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तत्ववादी
เข้าร่วมเมื่อ 30 พ.ค. 2022
दृष्टा और दृश्य! (दुर्लभ तात्विक विवेचन, जिज्ञासुओं के लिए महत्वपूर्ण)
अध्यात्म में यह प्रश्न और इस प्रश्न का उत्तर बहुत महत्वपूर्ण है कि क्या क्या दृश्य है और दृष्टा कौन है अथवा क्या है दृष्टा?
दृष्टा और दृश्य के संदर्भ में ठीक ठीक ज्ञान करवाना अध्यात्म विज्ञान का मुख्य ध्येय है।🙏
दृष्टा और दृश्य के संदर्भ में ठीक ठीक ज्ञान करवाना अध्यात्म विज्ञान का मुख्य ध्येय है।🙏
มุมมอง: 3 529
วีดีโอ
वास्तविक ज्ञाता कौन है?(अद्भुत मार्मिक तात्विक विवेचन) जिज्ञासुओं के लिए महत्वपूर्ण।
มุมมอง 6K2 ปีที่แล้ว
तत्व जिज्ञासुओं की समस्त शंकाओं का समाधान, यदि सभी (मन,बुद्धि, इंद्रियां और अहंम) जड़ है तो बचा क्या और फिर ज्ञाता, दृष्टा कौन है इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने हेतु अवश्य सुने।🙏
हमारा स्वरूप, विवेक और विश्वास!(मार्मिक विवेचन, दुर्लभ सत्संग)
มุมมอง 2.3K2 ปีที่แล้ว
क्या हमारी मानी हुई स्थिति है, और वास्तविक बात क्या है हम स्वयं को और प्रकृति को क्या मानते है, परमात्मा को क्या मानते है, असल विश्वास की कसौटी क्या है, मनुष्य शरीर इतना क्यों महत्वपूर्ण है विवेक क्या है, इन सभी बातों की और दृष्टि कराने वाला अद्भुत विवेचन, अवश्य सुने।🙏
तत्व से एक परमात्मा ही है!(दुर्लभ तात्विक विवेचन)
มุมมอง 3.1K2 ปีที่แล้ว
जो भी दिखाई देता है, सुनाई देता है, जो भी कल्पना या विचार में आता है सब परमात्मा ही है, यही सभी मतों की अंतिम बात है, अन्य तो सब प्रक्रियाएं है, सार तत्व केवल परमात्मा है।🙏
तत्वप्राप्ति स्वतः सिद्ध और सहज है!(सीधे और सरल शब्दों में दुर्लभ तात्विक विवेचन)
มุมมอง 4.6K2 ปีที่แล้ว
स्वतः जो प्राप्त है उसमे स्थति का नाम तत्व प्राप्ति है तत्व ज्ञान है और जो हमसे स्वतः ही निर्वृत हो रहा है उसको वैसा ही जानने का नाम त्याग, उपरति है कहने का तात्पर्य है कि जैसा जो स्वभिक है उसमे में स्थित रहना है यही मुक्ति है।🙏
दुःखी होना मनुष्य के लिए कलंक!(समस्त चिंताओं दुखो से मुक्ति, दुर्लभ विवेचन)
มุมมอง 2.6K2 ปีที่แล้ว
सभी क्रियाएं, समस्त विचार, मनन आदि आदि सभी कुछ प्रकृति के द्वारा प्रकृति का ही कार्य है, जिसके हम दृष्टा मात्र है कर्ता नही, यह तथ्य सभी के अनुभव में है और स्वयं अनुभव सिद्ध है, सभी दुखो और चिंताओं का कारण केवल और केवल अज्ञान है।🙏
गीता का योग - नित्ययोग!(नित्ययोग के संदर्भ में मार्मिक विवेचन)
มุมมอง 2.5K2 ปีที่แล้ว
गीता में भिभिन्न योग का वर्णन किया गया है, कर्म योग, ज्ञानयोग और भक्तियोग योग से तात्पर्य समता में स्थित होने से है तीनों योगों का फल एक ही है। योग संबंधित गहन विषय पर संसय मुक्त होने हेतु अवश्य सुने।🙏
निराकार स्वरूप का वर्णन!(परमात्मसत्ता, दुर्लभ तात्विक विवेचन)
มุมมอง 2.6K2 ปีที่แล้ว
