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सत कबीर करूणामय
เข้าร่วมเมื่อ 8 ก.ย. 2023
सतकबीर करुणामय चैनल में आपका हार्दिक स्वागत करते हैं हमारे इस चैनल में आपको सभी नकली धर्मगुरु के आज्ञा का पर्दा फास्ट जो है सुनने को मिलेगा इस चैनल में किसी की निंदा चुगली नहीं की गई है बल्कि क्या यथार्थ रूप से रूबरू उनका ज्ञान किया गया उन्होंने समाज को क्या नकली ज्ञान प्रदान कर रखा है और क्या सत्यता है इससे आपको हम अवगत कराएंगे मैं परम पूज्य सतगुरु रामपाल जी महाराज जी का शिष्य होने के नाते आपसे अनुरोध करता हूं हमारे चैनल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि सत्य से वह भी परिचित हो और इन नकली हो गुरु नकली गुरुओं के भ्रम जाल से बच
ब्रह्मा विष्णु महेश को किसने बनाया पूरा वीडियो देखें
पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण में संष्टि रचना का प्रमाण
"
"ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के
माता-पिता"
(दुर्गा और ब्रह्म के योग से ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म)
पवित्र श्रीमद् देवी महा पुराण
तृतीय स्कंद अध्याय 1-3
(गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं चिमन लाल गोस्वामी द्वारा अनुवादित, पृष्ठ संख्या 114 से)
पंष्ठ नं. 114 से 118 तक विवरण
है कि
कितने ही आचार्य भवानी
को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने
वाली बताते हैं। वह प्रकति कहलाती
है तथा ब्रह्म के साथ अभेद सम्बन्ध है।
(जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं
अर्थात् दुर्गा ब्रह्म (काल) की पत्नी है।]
एक ब्रह्माण्ड की सर्वोष्ट रचना के
विषय में राजा श्री परीक्षित के
पूछने पर श्री व्यास जी ने बताया
कि मैंने श्री नारद जी से पूछा था
कि हे देवर्षे ! इस ब्रह्माण्ड की रचना
कैसे हुई? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में
श्री नारद जी ने कहा कि मैंने अपने
पिता श्री ब्रह्मा जी से पूछा था कि
हे पिता श्री इस ब्रह्माण्ड की रचना
आपने की या श्री विष्णु जी इसके
रचयिता हैं या शिव जी ने रचा है?
सच-सच बताने की कंपा करें। तब
मेरे पूज्य पिता श्री ब्रह्मा जी ने
बताया कि बेटा नारद, मैंने अपने
आपको कमल के फूल पर बैठा
पाया था, मुझे ज्ञान नहीं, इस
अगाध जल में मैं कहाँ से उत्पन्न हो
गया। एक हजार वर्ष तक पथ्वी
का अन्वेषण करता रहा, कहीं जल
का ओर-छोर नहीं पाया। फिर
आकाशवाणी हुई कि तप करो।
एक हजार वर्ष तक तप किया।
फिर सर्वोष्ट करने की आकाशवाणी हुई।
इतने में मधु और कैटभ नाम के दो
राक्षस आए, उनके भय से मैं कमल
का डण्ठल पकड़ कर नीचे उतरा।
वहाँ भगवान विष्णु जी शेष शैय्या
पर अचेत पड़े थे। उनमें से एक स्त्री
(प्रेतवत प्रविष्ट दुर्गा) निकली।
वह आकाश में आभूषण पहने
दिखाई देने लगी। तब भगवान
विष्णु होश में आए। अब मैं तथा
विष्णु जी दो थे। इतने में भगवान
शंकर भी आ गए। देवी ने हमें
विमान में बैठाया तथा ब्रह्म लोक
में ले गई। वहाँ एक ब्रह्मा, एक
विष्णु तथा एक शिव और देखा
फिर एक देवी देखी, उसे देख
कर विष्णु जी ने विवेक पूर्वक
निम्न वर्णन किया
(ब्रह्म काल ने भगवान विष्णु
को चेतना प्रदान कर दी, उसको
अपने बाल्यकाल की याद आई
तब बचपन की कहानीसुनाई)।
