- 70
- 3 276
VIVEK AHUJA ( Hindi content writer)
เข้าร่วมเมื่อ 30 ส.ค. 2013
Hi , I am vivek, hindi content writer, able to make any type of hindi content like poetry, articles, story, slogan, one liner, four liner shayri etc. In this channel I try my best to show organic content. Please subscribe my channel........for more details please contact @9410416986
vivekahuja288@gmail.com
vivekahuja288@gmail.com
BACHPAN | CHILDHOOD | बचपन | MEMORIES #bachpan #childhood #story
बचपन की मधुर यादें
"बचपन की मधुर यादें"
यह बात सन 1989 की है , जब मैं 11वीं कक्षा में पारकर कॉलेज में पढ़ता था । घर दूर होने के कारण मैं पारकर कॉलेज के सामने स्थित उसके हॉस्टल जॉर्डन बॉयज होम में रहता था । हॉस्टल में उठने से लेकर पढ़ाई , खेल व सोने तक का समय निर्धारित होता था और वहां नियुक्त वार्डन साहब की ड्यूटी इसी बात को लेकर होती थी कि सभी बच्चे नियमित दिनचर्या का पालन करें । जो बच्चे निर्धारित दिनचर्या से अलग चलने की कोशिश करते थे उन्हें सजा भी मिलती थी ।
उस दिन शनिवार का दिन था शनिवार की शाम को बच्चों को हॉस्टल में फ्री छोड़ दिया जाता था , कोई स्टडी टाइम नहीं होता था , सभी बच्चे एक दूसरे के कमरों में मंडराते रहते थे । चूँकि मुझे हॉस्टल में 5 वर्ष हो चुके थे, मैं हॉस्टल की सीनियर विंग में रहता था । करीब हम 8 सीनियर बच्चों ने शनिवार की रात्रि को पिक्चर देखने का प्लान बनाया , तय हुआ की वार्डन साहब जब रात हो हॉस्टल की ड्यूटी लगा कर चले जाएंगे तो हम सब लोग चड्ढा सिनेमा में "निगाहें" पिक्चर देखने चलेंगे । वार्डन साहब शाम को हॉस्टल में ड्यूटी लगाने आए व मेन गेट पर ताला लगाकर चलें गये । उनके जाने के बाद हम 8 लोगों ने निर्धारित स्थान से मेन गेट की डुप्लीकेट चाबी निकाली व गेट खोल कर चड्ढा सिनेमा की ओर चल दिए । हासॅटल से घूमते हुए हम सब चड्ढा सिनेमा पहुंच गए , वहां पहुंचकर भीड़ को देख हम सभी असमंजस में पड़ गए कि इतनी भीड़ में पिक्चर का टिकट कैसे मिलेगा । हम 8 लोगों ने अपनी अपनी जेब से पैसे निकाले और एक जगह एकत्र कर लिए जो कि ₹160 थे उस समय ₹20 का बालकनी का टिकट था उसी हिसाब से हम लोग पैसे लेकर चले थे । मगर भीड़ अधिक होने के कारण हाउसफुल का बोर्ड लग गया और हम सब लोग बड़े मायूस हुए कि इतनी मुश्किल से तो भाग कर आए हैं और टिकट भी नहीं मिली , अभी हम लोग बात कर ही रहे थे कि एक ब्लैक में टिकट बेचने वाला हमारे संपर्क में आ गया और उसने हमें 8 टिकट देने का वादा कर दिया मगर वह ₹200 से कम मे टिकट देने को तैयार नहीं था । अब तो हम लोग और परेशान हो गए हमारे पास केवल ₹160 थे और ब्लैक करने वाला 200 की डिमांड कर रहा था , हमने तय किया देखो शायद कोई जानकार व्यक्ति मिल जाए उससे पैसे उधार ले लेंगे बाद में दे देंगे । सबने इधर उधर नजर दौड़ाई मगर कोई जानकार दिखाई नहीं दे रहा था , मैं भी पैनी नजर से इधर उधर ताक रहा था कि मेरी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो बिल्कुल वार्डन साहब की तरह लग रहा था , वह व्यक्ति भी हमें घूर घूर कर देख रहा था ।
