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Kuldeep singh
เข้าร่วมเมื่อ 25 ต.ค. 2019
आध्यात्मिक विचार, गीत ओर सामाजिक कार्य अंधेरे से परकाश कि और । मानव मात्र मे परमात्मा को देखना जात पात धर्म संप्रदाय कि दीवार को गिराकर इंसान को इंसान से जोड़ना।।
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Kuldeep bisalwasiya
Kuldeep Singh Sheoran
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วีดีโอ
आओ जी चले संत निरंकारी समागम समालखा 2024
มุมมอง 394 ชั่วโมงที่ผ่านมา
#अध्यात्मिक #sant_nirankari_mission #santnirankarioneness #song
सतगुरु धरती पर आयो रए, यो प्रेम को संदेशों लायो ये ।।
มุมมอง 1269 ชั่วโมงที่ผ่านมา
#अध्यात्मिक #song #sant_nirankari_mission #राजस्थानी धमाल @kulaatma
बद्रीनाथ धाम पर दिवाली की पूजा पाठ करते हुए ओर बर्फ पड़ने का सुंदर नजारा देखे जी।।
มุมมอง 5916 ชั่วโมงที่ผ่านมา
Dhan Nirankar ji 🪔🪔🎇🎇
आज म्हारे गुरुदेव घर आया ये, म्हारे आनंद भयो अपार। म्हारे दुधा मेवा बरसे, बरसे अमृत धार।।
มุมมอง 106วันที่ผ่านมา
#अध्यात्मिक #santnirankarioneness #sant_nirankari_mission #nirankarisantsamagum @kulaatma #song
आया जी आया संत समागम आया है होलो गुरसिखों तैयार गुरू दर्शन की रुत आई है 🙏🙏🌹🙏🙏
มุมมอง 132วันที่ผ่านมา
#अध्यात्मिक #sant_nirankari_mission #nirankarisantsamagam #motivation
धरती झूमे अमर झूमे, झूमे संत सुजान की संत समागम आ गया है।।
มุมมอง 14714 วันที่ผ่านมา
#अध्यात्मिक #song #santnirankarioneness #sant_nirankari_mission #nirankarisantsamagam @kulaatma
अज्ञान कि नींद में सोई थी गुरू ने आके जगा दिया।।
มุมมอง 22928 วันที่ผ่านมา
अज्ञान कि नींद में सोई थी गुरू ने आके जगा दिया।।
खुल गए द्वार खुशियों के गुरू को मनाने से।।
มุมมอง 138หลายเดือนก่อน
खुल गए द्वार खुशियों के गुरू को मनाने से।।
प्रभु बजा दो चैन कि बंशी रे कही बैर ना रहे नफरत ना रहे ।।#song #music
มุมมอง 94หลายเดือนก่อน
प्रभु बजा दो चैन कि बंशी रे कही बैर ना रहे नफरत ना रहे ।।#song #music
शुक्र शुक्र हम करते रहे, चिंता नही चिंतन हो भगति भरा जीवन हो ।।
มุมมอง 225หลายเดือนก่อน
शुक्र शुक्र हम करते रहे, चिंता नही चिंतन हो भगति भरा जीवन हो ।।
प्रभु चुनरी मेरी भगति के रंग में रंग देना।।
มุมมอง 205หลายเดือนก่อน
प्रभु चुनरी मेरी भगति के रंग में रंग देना।।
सतगुरू के दर पर आकर सिर को जिसने झुका लिया।।
มุมมอง 308หลายเดือนก่อน
सतगुरू के दर पर आकर सिर को जिसने झुका लिया।।
सतगुरू अपने लोक नू आया बिछड़े नू लेननू।। पंजाबी गायक #पंजाबी_सोंग
มุมมอง 390หลายเดือนก่อน
सतगुरू अपने लोक नू आया बिछड़े नू लेननू।। पंजाबी गायक #पंजाबी_सोंग
सुकराना ही भगति है सतगुरु तेरा शुक्रिया।।
มุมมอง 172หลายเดือนก่อน
सुकराना ही भगति है सतगुरु तेरा शुक्रिया।।
God is love, love is God #love #motivation
มุมมอง 832หลายเดือนก่อน
God is love, love is God #love #motivation
आओ जाने हम किसकी तरफ है गुरु की तरफ या संसार की तरफ।।
มุมมอง 83หลายเดือนก่อน
आओ जाने हम किसकी तरफ है गुरु की तरफ या संसार की तरफ।।
आओ सीकर शहर के दर्शन करते हैं।। 🌹🌹 धन निरंकार जी 🌹🌹