पष्ठ नं. 119-120 पर भगवान विष्णु
जी ने श्री ब्रह्मा जी तथा श्री शिव जी
से कहा कि यह हम तीनों की माता है,
यही जगत् जननी प्रकति देवी है।
मैंने इस देवी को तब देखा था जब
मैं छोटा सा बालक था, यह मुझे
पालने में झुला रही थी।
तीसरा स्कंद पष्ठ नं. 123 पर श्री
विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति
करते हुए कहा तुम शुद्ध स्वरूपा हो,
यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित
हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और
शंकर हम सभी तुम्हारी कपा
से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म)
और तिरोभाव (मत्यु) हुआ करता है
अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं,
केवल तुम ही नित्य (अविनाशी)
हो, जगत जननी हो, प्रकति देवी हो।
भगवान शंकर बोले- देवी यदि महाभाग
विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं
तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा
भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं
तमोगुणी लीला करने वाला शंकर
क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात्
मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।
विचार करें :- उपरोक्त विवरण से सिद्ध
हुआ कि श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी,
श्री शिव जी नाशवान हैं। मत्युंजय
(अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा
दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म
(काल-सदाशिव) इनका पिता है।
तीसरा स्कंद पष्ठ नं. 125 पर ब्रह्मा
जी के पूछने पर कि हे माता!
वेदों में जो ब्रह्म कहा है वह आप ही हैं
या कोई अन्य प्रभु है? इसके उत्तर
में यहाँ तो दुर्गा कह रही है कि मैं
तथा ब्रह्म एक ही हैं। फिर इसी
स्कंद अ. 6 के पष्ठ नं. 129 पर कहा
है कि अब मेरा कार्य सिद्ध करने
के लिए विमान पर बैठ कर तुम लोग
शीघ्र पधारो (जाओ)। कोई कठिन
कार्य उपस्थित होने पर जब तुम मुझे
याद करोगे, तब मैं सामने आ जाऊँगी।
"
"ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के
माता-पिता"
(दुर्गा और ब्रह्म के योग से ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म)
पवित्र श्रीमद् देवी महा पुराण
तृतीय स्कंद अध्याय 1-3
(गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं चिमन लाल गोस्वामी द्वारा अनुवादित, पृष्ठ संख्या 114 से)
पंष्ठ नं. 114 से 118 तक विवरण
है कि
कितने ही आचार्य भवानी
को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने
वाली बताते हैं। वह प्रकति कहलाती
है तथा ब्रह्म के साथ अभेद सम्बन्ध है।
(जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं
अर्थात् दुर्गा ब्रह्म (काल) की पत्नी है।]
एक ब्रह्माण्ड की सर्वोष्ट रचना के
विषय में राजा श्री परीक्षित के
पूछने पर श्री व्यास जी ने बताया
कि मैंने श्री नारद जी से पूछा था
कि हे देवर्षे ! इस ब्रह्माण्ड की रचना
कैसे हुई? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में
श्री नारद जी ने कहा कि मैंने अपने
पिता श्री ब्रह्मा जी से पूछा था कि
हे पिता श्री इस ब्रह्माण्ड की रचना
आपने की या श्री विष्णु जी इसके
रचयिता हैं या शिव जी ने रचा है?
