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श्री श्री देवी मंदिर,बांसकोठी दीघा,पटना में स्थायी प्रतिमा स्थापित,@NewSanjivan
श्री श्री देवी मंदिर,बांसकोठी दीघा,पटना में स्थायी प्रतिमा स्थापित
कलश को ही गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है
कलश स्थापना के लिए पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें. इसके बाद कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश स्थापित करें. कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें. ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें.
विधि-विधान व प्राण प्रतिष्ठा के साथ पटना नगर निगम के वार्ड नंबर 22 ए में बांसकोठी मोहल्ला है.बांसकोठी पूजा समिति ने पांच वर्ष पूर्व स्थापित की गयी पत्थर की माता दुर्गे की विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं.मंदिर में ही माता की पूजा के लिए स्थायी मंदिर का निर्माण किया गया. श्री श्री देवी मंदिर,बांसकोठी दीघा,पटना में स्थायी प्रतिमा स्थापित है.
बताया कि प्रतिमाओं के निर्माण में करीब तीन लाख रूपये खर्च आया है. उसके बाद से सालों भर इस मंदिर में मां दुर्गे की पूजा हो रही है.स्थायी मूर्ति स्थापित हो जाने से श्रद्धालु भक्त सालों भर इस मंदिर में माता दुर्गे की पूजा करते हैं.
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पूजा कुमारी की मां फूल कुमारी दवा लाने गई,फिर जिंदा नहीं लौटी,@NewSanjivan
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सामाजिक कार्यकर्ता राकेश कुमार से सुने@NewSanjivan
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स्वच्छता अभियान चलाया@NewSanjivan
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बांसकोठी देवी मंदिर में नवरात्रि के प्रथम दिन@NewSanjivan
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ความคิดเห็น

  • @magicalentertainment3844
    @magicalentertainment3844 หลายเดือนก่อน

    Very Nice video ❤❤❤

  • @AshaKumari-ge1vq
    @AshaKumari-ge1vq 6 หลายเดือนก่อน

    Very nice video 👌❤️🤚😂

    • @alokkmr
      @alokkmr 6 หลายเดือนก่อน

      Many many thanks

  • @Lofisongenj
    @Lofisongenj 7 หลายเดือนก่อน

    Giska koi nahi hai uska kisa banaga sir

  • @anilkumardancerpatna4028
    @anilkumardancerpatna4028 7 หลายเดือนก่อน

    Jioooooooo ❤️😍 WOW ❤❤

  • @alokkmr
    @alokkmr 8 หลายเดือนก่อน

    पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 ए में डाक बाबा मंदिर है. डाक बाबा मखदुमपुर मोहल्ला में स्थित है.यहां पर एक पुजारी है.उसे लोग दान दक्षिण देते हैं. मर उक्त दान दक्षिणा में से पुजारी मंदिर की सफाई करने वाले सुखदेव चैधरी के बीच में साझा नहीं करते है.सुखदेव चैधरी सुबह और शाम में मंदिर और उसके आसपास में सफाई करता है.

  • @indranilkhandekar7501
    @indranilkhandekar7501 9 หลายเดือนก่อน

    Toh accident mat karo

  • @sledun1118
    @sledun1118 9 หลายเดือนก่อน

    Bhai Majburi hogi yrr

  • @pankajpatna1
    @pankajpatna1 ปีที่แล้ว

    स्कूल से लेकर बालूपर तक के रोड का क्या हाल हैं उसपे भी वीडियो बनाइये

  • @amersingh3384
    @amersingh3384 ปีที่แล้ว

    May the soul of Raju bhai Rest in Peace.