มุมมอง 1212 หลายเดือนก่อน
आओ सीकर शहर के दर्शन करते हैं।। 🌹🌹 धन निरंकार जी 🌹🌹
करू सिमरन तेरा यू बीत जाए जीवन मेरा।।
มุมมอง 1412 หลายเดือนก่อน
करू सिमरन तेरा यू बीत जाए जीवन मेरा।।
SBS NET online exam की रिपोर्टिंग करते हुए झलको सिकर न्यूज रिपोर्टर खुशबू।।
มุมมอง 782 หลายเดือนก่อน
SBS NET online exam की रिपोर्टिंग करते हुए झलको सिकर न्यूज रिपोर्टर खुशबू।।
SBS ऑनलाइन एक्जामिनेशन सेंटर सीकर बच्चों की कोई सुनवाई नहीं हुई।।
มุมมอง 382 หลายเดือนก่อน
SBS ऑनलाइन एक्जामिनेशन सेंटर सीकर बच्चों की कोई सुनवाई नहीं हुई।।
Dhan nirankar ji 🙏🙏
Dhan Nirankar ji 🙏🙏
Dhan nirankar ji
Dhan Nirankar ji
Dhan nirankar ji 🙏🙏🙏
Dhan Nirankar ji
Wah
Dhan Nirankar ji
👏👏
Dhan nirankar ji 🙏
🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🎇🪔🙏🙏
Dhan nirankar ji santo ❤❤
Dhan Nirankar ji
Dhan nirankar ji 🙏
Dhan Nirankar ji
⬛क्या मूर्तिपूजा शास्त्र-विरुद्ध है?⬛ ✔भारत में मूर्ति-पूजा जैनियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व से चलाई । जिससे उस समय तो आदि शंकरचार्य ने निजात दिला दी परंतु उनके मरते ही उनको भी शिव का अवतार ठहरा कर -पूजा होने लगी । इसी मूर्ति-पूजा के कारण ही इस्लाम की स्थापना हुई थी l ◼ सृष्टि के आरम्भ की सबसे पुरानी पुस्तक वेद में एक निराकार ईश्वर की उपासना का ही विधान है, चारों वेदों के (20589) मंत्रों में कोई ऐसा मंत्र- श्लोक नहीं है जो मूर्ति पूजा का पक्षधर हो । ✔महर्षि दयानन्द के शब्दों में - मूर्ति-पूजा वैसे है जैसे एक चक्रवर्ती राजा को पूरे राज्य का स्वामी न मानकर एक छोटी सी झोपड़ी का स्वामी मानना । ✔वेदों में परमात्मा का स्वरूप यथा प्रमाण ?✔ ◼ न तस्य प्रतिमाsअस्ति यस्य नाम महद्यस: । - (यजुर्वेद अध्याय 32, मंत्र 3) ✔उस ईश्वर की कोई मूर्ति अर्थात् - प्रतिमा नहीं जिसका महान यश है । ◼ वेनस्त पश्यम् निहितम् गुहायाम । - (यजुर्वेद अध्याय 32 , मंत्र 8) ✔ विद्वान पुरुष ईश्वर को अपने हृदय में देखते है । ◼ अन्धन्तम: प्र विशन्ति येsसम्भूति मुपासते । ततो भूयsइव ते तमो यs उसम्भूत्या-रता: ।। - (यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 9) ✔अर्थ - जो लोग ईश्वर के स्थान पर जड़ प्रकृति या उससे बनी मूर्तियों की पूजा उपासना करते हैं, वह लोग घोर अंधकार ( दुख ) को प्राप्त होते हैं । हालांकि वेदों के प्रमाण देने के बाद किसी और प्रमाण की जरूरत नहीं परंतु आदि शंकराचार्य, आचार्य चाणक्य से लेकर महर्षि दयानन्दऔर, ✔ बाबा बूटा सिंह से लेकर बाबा हरदेव सिंह जी महाराज तक सब महान विद्वानों ने इस बुराई की हानियों को देखते हुए इसका सत्य आम जन को बताया । 🔲 बाल्मीकि रामायण में आपको सत्य का पता चल जाएगा की श्रीराम जी ने शिवलिंग की पूजा की थी या संध्या करके सच्चे शिव निराकार परमात्मा की उपासना की थी । ◼यच्चक्षुषा न पश्यति येन चक्षूंषि पश्यन्ति । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥ - केनोपनि० ॥ - सत्यार्थ प्र० २५४) ✔अर्थात जो आंख से नहीं दीख पड़ता और जिसमें से सब आंखें देखती है, उसी को तू ब्रह्म जान और उसी की उपासना कर । और जो उस से भिन्न सूर्य, विद्युत और अग्नि आदि जड़ पदार्थ है, उन की उपासना मत कर ॥ ◼ अधमा प्रतिमा- पूजा । अर्थात् - मूर्ति-प्रतीक पूजा सबसे निकृष्ट है । ◼ यष्यात्म बुद्धि कुणपेत्रिधातुके स्वधि … स: एव गोखर: ll - (ब्रह्मवैवर्त्त) ✔अर्थात् - जो लोग धातु, पत्थर, मिट्टी आदि की मूर्तियों में परमात्मा को पाने का विश्वास तथा जल वाले स्थानों को तीर्थ समझते हैं, वे सभी मनुष्यों में बैलों का चारा ढोने वाले गधे के समान हैं । ◼ जो जन परमेश्वर को छोड़कर किसी अन्य की उपासना करता है वह विद्वानों की दृष्टि में पशु ही है ।- (शतपथ ब्राह्मण 14/4/2/22) मूर्ति-पूजा पर विद्वानों के विचार ◼ नास्तिको वेदनिन्दक: ॥ - मनु० अ० १२ मनु जी कहते है कि जो वेदों की निन्दा अर्थात अपमान, त्याग, विरुद्धाचरण करता है वह नास्तिक (Atheistic) कहाता है । ◼ प्रतिमा स्वअल्पबुद्धिनाम । - आचार्य चाणक्य (chanakya) (चाणक्य नीति अध्याय 4 श्लोक 19) अर्थात् - मूर्ति-पूजा मूर्खो के लिए है । ◼मूर्ति पूजक कहते है मूर्ति पूजा एक माध्यम है l *नहीं नहीं मूर्ति-पूजा कोई सीढी या माध्यम नहीं बल्कि एक गहरी खाई है जिसमें गिरकर मनुष्य चकनाचूर हो जाता है जो पुन: उस खाई से निकल नहीं सकता । ◼ (दयानन्द सरस्वती स.प्र. समु. 11 में) वेदों में मूर्ति-पूजा निषिद्ध है अर्थात् जो मूर्ति पूजता है वह वेदों को नहीं मानता तथा “नास्तिको वेद निन्दक:” अर्थात् मूर्ति-पूजक नास्तिक हैं । ◼ संत कबीर जी ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए करते हुए कहते है l पत्थर पूजे हरि मिले तो में तो पुजू पहाड़ । दुनिया ऐसी बावरी जो पत्थर पूजन जाये । घर का चक्की कोई न पूजे जिसका पीसा खाये ll ✔यदि पत्थर कि मूर्ती कि पूजा करने से भगवान् मिल जाते तो मैं पहाड़ कि पूजा कर लेता हूँ । उसकी जगह कोई घर की चक्की की पूजा कोई नहीं करता, जिसमे अन्न पीस कर लोग अपना पेट भरते हैं l ◼कुछ लोग कहते है, भावना में भगवान होते है । यदि ऐसा है तो मिट्टी में चीनी की भावना करके खाये तो क्या मिट्टी में मिठास का स्वाद मिलेगा ? ◼आज यही बात निरंकारी मिशन कह रहा है l ✔एक को जानो एक को मनो एक हो जाओ ✔ इसी निराकार परमात्मा की बात बता रहा है, जब की लोग वेद-शास्त्र पढ़ते नहीं और काल्पनिक बातो में कर्मकांडो में फसे रहते है और अपना जीवन ब्यर्थ कर रहे है l ✔अतः समय के सतगुरू से परमात्मा की ज्ञान प्राप्त करके पूर्ण ज्ञानि बनें, सच्चे भक्त बने और आनंदित रहे दूसरों को आनंद देने वाले बने ll ✍ ll 🙏💞धन निरंकार जी💞🙏 ll
सात्त्विक पुरुष देवों को पूजते हैं, राजस पुरुष यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य जो तामस मनुष्य हैं, वे प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं। जो मनुष्य शास्त्र विधि से रहित केवल मन कल्पित घोर तप को तपते हैं तथा दम्भ और अहंकार से युक्त एवं कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से भी युक्त हैं। जो शरीर रूप से स्थित भूतसमुदाय को और अन्त:करण में स्थित मुझ परमात्मा को भी कृश करने वाले हैं, उन अज्ञानियों को तू आसुर स्वभाव वाले जान। - श्रीमत् भगवत गीता 17(4-6) तू अपने लिये कोई मूर्ति खोद कर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में वा पृथ्वी पर वा पृथ्वी के जल