सच-सच बताने की कंपा करें। तब
मेरे पूज्य पिता श्री ब्रह्मा जी ने
बताया कि बेटा नारद, मैंने अपने
आपको कमल के फूल पर बैठा
पाया था, मुझे ज्ञान नहीं, इस
अगाध जल में मैं कहाँ से उत्पन्न हो
गया। एक हजार वर्ष तक पथ्वी
का अन्वेषण करता रहा, कहीं जल
का ओर-छोर नहीं पाया। फिर
आकाशवाणी हुई कि तप करो।
एक हजार वर्ष तक तप किया।
फिर सर्वोष्ट करने की आकाशवाणी हुई।
इतने में मधु और कैटभ नाम के दो
राक्षस आए, उनके भय से मैं कमल
का डण्ठल पकड़ कर नीचे उतरा।
वहाँ भगवान विष्णु जी शेष शैय्या
पर अचेत पड़े थे। उनमें से एक स्त्री
(प्रेतवत प्रविष्ट दुर्गा) निकली।
वह आकाश में आभूषण पहने
दिखाई देने लगी। तब भगवान
विष्णु होश में आए। अब मैं तथा
विष्णु जी दो थे। इतने में भगवान
शंकर भी आ गए। देवी ने हमें
विमान में बैठाया तथा ब्रह्म लोक
में ले गई। वहाँ एक ब्रह्मा, एक
विष्णु तथा एक शिव और देखा
फिर एक देवी देखी, उसे देख
कर विष्णु जी ने विवेक पूर्वक
निम्न वर्णन किया
(ब्रह्म काल ने भगवान विष्णु
को चेतना प्रदान कर दी, उसको
अपने बाल्यकाल की याद आई
तब बचपन की कहानीसुनाई)।
पष्ठ नं. 119-120 पर भगवान विष्णु
जी ने श्री ब्रह्मा जी तथा श्री शिव जी
से कहा कि यह हम तीनों की माता है,
यही जगत् जननी प्रकति देवी है।
मैंने इस देवी को तब देखा था जब
मैं छोटा सा बालक था, यह मुझे
पालने में झुला रही थी।
तीसरा स्कंद पष्ठ नं. 123 पर श्री
विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति
करते हुए कहा तुम शुद्ध स्वरूपा हो,
यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित
हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और
शंकर हम सभी तुम्हारी कपा
से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म)
और तिरोभाव (मत्यु) हुआ करता है
अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं,
केवल तुम ही नित्य (अविनाशी)
हो, जगत जननी हो, प्रकति देवी हो।
भगवान शंकर बोले- देवी यदि महाभाग
विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं
तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा
भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं
तमोगुणी लीला करने वाला शंकर
क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात्
मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।
विचार करें :- उपरोक्त विवरण से सिद्ध
हुआ कि श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी,
श्री शिव जी नाशवान हैं। मत्युंजय
(अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा
दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म
(काल-सदाशिव) इनका पिता है।
तीसरा स्कंद पष्ठ नं. 125 पर ब्रह्मा
जी के पूछने पर कि हे माता!
वेदों में जो ब्रह्म कहा है वह आप ही हैं
या कोई अन्य प्रभु है? इसके उत्तर
में यहाँ तो दुर्गा कह रही है कि मैं
तथा ब्रह्म एक ही हैं। फिर इसी
स्कंद अ. 6 के पष्ठ नं. 129 पर कहा
है कि अब मेरा कार्य सिद्ध करने
के लिए विमान पर बैठ कर तुम लोग
शीघ्र पधारो (जाओ)। कोई कठिन
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स्वर्ग में राग देश होते हैं अगस्त जी के पुत्र सुतीक्ष्ण की कथा है उन्होंने एक ऋषि तपस्या कर रहे थे उनसे यह कथा सुनी थी एक समय स्वर्ग से गुप्तचर धरती को लौट रहा था तो सुतीक्ष्ण पूछा महाराज वहां के हाल चाल सुनाओ उसने जब पूरा वृतांत सुनाया तो उसकी स्वर्ग प्राप्ति की इच्छा से उसने मुंह मार अब आप पूरी कथा सुनिए इस वीडियो में
ब्रह्मा की जग में पूजा क्यों नहींहोती ब्रह्मा को किसनेश्राप दिया बढ़िया ज्ञान गंगा बुक
มุมมอง 15หลายเดือนก่อน
रूप में प्रकट हो गए। सर्व श्रेष्ठ रचना "माता दुर्गा द्वारा ब्रह्मा को शाप देना" 35 ब्रह्मा वेदों में पढ़ते हैं यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 आप अग्नि के शरीर हैं। जिसका अर्थ है कि परमेश्वर के पास महिमामय शरीर है। विष्णु के लिए आप चंद्रमा के शरीर हैं। अर्थात् सबका पालन करने वाला उस अविनाशी परमात्मा का शरीर है। तो ब्रह्मा ने दोनों स्त्रियों को समझाया था कि तुम कहती हो कि भगवान का मनुष्य जैसा तेजोमय श...