मैंने अपने सभी मित्रों को कहा कि आज शायद हम लोग फंस गए हैं , यहां वार्डन साहब भी आए हुए हैं और उन्होंने हमें देख भी लिया है । सभी बच्चे वार्डन साहब का नाम सुनकर घबरा गए और वापस हॉस्टल भागने की तैयारी करने लगे । मैंने दिल पक्का कर उनसे कहा कि कल पिटना तो तय है , लिहाजा पिक्चर तो देख ही ले ,सभी ने प्रश्न सूचक दृष्टि से मेरी ओर देखा तो मैंने उनसे कहा कि मैं वार्डन साहब से ₹40 उधार ले आता हूं ताकि हम सब पिक्चर देख सके । सब ने मरे मन से हामी भर दी और मैं वार्डन साहब के पास डरते डरते पहुंचा और पैसे कम पड़ने की बात कही , वार्डन साहब ने तुरंत ₹40 दे दिए और साथ ही सुबह मुलाकात की डोज भी दे दी । मैंने उनसे तुरंत ₹40 लिए वह ₹200 एकत्र कर टिकट ले ली । हम सभी मित्रों ने राम राम करते हुए पिक्चर देखी , पिक्चर खत्म होने के तुरंत बाद हम लोग वार्डन साहब की नजरों से बचकर हॉस्टल भाग आये । अगली सुबह हम सब की हालत पतली थी लेकिन वार्डन साहब ने सुबह हमें कुछ नहीं कहा , स्कूल से लौटने के पश्चात शाम को वार्डन साहब ने हमें आठो को ऑफिस में बुलाया और खूब खातिर की , हम सभी से माफी नामा लिखवाया गया और सभी ने उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना की , कि वह हम लोगों के घर पर कुछ ना कहें । वार्डन साहब ने हमें आइंदा से इस तरह की कोई गलती ना करने की शर्त पर माफ कर दिया ।
आज भी अपनी इन पुरानी कार गुजारियो को सोचकर दिल गुदगुदाने लगता है । उस वाक्य के बाद हम सभी लोगों ने इस तरह की कोई हरकत नहीं की व अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर हॉस्टल से सुनहरी यादों को लेकर चले गए ।
✍विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com
"बचपन की मधुर यादें"
यह बात सन 1989 की है , जब मैं 11वीं कक्षा में पारकर कॉलेज में पढ़ता था । घर दूर होने के कारण मैं पारकर कॉलेज के सामने स्थित उसके हॉस्टल जॉर्डन बॉयज होम में रहता था । हॉस्टल में उठने से लेकर पढ़ाई , खेल व सोने तक का समय निर्धारित होता था और वहां नियुक्त वार्डन साहब की ड्यूटी इसी बात को लेकर होती थी कि सभी बच्चे नियमित दिनचर्या का पालन करें । जो बच्चे निर्धारित दिनचर्या से अलग चलने की कोशिश करते थे उन्हें सजा भी मिलती थी ।
उस दिन शनिवार का दिन था शनिवार की शाम को बच्चों को हॉस्टल में फ्री छोड़ दिया जाता था , कोई स्टडी टाइम नहीं होता था , सभी बच्चे एक दूसरे के कमरों में मंडराते रहते थे । चूँकि मुझे हॉस्टल में 5 वर्ष हो चुके थे, मैं हॉस्टल की सीनियर विंग में रहता था । करीब हम 8 सीनियर बच्चों ने शनिवार की रात्रि को पिक्चर देखने का प्लान बनाया , तय हुआ की वार्डन साहब जब रात हो हॉस्टल की ड्यूटी लगा कर चले जाएंगे तो हम सब लोग चड्ढा सिनेमा में "निगाहें" पिक्चर देखने चलेंगे । वार्डन साहब शाम को हॉस्टल में ड्यूटी लगाने आए व मेन गेट पर ताला लगाकर चलें गये । उनके जाने के बाद हम 8 लोगों ने निर्धारित स्थान से मेन गेट की डुप्लीकेट चाबी निकाली व गेट खोल कर चड्ढा सिनेमा की ओर चल दिए । हासॅटल से घूमते हुए हम सब चड्ढा सिनेमा पहुंच गए , वहां पहुंचकर भीड़ को देख हम सभी असमंजस में पड़ गए कि इतनी भीड़ में पिक्चर का टिकट कैसे मिलेगा । हम 8 लोगों ने अपनी अपनी जेब से पैसे निकाले और एक जगह एकत्र कर लिए जो कि ₹160 थे उस समय ₹20 का बालकनी का टिकट था उसी हिसाब से हम लोग पैसे लेकर चले थे । मगर भीड़ अधिक होने के कारण हाउसफुल का बोर्ड लग गया और हम सब लोग बड़े मायूस हुए कि इतनी मुश्किल से तो भाग कर आए हैं और टिकट भी नहीं मिली , अभी हम लोग बात कर ही रहे थे कि एक ब्लैक में टिकट बेचने वाला हमारे संपर्क में आ गया और उसने हमें 8 टिकट देने का वादा कर दिया मगर वह ₹200 से कम मे टिकट देने को तैयार नहीं था । अब तो हम लोग और परेशान हो गए हमारे पास केवल ₹160 थे और ब्लैक करने वाला 200 की डिमांड कर रहा था , हमने तय किया देखो शायद कोई जानकार व्यक्ति मिल जाए उससे पैसे उधार ले लेंगे बाद में दे देंगे । सबने इधर उधर नजर दौड़ाई मगर कोई जानकार दिखाई नहीं दे रहा था , मैं भी पैनी नजर से इधर उधर ताक रहा था कि मेरी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो बिल्कुल वार्डन साहब की तरह लग रहा था , वह व्यक्ति भी हमें घूर घूर कर देख रहा था ।