परमात्मा का स्वरूप साकार और निराकार, साकार कैसे और निराकार कैसे, इन दोनो में से वास्तविक स्वरूप क्या है। जानने के लिए अवश्य सुने।🙏
तत्व ज्ञान का सुगम उपाय!( तत्व जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी विवेचन)
มุมมอง 10K2 ปีที่แล้ว
संसार, जगत मिथ्या है यह सभी साधकों ने कहीं न कहीं सुना ही होगा और यदि बहुत सीधे शब्दो में कहा जाए तो जगत का अत्यंत अभाव है, संसार है ही नही, यह वास्तविकता है एकमात्र। इस संदर्भ में जो भी संसय है उन्हे दूर करने के लिए अवश्य सुने।🙏
शरीर से अलगाव का अनुभव करे!(जिज्ञासुओं के लिए महत्वपूर्ण, दुर्लभ सत्संग)
มุมมอง 7K2 ปีที่แล้ว
सभी शास्त्रों और अध्यात्म का मूल सार शरीर और स्वयं दो है, यह दो विभाग है। दुर्लभ तात्विक विवेचन।🙏
नित्यप्राप्त का अनुभव कैसे हो?(तत्व में स्थति, दुर्लभ तात्विक सत्संग)
มุมมอง 7K2 ปีที่แล้ว
तत्व प्राप्ति,स्वरूपस्थति, सहजवास्था में स्थति होने में, अनुभव होने में अड़चन कहां है, कहां फसे हुए है सब समझ आने पर भी अनुभव में क्यों नही आ रहा है जानने के लिए अवश्य सुने।🙏
कर्ता और भोक्ता की खोज!(तत्व जिज्ञासुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण विवेचन)
มุมมอง 6K2 ปีที่แล้ว
अध्यात्म में जो भी साधक गहरे उतरे है, उन्हें स्वयं के अनुभव से इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि चेतन और जड़, प्रकृति और पुरुष यह दो विभाग है, अब इन दोनो विभागो में स्वयं की एकता किसके साथ है, जड़ अथवा चेतन किसके साथ? यह विचार स्वयं ही करना होगा और स्वयं अनुभव में स्थित होना होगा, यही परम अवस्था है यही मुक्ति है।🙏
समता_सुसुप्ति और समाधी!( गीता की दृष्टि से योग का गहन विवेचन)
มุมมอง 2.9K2 ปีที่แล้ว
अध्यात्म में साध्य की प्राप्ति हेतु विभिन्न साधनों अविष्कार हुआ है और भी बहुत मार्गो की संभावना है, किंतु श्रीमद् भगवद्गीता की दृष्टि से बहुत ही सरल और सुगम विधि से योग का वर्णन किया गया है जिसके द्वारा शीध्र अतिशीघ्र साध्य की प्राप्ति की जा सकती है।🙏
भाव और अभाव!(स्वयं की सत्ता के संदर्भ में महत्वपूर्ण विवेचन)
มุมมอง 3.3K2 ปีที่แล้ว
इंद्रियों के माध्यम से जो भी विषय संज्ञान में आते हैं, वह इंद्रियों का विषय है, और जो इंद्रियों के भाव(होना) अभाव(न होना) को जनता है वह वास्तविक ज्ञाता है, वही स्वयं है, स्वयं की सत्ता के संदर्भ में मार्मिक विवेचन।🙏
अवस्थाओं से रहित स्वरूप!(अवस्था,परिस्थिति आदि में स्थिर निर्लिप्त स्वरूप)
มุมมอง 3.4K2 ปีที่แล้ว
जागृत स्वप्न सुसुप्ति में स्थिर स्वरूप न कभी कोई अंतर आया है न कभी आयेगा, सभी का प्रत्यक्ष अनुभव। स्वयं की स्थिति सदा एक जैसी स्थिर रहती है कभी कोई अंतर आता ही नहीं, केवल ध्यान नहीं दे रहे है।🙏
प्रकृति के साथ संबंध का विवेचन!(शरीर,संसार,मान्यता के संदर्भ में महत्वपूर्ण विवेचन)
มุมมอง 2.2K2 ปีที่แล้ว