शेरावाली माता के द्वारा ब्रह्मा को श्राप देना ब्रह्मा की जग में पूजा क्यों नहीं होती है पूरा सुने
มุมมอง 3หลายเดือนก่อน
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काल ब्रह्म की अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा देखिए काल ब्रह्म ने ब्रह्मा विष्णु महेश को कैसे धोखा दिया
มุมมอง 8หลายเดือนก่อน
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रजोगुण प्रधान सतोगुण प्रधान तमोगुण प्रधान कौन कौन से देवताहै उनकी विस्तृत जानकारी देखें#satbmc
มุมมอง 17หลายเดือนก่อน
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श्री ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई जानिए ज्ञान गंगा पुस्तक #satbhagatimuktichanal
มุมมอง 26หลายเดือนก่อน
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश की उत्पत्ति कैसे हुई जानिए ज्ञान गंगा पुस्तक #satbhagatimuktichanal
आत्माएं कल जाल में कैसे फसी सुनिए ज्ञान गंगा पुस्तक जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज द्वारारचित #ज्ञानg
มุมมอง 8หลายเดือนก่อน
आत्माएं कल जाल में कैसे फसी सुनिए ज्ञान गंगा पुस्तक जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज द्वारारचित #ज्ञानg
आप सुनाएं संपूर्ण सृष्टि रचना जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा रचित #ज्ञान गंगा
มุมมอง 59หลายเดือนก่อน
आप सुनाएं संपूर्ण सृष्टि रचना जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा रचित #ज्ञान गंगा
11,से 21 तक मांस खानावर्जित है परस्त्री गमनकरनावर्जित आप सुनाइए ज्ञान गंगा बुक
มุมมอง 9หลายเดือนก่อน
11,से 21 तक मांस खानावर्जित है परस्त्री गमनकरनावर्जित आप सुनाइए ज्ञान गंगा बुक
बच्चों के जन्मदिन पर किसी प्रकार की कोई छठी नहीं करें ||gyan ganga book audio
มุมมอง 2หลายเดือนก่อน
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6,7,8,9,10 नियम सर्वशक्तिमान कबीर साहब की पूजा करनी || gyan ganga book audio
มุมมอง 7หลายเดือนก่อน
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05 मांस खाना अपराध है gyan ganga book audio
มุมมอง 5หลายเดือนก่อน
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नियम (3 )देवी देवताओं और पितृ पूजा निषेध ||#gyanganga #santrampalji
มุมมอง 2หลายเดือนก่อน
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ज्ञान गंगा पुस्तक का दूसरा नियम भक्ति मार्ग में ऑन उपासना वर्जित ||gyan ganga book
มุมมอง 8หลายเดือนก่อน
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नशीले पदार्थों का त्याग 📚📚📚📚 ज्ञान गंगा पुस्तक में ऐसा क्या लिखा है sant Rampal Ji Maharaj gyan gg
มุมมอง 15หลายเดือนก่อน
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नकली गुरु और असली गुरु कीपहचान sant Rampal Ji Maharaj gyan ganga 📚📚
มุมมอง 5หลายเดือนก่อน
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सतलोक में चल मेरीसुरता sant Rampal Ji Maharaj ji dwara likhit yah shabd
มุมมอง 4หลายเดือนก่อน
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पांच राम की महिमा jagatguru tatvdarshi sant Rampal Ji Maharaj ji dwara Rachit pustak Gyan Ganga
มุมมอง 7หลายเดือนก่อน
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हम जिस को भगवान कहते हैं वह कल भगवान है जो सभी मनुष्य को को सब्जी भाजी कीतरह खाता है