में है। उन को दण्डवत न करना और न ही उनकी उपासना करना है। तुम मेरे साथ किसी को सम्मिलित न करना, अर्थात अपने लिये चान्दी वा सोने से भी देवताओं को न गढ लेना। - निर्गमन 20(4-23) पर डरपोकों, और अविश्वासियों, घिनौनों, हत्यारों, व्यभिचारियों, टोन्हों, मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है; यह दूसरी मृत्यु है। पर कुत्ते, टोन्हें, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्ति पूजक, हर एक झूठ का चाहने वाला और गढ़ने वाला बाहर रहेगा। - 21(8) 22(15) निस्संदेह किताब वालों और मुशरिकों (बहुदैववादियों) में से जिन लोगों ने इनकार किया है, वे जहन्नम की आग में पड़ेगे, उसमें सदैव रहने के लिए। वही पैदा किए गए प्राणियों में सबसे बुरे है। - कुरान 98(6) तू ही निरंकार !! अन्धा बहरा मूरख बेमुख, माने ना नादानी को; दूध समझकर बिलो रहा है, देखो बैठा पानी को। खोज में सर्वव्यापी की, देखो संगम में जाता है; कबरों मढ़ियों शमशानों पर, जा-जा दीप जलाता है। रमे राम की खोज में देखो, छान रहा वीरानों को; ग्रन्थों को कर सजदे हारां, पूज रहा बुतखानों को। खोज-खोज में उमर गंवाई, कहीं नज़र यह आया ना; कहे अवतार बिना गुरु पूरे, राम किसी ने पाया ना। - अवतारवाणी (87) ( संत निरंकारी मिशन )
विभाग रहित एक रुप से आकाश के सदृश्य परिपूर्ण होने पर भी चराचर संम्पूर्ण भूतों में विभक्त सा स्थित है, तथा यह सम्पूर्णा भूतों का सृष्टि-स्थिति-संहार करने वाला परमात्मा जानने योग्य है। - भगवत गीता 13(17) उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर समझ, उनको भलीभाँति दण्डवत् प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे परमात्म तत्व को भलीभाँति जानने वाले ज्ञानी महात्मा (alive) तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे। - भगवत गीता 4(34) तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे मध्य से, अर्थात् तेरे भाइयों में से मेरे समान एक नबी (alive) को उत्पन्न करेगा, तू उसी की सुनना। इसलिए मैं उनके लिये उनके भाइयों के बीच में से तेरे समान एक नबी (alive) को उत्पन्न करूँगा; और अपना वचन उसके मुँह में डालूँगा; और जिस-जिस बात की मैं उसे आज्ञा दूँगा वही वह उनको कह सुनाएगा। और जो मनुष्य मेरे वह वचन जो वह मेरे नाम से कहेगा ग्रहण न करेगा, तो मैं उसका हिसाब उससे लूँगा। परन्तु जो नबी अभिमान करके मेरे नाम से कोई ऐसा वचन कहे जिसकी आज्ञा मैंने उसे न दी हो, या पराए देवताओं के नाम से कुछ कहे, उस नबी का वध किया जाए। - व्यवस्थाविवरण 18(15&18-20) पूर्व और पश्चिम अल्लाह का ही है। अतः जिस ओर तुम रूक करोगे उसी ओर अल्लाह का रूक है । निस्संदेह अल्लाह बड़ा समाईवाला सर्वव्यापि सर्वज्ञ है। - कुरान 2 (115) जब अल्लाह ने नबियों के सम्बन्ध में वचन लिया था, "मैंने तुम्हें जो कुछ किताब और हिकमत प्रदान की, इसके पश्चात तुम्हारे पास कोई रसूल (alive) उसकी पुष्टि करता हुआ आए जो तुम्हारे पास मौजूद है, तो तुम अवश्य उस पर ईमान लाओगे और निश्चय ही उसकी सहायता करोगे।" कहा, "क्या तुमने इक़रार किया? और इसपर मेरी ओर से डाली हुई जिम्मेदारी का बोझ उठाया?" उन्होंने कहा, "हमने इक़रार किया" कहा,"अच्छा तो तुम उसकी गवाही देना