  • @crackpotbycps
    @crackpotbycps ปีที่แล้ว

    May Bade papa's soul rest in peace

  • @pragyanpankaj8253
    @pragyanpankaj8253 ปีที่แล้ว

    🙏

  • @rodrickstephen8653
    @rodrickstephen8653 ปีที่แล้ว

    Praise the Lord✨🙏 Thank you Jesus✝️ Thank you Holy Spirit🕊️ Hallelujah 🙌

  • @Vijetaaugustine77
    @Vijetaaugustine77 4 ปีที่แล้ว

    Yo papa

  • @monakerketta6004
    @monakerketta6004 5 ปีที่แล้ว

    Have a blessed Good Friday

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    राजू पीटर ग्राबिएल के साथ न्याय किया जाएं.1979 से कब्रिस्तान में कब्र खुदवाने का कार्य करते हैं.कुर्जी पल्ली के पुरोहित के द्वारा कार्य के एवज में राजू को फुट्टल कौड़ी भी देय नहीं किया जाता है.हां, उनके एक कॉल पर पल्ली में पहुंच जाना है. पुरोहित द्वारा मृतक का नाम और संबंधित के सहयोग से कब्र की पहचान कर मजदूरों से कब्र खुदवाते हैं. मृतक के परिजन ही मजदूरी देते हैं.

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    पटना,16 मार्च। दीघा थाना क्षेत्र के कुर्जी मोड़ के पास और मंदिर के निकट झोपड़पट्टी में आग लग गयी। आज शाम की आग भंयकर आग थी। अग्निशमन दस्ता पहुंचकर अग्नि पर काबू प्राप्त किया। खबर सुनकर दीघा थाना की पुलिस बल भी पहुंचे। नागरिकों ने मिलकर कुर्जी मोड़ को वन वे कर दिए। बिजली विभाग ने लाइन काट दिए। इससे कोई बड़ा हादसा नहीं हो सका। फिर भी कोई दो दर्जन झोपड़ी जलकर स्वाहा हो गयी। झोपड़ी और समान खत्म करके हादसा के शिकार हो जाने वाले लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बताते चले कि मौके पर एक व्यक्ति ने बताया कि उनकी बेटी की शादी होने वाली है। इसके लिए मजदूरी कर-करके समान तैयार कर रखे हैं, जो जलकर स्वाहा हो गया। अब लोग खुले आकाश में रहने को बाध्य हैं।इस बीच पटना नगर निगम के राजधानी नूतन अंचल की वार्ड पार्षद सुचित्रा सिंह के पति नीलेश प्रसाद मौके पर पहुंचे। लोगों को सांत्वना दिए। हर संभव मदद दिलवाने का आश्वासन दिया।

