- 151
- 12 101
परमपूज्य हुजूर पुष्कर दयाल महाराज जी
เข้าร่วมเมื่อ 12 พ.ค. 2022
गुरु क्या है?- गुरु सही हैं या गलत कैसे पहचाने...?वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
15:09:24
|| गुरू ||
*"गुरु" कोई "व्यक्ति" नहीं, कोई "शरीर" नहीं, "गुरु" एक "तत्व" है, एक "शक्ति है"। "गुरु" यदि "शरीर" होता, तो इस छोटी सी "दुनिया" में, एक ही "गुरु" "पर्याप्त" होता । "गुरु" एक "भाव" है, "गुरु" "श्रद्धा" है। "गुरु" "समर्पण" है। आपका "गुरुः आपके "व्यक्तित्व" का "परिचय" है। "कब" "कौन", "कैसे" आपके लिये "गुरु" "साबित" हो, यह आप की "दृष्टि "एवं "मनोभाव "पर निर्भर करता है। "गुरु" "प्रार्थना" से मिलता है। "गुरु" "समर्पण" से मिलता है, "गुरु" "दृष्टा" "भाव" से मिलता है, "गुरु" "किस्मतः से मिलता है। और.......... "गुरु" "किस्मत" वालों को "मिलता" है🙏🏼🙏🏼
|| गुरू ||
*"गुरु" कोई "व्यक्ति" नहीं, कोई "शरीर" नहीं, "गुरु" एक "तत्व" है, एक "शक्ति है"। "गुरु" यदि "शरीर" होता, तो इस छोटी सी "दुनिया" में, एक ही "गुरु" "पर्याप्त" होता । "गुरु" एक "भाव" है, "गुरु" "श्रद्धा" है। "गुरु" "समर्पण" है। आपका "गुरुः आपके "व्यक्तित्व" का "परिचय" है। "कब" "कौन", "कैसे" आपके लिये "गुरु" "साबित" हो, यह आप की "दृष्टि "एवं "मनोभाव "पर निर्भर करता है। "गुरु" "प्रार्थना" से मिलता है। "गुरु" "समर्पण" से मिलता है, "गुरु" "दृष्टा" "भाव" से मिलता है, "गुरु" "किस्मतः से मिलता है। और.......... "गुरु" "किस्मत" वालों को "मिलता" है🙏🏼🙏🏼
มุมมอง: 70
วีดีโอ
पिला दे भक्ति का पियाला ममतव् मैं मन का खो दूँ वाणी हुजूर मानवेश् जी महाराज
มุมมอง 50วันที่ผ่านมา
8 September 24 Part 1 सारा खेल मन का है पर मैं कहता हूँ सारा खेल प्रेम का है, सब काम प्रेम से करो , मन की काट है प्रेम l मन जंहा जँहा जाए प्रेम से गुरु को बैठा दो l मन के विष में प्रेम अमृत आ जायेगा l क्यूँकि प्रेम मालिक का रूप है, प्रेम के सामने मन बेहोश हो जाता है, पर यह प्रेम संसार का नहीं है, संसार में तो मोह है यह पवित्र प्रेम तो केवल सतगुरु के पास है भक्त कहता है पिला दे भक्ति का ऐसा पिया...