मैंने अपने सभी मित्रों को कहा कि आज शायद हम लोग फंस गए हैं , यहां वार्डन साहब भी आए हुए हैं और उन्होंने हमें देख भी लिया है । सभी बच्चे वार्डन साहब का नाम सुनकर घबरा गए और वापस हॉस्टल भागने की तैयारी करने लगे । मैंने दिल पक्का कर उनसे कहा कि कल पिटना तो तय है , लिहाजा पिक्चर तो देख ही ले ,सभी ने प्रश्न सूचक दृष्टि से मेरी ओर देखा तो मैंने उनसे कहा कि मैं वार्डन साहब से ₹40 उधार ले आता हूं ताकि हम सब पिक्चर देख सके । सब ने मरे मन से हामी भर दी और मैं वार्डन साहब के पास डरते डरते पहुंचा और पैसे कम पड़ने की बात कही , वार्डन साहब ने तुरंत ₹40 दे दिए और साथ ही सुबह मुलाकात की डोज भी दे दी । मैंने उनसे तुरंत ₹40 लिए वह ₹200 एकत्र कर टिकट ले ली । हम सभी मित्रों ने राम राम करते हुए पिक्चर देखी , पिक्चर खत्म होने के तुरंत बाद हम लोग वार्डन साहब की नजरों से बचकर हॉस्टल भाग आये । अगली सुबह हम सब की हालत पतली थी लेकिन वार्डन साहब ने सुबह हमें कुछ नहीं कहा , स्कूल से लौटने के पश्चात शाम को वार्डन साहब ने हमें आठो को ऑफिस में बुलाया और खूब खातिर की , हम सभी से माफी नामा लिखवाया गया और सभी ने उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना की , कि वह हम लोगों के घर पर कुछ ना कहें । वार्डन साहब ने हमें आइंदा से इस तरह की कोई गलती ना करने की शर्त पर माफ कर दिया ।
आज भी अपनी इन पुरानी कार गुजारियो को सोचकर दिल गुदगुदाने लगता है । उस वाक्य के बाद हम सभी लोगों ने इस तरह की कोई हरकत नहीं की व अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर हॉस्टल से सुनहरी यादों को लेकर चले गए ।
✍विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com
มุมมอง: 27
วีดีโอ
आम | AAM | Mango #hindi #poetry #हिंदी #viral
มุมมอง 23ปีที่แล้ว
hindi poetry by vivek Ahuja #आम #hindi #poetry #हिंदी #viral #कविता #shortvideo #hindishayari #mango #youtube #youtuber #youtubevideo
बचपन | Bachpan | सुनहरा बचपन | vivek Ahuja #hindi #poetry #हिंदी #बालकविताएं #viral #youtubevideo
มุมมอง 24ปีที่แล้ว
बचपन" बचपन के दिन भूल ना जाना , रस्ते में वो चूरन खाना , छतों पे चढ़कर पतंग उड़ाना , रूठे यारों को वह मनाना ,बचपन के दिन भूल ना जाना .. अपना था वो शाही जमाना , सिनेमा हॉल को भग जाना , दोस्तों की मंडली बनाना ,बचपन के दिन भूल न जाना .. खेलने जाने का वो बहाना , पढ़ने से जी को चुराना , मास्टर जी से वो मार खाना, बचपन के दिन भूल ना जाना. हाथ में होते थे चार आना , फितरत होती थी सेठाना , मुश्किल है ये ...
सुदामा कृष्ण के द्वार |Krishna Sudama | vivek Ahuja #hindi #poetry #viral #srikrishna #radhakrishna
มุมมอง 24ปีที่แล้ว
"सुदामा "कृष्ण" के द्वार"(2) "कृष्ण" दुखी तब हो गये , दे सुदामा हाल अश्रु झर झर बह रहे , रोयें जाये कृपाल चरण सुदामा भीज रहे , "कृष्ण" अश्रु से आज "रूकमन" "भदरा" न समझ सकी , कृपालु के राज "कृष्ण" पूछे सुदामा से , तुम क्या लाये उपहार सुदामा जी लज्जा रहे , बताने को नही तैयार झट "कृष्ण" ने छीन ली , पोटली रखी पास भेजा कुछ जरूर है , मुझे भाभी पर विश्वास चावल की एक पोटली , उपहार मे मिली थी आज पाकर सु...