มุมมอง 142 หลายเดือนก่อน
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गुरु नाम की महिमा संत रामपाल जी महाराज की लिखितपुस्तक ज्ञान|| sant Rampal Ji Maharaj gyan ganga
มุมมอง 302 หลายเดือนก่อน
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श्री ब्रम्हा विष्णु महेश जी की भागती से क्या लाभ होता है|| sant Rampal Ji Maharaj gyan ganga
มุมมอง 482 หลายเดือนก่อน
श्री ब्रम्हा विष्णु महेश जी की भागती से क्या लाभ होता है|| sant Rampal Ji Maharaj gyan ganga
जान लीजिए भक्तिमर्यादा क्या होती है sant Rampal Ji Maharaj ke Amrit vachan gyan ganga
มุมมอง 62 หลายเดือนก่อน
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ज्ञान गंगा पुस्तक में आपको बताया जाएगा की भक्ति की मर्यादा क्या होती है ||sant Rampal Ji Maharaj
มุมมอง 1612 หลายเดือนก่อน
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sant Rampal Ji Maharaj ji ki bhakti maryada kya hoti hai जानिए भक्तिमर्यादा
มุมมอง 152 หลายเดือนก่อน
sant Rampal Ji Maharaj ji ki bhakti maryada kya hoti hai जानिए भक्तिमर्यादा
कबीर कहीं आकाश से नहीं आये थे वल्कि एक ब्राम्हण औरत तालाब के पास नवजात शिशु के रूप में छोड गई थी।
रामपाल पाखंडी है ।
जय श्री राम ,जयश्री राम
कवि लिखा है जिसका अर्थ होता है ज्ञानी आप तो व को ब बना दिए । आप विवेक से चिंतन करके देखो । अनपढ़ जैसे दूसरे का बात को मत मानो , विचारों , मनन करो, चिंतन करो ।
पूर्ण गुरु संतरामपाल जी भगवान जी की जय
गीता अध्याय 8 सोलोक 3 परम अक्षर ब्रह्म
वेवकुफो से दुनिया भरी पड़ी है ईश्वर का न जन्म हुआ न मरण होता है अंतरिक्ष ईश्वर है दिखने वाली सब माया 🕉️...
Geeta kadhayay15k slok 18 k bi varnan kr do pta chalega kon purn parmatama h
Kbir prmatma Nahi hi rampal hi prmtm hi kbir vgwn Ka das tha
महा पाखंडी तो तुम हो जब सब कुछ देवी भागवत और गीता से प्रमाण दिखा रहे हो तो उसमें तो इस फर्जी कबीर पर्मेश्वर् का नाम भी नहीं है उसमें सच्चिदानंद कहीं भी इस फर्जी कबीर दास के लिए नहीं कहा गया है कबीर साहेब केवल गपोडी बीजक का ही पर्मेश्वर् है जबकि कबीर दास केवल एक संत थे
Aur Gyan sab jankari Kabir Gyan sau Gyan Karta chale maidan
सत साहेब जी
Kavi =Kabir dash🤣🤣🤣🤣🤣
Tere baap ko utpati kaise hui hai tere baap Ka baap Ka utpati kaise Hui hai isko sab pata Laga ke batana beta
Jay Shri Ram Jay Shri Krishna
❤❤❤❤❤❤
Yeh Sharma kaljugi rakshah hai sukracharya ki aulaad hai
Sat Sahib Ji
तत्वदर्शी संत के रूप में इस पूरी पृथ्वी पर जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं, वे तार्किक तत्वज्ञान बताने वाले पूर्ण तत्वदर्शी संत हैं। उनकी शरण में आए और अपना जीवन सफल बनाएं।
कुछ दिन बाद सारे प्रमाण हो जाएगा दूध का दूध पानी का पानी सत साहेब बंदी छोड की जय हो
तुमलोग वेद में प्रमाण बताने वाले जब बताने की बारी आती है और वेद में कबीर कहां लिखा है, दिखाने की बारी आती है भाग क्यों देते हो? कबतक भागोगे, रामपाल दुनियां से गया तो इसको लीड कौन करेगा, ईसाई या इस्लाम तुम सनातनी तो हो नही और सनातन का बड़ा वर्ग तुमको सनातन में स्वीकार नहीं करेगा, कबीर पंथी तुमलोगाें को कबीर पंथ का नही मानते तो जाओगे कहां?