वजह तेरे न आने की मालूम हुई ए खुदा मैं खुद ही पर्दा था मुझे मालूम न था वाणी हुजूर मानवेश् जी महाराज
มุมมอง 67วันที่ผ่านมา
8 September 24 Part 2 कर्म कौन करता है तीन गुण पाँच तत्व मन चतुष्टाय प्रारबध् मिलकर और तुम दुखी हो की तुमने किया यही बात समझ में आ जाए तो तुम मुक्त थे मुक्त हो🙏
Dr. I. C शर्मा मानव दयाल जी महाराज का प्राकटय वाणी हुजूर मानवेश् जी महाराज
มุมมอง 73วันที่ผ่านมา
5 September 24 आज हुजूर मानव दयाल जी के जन्म प्राकटय दिवस पर आयोजित सत्सङ्ग मानव दयाल जी महाराज ने तीन महामंत्र दिये 1- संत मत और सनातन धर्म एक ही हैं संत मत सनातन धर्म की अंतिम पौड़ी है 2- काल और दयाल अलग नहीं है दो नहीं हैं 3_ इह लोक और परलोक भी दो नहीं है जो कोई इनको समझ लेगा वह बंधनों से छूट जायेगा
दुःख मेंसुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे कोहोय वाणी मानवेश् जी महाराज
มุมมอง 8714 วันที่ผ่านมา
1 September 24 सच्चा ज्ञान क्या है? सच्चा ज्ञान एक ही है बार बार समझता है गुरु तुम शरीर नहीं हो, तुम मन बुद्धि चित् अहंकार भी नहीं हो तुम कारण शरीर भी नहीं हो फिर क्या हो तुम शुद्ध बुद्ध विशुद्ध आत्मा हो हे मेरे मालिक मैं और तु एक हैं और एक ही है और वो एक तु ही है l तु मैं ही है और मैं तु ही है l मैं और तु का द्वैत भी कहने को है तत्व की द्रष्टि से एक ही है खुदा को खुद से अलग मत समझो खुदा में गै...
भाग जगा गुरु पूरा पाया, बना आप बड़भागी l वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 6821 วันที่ผ่านมา
25:08:24 गुरु पूरे को समरथ जानू,, समरथ का पद परसूँ। चरण कमल की पूजा सेवा आसा लाग न तरसूँ ।। भाग सुहाग राग और ज्ञाना, गुरु के मारग पाया । प्रेम भक्ति का पंथ अनूपम, राधास्वामी आप लखाया ॥ राधास्वामी राधास्वामी, राधास्वामी पल पल गाऊँ । राधास्वामी प्रीति बसी मन अंतर, कहूँ न आऊँ जाऊँ ।॥ हमारे पास मनुष्य जन्म भी है, गुरु भी है, गुरु का सत्सङ्ग भी है फिर गुरु कितनी मेहनत करले पर हमारी बद किस्मत हम संसा...
सर्वधर्मान्परित्यज्यमामेकंशरणं व्रजअहंत्वा सर्वपापेभ्योमोक्षयिष्यामिमाशुचःवाणी मानवेश जी महाराज
มุมมอง 54หลายเดือนก่อน
18/8/24 भगवान् कृष्ण गीता में अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं हे पार्थ जो पुरुष श्रद्धा से मुझे एक पत्र, एक पुष्प जन तक मेरे अर्पण करता है. मैं अर्पण करने वाले भक्त आत्मा को यह पत्र पुष्प आदि की भेंट स्वीकार करता है क्योंकि वह श्रद्धा पूर्वक अर्पण की गई है। हे अर्जुन ! जो कुछ तू करें, जो खाये, जो तू. हेवन करे. जो कुछ दे जो तू तप करे, वह सब मेरे अर्पण कर । तब त् कर्म बन्धन से मुक्त हो जायगा । कमों...
हमारा असली स्वरूप क्या है? वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 75หลายเดือนก่อน
11:8:24 आपको अपने स्वरूप को पहले समझना होगा आपके पास तीन चीजें हैं स्थूल, सूक्ष्म, कारण स्थूल_ यह भौतिक तत्वों का बना है, संसार को ही attract करता है और प्रकृति से जुड़ा है गुरु कहते हैं की तुम ये शरीर नहीं हो l सूक्ष्म शरीर _ मन बुद्धि चित अहंकार मन भी प्रकृति का अंश है और यह बदलता रहता है तो हम मन भी नहीं है कारण शरीर _ गहरी नींद में हम अपने आप को touch करते हैं l आत्मा काँहा निवास करती है जं...
