( अध्यापक/ज्ञानी) हैं इसलिए हरएक मानव जन नामधारी ब्रह्मण वर्ण मानकर बताकर जीवनयापन कर सकते हैं। यह महर्षि नारायण वेदमंत्र दर्शनशास्त्र अनुसार और हरएक मानव जन शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग कर्म करने वाले ब्रह्मण ( अध्यापक/ वैद्यन /पुरोहित) हैं। इसप्रकार हरएक पेशाजाति कर्म करने वाले मुख समान ब्रह्मण हैं और जब अपने पेशेवर जाति कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करते हैं तब वे कर्मधारी ब्रह्मण ( अध्यापक) होते हैं। यह चतुरवर्ण कर्म को जानने के लिए निष्पक्ष सोच अपनाकर सत्य शाश्वत सनातन सदाबहार ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ। गुलाम नौकर दासजन जनसेवक सेवकजन दासजन चारो वर्ण और चारो आश्रम में वेतनमान दान पर कार्यरत होते हैं।पंचामृत और पंचगव्य कब प्रयोग करना चाहिए? सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार- पंचामृत पूजा-पाठ व्रत उपवास अनुष्ठान पर्व में प्रसाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए और पंचगव्य चोरकर्म करने वाले को अंहिसक दण्ड देकर सुधार करने के लिए प्रयोग करना चाहिए। पौराणिक वैदिक सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार।दस प्रकार के मल/ मैल बताये हैं उनमे रक्त भी और पसीना भी है लेकिन मूर्ख नासमझ लेखक प्रकाशक ने रक्त अर्थ लेने के बजाय पसीना मैल ले लिया और अर्थ का अनर्थ कर दिया। खीर में आयुर्वेदिक दवाई मिलाकर खायी और अपने पति के साथ सोयी थी। जब किसी गैर मर्द के साथ सोना नहीं लिखा है तो अपने पति के साथ ही माना जायेगा। व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर होती है इसलिए चेहरे में जीभ अंदर रखकर मूर्ती चित्र बनाकर सुधार करना चाहिए।
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।
सनातन दक्ष धर्म - जनसंख्या संतुलन। औसतन प्रति दम्पति दो बच्चे l A - कुछ दम्पति के कोई सन्तान नहीं होती है = 0 B - कुछ दम्पति तो एक ही संतान पैदा करते हैं = 1 C - ज्यादा तर दम्पति दो संतान पैदा करते हैं = 2 D - कुछ ही दम्पति तीन संतान पैदा करते हैं = 3 E - बहुत कम दम्पति चार संतान पैदा करते हैं = 4 इन सबका औसत निकालते हैं तो प्रति दम्पत्ति दो बच्चे ही आता है l औसत = 0 +1 +2 +3 +4 =10/5 = 2 औसत दो बच्चे ही आता है लेकिन अब लोकतंत्र विधान युग में पंथ दीन सम्प्रदाय को बढ़ाने के नाम पर जनसंख्या बढ़ाना उचित सोच नहीं कही जा सकती है l किसी मध्य कालीन साम्प्रदायिक गुरु की किताब पढ़कर माइंड सेटिंग्स करवाते हुए अपने ऊपर वाले इश्वर अल्लाह गॉड के नाम पर अब लॉकतन्त्र विज्ञान युग में जनसंख्या बढ़ाना उचित सोच नहीं कही जा सकती है l अब हर दम्पत्ति को जनसंख्या संतुलन का ध्यान अवश्य रखना चाहिए l वेद ऋषि ज्ञान अनुसार एक स्त्री से दस बच्चे तक पैदा करना कहा गया था कियोंकि उस समय काल में जनसंख्या संतुलन की मांग थी । सत्ता परिवर्तन के लिए युद्घ होते थे और कुछ ज्यादा बीमारी होती थी l लेकिन आजकल लोकतंत्र विधान युग में दो बच्चो के औसत के साथ ही अच्छा जीवन जिया जा सकता है l चार कर्म = चार वर्ण । करने वाले पांचजन l जय विश्व राष्ट्र सनातन वेद दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम ।।ॐ l।
महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें। 1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि - 1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) + 2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) + 3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) + 4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) । इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक - ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। धर्मगुरु /पुरोहित/ पन्थगुरु/ अध्यापक/ चिकित्सक/धर्माचार्य/ कविजन/ विप्रजन/ शिक्षक ( ब्रह्मण ) का सदाचार आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जाने ! इस पोस्ट के विषय ज्ञान अनुसार उचित विचार संस्कार नियम पालन करते हुए अन्य सबजन को मानवीय मूल्य वाले संस्कार प्राप्त करवाते हुए अपराध मुक्त वातावरण बनवाते रहें। अध्यापक/ धर्माचार्य को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2 - शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3 - सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4 - नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5 - शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8 - चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9 - प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10 - अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13 - अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14 - माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15 - गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16 - वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18ङ- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19 - वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) मानवीय गुणों को विप्रजन/अध्यापक/ गुरूजन/ पुरोहित/ चिकित्सक /पन्थगुरु/अभिनयी/द्विजोत्तम/शिक्षक (ब्रह्मण) को अपनाकर जीना चाहिए ताकि इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर इनसे प्रेरित होकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीने में लाभ मिलता रहना चाहिए। पौराणिक वैदिक सतयुग संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियमो को पोस्ट करना चाहिए, ताकि सबजन के विचार को तुलनात्मक रूप से विश्लेषण कर अध्ययन करना चाहिए और एक समान अवसर देने वाले मानवीय गुण क्रियावान कर संस्कार सुधार किये जाने चाहिएं । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या सुधार और क्या क्या बिगाङ किया है ? वह सबजन जानकर समझकर सुधार करना चाहिए सकें और अपने पूर्वजो बहुदेवो ऋषिओ की पौराणिक वैदिक श्रेष्ठ सनातन धर्म संस्कार विधि पहचान कर श्रेष्ठ जीवन निर्वाह करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वमित्रो! ऊची नीची जाति होने का मतलब? ऊची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
सनातन दक्षधर्म संस्कार विधि-विधान अनुसार स्त्री ही लक्षमी ( श्री) स्वरूप है। जो स्त्री अपने पति के प्रति अनुकूल रहती है, वाक्यदोष से रहित होती है, गृहउपयोगी कार्यो में दक्षायणी प्रवीण होती है और आचरण व्यवहार में साध्वी पतिव्रता होती है । इन उत्तम गुणों से युक्त स्त्री ही लक्ष्मी स्वरूप है , इसमे कोई संशय नहीं है। संस्कृत श्लोक विधि-नियम- ॐ अनुकूला त्ववाग्दुष्टा दक्षा साध्वी पतिव्रता एभिरेव गुणैर्युक्ता श्रीरेव न संशय। । ( पौराणिक वैदिक प्राजापत्य दक्ष स्मृति धर्मशास्त्र) । सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
राष्ट्र राज धर्म- सनातन दक्षधर्म। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। भगवान विष्णु के चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार - अध्यापक ( ब्रह्मण) का काम अध्यापन शिक्षण, क्षत्रिय का काम राष्ट्र पृथ्वी जन की सुरक्षा , शूद्रण का काम तपसेवा शिल्पोद्योग और वैश्य का काम कृषि पशुपालन वाणिज्य व्यापार। मेरे ( बुद्ध प्रकाश ) विचार अनुसार- अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाला आचार्य गुरूजन ब्रह्मण , सुरक्षा चौकीदार न्याय करने वाला क्षत्रिय, उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण और वितरण वाणिज्य व्यापार ट्रांसपोर्ट करने वाला वैश्य तथा इन चारो वर्ण में पांचवेजन सहयोग करने वाले वेतनमान पर कार्यरत राजसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन । संस्कृत श्लोक विधिनियम- अथैतेशां वृत्तय: ब्राह्मसय याजनप्रतिग्रहौ क्षत्रियस्य क्षितित्राणं कृषिगोरक्षवाणिज्यकुसीदबोनिपोषणानि वैशस्य: सरवशिल्पानि। ॐ ।। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ।।
सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म - हे सूर्यअग्नि देव l राष्ट्र हित में लोकतंत्र युग में विश्वजन हित में हमारे राष्ट्र देश के सभी मनुष्यों में तेज जोश शौर्य उत्पन्न करें l जिससे हमारा राष्ट्र देश उन्नती विकास करे और विश्व में श्रेष्ठ देश बने l 1- जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शिक्षा/ चिकित्सा/ संस्कार/संगीत सेवा विभाग (ब्रहम् वर्ण) में शिक्षक वैद्यन पुरोहित ज्ञान दाता सेवा कर्मी हैं उनमें जोश तेज स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से सबजन को शिक्षण स्वास्थ्य संगीत संस्कार सेवा प्रदान करें l 2 - जो द्विजन ( महिला-पुरुष) शासन रक्षा न्याय पत्राचार विभाग (क्षत्रम् वर्ण) में सुरक्षा न्याय कर्मी हैं उनमें तेज/ शौर्य स्थापित करें ताकि वेसब ईमानदारी से सबजन की सुरक्षा करते हुए न्याय ईमानदार होकर रक्षा न्याय सेवा प्रदान करें l 3 - जो द्विज़न ( महिला-पुरुष) उत्पादन निर्माण शिल्प उद्योग विभाग (शूद्रम् वर्ण) में उद्योगण उत्पादक शिल्पकार