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संस्कृत और भारत
เข้าร่วมเมื่อ 12 ก.ย. 2012
भारत की ओर लौटो
कुमारिलभट्ट
इस वीडियो के माध्यम से हमारे द्वारा सनातन धर्म की रक्षा में हमारे महापुरुषों के योगदान को बताने का प्रयास किया है जो सभी सनातनियों और राष्ट्रभक्तों को उत्साहित करेगा।
มุมมอง: 190
วีดีโอ
सनातन में मूर्तिपूजा कहाँ तक उचित है
มุมมอง 395ปีที่แล้ว
यह वीडियो सभी सनातनधर्मियों के लिए और धर्म पर प्रश्न उठाने वालों के लिए बनाया गया है मूर्तिपूजा के विरोधियों को उत्तर देने के लिए। इससे पहले हमने बहुदेववाद पर चर्चा किया था जिसका लिंक th-cam.com/video/oPoOQ-vE9Zg/w-d-xo.html
सनातन में बहुदेववाद क्यों?
มุมมอง 601ปีที่แล้ว
इस वीडियो में मैंने अपने जीवन की एक सत्य घटना को बताया है। किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति किस तरह से हमें भ्रमित करते हैं यदि हम अपने धर्म को सही नहीं समझते। मुझे लगा शायद इसकी आवश्यकता समाज को है इसलिए मैंने यह वीडियो बनाया और आपके लिए शेयर किया।
चित् और चन् प्रत्यय
มุมมอง 653ปีที่แล้ว
इस वीडियो में मैंने संस्कृत व्याकरण के अन्तर्गत चित् और चन् प्रत्ययों को सरलतम तरीके से पढाने का प्रयास किया है जो सभी विद्यार्थियों के सहित शिक्षकों के लिए भी उपयोगी है।
नववर्षाभिनन्दनम्
มุมมอง 75ปีที่แล้ว
यह भारतीय नववर्ष वास्तव में सृष्टि का नववर्ष है ऐसा हमने इस वीडियो के माध्यम से बताने का प्रयास किया है जो सभी भारतीयों को जानना चाहिए।
शम्बूक वध क्यों?
มุมมอง 148ปีที่แล้ว
यह वीडियो धर्म को मानने वालों के लिए मार्गदर्शन तथा राम पर उंगली उठाने वालों के लिए जबाब दिया गया है जो सभी रामभक्तों को प्रिय लगेगा
एकलव्य
มุมมอง 197ปีที่แล้ว
इस वीडियो में बताए गए प्रमाण महाभारत के आधार पर हैं जिसका उद्देश्य विखण्डित समाज को सत्यता के आधार पर एकजुट करने का है
सरकारी दस्तावेजों में संस्कृत की एंट्री संस्कृत में जमीन की रजिस्ट्री
มุมมอง 3732 ปีที่แล้ว
सरकारी दस्तावेजों में संस्कृत की एंट्री संस्कृत में जमीन की रजिस्ट्री
जटायोः शौर्यम् ( एनसीईआरटी शेमुषी कक्षा 9)
มุมมอง 342 ปีที่แล้ว
जटायोः शौर्यम् ( एनसीईआरटी शेमुषी कक्षा 9)
लौहतुला (एनसीईआरटी संस्कृत शेमुषी कक्षा ९)
มุมมอง 222 ปีที่แล้ว
लौहतुला (एनसीईआरटी संस्कृत शेमुषी कक्षा ९)
सूक्तिमौक्तिकम् (एनसीईआरटी संस्कृत कक्षा ९)
มุมมอง 302 ปีที่แล้ว
सूक्तिमौक्तिकम् (एनसीईआरटी संस्कृत कक्षा ९)
एनसीआरटी कक्षा बारहवीं संस्कृतभास्वती (नैकेनापि समं गता वसुमती)
มุมมอง 332 ปีที่แล้ว
एनसीआरटी कक्षा बारहवीं संस्कृतभास्वती (नैकेनापि समं गता वसुमती)
Dhanyabaad guruji
Dhanyabaad Guruji🙏
अत्युत्तमम्
Aha pe koi sanskrit practice karna chahe to pls contact me I want to practice by speaking
9893066322
Wah guruji app great ho
❤❤❤❤❤❤
पॉइन्ट पर आओ क्या नेता की तरह भाषण दे रहे हो
इतने अच्छे से समझाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद
Thanks Sir. 6-8 Sanskrit Subject BPSC teacher vacancy ki taiyari karaye.