ताला | Taala | Lock | vivek Ahuja #hindi #poetry #हिंदी #कवित #lock #viralvideo
มุมมอง 19ปีที่แล้ว
ताला | Taala | Lock | vivek Ahuja #hindi #poetry #हिंदी #कवित #lock #viralvideo
बेटियाँ | Betiyaan - The Daughter poetry | Vivek Ahuja #hindi #poetry #viral #happydaughtersday
มุมมอง 79ปีที่แล้ว
बेटियाँ | Betiyaan - The Daughter poetry | Vivek Ahuja #hindi #poetry #viral #happydaughtersday
Unlock 4.0 guidelines | breaking news | unlock 4.0
มุมมอง 134 ปีที่แล้ว
Unlock 4.0 guidelines | breaking news | unlock 4.0
Neet preparation | dummy admission | medical coaching | नीट
มุมมอง 174 ปีที่แล้ว
Neet preparation | dummy admission | medical coaching | नीट
Neet preparation | weekend classes | नीट परीक्षा
มุมมอง 114 ปีที่แล้ว
Neet preparation | weekend classes | नीट परीक्षा
Neet preparation | neet | medical coaching | नीट
มุมมอง 384 ปีที่แล้ว
Neet preparation | neet | medical coaching | नीट
Tujhe kitna chahne lage hum on CASIO | kabir Singh song | casio
มุมมอง 964 ปีที่แล้ว
Tujhe kitna chahne lage hum on CASIO | kabir Singh song | casio
Short video in Facebook | Facebook short video
มุมมอง 154 ปีที่แล้ว
Short video in Facebook | Facebook short video
Two layers mask | Three layers mask | mask
มุมมอง 234 ปีที่แล้ว
Two layers mask | Three layers mask | mask
Lockdown ki seekh | lockdown life lessons | lockdown
มุมมอง 434 ปีที่แล้ว
Lockdown ki seekh | lockdown life lessons | lockdown
Dhoni retirement | dhoni retirement song
มุมมอง 444 ปีที่แล้ว
Dhoni retirement | dhoni retirement song
Happy independence day | National Anthem | स्वतन्त्रता दिवस
มุมมอง 924 ปีที่แล้ว
Happy independence day | National Anthem | स्वतन्त्रता दिवस
Email basic knowledge | Email basic information | Email basics
มุมมอง 394 ปีที่แล้ว
Email basic knowledge | Email basic information | Email basics
Youtube title change | how to change the title and description of youtube video | youtube title
มุมมอง 184 ปีที่แล้ว
TH-cam title change | how to change the title and description of youtube video | youtube title
रचनाएं प्रकाशित करे | अपनी रचनाएं प्रकाशित करे | हिन्दी लेखन | रचनाएं स्वयं प्रकाशित करे
มุมมอง 744 ปีที่แล้ว
रचनाएं प्रकाशित करे | अपनी रचनाएं प्रकाशित करे | हिन्दी लेखन | रचनाएं स्वयं प्रकाशित करे
Thumbnail kya hota hai | thumbnail kya hota hai youtube par | thumbnail kya hote hai | thumbnail
มุมมอง 154 ปีที่แล้ว
Thumbnail kya hota hai | thumbnail kya hota hai youtube par | thumbnail kya hote hai | thumbnail
Hindi poem corona | hindi poems all | hindi poems laga do | corona song | Corona poem hindi
มุมมอง 394 ปีที่แล้ว
Hindi poem corona | hindi poems all | hindi poems laga do | corona song | Corona poem hindi
Whatsapp storage kam kare | Whatsapp storage kaise kam kare | whatsapp storage kaise khali kare
มุมมอง 214 ปีที่แล้ว
Whatsapp storage kam kare | Whatsapp storage kaise kam kare | whatsapp storage kaise khali kare
real truth of binod | who is binod | binod | truth of binod
มุมมอง 154 ปีที่แล้ว
real truth of binod | who is binod | binod | truth of binod
दुर्लभ ग्रंथ , durlabh samagri new video | durlabh samgri new video | durlabh samagri
มุมมอง 3514 ปีที่แล้ว
दुर्लभ ग्रंथ , durlabh samagri new video | durlabh samgri new video | durlabh samagri
Thumbnail kaise banae, how to make thumbnail for youtube video | how to make thumbnail | thumbnail
มุมมอง 214 ปีที่แล้ว
Thumbnail kaise banae, how to make thumbnail for youtube video | how to make thumbnail | thumbnail