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    खूब चली आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट की हवा विधान सभा चुनाव के बाद लोक सभा में भी जारी अब जरूरत है कि लोगों को चयन करके जन आयोग बनाएं। अब गेंद सरकार के पाले में है। अगर सरकार चाहे तो क्षणभर में भूमि समस्या का अंत हो जाएगा पटना,20 फरवरी। भूमि अधिकार जन जुटान रैली के संयोजक हैं प्रदीप प्रियदर्शी। इनके बहुआयामी नेतृत्व में 15 से अधिक जन संगठनों का महा संगठन बना। जन संगठन एकता परिषद, जन मुक्ति वाहिनी (जसवा), दलित अधिकार मंच, लोक समिति, लोक मंच, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, लोक परिषद, शहरी गरीब विकास संगठन,मुसहर विकास मंच,भूमि सत्याग्रह अभियान, कोशी नवनिर्माण मंच व लोक संघर्ष समिति। सभी मिलकर कर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भूमि अधिकार जन जुटान में करीब 15 हजार से अधिक सत्याग्रहियों को जुटाने में सफल हो गए। जनांदोलन 2018 सत्याग्रह पदयात्रा का नेतृत्व करने वाले गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल आए थे।इस रैली में शामिल होने वाले भी अधिकांश पदयात्री भी थे। ग्वालियर से मुरैना तक यह हवा चलायी गयी कि आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट। उसका व्यापक असर मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि के विधान चुनाव पर पड़ा। किसानों,आवासीय व खेतिहर भूमिहीनों की बात नहीं सुनने वाले कई बार मुख्यमंत्री पद संभालने वालों के चूल्हा हिल गया। सत्ता से बाहर हो गए। अब लोक सभा का चुनाव सामने है। केंद्र और राज्य सरकार ने आवासीय व खेतिहर भूमिहीनों के पक्ष में कोई कदम नहीं उठाएं है। उसका असर जरूर ही चुनाव पर पड़ने जा रहा है। सहरसा जिले से आए हीरा सदा ने कहा कि बिहार भूदान यज्ञ कमिटी द्वारा दी गयी जमीन पर दबंगों का कब्जा है। इसी जिले की महिलाओं ने कहा कि सड़क निर्माण होने के कारण हमलोगों को जमीन पर से हटा दिया गया है। काफी मुश्किल से जीवन बिता रहे हैं। कटिहार जिले के बुलो मंडल का कहना है कि उनके साथ भूदान की जमीन मिली थी। सभी का कब्जा जमीन पर होने के कारण दाखिल खारिज हो गया। बुलो मंडल जमीन पर कब्जा नहीं कर सके तो वह जमीन बिहार सरकार की हो गयी। सभी तरह का कागजात बुलो मंडल के पास है। पटना जिले के सुगवा देवी कहती है कि दीघा रेलवे लाइन के चाट पर रहते थे। 6 लेन की सड़क निर्माण होने वाला है। हमलोगों को जमीन से हटा दिया गया है। अभी खुले आकाश में रहने को बाध्य है। इसी जिले के नेहरू नगर में रहने वाले महादलितों ने कहा कि वासगीत पर्चा नहीं मिल रहा है। रामजीचक नहर ऐलिवेटेड पुल के नीचे रहने वाले मुसहर समुदाय को पुनर्वास के बिना विस्थापित कर दिया गया। पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन बनने से विस्थापितों का कहना है माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया गया। माननीय न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया था कि छह माह के अंदर विस्थापितों को पुर्नवासित किया जाए तो ऐसा नहीं करने पर पटना उच्च न्यायालय में अवमानना दायर किया गया है। यह कहना है कि विस्थापित सुनील कुमार का। पश्चिमी चम्पारण की ज्ञांति देवी का कहना है कि बगहा में वनभूमि पर रहते हैं उसका स्वामित्व प्रदान नहीं किया जा रहा है। जमुई जिले के लोगों को वनभूमि का पर्चा नहीं मिल रहा है। लगभग भूमि संबंधी समस्याओं का अम्बार है। उन समस्याओं को लेकर रैली में शामिल होने वाले वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं। गेंद सरकार के पाले में है कुल मिलाकर प्रसिद्ध गांधी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल का कहना है कि जनांदोलन 2018 सत्याग्रह पदयात्रा के समय सत्याग्रहियों ने सरकार पर प्रेशर बनाने के लिए नारा बुलंद किए कि आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट। उसको लेकर खूब हवा चली। जो पतझड़ साबित हुआ और उसमें सत्ताधारी सरकार उखड़ गयी। गांधी मैदान में भूमि अधिकार जन जुटान रैली में आए सत्याग्रही भी हवा चला रहे हैं। निश्चित तौर पर आसन्न पर असर पड़ेगा। आम चुनाव के बाद विधान सभा का भी चुनाव होने वाला है। इसके आलोक में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूमि अधिकार को लेकर ठोस कदम उठाएं। बिहार भूमि सुधार आयोग बनाएं गए मगर आयोग की अनुशंसा लागू नहीं की गयी। इसके बाद कोर टीम बनायी गयी। उसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से नहीं हो रहा है। अब जरूरत है कि लोगों को चयन करके जन आयोग बनाएं। अब गेंद सरकार के पाले में है। अगर सरकार चाहे तो क्षणभर में भूमि समस्या का अंत हो जाएगा। आलोक कुमार Attachments area