बहुत सुंदर ढंग से समझाया गुरु जी 🎉🎉🎉🎉
Bhut Sundar jankari thannyvad mhoday
बहुत अच्छा है
श्रीकुमारिल भट्ट स्वामी जी की जय हो
Bahut ache se apne samghya
Sir is mastermind in Sanskrit
Bhut achha guru ji
PATH
Sir 5 question ka 4 ka kya hoga??
गर्हितम्
Bahut बढ़िया
प्रत्ययों मे शुद्धता रखने से और अच्छा लगेगा । जैसे परस्मैपद में हलन्त कहां होगा और कहां नही इसका ध्यान रखेंगे तो सीखने वालों को सुविधा होगी ।
great
उत्तमम्।
इस विषय को उठाकर आपने बहुत अच्छा कार्य किया है कारण कुछ समुदाय के लोग बौद्ध धर्म अपना कर अपने को सनातन धर्म से अलग कर रहे हैं और अपने को हिंदू मांगने से इनकार करते हैं और वर्ण व्यवस्था का विरोध करते हैं। राजेश कुमार मिश्रा उमरी सतना
Bahut sundar jankari diya aapne mahoday bahut bahut dhanyavad
4 subscriber
2 subscriber
Jai Shri Ram sir 🚩🚩 kuch question uthate h dosre dharm ke log Jese brahma g ne sarswati se vivah ke upar Ganesh bhagwan ka sir gjanan ka ku lagaya Mohini roop pr shiv g kaise vichlit ho gye
महानुभाव ' यहाँ आपने " सप्तर्षि" पद को कर्मधारय में भी लिया है और द्विगु में भी लिया है इसको स्पष्ट करें और दशानन पद द्विगु क्यो नहीं है बताने की कृपा करे
यहाँ पर दोनों सही है आप पूछेंगे क्यों? वास्तव में समास नाम बहुत कुछ विग्रह कर्ता के विग्रह पर निर्भर करता है जैसे 'रामेश्वर' पद का विग्रह भगवान् राम "रामस्य ईश्वरः' करते हैं जबकि भगवान् शिव " रामः ईश्वरः यस्य सः रामेश्वर:" इति ऐसा करते हैं।
Pahaleel
youtube.com/@kalkiavtatarladesarbhagwan6798
सर जी उस मुसलमान भाई से कहना की मूर्ति पूजा अगर गलत है तो फिर आप लोग यह हजारों मजारे क्यों बनाए हुए हैं इनको सबसे पहले हटाओ पूरे देश से दूसरी बात मक्का में इतना बड़ा गुम्मद बना हुआ है जिसके आप लोग चक्कर काटते हैं उसको भी हटाओ।
Shubhamastu arye. spastena saralena ca vodhitvan bhavan. Avinandanai, dhanyavadah
स्वागतम्
अपने हाथ से मूर्ति बनाकर उसी से दुआ करना सही है या गलत जबकि उस मूर्ति बनाने वाले ने भगवान को देखा न हो
आप यदि अपने माता-पिता या पत्नी से प्रेम करते हैं तो उनकी तस्वीर अपने पास रखते हैं। जबकि वह तस्वीर है माता पिता नहीं। आपके पिता जी की तस्वीर जिन्हें आपके पोते ने नहीं देखा। आप उसे बताते हैं कि यह तुम्हारे परदादा जी हैं ठीक वैसे ही देवताओं की मूर्ति आज से नहीं बल्कि उनके बाद से ही बनाने की परम्परा रही है मतलब यह कि कई पीढ़ियां बीत गईं देवों का परिचय कराते हमें हमारे बाप पर भरोसा है कि वह झूठ नहीं बोलते। अब रही बात मूर्तिपूजा की तो यह सत्य है कि ईश्वर विश्व में कणकण में व्याप्त है इसका मतलब की मूर्ति में भी ईश्वर है तो मूर्ति पूजा से परहेज क्यों? आपको भी अपने इवादत के लिए मस्जिद जाना होता है वहाँ भी कोई प्रतीक होता है जिस पर आप चादर इत्यादि चढ़ाते है वह भी मनुष्य के द्वारा बनाया हुआ है पर आप पाँच वक्त नवाज अदा करने जाते हैं न? बस कुछ ऐसा ही समझिये।
एक प्रश्न और क्या आपका हिन्दु धर्म बौद्ध धर्म की महायान शाखा से निकला है ???????