कृष्ण गीतामें कहते हैं मैं सब जगत में व्यापक होता हुआ भी उसमें नहीं हुँ वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 92หลายเดือนก่อน
4:8:24 love is God and God Is love भक्त सीधा परमात्मा से जुड़ता है पर क्यों नहीं जुड़ पाता क्योंकि जो प्रेम हम करते हैं वो दूषित है कैसे वो प्रेम हम परमात्मा से उसके लिए नहीं बल्कि संसार की तमाम नाशवान वस्तुओं के लिए करते हैं 🙏🏼
गुरु नाम मिला हमको प्यारा ये गुरु नाम क्या है और क्यूँ जपना है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 56หลายเดือนก่อน
28:07:24 परमात्मा को पाना सबसे सरल काम है दिक्कत कहाँ आती है, ये जो अनानियत का पर्दा है वह हमको मिलने नहीं देता l बस उसी की धूल मिट्टी हटाने का काम गुरु करता है l गुरु साधन अभ्यास बताता है l हम सब परमात्मा के बच्चे हैं हमारा एक ही रिश्तेदार है और वो परमात्मा है हमें कुछ नहीं करना बस अपना मन जो अब तक संसार को दे रखा है वह परमात्मा को देना है अपना रु मोड़ना है जो energy बाहर बह रही है वो सिमटने ल...
हम गुरु के पास क्यूँ जाते हैं?, गुरु कौन है? क्या देता है गुरु? , वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 105หลายเดือนก่อน
21:07:24 गुरु से संसार माँगोगे संसार मिलेगा पर फिर तुम संसार में फसें रह जाओगे l जब से हमनें जन्म लिया गुरु की आवश्यकता पड़ी l पहला गुरु हमारे माता पिता, फिर स्कूल कॉलेज के अध्यापक ये सभी हमारे आदरणीय हैं किन्तु सबसे मिला तो संसार का ज्ञान ही l तो हमारे जीवन को सच्ची दिशा एक आत्मनिष्ठि गुरु ही दे सकता है इस जीवन का उद्देश्य वही पुरा करने में मदद कर सकता है, पर हमको गुरु को ढूंढने कहीं नहीं जाना...
गुरु पूर्णिमा आसाढ़ में ही क्यों आती है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 110หลายเดือนก่อน
20:07:24 परमात्मा का दरबार खुला है कोई भी जा सकता है परंतु एक शर्त है की जिस प्रकार मन्दिर में जूते चप्पल बाहर र कर जाते हैं उसी प्रकार अपनी इच्छाओं वासनाओं, कामनाओं किसी भी तृष्णा को मत लाओ l अपने आप को पहचानने के लिए जो व्यवधान हैं बस उन्हें हटा दो परमात्मा तो सामने खड़ा है l🙏
दास दुःखी तो गुरु दुःखी है दास की चिंता गुरु को रहती वो सबमें है मुखिया वाणी हुजूर मानवेश जी महारा
มุมมอง 992 หลายเดือนก่อน
14:7:24 सत्सङ्ग सुनता हूँ सत्सङ्ग की किताबें भी पढ़ता हुँ अभ्यास कैसे बने? इसके लिए क्या करूँ? *आन उपासक कृतघन तरे न* *नाम रटन* की व्याख्या समझना चाहता हूँ मन को निर्मल कैसे करूँ?
भक्ति क्या है? माध्यम है भक्त और भगवंत को मिलाने का वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 632 หลายเดือนก่อน
7:07:25 भगवान् कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की तू सबमें आसक्ति छोड़ दे लेकिन अंत में कहते हैं की हां मुझमें आसक्ति र किसी चीज की चाहत मत रखो लेकिन मालिक की चाह रखो, जग की आशा निराश करती है गुरु या परमात्मा की आशा सब आशाओं को खत्म कर देती है परमात्मा की आशा करने से परमात्मा तक पहुँच जाओगे l
सच्चिदानन्दम् अखंडम्, केवलम् निज रूप हो वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 722 หลายเดือนก่อน
4:7:24 Day 9 ज्ञान दीजे ज्ञान दाता, ज्ञान के भंडार से । सहज छुटकारा मिले, सबको कठिन संसार से ॥१ कहने को तो बंध मुक्ति, कल्पना मन की सही बिन दया सतगुरु के बह, मिटते नहीं हैं जीते जी ॥ च नाम का दे आसरा, चरनों में अपने लीजिये । शब्द की महिमा बताकर, अपना सेवक कीजिये ॥ ३ सच्चिदानन्दम् अखंडम्, केवलम् निज रूप हो । निज दया से जाये, दुखदाई महा भव कूप खो ॥४ आपका है आसरा, और आपका विश्वास है। अच्छाहे राधास...