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    आजादी के 71 सालों में आबादी का बड़ा भाग यदि जीवन की सबसे बुनियादी जरूरतों में शामिल वास की भूमि से भी बडी आबादी वंचित रह गयी है । उन्हें इसके लिए सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड रहा है । जो किसी भी दृष्टिकोण से मानवीय नहीं कहा जा सकता है । बिहार की आबादी में बहुत बडा हिस्सा ऐसे लोगों का है जिसके सर पर एक अदद छत के लिए भूमि नहीं है । पटना,10 मार्च। स्थानीय मिलर उच्च विद्यालय, वीरचंद पटेल पथ, पटना में दलित अधिकार मंच द्वारा ‘‘वासभूमि स्वामित्व कानून निर्माण के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन’’ का आयोजन संपन्न हुआ । सम्मेलन में बिहार के विभिन्न जिलों के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावे अभिवंचित समुदाय के 10 हजार भूमिहीनों ने भाग लिया । सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने संबोधित करते हुए कहा कि आवास की वैकल्पिक व्यवस्था के बगैर सडक, रेलवे मार्ग, तटबंध, श्मशान में बसे लोगों को अपने घरों से बेदखल कर दिया जाना, निःसंदेह मानवाधिकार का उल्लंघन है । आजादी के 71 सालों में आबादी का बड़ा भाग यदि जीवन की सबसे बुनियादी जरूरतों में शामिल वास की भूमि से भी बडी आबादी वंचित रह गयी है । उन्हें इसके लिए सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड रहा है । जो किसी भी दृष्टिकोण से मानवीय नहीं कहा जा सकता है । बिहार की आबादी में बहुत बडा हिस्सा ऐसे लोगों का है जिसके सर पर एक अदद छत के लिए भूमि नहीं है । बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की 65.55 प्रतिशत आबादी है । जिसमें 1 करोड 16 लाख 52 हजार 296 परिवारों के पास जमीन नहीं है । गैर सरकारी आंकडों के अनुसार आवासीय गृहविहीन परिवारों की बिहार में संख्या 35 लाख है। भूमि सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय रहा है । बिहार में सामाजिक न्याय एवं न्याय के साथ विकास की सरकार बिते तीस सालों से भी अधिक रही है, किन्तु इन भूमिहीनों को आत्म सम्मान के बजाय सरकारी उपेक्षा एवं सामाजिक हिकारत मिली है । लाखों की तादाद में आवासीय भूमिहीनों को सरकार से महज वासभूमि के लिए नारे लगाते हुए प्रखंड से लेेकर राजधानी की सडकों पर देखा जा सकता है । इन आवासीय भूमिहीनों को कभी अतिक्रमण के नाम परतो कभी साफ-सफाई के नाम पर हटाने, उजाडने का प्रयास भी होता रहता है । ये घर से बेघर होते रहते हैं । बिहार राज्य आवासीय भूमि अधिकार अधिनियम 2019 सभी ग्रामीण गरीब परिवारों को आवास के लिए कम से कम 10 डिसमिल भूमि का अधिकार देता है । नियमानुसार यह अधिकार समय सीमा के अन्दर योजना बद्व तरीेके से जबावदेही पूर्वक एक निश्चित समय -सीमा में पूरे किए जाने पर भी बल देता है । गौरतलब है कि देश की आजादी के बाद बिहार भूमि सुधार कानून बनाने बाला पहला राज्य है । अनेक कानून भी बनाए गए । लेकिन सामाजिक भेदभाव एवं छूआछूत से पीडित अभिवंचित समुदाय के गरीब एवं खेतीहर मजदूरों के आज तक वासभूमि के लिए कानून नहीं बनाया? असमान भूस्वामित्व की वजह से महिला, दलित, आदिवासी एवं समाज के अन्य पिछडे समुदायों को भेदभाव का शिकार होना पडता है। माननीय सवोच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में यह रेखांकित किया है कि किसी भी व्यक्ति के सर के उपर छत होना उसका मानवाधिकार है । यह व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है जो उसके सम्मान के साथ जीवन जीने की परिस्थिति का निर्माण करता है । बिहार सरकार भी यह स्वीकार करती है । सरकार यह मानती है कि मकान एवं खाद्य सुरक्षा के लिए भूमि का होना नितांत जरूरी है । भारतीय संविधान भी पहचान एवं आत्मसम्मान से जीवन जीने की गारंटी देता है । दलित अधिकार मंच की मांग 1. राज्य में वास की भूमि स्वामित्व कानून बनाये जाएं । 2. भूदान एवं सीलिंग की जमीन की समीक्षा कर शेष जमीन दलित भूमिहीनों को वितरित की जाए । 3. सभी जमीनों का मालिकाना अधिकार परिवार के वयस्क महिला सदस्य के नाम पर दी जाए। 4. दलित एवं आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से रोक लगायी जाए। 5. एससीएसपी/टीएसपी के तहत प्राप्त होने वाले निधि को कानून बना कर इसके नियोजन, आवंटन तथा सही इस्तेमाल की रूप-रेखा बनाई जाए। मुख्य अतिथी मानव अधिकार कार्यकर्ता संदीप चाचरा , प्रदेश अध्यक्ष श्री कपिलेश्वर राम , संचालनकर्ता सौरभ कुमार , महासचिव दीपचंद दास , वरिष्ठ सदस्या सुमित्रा जी, राज्य संचालन विनय ओहदार, भोजन का अधिकार से रूपेश जी, एकता परिषद के प्रदीप प्रियदर्शी, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन के पंकज श्वेताभ, फादर अन्तु, विधासागर, योगेन्द्र, नारायण, धंनजय जी, विमला जी, डा. शरद जी एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। कपिलेश्वर राम अध्यक्ष दलित अधिकार मंच, बिहार फोन-9473446316/6207002866