सत साहेब गुरुजी सादर प्रणाम, साहेब कबीर सुजान बंदगी, अखण्ड सारशबद झनकार चित्त मे पाकर संवर गई हम सभी संतो की मानव जिन्दगी।।00।।
💦 जिस दिन हम सच्चे संत के सत्संग में जाते हैं उस दिन यदि हमारे भाग्य में मृत्यु भी लिखी हो तो भी परमात्मा उस मृत्यु को टाल देता है। कबीर साहेब जी कहते हैं संत शरण में आने से, आई टले बला। जो मस्तक में सूली हो, वह कांटे में टल जा।।
अल्लाह ने कई लाख पशु कई लाख पक्षी कई लाख जल में रहने वाले जीव कई लाख तरीके के कीट पतंगे और चार लाख तरीके के मनुष्य बनाये और अनंत आत्माओं को कैद कर लिया अब मनुष्य शरीर में जो जैसा कर्म करता है उसकी रूह यानि आत्मा को उसी तरह के शरीर में डाल दिया जाता है कबीर साहिब
❤😅😮😢😂🎉GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG GARUD DURAG PURAN KA QURAN BANAYA MALAK KA KHELA KAYA PURAN KE MALWK KAYA PASCHIM KE MALWK LAND LORDS KA MELA JOLW HO GAYA HALLA ULAT ALLAH ULAT HALLA ULAT ALLAH ULAT HALLA HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH HANUMAAN NAAMUNAH NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN NAJARATAN NATARAJAN DOOM MOOD DOOM MOOD DOOM MOOD DOOM MOOD DOOM MOOD DOOM MOOD DOOM LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL LOOSAR RASOOL MALAK KA JODA GHAR WWO YWH HOLA MOHALLA REVERSE ALLAH OM ALOH I AM A KENYAN I AM A KENYAN I AM A KENYAN I AM A KENYAN
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आप ये बोल रहे।येकहता है सो आप और आप के गुरु की शिक्षा पता लग जाता है
भैया गड़बड़ी कुछ नहीं हुई आपको समझ में नहीं आ रहा कि किस जगह इस शब्द का क्या अर्थ होता है
Bhut badiyaa video hai bhagat ji.।।। sat saheb🙏🙏🙏 बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान् जी की जय हो।।।।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण संत है पूर्ण परमेश्वर सत्य पुरुष कबीर साहेब हैबाकी यह शर्मा वर्मा कुछ नहीं शर्म भी नहीं आती यह क्या बोल रहे हैं
❤❤ सतयुग आदि से आज तक जितने भी दुनिया में अवतार पीर पैगंबर ऋषि मुनि संत महात्मा गुरु सतगुरु हुए हैं कोई भी महाप्रलय से अर्थात काल से बाहर नहीं निकल सका। केवल कलयुग बुद्ध शाखा में ही महाप्रलय अर्थात काल से बाहर का जागृत ज्ञान प्रगट हुआ है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। इस बात को हल्के में मत लेना क्योंकि शेरनी का दूध सोने के बर्तन में ही ठहरता है बाकी बर्तनों की तली से छेद करके निकल जाता है इसलिए सावधान।❤❤