गलत फहमी है जब महात्मा बुद्ध का कोई अस्तित्व धराधाम पर नहीं था तब भी सनातन था
@@संस्कृतऔरभारत तो फिर सनातन धर्म के प्राचीनतम मन्दिरो मे तथागत बुद्ध की मूर्तियाँ क्यो है अधिकांश मूर्तियाँ को परिधान व मेकअप करके बुद्ध का असली चेहरा छूपा दिया क्यो है शिवलिंग???? मे बुद्ध की मूर्तियाँ कैसे बनी है
@@divyanshnaturals2246 क्योंकि बौद्ध और जैन ये दोनों राजाश्रित धर्म थे और बहुत से राजाओं ने उस समय बौद्ध मत को न केवल स्वीकार किया था बल्कि बौद्ध के प्रचार में अपनी सारी सम्पत्ति लगा दी थी यदि आपने इतिहास पढ़ा हो तो सम्राट अशोक इस बात का प्रमाण है। इसी धर्म प्रचार के लिए हिन्दू मन्दिरों मे बौद्ध प्रतिमाएं लगाई गई
@@संस्कृतऔरभारत सम्राट अशोक व चन्द्रगुप्त मौर्य के शिलालेखॊ मे साथ ही जैन धर्म के शिला लेखॊ मे कही पर भी देवनागरी लिपि के वर्ण नही मिलते है जब पालि की ब्राह्मी लिपि के जो कवर्ग चवर्ग आदि का रूपान्तरित रुप ही तो देवनागरी लिपि है जो ब्राहमी के बाद बनायी गयी है ।इस से स्पष्ट होता है कि संस्कृत ईसापूर्व की भाषा नही रही है
महोदय कृपया बतायेकि वेद व अन्य संस्कृत शास्त्र देवनागरी लिपि व संस्कृत भाषा बनने के बाद मे लिखे गये या देवनागरी लिपि से पहले ही लिख दिये गये थे
जी जब लेखन कला नहीं थी तब भी वेद श्रुति परम्परा पर चलते थे। रामायण से पूर्व कोई भी ग्रंथ लिपिबद्ध नहीं था। भगवान् वेदव्यासः ने वेदो को बाद में लिपिबद्ध किया
@@संस्कृतऔरभारत पर भारत मे पाया जाने वाला पहला संस्कृत का लेख जो ताडपत्र पर है १४६४ ईशवी का मिला है और जब भाषा पालि जो ब्राहमी लिपी मे है तो उन पत्थरो पे संसकृत के लॆख भी तो नही मिलते है अब आपको स्विकार कर लेना चाहिए कि संस्कृत शास्त्र ईसा बाद मे ब्राहमणो ने ग्यारहवीं शताब्दी मे लिखे है संस्कृत यानि संस्कारित किया हुआ किस से किसी अन्य भाषा से और वो भाषा थी पालि प्राकृत
सनातन धर्म. धर्म या मजहब है। या एक सामाजिक व्यवस्था है
सनातन धर्म के दायरे मे हिन्दु धर्म की कौन कौन सी जातियाँ आती है
सभी
एक और बात वास्तव में सनातन में जाति व्यवस्था नहीं थी बुद्ध से पहले हमारे देश में सरनेम लिखने की परम्परा नहीं थी। आप सनातन के सरनेम देखेंगे तो वह किसी व्यवसाय से जुड़ा नज़र आएगा जैसे स्वर्णकार, लौहकार, ताम्रकार इत्यादि।
ईश्वर को पूछना नहीं पड़ता ईश्वर सबका है,गोड केवल ईसाईयों का है सर्वं खल्विदं ब्रह्म सब कुछ ब्रह्म ही है
ब्रह्म का अर्थ बतायेंगे भाई साहब
@@divyanshnaturals2246 जो इस जगत और जीव का कारण है,कर्ता भी है उपादान भी है। ब्रह्म, परमेश्वर, परमात्मा और भगवान सभी एक ही है जैसे तूरीयअवस्थित जल,वाष्प जल और हिम
दूसरे रीलिजन और मजहब के लोग
अहमिव चिन्तयति भवान्!
Guruji Pranaam, aap bohut sundor explain karte hain.
ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे।
बहुत अच्छे से समझाए है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद महोदय जी
Thank you
Guru ji you are the best
Guruji aasmaan ke sabhi taraf pradushan hai isko karm karak me transalate karenge to kya aayega
आकाशे सर्वत्र प्रदूषणं अस्ति।
Guruji bazaar ko sanskrit me kya kehte hain?
हट्टः
Hello
Very good sir ji
❤️❤️
Very nice