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    आज भी अभिभावक बेटी को बचाने के चक्कर में बेटी को पढ़ाने को तैयार नहीं होते हैं स्कूल में लड़कों द्वारा छेड़छाड़ करने से हलकान 12 साल की दिव्यांग सुनीता कुमारी और उसकी दर्जनों सहेली छात्राओं ने स्कूल जाना ही बंद कर दी। इस तरह बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का हश्र हो गया पटना,13 मार्च। और स्कूल में लड़कों द्वारा छेड़छाड़ करने से हलकान 12 साल की दिव्यांग सुनीता कुमारी और उसकी दर्जनों सहेली छात्राओं ने स्कूल जाना ही बंद कर दी। इस तरह बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का हश्र हो गया। दिव्यांग सुनीता कुमारी को लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी नहीं मिल रहा है। दीघा पुल के बगल में छोटे दास रहते हैं। वे पेशे से पेंटर हैं। इनका विवाह चम्पा देवी के साथ हुआ। इन दोनों के 3 संतान हैं। उनका 1 लड़का और 2 लड़की। बड़ी लड़की पायल देवी है। शंकर कुमार और सुनीता कुमारी।केवल पायल की शादी हुई हैं। शेष दोना अविवाहित हैं। अपने भाई-बहनों में केवल सुनीता कुमारी ही दिव्यांग हैं। विकालगंता प्रमाण-पत्र नहीं बना है। इसके कारण लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिल पा रहा है। दिव्यांग सुनीता कुमारी का उल्टा पैर ठीक है। वह सीघा पैर के ठेंहुने पर हाथ रखकर चल पाती है। इसी तरह से चलकर रामजीचक मोहल्ला में स्थित राजकीय प्राथमिक विघालय में पढ़ने जाती थीं। इसी के मध्य विघालय की पढ़ाई खत्म कर प्राथमिक विघालय में गयी थीं। अभी तक सात कक्षा तक पढ़ी हैं। आगे की पढ़ाई जारी नहीं करने के पीछे सुनीता कुमारी कहती हैं कि जब पांचवीं कक्षा पास होने के बाद छठी कक्षा में गई थीं तब से ही साथ पढ़ने वाले उद्दंड करने लगे। अन्य लड़किया भी उद्दंडता के शिकार होने लगीं। हमलोग सहकर छठी कक्षा पास करके सातवीं कक्षा में पहुंचे। वही लड़के और अन्य लड़के मिलकर उद्दंडता की सीमा पार करने लगे। इसकी शिकायत मास्टर साहब से किया गया। शिकायत करने पर लड़के कुछ दिन शांत हो जाते थे। इसके बाद पुनः छेड़छाड़ शुरू कर देते थे। सातवीं कक्षा में लड़कों का अत्याचार अधिक बढ़ गया। इस बार शिक्षक के साथ सुनीता कुमारी ने अपनी अभिभवको से भी शिकायत की। कुछ दिन रूकने के बाद पूर्व की ही तरह छेड़छाड़ करना शुरू कर दिए। मां-पिता से शिकायत पर दोनों ने मिलकर निर्णय ले लिया कि जब स्कूल में ही छेड़छाड़ हो रहा है तो स्कूल जाना ही बंद कर दो। इस तरह के निर्णय से सुनीता कुमारी हलकान हो गयी। मां-बा पके आदेश पर दिव्यांग सुनीता कुमारी ने स्कूल जाना ही बंद कर दी। मां-पिता ने बेटी को बचाओ और बेटी को पढ़ाओं नारा को ठेंगा दिखा दी। इसके बाद सुनीता कुमारी की अन्य दर्जनों सहेलियों ने भी स्कूल जाना बंद कर दी।