कर्मिक हैं उनमें भी तेज जोश स्थापित करें ताकि सबजन ईमानदारी से तपश्रम करके अच्छे गुणवत्तापूर्ण उत्पादित निर्माण कर सबजन को तपसेवी उद्योग सेवा प्रदान करें l 4- जो द्विजन ( स्त्री-पुरुष) वितरण ट्रांसपोर्ट वित्त व्यापार वाणिज्य विभाग (वैशम् वर्ण) में वित्त/ क्रय विक्रय वितरक /व्यापारी कर्मी हैं उनमें तेज जोश स्थापित करें ताकी वे ईमानदारी से जनहित में वित्त ट्रांसपोर्ट व्यापार वितरन वैशमवर्ण सेवा कार्य प्रदान करें l चारो वर्ण (विभाग) में सहयोग हेतू - मेरे जैसे दासजन ( जनसेवक) के अन्दर भी तेज/ शौर्य उत्पन्न करें ताकि बेहतर समाज प्रबंधन कर चारो वर्णो के लिए सहयोग सेवा करता रहूँ और हमारा राष्ट्र विकसित होता रहे और विश्वजन का कल्याण होता रहे। यजुर्वेद मंत्र संहिता - ॐ रूचन्नो धेही ब्रह्मनेषु रूचनंराजसु नस्कृधि l रूचं विश्येषु शूद्रेषु मयि धेही रूचा रूचम् l l यजुर्वेद संहिता l चार वर्ण। पांचजन। जय सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म l जय आखण्ड भारत l जय वसुधैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
महर्षि वसिष्ठ के विचार अनुसार आतातयी? 1- आग लगाकर नुकसान करने वाला, 2- विष देने वाला मिलावटखोर, 3- अनुचित हथियार रखने वाला, 4- धन का अपहरण करने वाला, 5- खेत खलिहान हरण करने वाला, 6- स्त्री का हरण करने वाला। इन छः आतातयी को दण्ड देने से दण्डाधिकारी को पाप नहीं लगता है । संस्कृत श्लोक विधिनियम- अग्नीदो गरदश्चव शस्त्राणिधनापह: क्षेत्रदारहश्चैव षडेते ह्याततायिन: ।। वसिष्ठ स्मृति धर्मनिति शास्त्र। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम्। जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
सनातन वैदिक दक्ष धर्म - अनुसार - शूद्रन भी अपने कार्य बढ़ाने पर नौकर (दास) को रखता है l शूद्रण जन द्वारा दासी (नौकरानी) या दास (नौकर) की स्त्री में यदि संतान उत्पन्न की जाती है, तो वह पिता की औरस (अपनी पत्नी से उत्पन्न ) संतान के बराबर धन भाग लेगी, यही सनातन वैदिक धर्म व्यवस्था है l सनातन धर्म संस्कृति श्लोक - ॐ दास्यां वा दासदास्यां वा य: शूद्रस्य सुतो भवेत् l सोअनुज्ञातो हरेदंशमिति धर्मो व्यवस्थित: ll (वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र) l यंहा यह जानना चाहिए कि शूद्रम वर्ण एक उद्योग उत्पादन विभाग होता है और इस विभाग में कार्य करने वाले मानव जन शूद्रन (उत्पादक /शिल्पकार/उद्योगपति) होते हैँ l शूद्रन अपना उत्पादन उद्योग निर्माण कार्य बढ़ाने पर वेतन भोगी दासों (नौकरों /सेवकों) को रखते हैँ l शूद्रन जन को अपने पास रखे गए नौकरो/सेवको (दासों) के साथ मर्यादा पूर्ण व्यवहार आचरण करना चाहिए और दासी (सेविका/नौकरानी) के साथ योंन सम्बंध नहीँ बनाना चाहिए l चारो वर्णों (विभागों) के कार्य जैसे कि शिक्षन, शासन, उत्पादन और वितरन कर्म करने के लिए वेतन भोगी दासो (नौकरों /सेवकों) को रखना होता है l पेशाजाति कार्यों को करने वाले इंसानो के लिए पेशापदवि होती हैं l जो पेशाजाति कर्म करते हैं वो असली पेशाजाति वाले होते हैं लेकिन जो बिना पेशाजाति कर्म किए भी किसी पेशाजाति को मानते हैं तो वो मात्र नामधारी पेशाजाति वाले बने रहते हैं l सभी पेशाजाति को चार विभागों (वर्णों) में बांटकर कर चार वर्णिय कार्मिक वर्णाश्रम व्यवसायिक व्यव्स्था प्रबन्धन किया गया है l वर्ण वाला कर्म जो भी करते हैं वो असली वर्ण वाले होते हैं और जो बिना वर्ण कर्म किए किसी वर्ण को मानते हैं वो मात्र नामधारी वर्ण वाले बने रहते हैं l वंशज्ञातियों गोत्रों को विवाह सम्बन्ध बनाए रखने के लिए ऋषि संसद द्वारा निर्मित किया गया है l चार वर्ण विभाग व्यवस्था प्रबंधन अनुसार - 1. अध्यापक चिकित्सक संगीतज्ञ = ब्रह्मण 2. शासन रक्षक न्याय कर्ता = क्षत्रिय 3. उत्पादक निर्माता उद्योगण = शूद्रण 4. वितरण व्यापार कर्ता = वैश्य l चरण चलने से स्थान बदलने से ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य आढ़त वित्त वैश्य वर्ण कार्य होता है इसलिए चरण समान वैश्य वर्ण विभाग होता है। 5 . पांचवे वेतन भोगी नौकर = दासजन /सेवकज़न चारो वर्ण (विभागों) में कार्यरत हैं l सरकार भी वेतन भोगी जन जनसेवक नौकर रूप में कार्यरत है। व्रात्य = अशिक्षित ज़न को कहा गया है I
चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग। क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग। शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग। वैशम वर्ण = तमसी वर्ग। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।