प्रकृति के साथ संबंध का विवेचन!(शरीर,संसार,मान्यता के संदर्भ में महत्वपूर्ण विवेचन)
सत्तामात्र का ज्ञान!(सर्वत्र परिपूर्ण सत्ता, स्वरूप का विवेचन)
มุมมอง 2.5K2 ปีที่แล้ว
सत्तामात्र का ज्ञान!(सर्वत्र परिपूर्ण सत्ता, स्वरूप का विवेचन)
विवेक दृष्टि!(सब जानने पर भी कोई परिवर्तन नहीं क्यों? तात्विक विवेचन)
มุมมอง 3.8K2 ปีที่แล้ว
विवेक दृष्टि!(सब जानने पर भी कोई परिवर्तन नहीं क्यों? तात्विक विवेचन)
अमरता का अनुभव!(स्वयं की अखंड सत्ता जन्म से पूर्व और मृत्यु के पश्चात)
มุมมอง 7K2 ปีที่แล้ว
अमरता का अनुभव!(स्वयं की अखंड सत्ता जन्म से पूर्व और मृत्यु के पश्चात)
शरीर और शरीरी आवश्यक ज्ञान!( एक विनाशी एक अविनाशी, तात्विक विवेचन)
มุมมอง 2.6K2 ปีที่แล้ว
शरीर और शरीरी आवश्यक ज्ञान!( एक विनाशी एक अविनाशी, तात्विक विवेचन)
जड़ के त्याग से परमात्मप्राप्ति!(संबंध विच्छेद ही मुख्य ध्येय है, संशयों पर विवेचन)
มุมมอง 3K2 ปีที่แล้ว
जड़ के त्याग से परमात्मप्राप्ति!(संबंध विच्छेद ही मुख्य ध्येय है, संशयों पर विवेचन)
स्वयंप्रकाश,ज्ञानस्वरूप तत्व!(स्वरूप,परमात्मा, सत्ता पर मार्मिक विवेचन)
มุมมอง 3.4K2 ปีที่แล้ว
स्वयंप्रकाश,ज्ञानस्वरूप तत्व!(स्वरूप,परमात्मा, सत्ता पर मार्मिक विवेचन)
स्वरूप बोध होने से पुनः लिप्त नहीं होता!(अभी की अवस्था और बोध उपरांत की अवस्था)
มุมมอง 1.8K2 ปีที่แล้ว
स्वरूप बोध होने से पुनः लिप्त नहीं होता!(अभी की अवस्था और बोध उपरांत की अवस्था)
जागृत,स्वप्न,सुषुप्त प्रश्नोत्तर!(वृत्ति,अवस्थाओं में स्थिर स्वरूप, गहन विवेचन)
มุมมอง 2.5K2 ปีที่แล้ว
जागृत,स्वप्न,सुषुप्त प्रश्नोत्तर!(वृत्ति,अवस्थाओं में स्थिर स्वरूप, गहन विवेचन)
प्रतीति और ज्ञान!(वास्तविकता, भ्रम और कल्पना तात्विक विवेचन)
มุมมอง 1.8K2 ปีที่แล้ว
प्रतीति और ज्ञान!(वास्तविकता, भ्रम और कल्पना तात्विक विवेचन)
परमात्मप्राप्ति होने पर कैसा लगता है!(कैसा अनुभव, किस प्रकार की अवस्था आदि की जिज्ञासा)
มุมมอง 3.6K2 ปีที่แล้ว
परमात्मप्राप्ति होने पर कैसा लगता है!(कैसा अनुभव, किस प्रकार की अवस्था आदि की जिज्ञासा)
अलग वही होता है, जो अलग है!(सभी धारणाओं और भ्रम से अतीत ज्ञान, दुर्लभ विवेचन)
มุมมอง 2K2 ปีที่แล้ว
अलग वही होता है, जो अलग है!(सभी धारणाओं और भ्रम से अतीत ज्ञान, दुर्लभ विवेचन)
अन्तः करण की शुद्धि-अशुद्धि!(शुद्धि से ज्ञान अथवा ज्ञान से शुद्धि, तात्विक विवेचन)
มุมมอง 1.5K2 ปีที่แล้ว
अन्तः करण की शुद्धि-अशुद्धि!(शुद्धि से ज्ञान अथवा ज्ञान से शुद्धि, तात्विक विवेचन)
हम शरीर से असंग है!(राग,द्वेष,में,मेरा सभी विकारों की जड़, तात्विक विवेचन)
มุมมอง 3.3K2 ปีที่แล้ว
हम शरीर से असंग है!(राग,द्वेष,में,मेरा सभी विकारों की जड़, तात्विक विवेचन)
स्वरूप की निर्दोषता!(दोष,विकार किसके द्वारा, और किसमे है मार्मिक विवेचन)
มุมมอง 2.7K2 ปีที่แล้ว
स्वरूप की निर्दोषता!(दोष,विकार किसके द्वारा, और किसमे है मार्मिक विवेचन)