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    संत पिता जोन पौल द्वितीय का निधन हो गया है। आज भी संत पिता का शरीर और बाल भी सही सलामत है। यह सब ईश्वरीय करिश्मा की देन है। इससे साबित होता है। कि संत पिता जोन पौल द्वितीय कथित संत है। उनका पार्थिव शरीर को जनता के समक्ष दर्शनार्थ लाया गया। इसको देखकर लोग ईश्वर को धन्यवाद देने लगे और प्रार्थना के रूप में स्तुति गान गाने लगे। सच में यह आश्चर्य की ही बात है।

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    ईसाई समुदाय पल्ली परिषद की क्रियाकलाप से संतुष्ट नहीं होते हैं। पल्ली पुरोहित पदेन सदस्य होते हैं। वे अपनी मनोपोली का प्रयोग करते हैं। इसका दर्शन कुर्जी पल्ली परिषद की बैठक में देखने को मिली। बिन चर्चा किए ही पदेन अध्यक्ष ने हाथ उठाकर समर्थन प्राप्त कर लिए। इस साल 2019 में भी गुड फ्राइडे के अवसर पर लाइव क्रूस यात्रा की झांकी प्रस्तुत नहीं की जाएगी। इसको लेकर लोगों में आक्रोश हो गया। कुछ लोग पुरोहित सह पदेन अध्यक्ष फादर सुसई राज से मिले। उनका कहना है कि पल्ली परिषद नहीं करने पर सहमति प्रदान कर दी है। चूंकि पल्ली परिषद सलाहकार बाॅडी है। अंतिम निर्णय पदेन अध्यक्ष को ही लेना है। उन्होंने निर्णय लिया कि आपलोग अपने पैमाने से झांकी निकाले और पूर्ण सहयोग देंगे। इस तरह की बात कहकर पदेन अध्यक्ष सह पल्ली पुरोहित ने सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे कहावत चरितार्थ कर दिए।

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    सार्थक प्रयास

  • @alokkmr
    @alokkmr 5 ปีที่แล้ว

    very good