है और मैं भी तुम्हारे साथ गवाह रहाूँगा। फिर इसके बाद जो फिर जाए, तो ऐसे लोग अवज्ञाकारी है। - कुरान 3(81-82) ऐ आदम की सन्तान, यदि तुम्हारे पास तुम्हीं में से कोई रसूल (alive) आएँ; तुम्हें मेरी आयतें सुनाएँ, तो जिसने डर रखा और उद्धार कर लिया तो ऐसे लोगों के लिए न कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे। - कुरान 7(35) जिसने आकाशों और धरती को और जो कुछ उन दोनों के बीच है, पैदा किया। रहमान है वह! अतः पूछो उससे जो (alive) उसकी ख़बर रखता है। - कुरान 25(59) तुममें से जो लोग ईमान लाए है और उन्हें ज्ञान प्रदान किया गया है, अल्लाह उनके दरजों को उच्चता प्रदान करेगा। जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है। - कुरान 58(11) १ तू ही निरंकार !! रब न मिलता मन्दिर मस्जिद काशी मक्का जाने से; बैठ बैठ के योगी हारे, मिले न समाधि लगाने से। सोए जागे ना रब मिलता, जागरण कर कर हारे कई; प्रतिमाओं से प्रभु मिले ना, सजदे लाख गुज़ारे कई। लोगो प्रभु तो उन्हें मिला है, जिनको गुरू मिला पूरा; कहे अवतार गुरू बख़्शिश से, अधूरा बन्दा बना पूरा। - अवतारवाणी (306) ( संत निरंकारी मिशन ) [सनातन धर्म का सत्यनाश करने वाले गद्दार स्वयं प्रख्यापित ब्रह्मण (ब्रह्मज्ञाने येति ब्राह्मणः) लोग ही है। भारतीय गुरुपरम्बरा और ब्रह्मज्ञान छोड़कर मूर्ति पूजा करते है]
🙏🙏
मूर्ती पूजक लोग सनातनी नहीं हो सकता। क्योंकि सनातन धर्म समय का सतगुरु का पवित्र चरणों से आरंभ होता है। श्रीकृष्ण, श्रीराम, गुरु नानक देव, जीसस क्राईस्ट, मुहम्मद नबी आदी सनातनी थे, क्योंकि वे सभी गुरु पहले शिष्य रहे है। वे लोग मूर्ति पूजक भी नहीं थे। वैसे तो हिन्दू धर्म बिना मालिक का एक अनाथालय है। जैसे ईसाईओं का पोप और मुसल्मानों का खलीफा की तरह जाती व्यवस्था खतम करके हिन्दु धर्म का भी एक हेड्ड होना जरूरी है। सब को एक झण्डे कि नीचे एक छात्ते की नीचे लाना होगा। तब जाकर हम हिन्दु कहने का लायक बन पाओगे। यह गद्दार पण्डित लोग कभी नहीं होने देगा। होने दिया होते तो दूसरे धर्म भारत में न होते और जात धर्म के नाम का झगडे और कतले आम नहीं होते। हिन्दू धर्म का सत्य नाश करने वाले ये पंडित लोग ही है। ये लोग संस्कृत लुप्त कर लिये। नीच जात का लोग संस्कृत श्लोक सुनने से ये लोग उनके कानों में लोहा पिगोल कर डालते थे। इसलिए इन लोगों को जबरन अरब शीख ने का नौबत हुआ । हिन्दुओं को जात पात में बांट कर रखलिया। उपनिषद वेद शस्त्र भगवत गीता लोगों को शिखाया नहीं। इस लिये सब लोग धर्म परिवर्तन का शिकार बन गये। शस्त्र नहीं उठाओगे तो अपना राष्ट्र खो दोगे और शास्त्र नहीं पढ़ोगे तो अपनी संस्कृति को खो दोगे। - भगवान श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम, हज़रत ईसा मसीह और हज़रत मुहम्मद नबी बीते युग के आध्यात्मिक गुरु रहे हैं और वे मौजूदा आध्यात्मिक गुरुओं, ऋषि संतीपन, वशिष्ठ महर्षि, स्नापह योहन्ना, एवं जिब्रील आदी के शिष्य भी रहे है। उनका चित्र, चरित्र और विग्रह से हमारा भक्ति एवं मुक्ति संभव नहीं। यदि आज हमें आत्म-ज्ञान प्राप्त करना है तो जीवित आध्यात्मिक गुरुओं की तलाश की जानी चाहिए। एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति और ला