❤❤ जो कॉल अर्थात महाप्रलय के अंदर का ज्ञान बांट रहा है वह नकली सतगुरु मन कर दुनिया को फंसा रहा है वह सतगुरु नहीं है वह साक्षात काल का रूप है जिसमें दुनिया भेड की तरह फसती चली जा रही है। जिसको सतलोक कहते हैं वह भी झूठ लोक है। सतलोक भागवत प्रमाण से प्राकृतिक प्रलय में उड़ जाएगा तो सतगुरु कैसे हुआ वह एक ढकोचला है काल का रुख है जय सतगुरु बना हुआ है। सतगुरु उनको कहते हैं जिनके ज्ञान काल अर्थात महाप्रलय में नहीं आता।❤❤
काहे आम की ईमली में लगाते रहते हैं रामपाल के समान
आविर्भाव और तिरोभाव में भाव जुड़ा है अध्यात्म को ठीक से समझो रामपाल के पिछ लगु मत बनों।
❤❤ जो महा प्रलय के अंदर का ज्ञान देता है उसे सतगुरु नहीं कहते वह एक ढकोचला है। सतलोक भागवत प्रमाण से प्राकृतिक प्रलय में उड़ जाएगा तो सतगुरु कैसे हुआ वह एक ढकोचला है। सतगुरु उनको कहते हैं जिनके ज्ञान महाप्रलय में नहीं आता।❤❤ बुद्धि से काम लेना पड़ेगा।
❤❤ वेदों से गीता से पूर्ण ब्रह्म नहीं मिलते। वह एक ढकोचला है। ❤❤ वेदों से गीता से निराकार साकार मिलता है यह एक ढकोचला है अर्थात माया है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है यजुर्वेद अध्याय ४०मंतर९। पांचवा वेद सवसम वेद भागवत है बिना भागवत के पूर्ण ब्रह्म नहीं मिलते लेकिन संसार के लिए भागवत एक अंधकार है।❤❤
कबीर के पिता का नाम धनपाल वैश्य ( भविष्य पुराण) 😂😂😂
बंजारे।के।बेल।जों।भरम।पर।बहु।देश।खाड।।लाद।भूस।खात।है।बिन।सत।गुरु।उप।देश।।सत।सहिब।।।
Bhagwan Har Kisi Ke Janm Aur utpati ko jante Hain
Bhagwan Shri Krishna ko Apne bare mein Sab Kuchh pata hai
Ajar Amar Parmatma Swayam Bhagwan Shri Krishna hai
Brahma Vishnu Mahesh prakat Hote Hain
Kabir Das Bhagat hai
Hare Ram Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare
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कबीर की उत्पति किससे हुईं। कहेंगे आकाश से उतरे। स्वयं कबीर साहब कहते है कोई भी व्यक्ति आकाश या कान आदि से नहीं उत्पन्न होते सब पाराणी माता के गर्भ से पैदा हुए हैं और होते रहेंगे।इसका मतलब कबीर भी गर्भ पैदा हुए हैं
बिल्कुल सही भाई भविष्य पुराण मे कबीर के पिता का नाम धनपाल वैश्य है😂😂
भगत जी परमात्मा की कृपा से आपने सही अर्थ बताया है
ये सब गङबङ लगता हैं। तो गीता प्रमाण देते हो।तुम्हारा अर्थ सब गलत हैं।झुठपालियों।।
मूर्ख लोग प्रमाण देखकर भी स्वीकार नहीं करते
रामपाल के छल-कपट को उसके अंधे चेले नहीं जान पा रहे हैं जो कवि कविर्देव को कबीर सिद्ध करने की कोशिश कर रहा है।
Bhaiya aise hi aap sach batate rahenge to vo log aapke khilaf action lenge, aise hi hota hai jo sach batata hai uska ye pakhandi log virodh karte hain. Kripya apni security par dhyan rakhna.
ठीक है भगत जी ऐसे ही देते रहो इन पाखंडी को जवाब