परमात्मा चाहने से मिलता है लेकिन आपकी केवल एक चाहत हो वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 802 หลายเดือนก่อน
परमात्मा चाहने से मिलता है लेकिन आपकी केवल एक चाहत हो वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
जग की चिंता छोड़ कर चिंता करो सतनाम की वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1182 หลายเดือนก่อน
जग की चिंता छोड़ कर चिंता करो सतनाम की वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
घट में दर्शन पाओगे संदेह इसमें कुछ नहीं मैं तो घट में हूँ तुम्हारे वाणी हुजूर मान्वेश जी महाराज
มุมมอง 652 หลายเดือนก่อน
घट में दर्शन पाओगे संदेह इसमें कुछ नहीं मैं तो घट में हूँ तुम्हारे वाणी हुजूर मान्वेश जी महाराज
गुरु रूप न समझे कोई भ्रम में पड़े अज्ञानी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1012 หลายเดือนก่อน
गुरु रूप न समझे कोई भ्रम में पड़े अज्ञानी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
मृत्यु क्या है मृत्यु किसकी होती है समझो और सत्य सहर्ष स्वीकार करो वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 602 หลายเดือนก่อน
मृत्यु क्या है मृत्यु किसकी होती है समझो और सत्य सहर्ष स्वीकार करो वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
कोई सुख दुःख का नहीं दाता अपनी ही है भूल सब वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1212 หลายเดือนก่อน
कोई सु दुः का नहीं दाता अपनी ही है भूल सब वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
उसकी हो जुस्तजू क्या जो खुद के रूबरू है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 802 หลายเดือนก่อน
उसकी हो जुस्तजू क्या जो खुद के रूबरू है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
आई शाम भज गुरु का नाम वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 872 หลายเดือนก่อน
आई शाम भज गुरु का नाम वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
आपही माली बाग लगावे आप लखे फुलवारी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1452 หลายเดือนก่อน
आपही माली बाग लगावे आप लखे फुलवारी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
हमारा और प्रमात्मा का क्या सम्बन्ध है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1072 หลายเดือนก่อน
हमारा और प्रमात्मा का क्या सम्बन्ध है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
प्रिय भक्त पंकज के चोला छोड़ने की स्मृति में वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1132 หลายเดือนก่อน
प्रिय भक्त पंकज के चोला छोड़ने की स्मृति में वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
जिसको चाह राम की साधो राम उसे मिल जाते हैं वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 653 หลายเดือนก่อน
जिसको चाह राम की साधो राम उसे मिल जाते हैं वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
तु दयाल है, दया की मूरत वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 583 หลายเดือนก่อน
तु दयाल है, दया की मूरत वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
कर्म कौन करता है सत् का संग क्या है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 1293 หลายเดือนก่อน
कर्म कौन करता है सत् का संग क्या है वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
भक्ति शोभा है जीवन की, भक्ति पाकर मैं संवर गयी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
มุมมอง 983 หลายเดือนก่อน
भक्ति शोभा है जीवन की, भक्ति पाकर मैं संवर गयी वाणी हुजूर मानवेश जी महाराज
इसमें जो धर्म और कर्म की बात आई है तो सबसे पहला और उत्तम धर्म जो गीता में बताया गया है वह है स्वधर्म। यदि कोई इस जीवन में स्वधर्म का पालन सही ढंग से करता है तो उसे अन्य कुछ भी करने की जरूरत नहीं है उसकी मुक्ति तो स्वत: ही निश्चित है। धन्यवाद
गुरु किया है देह का, सतगुरु चीन्हा नाहिं । भवसागर के जाल में, फिर फिर गोता खाहि ॥ पूरा सतगुरु न मिला, सुनी अधूरी सीख । स्वाँग यती का पहिनि के, घर घर माँगी भीख ॥
गुरु को मानुष जानते ते नर कहिये अंध😢
Radhaswami Huzur🙏
अति सुंदर
खुशरो बाजी प्रेम की खेलूं प्रिय के संग। जीत गई तो पिया मेरे हारी तो मैं पीय के संग।। प्रेम की बाजी जीतना है तो हारता चला जा। अगर ऊपर जाना है तो इतना नीचे रहो कि खुद भगवान तुमको ऊपर उठाये।
बाबा फकीर जब कहते हैं कि उन्हें सत्संग में या गुरु के पास आने से क्या मिला तब वह स्वयं ही उत्तर देते हैं कि जीवन में जो कुरेद थी जिसके कारण मैं बचपन से अब तक खोज करता चला आ रहा हूं, वह कुरेद मिट गई।
आ गये सत्संग में संग सत का हो गया। दुरमति जाती रही गुरु के मत का हो गया।।
Maharaj ji ke charno me koti koti pranam aur dandwat 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बिना प्रेम रीझें नहीं तुलसी नंद किशोर
कितना सुंदर शब्द गाया है आपको नमन्❤🙏🏼🙏🏼🙏🏼
🙏🏼
Jai Shri Ram 🙏🙏🌹🌹
Radha somai maharaj ji
🙏🏼
Radha somai maharaj ji
🙏🏼🙏🏼
Radhaswami ❤❤
Guru ko apna bna len. Guru ko apna bna Len kyonki guru ke madhyam se hi Malik tk pahucha ja sakta h. Ati uttam vichar h.