इलाही इल्लल्लाह का अर्थ एक ही है। ब्रह्म, अल्लाह और यहोवा एक ही हैं। अहंब्रह्मास्मिन और अनअलहक का अर्थ एक ही है। यहाँ सिर्फ भाषाओं का अंतर है। लेकिन केवल यह सत्यबोध से ही जात, धर्म, वर्ण, वर्ग, गोत्र, एवं पक्ष से मुक्त राष्ट्र का उदय हो सकता है और दुनिया में प्रेम, अमन और शांति स्थापित हो सकती है। लेकिन यह अनुभूति केवल वर्तमान गुरु की कृपा से ही संभव हैं। भागवत गीता 13(17) 4(33-34) बैबिल व्यवस्थाविवरण 18(14-20) कुरान 3(81-82) 4(150-52) 7(35) 25(59) 58(11) आदि जरूर पढें। "GOD IS ONE, KNOW HIM AS ONE" सभी धर्म बताते हैं कि, ईश्वर एक है; लेकिन मनुष्य एक क्यों नहीं हो जाता? उन लोगों के बीच क्या अंतर है, जो सर्वव्यापी सर्वोच्च सत्ता छोड़ कर मंदिर का मूर्ति, चर्च का क्रॉस मक्के का किबिला, गुरुद्वारे का ग्रन्थ, समाधियां सेमित्तेरी यां और कब्रिस्तानों आदी की तरफ प्रार्थना करते हैं?
हम बहुत अजीब इंसान हैं जिन पर परमात्मा ने कृपा करके सर्वश्रेष्ठ योनी (अषरफुल मखलूकात) मनुष्य जन्म प्रदान किया है, जातियों, धर्मों पांथों में बंट कर और मंदिरों और मस्जिदों के लिए एक दूसरे से लड़ मारते हैं और इस धरती को नर्क बना दिया और मरने के बाद किसी काल्पनिक स्वर्ग में जाने के लिए उत्सुक हैं। हमने चंद्रमा पर अपने पैरों के निशान छोड़ दिए हैं पर अभी तक पृथ्वी पर इंसानों की तरह चलना नहीं सीखा है। यदि मनुष्य गुरु पीर पेगम्बरों की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात कर ले, जैसे उनके चित्रों, मूर्तियों, वस्त्रों और समाधियों की पूजा करता है, तो पृथ्वी पर स्वर्ग स्थापित हो जायेगा। -निरंकारी बाबाजी जो लोग अविनाशी, अनिर्वचनीय, गूढ़, सर्वव्यापक, अकल्पनीय, निर्विकार, अचल और शाश्वत ब्रह्म में स्थित हैं, जो सभी चीजों में समभाव रखते हैं और सभी प्राणियों के कल्याण के लिए काम करते हैं, वे इंद्रियों का पालन करके मुझे (परमात्मा को) प्राप्त करेंगे। - भगवत गीता 12(2-3) तुम खुद को कितना प्यार करता है उतना ही प्यार अपने पडोसियों से भी करें। - यीशु मसीह अपना पड़ोसी भूखा है, जब पेट भर खाता है वे हम में से नहीं है। - मुहम्मद नबी समस्त भारतीय ऋषि-मुनि एवं आचार्य गण संक्षेप में नर पूजा नारायण पूजा, मानवसेवा माधवसेवा, जन सेवा जनार्दन सेवा और उस समय के तैंतीस करोड़ सामान्य लोगों को देवी-देवताओं के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था।
Dhan nirankar ji 🙏🏻
Dhan Nirankar ji
👌👌
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Dhan nirnkar ❤❤😊🎉
Dhan Nirankar ji ❤️❤️🙏🙏
🙏🙏
बहुत सुंदर जि
Thanks ji 🌹
Dhan nirankar ji 🙇🙏🙇
Dhan Nirankar ji
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Dhan nirankar sadguru Mata ji 🌹🙏🏻🙏🏻🌹
Dhan Nirankar ji pyare santo 👏👏
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Dhan nirankar ji 🙏🙏
Dhan Nirankar ji
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Dhan nirankar ji 🙏
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Dhan nirankar ji 🙏
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सुंदर धन निरंकार जी 🙏🙏
Dhan Nirankar ji
Wah
Dhan Nirankar ji