Radhaswami data
😊
Radha Soami ❤❤
वाह वाह! गुरु देव कमाल का सत्संग दिया है।अद्भुत सत्संग। आपके चरणो में कोटि-कोटि नमन। राधास्वामी 🎉।
बहुत अच्छा सत्संग है।🎉
🙏🏼
Radhswami Huzur. Aapki bahut dayaa hai mujh pr... Kaise guru ke gun main gaun
Ati uttam You will not be on the top but you are on the top right now.
बहुत अच्छा सत्संग है। परंतु गुरु देव,एक बात समझ में नहीं आ रही,सब कुछ मन ही करता है तो फिर मन को निर्मल कौन करता है? आत्मा को परमात्मा से मिलने के लिए कौन भेजता है? साधन अभ्यास कौन करता है?
मन शब्द धुन सुनकर निर्मल होता है और उसका तरिका गुरु बताता है. जब आत्मा निर्मल होकर सुन्न में जाती है तब दसवा द्वार पार करके महासुन्न में जाती है वहाँ पर गुरु आत्मा की मदद करता है और उसे भँवर गुफा से निकालते हुए सचखंड में पहुंचता है इसके अलावा कोई और प्रश्न है तो उसका भी स्वागत है. गुरुदेव से विनती है की आपका भ्रम दूर हो जाये और आपको आगे का रास्ता मिल जाय 🙏🏼🙏🏼.
🙏🏼🙏🏼साधन अभ्यास तो मन ही करता है. लेकिन मन साधन अभ्यास में तब लगता है जब बाहर के गुरु से शिष्य का प्रेम होता है. फिर मन और सुरत दोनों मिलकर गुरु की बताये हुए तरीके से साधन करते हुए पहले तीसरे तिल पर आते हँ उसके बाद सहसदल कमल पर और फिर त्रिकुटी पर आते हँ. यहाँ पहुंचकर जड़ चेतन की ग्रंथि खुल जाती है और आत्मा सुन्न में पहुंचती है. इसके आगे की प्रकिर्या वही है जो ऊपर लिखी जा चुकी है.
Good
Pra Jyan is given in simple language. Good efforts. One should try to understand it to solve the jad-chetan ki granthi.
Ati uttam
.
Prem ke upper adbhut uphar h
Radhasoami maharaj ji❤
अद्भुत सत्संग।
अद्भुत सत्संग।
अद्भुत सत्संग है। सत्संगत मुद मंगल मूला।सोई फल सिध्दि,सब साधन फूला।।❤🎉
बहुत सुंदर सत्संग।
❤
अति सुन्दर सत्संग
गुरु देव वास्तव में ज्ञान के सागर हैं।
अद्भुत सत्संग।
Radhaswami🙏🙏🙏
राधास्वामी🙏
भेदी लीना साथ❤
Thank you for this priceless service
Very good
Happy birthday pitaji
Priceless service
Priceless service
Radhaswami🙏🙏
Nice way to tell the difficult issue of life and death.
Priceless satsang